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एक ऐसा पिता, जिसकी कोई बराबरी नहीं कर सकताप्रहरीदुर्ग—2008 | जनवरी 1
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सामान्य युग 29 के करीब अक्टूबर महीने में यीशु यरदन नदी में बपतिस्मा लेने के लिए आया। बाइबल बताती है कि तब क्या हुआ: “यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिये आकाश खुल गया; और उस ने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर की नाई उतरते और अपने ऊपर आते देखा। और देखो, यह आकाशवाणी हुई, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यन्त प्रसन्न हूं।”a (मत्ती 3:16, 17) इस मौके पर खुद यहोवा ने ये प्यार-भरे शब्द कहे थे, जिनसे हमें पता चलता है कि वह कैसा पिता है। उन तीन बातों पर ध्यान दीजिए, जो यहोवा ने अपने बेटे से कही थीं।
पहली बात, यहोवा ने कहा ‘यह मेरा पुत्र है।’ दूसरे शब्दों में कहें तो यहोवा के कहने का मतलब था, ‘मुझे नाज़ है कि मैं तुम्हारा पिता हूँ।’ बच्चे अपने माँ-बाप से तारीफ और उनका ध्यान पाने को तरसते हैं और एक समझदार पिता अपने बच्चे की इस ज़रूरत को पूरा करता है। बच्चों को इस बात का यकीन दिलाया जाना चाहिए कि मम्मी-पापा उनसे बेहद प्यार करते हैं और हरेक को अनमोल समझते हैं। ज़रा सोचिए, यीशु के बड़े हो जाने के बाद भी जब उसके पिता ने उसकी तारीफ की, तो उसका दिल किस कदर झूम उठा होगा!
दूसरी बात, यहोवा ने अपने बेटे को “प्रिय” कहकर सबके सामने उसके लिए अपना प्यार जताया। एक तरह से वह यीशु से कह रहा था, ‘मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूँ।’ एक अच्छा पिता अपने बच्चों से कहता है कि वह उन्हें बेइंतिहा प्यार करता है। ऐसे शब्द कहने के साथ ही, बच्चों को सही किस्म का प्यार देने से वे अच्छी तरह बढ़ेंगे। जब यीशु ने अपने पिता को उसके लिए प्यार ज़ाहिर करते सुना, तो बेशक ये शब्द उसके दिल को छू गए होंगे!
तीसरी बात, यहोवा ने इन शब्दों के ज़रिए कि “मैं तुझसे प्रसन्न हूं,” यह जताया कि वह अपने बेटे से बहुत खुश है। मानो यहोवा कह रहा था, ‘बेटे, तूने जो किया, उससे मैं बेहद खुश हूँ।’ जब बच्चे अच्छी बातें कहते या अच्छे काम करते हैं, तब एक प्यार करनेवाला पिता उन्हें यह बताने से पीछे नहीं हटता कि वह उनसे कितना खुश है। इससे बच्चों को अच्छे काम करते रहने की हिम्मत और साहस मिलता है। बेशक, यह सुनकर यीशु का हौसला ज़रूर बढ़ा होगा कि उसका पिता उससे खुश है!
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