आपकी ज़िंदगी कितनी कीमती है?
पहले विश्वयुद्ध के दौरान, एक तरफ जहाँ यूरोप में लाखों लोगों को मारकर लाशों का ढेर लगाया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ अंटार्कटिका में कुछ लोगों की जान बचाने के लिए जी-तोड़ कोशिश की जी रही थी। दरअसल, ऐंग्लो-आइरिश खोजकर्ता अर्नस्ट शैकलटन और उसके साथी एक खोज-यात्रा पर निकले थे। इस दौरान उन पर एक बड़ी मुसीबत टूट पड़ी। उनका जहाज़ इंड्योरंस समुद्री बर्फ में फँस गया और फिर टुकड़े-टुकड़े होकर डूब गया। शैकलटन अपने साथियों को किसी तरह बचाकर ऐलिफेंट द्वीप पर ले आया, जो दक्षिण अतलांतिक महासागर में है। यहाँ वे कुछ हद तक सुरक्षित थे, मगर अब भी उन पर से खतरा टला नहीं था।
शैकलटन ने देखा कि अब उनके बचने का बस एक ही उपाय है, मदद के लिए अपने कुछ आदमियों को साउथ जॉर्जिया द्वीप के व्हेलिंग स्टेशन (व्हेल पकड़ने की जगह) भेजा जाए। यह द्वीप 1,100 किलोमीटर दूर था और शैकलटन के पास 7 मीटर लंबी एक ही लाइफबोट थी, जो उसने डूबते इंड्योरंस से निकाल ली थी। उनके बचने की उम्मीद बहुत कम नज़र आ रही थी।
फिर भी, शैकलटन और उसके कुछ साथी समुद्र में 17 दिन तक मुश्किल भरा सफर तय करके मई 10, 1961 को साउथ जॉर्जिया पहुँचे। लेकिन मौसम खराब होने की वजह से उन्हें मज़बूरन द्वीप के दूसरे कोने पर उतरना पड़ा। अब उन्हें बर्फ से ढके अनजान पहाड़ों से होते हुए 30 किलोमीटर की दूरी तय करके अपनी आखिरी मंज़िल तक पहुँचना था। एक तो तापमान शून्य से बहुत नीचे था और पहाड़ों पर चढ़ने के लिए उनके पास सही साधन भी नहीं थे, फिर भी वे इन सारी रुकावटों को पार करके अपनी मंज़िल, व्हेलिंग स्टेशन पहुँच गए। और बाद में, शैकलटन ने ऐलिफेंट द्वीप में फँसे अपने बाकी साथियों को बचा लिया। शैकलटन ने अपनी जान पर खेलते हुए इतनी जद्दोजहद क्यों की? जीवन-कहानी लिखनेवाले रोलंड हन्टफोर्ड कहते हैं: “उसका केवल एक ही लक्ष्य था, अपने हर आदमी को ज़िंदा वापस लाना।”
“उनमें से एक भी न छूटेगा”
शैकलटन के साथी जिस द्वीप पर दुबककर बैठे इंतज़ार की घड़ियाँ गिन रहे थे, वह दरअसल “30 किलोमीटर चौड़ी, बर्फ से ढकी हुई एक चट्टान थी जहाँ तक पहुँचना बहुत मुश्किल था।” ऐसे में किस बात ने उन्हें उम्मीद बनाए रखने में मदद दी? उन्हें अपने अगुवे शैकलटन पर पूरा भरोसा था कि वह अपने वादे के मुताबिक उन्हें ज़रूर बचाएगा।
आज इंसानों की हालत भी काफी कुछ उन बेसहारा आदमियों की तरह है, जिनके बचने की गुंजाइश बहुत कम थी। आज ज़्यादातर लोग बहुत ही बदतर हालात में जीते हैं और बस ज़िंदा रहने के लिए उन्हें खून-पसीना एक करना पड़ता है। फिर भी, वे पूरा भरोसा रख सकते हैं कि परमेश्वर हर किस्म के ज़ुल्म और मुसीबत से ‘दुखियों को छुड़ाएगा।’ (अय्यूब 36:15) इस बात का पक्का यकीन रखिए कि परमेश्वर हर इंसान की ज़िंदगी को बहुत कीमती समझता है। यहोवा परमेश्वर जिसने हमें बनाया है, वह कहता है: “संकट के दिन मुझे पुकार; मैं तुझे छुड़ाऊंगा।”—भजन 50:15.
क्या आपको यह विश्वास करना मुश्किल लगता है कि सिरजनहार खुद आपका ख्याल रखता है, यानी दुनिया के अरबों लोगों में से एक इंसान—आप उसके लिए बहुत कीमती हैं? अगर हाँ, तो ध्यान दीजिए कि भविष्यवक्ता यशायाह ने हमारे विशाल अंतरिक्ष की अरबों मंदाकिनियों में पाए जानेवाले अरबों तारों के बारे में क्या लिखा। हम पढ़ते हैं: “अपनी आंखें उठाकर देखो कि किसने इन तारागणों की सृष्टि की है, कौन उनके गणों में से एक एक की अगुवाई करता, और उन सब को नाम ले लेकर बुलाता है। उसके विशाल सामर्थ्य और उसकी महाशक्ति के कारण उनमें से एक भी न छूटेगा।”—यशायाह 40:26, NHT.
क्या आपको इन शब्दों का मतलब समझ आया? हमारी अपनी मंदाकिनी आकाशगंगा में, जिसका सौर-मंडल एक छोटा-सा भाग है, कम-से-कम एक खरब तारे हैं। इसके अलावा, अंतरिक्ष में और कितनी मंदाकिनियाँ हैं? यह तो कोई भी पक्का नहीं जानता, लेकिन अनुमान लगाया जाता है कि 1.25 खरब मंदाकिनियाँ मौजूद हैं। तो सोचिए, इन सारी मंदाकिनियों में कितने बेशुमार तारे होंगे! फिर भी बाइबल हमें बताती है कि विशाल अंतरिक्ष का सिरजनहार एक-एक तारे को उसके नाम से जानता है।
“तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं”
लेकिन कुछ लोग शायद एतराज़ करते हुए कहें: ‘तो क्या हुआ, अरबों तारों या अरबों लोगों का नाम जानने का यह मतलब नहीं कि वह हरेक की परवाह भी करता है।’ यह सच है कि एक कंप्यूटर भी अपने अंदर अरबों लोगों के नाम दर्ज़ कर सकता है। लेकिन कोई यह नहीं कहेगा कि कंप्यूटर उन अरबों लोगों में से किसी एक की भी परवाह करता है। मगर बाइबल बताती है कि यहोवा परमेश्वर अरबों लोगों का सिर्फ नाम ही नहीं जानता बल्कि उनमें से हर एक की परवाह भी करता है। प्रेरित पतरस ने लिखा: “अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।”—1 पतरस 5:7.
यीशु मसीह ने कहा: “क्या पैसे में दो गौरैये नहीं बिकतीं? तौभी तुम्हारे पिता की इच्छा के बिना उन में से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती। तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं। इसलिये, डरो नहीं; तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो।” (मत्ती 10:29-31) ध्यान दीजिए, यीशु ने यह नहीं कहा कि परमेश्वर को सिर्फ इस बात की खबर रहती है कि गौरैयों और इंसानों के साथ क्या होता है। उसने कहा: “तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो।” आप गौरैयों से बढ़कर क्यों हैं? क्योंकि आप ‘परमेश्वर के स्वरूप के अनुसार बनाए’ गए हैं और आप में नैतिक गुण, दिमागी काबिलीयतें, साथ ही आध्यात्मिक गुण बढ़ाने और दिखाने की क्षमता है। यह सब परमेश्वर के ही महान गुणों को ज़ाहिर करते हैं।—उत्पत्ति 1:26, 27.
“कुशल दिमाग की कारीगरी”
जो लोग सिरजनहार के वजूद को मानने से इनकार करते हैं, उनके दावों से गुमराह मत होइए। वे कहते हैं कि आपको कुदरत की निराकार शक्तियों ने अंधाधुंध बनाया है। वे दावे के साथ कहते हैं कि ‘परमेश्वर के स्वरूप के अनुसार’ आपका बनाया जाना तो दूर की बात, आपमें और जानवरों में कोई फर्क नहीं, यहाँ तक कि आपमें और गौरैयों में भी।
क्या आपको इस बात में कोई तुक नज़र आता है कि ज़िंदगी की शुरूआत बस इत्तफाक से या किसी निराकार शक्ति की वजह से हुई? अणु जीव-विज्ञानी माइकल जे. बीही के अनुसार जिन “जटिल-से-जटिल जीव-रासायनिक प्रक्रियाओं” की वजह से जीवन बरकरार है, वे इस विचार को बिलकुल बेतुका साबित करती हैं कि ज़िंदगी इत्तफाक से शुरू हुई। बीही कहते हैं कि जीव-रसायन-विज्ञान के सबूतों से एक ही नतीजा निकलता है जिसे कोई नकार नहीं सकता। वह यह है कि “पृथ्वी पर मौजूद छोटे-से-छोटा जीव . . . भी एक कुशल दिमाग की कारीगरी है।”—डार्विन की रहस्यमयी धारणा—विकासवाद को जीव-रसायन की चुनौती, अँग्रेज़ी।
बाइबल कहती है कि इस पृथ्वी पर मौजूद छोटे से लेकर बड़े जीव, एक कुशल दिमाग की कारीगरी हैं। और यह हमें बताती है कि यह कुशल दिमाग यहोवा परमेश्वर का है, जो पूरे जहान का भी बनानेवाला है।—भजन 36:9; प्रकाशितवाक्य 4:11.
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आज हम दुःख-तकलीफों से भरी दुनिया में जी रहे हैं, लेकिन यह बात आपको इस सच्चाई को मानने से रोकने न पाए कि इस पृथ्वी का और यहाँ मौजूद सभी प्राणियों का एक रचनाकार और सिरजनहार है। दो बुनियादी सच्चाइयों को हमेशा याद रखिए। पहली, आज हमारे चारों तरफ जो बुराई फैली हुई है, उसकी शुरूआत परमेश्वर ने नहीं की। दूसरी, हमारे सिरजनहार ने कुछ ठोस कारणों से बुराई को थोड़े वक्त के लिए इजाज़त दी है। इस प्रहरीदुर्ग पत्रिका में कई बार यह चर्चा की गयी है कि यहोवा परमेश्वर ने दुष्टता की इजाज़त सिर्फ कुछ समय के लिए दी है, ताकि शुरू में उसकी हुकूमत को ठुकराने की वजह से जो ज़रूरी नैतिक मसले उठे थे उन्हें हमेशा के लिए निपटाया जा सके।a—उत्पत्ति 3:1-7; व्यवस्थाविवरण 32:4, 5; सभोपदेशक 7:29; 2 पतरस 3:8, 9.
‘वह दोहाई देनेवाले दरिद्र का उद्धार करेगा’
हालाँकि आज कई लोगों को बद-से-बदतर हालात में जीना पड़ रहा है, फिर भी ज़िंदगी एक बेहतरीन तोहफा है। इसे कायम रखने के लिए हम हर मुमकिन कोशिश करते हैं। परमेश्वर ने भविष्य में हमें ऐसा जीवन देने का वादा किया है जो एक संघर्ष नहीं होगा। आज इंसान को किसी-न-किसी तरह ज़िंदा रहने के लिए, मुश्किल और दर्दनाक हालात से जूझना पड़ता है, ठीक उसी तरह जैसे ऐलिफेंट द्वीप पर शैकलटन के आदमियों को करना पड़ा था। परमेश्वर का यह मकसद है कि फिलहाल ज़िंदगी में जो तकलीफें और खालीपन है, उससे हमें छुड़ाए ताकि हम “सत्य जीवन को वश में कर लें,” जैसे शुरू में उसने इंसान के लिए ठहराया था।—1 तीमुथियुस 6:19.
परमेश्वर यह सब इसलिए करेगा क्योंकि हममें से हरेक जन उसकी नज़रों में कीमती है। उसने अपने बेटे, यीशु मसीह का इंतज़ाम किया ताकि वह हमारे लिए छुड़ौती बलिदान देकर हमें पाप, असिद्धता और मौत से छुटकारा दिलाए, जो हमें पहले माता-पिता आदम और हव्वा से विरासत में मिली हैं। (मत्ती 20:28) यीशु मसीह ने कहा: “परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह . . . अनन्त जीवन पाए।”—यूहन्ना 3:16.
परमेश्वर उन इंसानों के लिए क्या करेगा जो दर्द और ज़ुल्मों के बोझ तले दबे हुए हैं? ईश्वर-प्रेरणा से लिखा वचन बताता है कि उसका बेटा यीशु क्या करेगा: “वह दोहाई देनेवाले दरिद्र का, और दुःखी और असहाय मनुष्य का उद्धार करेगा। वह कंगाल और दरिद्र पर तरस खाएगा, और दरिद्रों के प्राणों को बचाएगा। वह उनके प्राणों को अन्धेर और उपद्रव से छुड़ा लेगा।” वह ऐसा क्यों करेगा? क्योंकि “उनका लोहू [या, उनका जीवन] उसकी दृष्टि में अनमोल ठहरेगा।”—भजन 72:12-14.
सदियों से इंसान पाप और असिद्धता के बोझ से दबे हुए हैं, मानो वे दर्द और पीड़ा से ‘कराह’ (NHT) रहे हैं। परमेश्वर ने सिर्फ इसलिए इसकी इजाज़त दी है, क्योंकि वह जानता है कि इससे होनेवाले हर नुकसान की वह भरपाई कर सकता है। (रोमियों 8:18-22) बहुत जल्द वह अपने राज्य यानी अपनी सरकार के ज़रिए, जिसकी बागडोर उसके बेटे यीशु मसीह के हाथ में है, “सब चीज़ें बहाल” कर देगा।—प्रेरितों 3:21, हिन्दुस्तानी बाइबल; मत्ती 6:9, 10.
“सब चीज़ें बहाल” करने में यह भी शामिल है कि बीते समय में जो लोग दुःख उठाकर मौत की नींद सो चुके हैं, उन्हें दोबारा ज़िंदा करना। आज वे सब परमेश्वर की याद में महफूज़ हैं। (यूहन्ना 5:28, 29; प्रेरितों 24:15) और बहुत जल्द उन्हें “बहुतायत” की ज़िंदगी मिलेगी, यानी इस ज़मीन पर फिरदौस में सिद्ध और हमेशा की ज़िंदगी जिसमें कोई दुःख-तकलीफ नहीं होगी। (यूहन्ना 10:10; प्रकाशितवाक्य 21:3-5) तब हर इंसान अपनी ज़िंदगी का पूरा-पूरा मज़ा ले पाएगा और ऐसे बेहतरीन गुण और काबिलीयतें बढ़ा पाएगा, जिनसे ज़ाहिर होगा कि वह ‘परमेश्वर के स्वरूप’ में बनाया गया है।
क्या आप उस ज़िंदगी का लुत्फ उठाने के लिए ज़िंदा रहेंगे जिसका वादा यहोवा ने किया है? यह आप पर निर्भर करता है। हम आपसे गुज़ारिश करते हैं कि आप परमेश्वर के उन इंतज़ामों का फायदा उठाएँ जिनके ज़रिए वह ये सारी आशीषें देनेवाला है। इस पत्रिका के प्रकाशक ऐसा करने में खुशी-खुशी आपकी मदद करना चाहेंगे।
[फुटनोट]
a इस विषय पर ज़्यादा जानकारी के लिए ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है किताब का अध्याय 8, “परमेश्वर दुःख को अनुमति क्यों देता है?” देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।
[पेज 4, 5 पर तसवीर]
द्वीप में फँसे आदमियों को पूरा भरोसा था कि शैकलटन उन्हें बचाने का अपना वादा ज़रूर पूरा करेगा
[चित्र का श्रेय]
© CORBIS
[पेज 6 पर तसवीर]
“तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो”