रूप भ्रामक हो सकते हैं
“कोई भरोसेमंद रूप नहीं है,” आयरिश नाटककार रिचर्ड शेरिडन ने कहा। यह पेड़ों और इन्सानों दोनों के विषय में सच है।
वर्ष सा.यु. ३३ में, मार्च के महीने में एक दिन, जब यीशु मसीह और उसके चेले बैतनिय्याह से यरूशलेम को चलकर जा रहे थे, तब यीशु ने एक अंजीर का पेड़ देखा। पेड़ हरा-भरा था, लेकिन पास जाकर देखने से पता चला कि उस पर एक भी फल नहीं लगा था। इसलिए यीशु ने उससे कहा: “अब से कोई तेरा फल कभी न खाए।”—मरकुस ११:१२-१४.
यीशु ने उस पेड़ को क्यों शाप दिया, जबकि जैसे मरकुस समझाता है, “फल का समय न था”? (मरकुस ११:१३) खैर, जब अंजीर का पेड़ हरा-भरा होता है, तो सामान्य रूप से उस पर अंजीर भी जल्दी लगते हैं। साल के उस समय में अंजीर के पेड़ पर पत्तियाँ आना असाधारण था। लेकिन क्योंकि उस पर पत्तियाँ लगी थीं, यीशु ने ठीक ही सोचा कि अंजीर भी लगे होंगे। (ऊपर दिया गया चित्र देखिए.) यह तथ्य कि पेड़ पर केवल पत्तियाँ ही लगी थीं दिखाता है कि वह अनुत्पादक होगा। उसका रूप भ्रामक था। क्योंकि फल के पेड़ों पर कर लगता था, एक निष्फल पेड़ आर्थिक बोझ था और उसे काट देने की आवश्यकता थी।
यीशु ने विश्वास के सम्बन्ध में एक अति महत्त्वपूर्ण सबक समझाने के लिए उस निष्फल पेड़ का प्रयोग किया। दूसरे दिन, उसके चेले यह देखकर चकित हो गए कि वह पेड़ सूख चुका था। यीशु ने समझाया: “परमेश्वर पर विश्वास रखो। . . . जो कुछ तुम प्रार्थना करके मांगो, तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और तुम्हारे लिए हो जाएगा।” (मरकुस ११:२२-२४) विश्वास से प्रार्थना करने की आवश्यकता के साथ-साथ सूखे हुए अंजीर के पेड़ ने यह सुचित्रित किया कि एक अविश्वासी राष्ट्र का क्या होगा।
कुछ महीने पहले यीशु ने यहूदी राष्ट्र की तुलना एक ऐसे अंजीर के पेड़ से की थी जो तीन साल से निष्फल था और जो यदि अनुत्पादक रहा तो काट दिया जाएगा। (लूका १३:६-९) अपनी मृत्यु से सिर्फ़ चार दिन पहले अंजीर के पेड़ को शाप देकर, यीशु ने दिखाया कि किस प्रकार यहूदी राष्ट्र ने पश्चाताप दिखाने के फल उत्पन्न नहीं किए और इस कारण उसका विनाश होगा। जबकि वह राष्ट्र—अंजीर के पेड़ के समान—ऊपर से स्वस्थ प्रतीत हो रहा था, पास से देखने से पता चला कि उसमें विश्वास की कमी है जिसके कारण अन्त में उन्होंने मसीहा को भी स्वीकार नहीं किया।—लूका ३:८, ९.
अपने पहाड़ी उपदेश में, यीशु ने “झूठे भविष्यद्वक्ताओं” के विरुद्ध चेतावनी दी और कहा: “उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे क्या झाड़ियों से अंगूर, वा ऊंटकटारों से अंजीर तोड़ते हैं? इसी प्रकार हर एक अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है और निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है। अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं ला सकता, और न निकम्मा पेड़ अच्छा फल ला सकता है। जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में डाला जाता है। सो उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे।” (मत्ती ७:१५-२०) यीशु के ये शब्द और शापित अंजीर के पेड़ का वृत्तान्त स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि हमें आध्यात्मिक रूप से सचेत रहना चाहिए, क्योंकि धार्मिक रूप भी भ्रामक हो सकते हैं।