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क्या ये वास्तव में अन्तिम दिन हैं?प्रहरीदुर्ग—1997 | अप्रैल 1
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यीशु के अनुयायी एक अर्थपूर्ण सवाल करते हैं
यीशु के अनुयायी चकित हुए होंगे। यीशु ने अभी-अभी उनसे स्पष्ट रूप से कहा था कि यरूशलेम के प्रभावशाली मन्दिर के भवन पूरी तरह से तहस-नहस कर दिए जाएँगे! ऐसा एक भविष्यकथन आश्चर्यकर था। उसके कुछ समय बाद, जब वे जैतून पहाड़ पर बैठे थे, चार शिष्यों ने यीशु से पूछा: “हमें बता, ये बातें कब होंगी, और तेरी उपस्थिति का और इस रीति-व्यवस्था की समाप्ति का क्या चिन्ह होगा?” (मत्ती २४:३, NW; मरकुस १३:१-४) चाहे उन्होंने इसे समझा हो या नहीं, यीशु के जवाब में बहु-अनुप्रयोग होता।
यरूशलेम के मन्दिर का नाश और यहूदी रीति-व्यवस्था की समाप्ति का समय, मसीह की उपस्थिति और सारे संसार की रीति-व्यवस्था की समाप्ति का समय, दोनों समान नहीं थे। फिर भी, अपने लम्बे जवाब में, यीशु ने कुशलता से सवाल के इन सभी पहलुओं को सम्बोधित किया। उसने उन्हें बताया कि यरूशलेम के नाश से पहले स्थिति कैसी होती; उसने उन्हें यह भी बताया कि उसकी उपस्थिति के दौरान संसार की स्थिति के बारे में क्या उम्मीद रख सकते हैं, जब वह स्वर्ग में राजा के तौर पर शासन करता और संसार की सम्पूर्ण रीति-व्यवस्था को उसकी समाप्ति पर लाने की दहलीज़ पर होता।
यरूशलेम का अन्त
सबसे पहले ग़ौर कीजिए कि यीशु ने यरूशलेम और उसके मन्दिर के बारे में क्या कहा। तीन से भी ज़्यादा दशकों पहले से, उसने संसार के एक सबसे बड़े शहर के लिए भयानक कठिनाइयों के समय के बारे में पूर्वबताया। ख़ासकर लूका २१:२०, २१ में अभिलिखित किए गए उसके शब्दों पर ध्यान दीजिए: “जब तुम यरूशलेम को सेनाओं से घिरा हुआ देखो, तो जान लेना कि उसका उजड़ जाना निकट है। तब जो यहूदिया में हों वह पहाड़ों पर भाग जाएं, और जो यरूशलेम के भीतर हों वे बाहर निकल जाएं; और जो गांवों में हों वे उस में न जाएं।” यदि यरूशलेम को चारों ओर से डेरा डाली हुई सेनाओं द्वारा घेरा जाना था, तो ‘जो उसके भीतर हैं’ वे कैसे यूँ ही “बाहर निकल” सकते थे, जैसे यीशु ने आदेश दिया था? स्पष्ट रूप से, यीशु यह सूचित कर रहा था कि मौक़े का द्वार ज़रूर खुलता। क्या ऐसा हुआ?
सामान्य युग ६६ में, सॆस्टिअस गैलस के आदेश पर रोमी सेना ने यहूदी विद्रोही दलों को पछाड़कर वापस यरूशलेम भेज दिया और उन्हें शहर के भीतर फँसाए रखा था। यहाँ तक कि शहर के अन्दर रोमी जबरन घुस गए और मन्दिर की दीवार तक पहुँच गए। लेकिन फिर गैलस ने अपनी सेना को कुछ ऐसा काम करने का निर्देशन दिया जो वास्तव में चकरानेवाला था। उसने उन्हें पीछे हटने के लिए कहा! उल्लसित यहूदी सैनिक पलायन कर रहे रोमी दुश्मनों के पीछे पड़ गए और उनको हानि पहुँचायी। इस प्रकार, यीशु द्वारा पूर्वबताया गया मौक़े का द्वार खुल गया। सच्चे मसीहियों ने उसकी चेतावनी पर ध्यान दिया और यरूशलेम से भाग निकले। यह बुद्धिमान फ़ैसला था, क्योंकि मात्र चार सालों के बाद, रोमी सेना जनरल टाइटस के नेतृत्व में वापस आ गयी। इस बार बच निकलना बिलकुल मुमकिन नहीं था।
रोमी सेना ने एक बार फिर यरूशलेम को घेरा; उन्होंने उसके चारों ओर नुकीले खूँटों से एक क़िलेबन्दी की। यीशु ने यरूशलेम के सम्बन्ध में भविष्यवाणी की थी: “वे दिन तुझ पर आएंगे, कि तेरे बैरी मोर्चा बान्धकर तुझे घेर लेंगे, और चारों ओर से तुझे दबाएंगे।”a (लूका १९:४३) जल्द ही, यरूशलेम पराजित हो गया; उसका शानदार मन्दिर सुलगता खण्डहर बनकर रह गया था। यीशु के शब्द हर बारीकी में पूरे हुए थे!
लेकिन, यीशु के मन में यरूशलेम के विनाश से बढ़कर कुछ और था। उसके शिष्यों ने उससे उसकी उपस्थिति के चिन्ह के बारे में भी पूछा था। उस समय उनको यह नहीं मालूम था, लेकिन इसने एक ऐसे समय की ओर सूचित किया जब वह स्वर्ग में राजा के तौर पर शासन करने के लिए नियुक्त किया जाता। उसने क्या पूर्वबताया था?
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क्या ये वास्तव में अन्तिम दिन हैं?प्रहरीदुर्ग—1997 | अप्रैल 1
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a यहाँ बाज़ी तीतुस के हाथ में थी। फिर भी, दो महत्त्वपूर्ण पहलुओं में, उसकी मंशा पूरी नहीं हो पाई। उसने शान्तिपूर्ण आत्म-समर्पण के प्रस्ताव रखे, लेकिन शहर के नेताओं ने हठपूर्वक, अवर्णनीय रूप से इन्कार कर दिया। और जब शहर की दीवारें अंततः ढाह दी गयीं, तो उसने आदेश दिया कि मन्दिर को छोड़ दिया जाए। फिर भी इसे पूरी तरह से जला दिया गया था! यीशु की भविष्यवाणी ने यह स्पष्ट किया था कि यरूशलेम उजाड़ हो जाएगा और कि मन्दिर को पूरी तरह से ढाह दिया जाएगा।—मरकुस १३:१, २.
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