इस अंत के समय में ज़िम्मेवार जनन
“लड़केबालों का उत्तम रीति से प्रबंध करना जानते हों।”—१ तीमुथियुस ३:१२, न्यू.व.
१. अधिकांश औरतों की नैसर्गिक इच्छा क्या है, और यह छोटी उम्र में ही किस तरह दिखायी देती है?
मातृ-पितृत्व की खुशी अविवाद्य है। मातृ सहज-वृत्ति नैसर्गिक है, हालाँकि यह दूसरों से ज़्यादा कुछ औरतों में अधिक प्रभावशाली है। अनेक पश्चिमी देशों में, छोटे लड़के मशीनी ख़िलौनों के साथ खेलने में ज़्यादा रुचि रखते हैं, जबकि छोटी लड़कियाँ आम तौर से गुड्डे-गुड़ियाँ पसंद करती हैं, जिस कारण से ख़िलौने बनानेवाले इन्हें जितना यथार्थ बनाना संभव हो उतना बनाने की कोशिश करते हैं। कई लड़कियाँ बस उसी दिन के लिए जीती हैं जब वे कोई गुड़िया नहीं, पर अपने खुद के जीते-जागते, शिशुओं की अपनी अनजाने आवाज़ों की बोली में बोलनेवाले बच्चे को दुलार सकेंगीं।
खुशियाँ और ज़िम्मेदारियाँ
२. माता-पिता को नवजात बच्चे का किस तरह विचार करना चाहिए, और उन्हें अपने ऊपर क्या भार लेने के लिए तैयार होना चाहिए?
२ ज़िम्मेवार जनन माता-पिता से अपेक्षा करता है कि वे नवजात बच्चे का विचार एक खेलने की वस्तु के तौर से न करें लेकिन एक ऐसे जीव के तौर से, जिस की जान और भविष्य के लिए वे सृजनहार के प्रति जवाबदेह हैं। जब वे एक बच्चे को जन्म देते हैं, तो माता-पिता को एक बड़ी ज़िम्मेदारी उठाने के लिए तैयार होना चाहिए और अपने आप को तदनुसार अनुकूल बनाना चाहिए। वे खिलाने, पहनाने, स्वास्थ्य संरक्षण, और शिक्षण का प्रबंध करने के एक २०-वर्षीय कार्यक्रम पर शुरु कर रहे हैं, जिस का नतीजा अननुमेय है।
३. कई मसीही माता-पिताओं पर नीतिवचन २३:२४, २५ क्यों लागू हो सकता है?
३ यह खुशी की बात है कि अनेक मसीही माता-पिताओं ने बच्चों का लालन-पालन ऐसे किया है कि वे यहोवा के विश्वसनीय, समर्पित सेवक बन गए हैं। कुछों ने अपने बच्चों को बड़ा होकर पायनियर, या मिशनरी, या बेथेल परिवार के सदस्यों के तौर से पूरे-समय की सेवा में प्रवेश करते देखा है। ऐसे माता-पिताओं के विषय यह सचमुच कहा जा सकता है कि: “धर्मी का पिता निश्चय ही हर्षमय होगा; और बुद्धिमान का जन्मानेवाला भी उसके कारण आनन्दित होगा। तेरा पिता और तेरी माता खुशियाँ मनाएँगे, और तेरी जननी हर्षित होगी।”—नीतिवचन २३:२४, २५, न्यू.व.
जनकीय मनोव्यथाएँ
४, ५. (अ) जिन प्राचीनों और सहायक सेवकों के बाल-बच्चे हैं, शास्त्रीय रूप से उनसे क्या आवश्यक है? (ब) किस तरह कुछ बच्चें अपने पिता के लिए “विपत्ति” ठहरे हैं?
४ लेकिन यही स्थिति हमेशा नहीं होती, उन प्राचीनों के लिए भी जिन के बच्चे हैं। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “सो चाहिए कि अध्यक्ष निर्दोष, और एक ही पत्नी का पति हो, . . . अपने घर का उत्तम रीति से प्रबंध करता हो, और लड़केबालों को सारी गंभीरता से आधीन रखता हो; (जब कोई अपने घर ही का प्रबंध करना न जानता हो, तो परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली क्योंकर करेगा?)” पौलुस ने आगे कहा: “सहायक सेवक एक ही पत्नी के पति हों और लड़केबालों और अपने घरों का उत्तम रीति से प्रबंध करना जानते हों।”—१ तीमुथियुस ३:२-५, १२, न्यू.व.
५ निस्संदेह, मसीही प्राचीन और सहायक सेवकों को ज़िम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता है अगर उनके बच्चे, बालिग़ होते ही, यहोवा की सेवा करते रहने से साफ़ इंकार करेंगे। पर वे अपने नाबालिग़ बच्चों और बड़े बच्चों के लिए ज़रूर ज़िम्मेवार हैं, जो उनके घर में अभी रह रहे हैं। प्राचीन और सहायक सेवकों ने अपनी सेवा के बहुमूल्य विशेषाधिकार गँवाएँ हैं इसलिए कि वे लापरवाह बन गए या फिर “लड़केबालों और अपने घरों का उत्तम रीति से प्रबंध” करने की शास्त्रीय आवश्यकता के अनुकूल होने में गंभीर रूप से असमर्थ रहे। ऐसों के लिए, और कई अन्यों के लिए, उनके बच्चों ने खुशी से ज़्यादा उन्हें अधिक वेदनाएँ पहुँचाए हैं। यह नीतिवचन कितनी बार सही साबित हुई है: “मूर्ख पुत्र पिता के लिए विपत्ति ठहरता है”!—नीतिवचन १९:१३.
ज़िम्मेवार पितृत्व
६. मसीही पतियों को खुद से कौनसा प्रश्न करना चाहिए?
६ चाहे उनके मंडलीय ज़िम्मेदारियाँ हों या न हों, सभी मसीही पतियों को उस असर पर विचार करना चाहिए जो छोटे बच्चों की देखभाल करते करते अपनी पत्नी की आत्मिकता पर हो सकेगी। अगर पत्नी आत्मिक रूप से दृढ़ नहीं, तो एक बच्चा, या फिर कई बच्चें, उसके व्यक्तिगत अध्ययन और प्रचार कार्य में हिस्सा लेने के मौक़ों पर कैसा असर करेंगे?
७. कुछ मसीही पत्नियों को क्या हुआ है, और अक़्सर इस स्थिति का कारण क्या है?
७ क्या पति हमेशा समझ सकते हैं कि शिशु या एक छोटे बच्चे की देखभाल करना अक़्सर उनकी पत्नियों को मंडलीय बुक स्टडी, किंग्डम् हॉल सभाएँ, सर्किट सभाएँ, और ज़िला सम्मेलनों से पूरा-पूरा लाभ उठाने से रोकता है? ऐसी स्थिति महीनों, और सालों तक भी, चल सकती है जब एक बच्चे के बाद दूसरा बच्चा पैदा होता है। यह निसर्ग के नियमानुसार है कि इस संबंध में, भार पिता पर पड़ने के बजाय, मुख्यतः माँ पर पड़ता है। कभी-कभी यह ग़ौर करने को मिला है कि जब कि मसीही मर्द आत्मिक रूप से प्रगति करते हैं, इस हद तक भी कि उन्हें मंडली में विशेषाधिकार दिए जाते हैं, उनकी पत्नियाँ आत्मिक रूप से कमज़ोर बन जाती हैं। ऐसा क्यों? अक़्सर यह इसलिए है कि छोटे बच्चें पत्नियों को सभाओं में एकाग्रचित्त होने, गहरा बाइबल अध्ययन करने, या गवाही देने के कार्य में एक बड़े पैमाने पर हिस्सा लेने से रोकते हैं। क्या पितृत्व को ज़िम्मवार कहा जा सकता है अगर यह ऐसी स्थिति को विकसित होने देता है?
८. अनेक पिता बच्चों की देखभाल करने का भार किस तरह बाँट लेते हैं, और इस से उनकी पत्नी को कैसा लाभ होता है?
८ खुशी से, स्थिति हमेशा यही नहीं होती। अनेक मसीही पिताएँ बच्चों की देखभाल करने का भार बाँटने में भरसक प्रयत्न करते हैं। मंडली के सभाओं के दौरान अपने बच्चें शांत हैं, इसकी ओर ध्यान देने में वे पूरी-पूरी सहभागिता लेते हैं। अगर उनका बालक रोने लगे, या उनका बच्चा होहल्ला करना शुरु करे, तो वे पारी से उसे उचित अनुशासन के लिए बाहर ले जाएँगे। ऐसा क्यों हो कि हर वक्त माँ को ही सभा के कुछ अंश न मिल पाएँ? घर में, विचारशील पति अप-अपनी पत्नियों को घरेलु काम-काज करने में और बच्चों को सुलाने में मदद करते हैं ताकि पति-पत्नी आत्मिक मामालों पर एकाग्रचित्त होने के लिए शांति से बैठ सकते हैं।
९. क्या साबित करता है कि बच्चे हमेशा एक बाधा नहीं होते?
९ जब किसी मंडली में बातें समुचित रूप से व्यवस्थित किए जाते हैं, तब बालकों सहित नयी माताएँ सहायक पायनियर सेवा में हिस्सा ले सकती हैं। कुछ नियमित पायनियर भी हैं। तो बच्चें हमेशा एक बाधा नहीं होते। अनेक मसीही माता-पिता एक उत्तम पायनियर वृत्ति दिखाते हैं।
बेऔलाद लेकिन खुश
१०. कुछेक शादी-शुदा दम्पत्तियों ने क्या निश्चय किया है, और उन्हें किस तरह आशीर्वाद-प्राप्त किया गया है?
१० कुछ तरुण दम्पत्तियों ने बेऔलाद रहने का निश्चय किया है। हालाँकि उन पत्नियों में उतनी ही प्रबल मातृ सहज-वृत्ति थी जितना कि दूसरी औरतों में थी, उन्होंने अपने पतियों की सहमति से निश्चय किया कि वे बच्चे जन्मने से परहेज़ करते, ताकि वे खुद को पूरे-समय के लिए यहोवा की सेवा करने के कार्य में लगा रखें। उन में से अनेकों ने पायनियर या मिशनरियों के तौर से सेवा की है। वे अब शुक्रगुज़ारी से इन सालों को याद कर सकते हैं। निश्चय ही, उन्होंने कोई शारीरिक बच्चे पैदा नहीं किए। लेकिन उन्होंने नए चेले ज़रूर बनाए हैं जो यहोवा की सेवा विश्वसनीयता से करते रहे हैं। ये ‘विश्वास में सच्चे पुत्र’ यह कभी न भूलेंगे कि कौन उन्हें ‘सत्य के वचन’ में ले आने में सहायक था।—१ तीमुथियुस १:२; इफिसियों १:१३; तुलना १ कुरिन्थियों ४:१४, १७; १ यूहन्ना २:१ से करें।
११. (अ) अनेक बेऔलाद दम्पत्ति यहोवा की सेवा कहाँ कर रहे हैं, और उन्हें कोई अफ़सोस क्यों नहीं? (ब) “राज्य के लिए” बेऔलाद रहनेवाले सभी दम्पत्तियों पर कौनसा शास्त्रपद लागू होता है?
११ दुनिया भर में कई शादी-शुदा दम्पत्ति, जिन्होंने मातृ-पितृत्व की खुशियाँ त्याग दी हैं, वे सर्किट कार्य, ज़िला कार्य, या बेथेल में यहोवा की सेवा कर सके हैं। उसी तरह ये भी इस ख़ास विशेषाधिकारों में यहोवा और अपने भाइयों की सेवा करने में बीतायी ज़िंदगी के कारण संतोष से अतीत को याद करते हैं। उन्हें कोई अफ़सोस नहीं। जबकि उन्हें बच्चों को जन्म देने का आनन्द तो नहीं मिला, उनके विभिन्न कार्य क्षेत्रों में उन्होंने राज्य हितों को बढ़ावा देने में एक अत्यावश्यक भूमिका ज़रूर निभायी है। “राज्य के लिए” बेऔलाद रहनेवाले इन सभी दम्पत्तियों के बारे में यह शास्त्रपद निश्चय ही लागू होता है, जो कहता है कि: “परमेश्वर अन्यायी नहीं, कि तुम्हारे काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो तुम ने उसके नाम के लिए इस रीति से दिखाया, कि पवित्र लोगों की सेवा की, और कर भी रहे हो।”—मत्ती १९:१२; इब्रानियों ६:१०.
एक ज़ाती मामला
१२. (अ) जनन एक अनुपम विशेषाधिकार क्यों है? (ब) जनन कौनसे अवधियों में एक ईश्वर-प्रदत्त नियतकार्य था?
१२ जैसे कि हम ने इस चर्चा के आरंभ में देखा, जनन यहोवा की एक देन है। (भजन १२७:३) यह एक अनुपम विशेषाधिकार है जो यहोवा के आत्मिक प्राणियों को भी नहीं है। (मत्ती २२:३०) ऐसा समय भी था जब बच्चे जनना यहोवा का उसके पृथ्वी में रहनेवाले सेवकों को दिए गए काम का एक भाग था। आदम और हव्वा के साथ ऐसा ही था। (उत्पत्ति १:२८) बाढ़ से बचे हुए लोगों के लिए भी ऐसी ही बात थी। (उत्पत्ति ९:१) यहोवा की इच्छा थी कि इस्राएल की जाति जनन से असंख्य बनें।—उत्पत्ति ४६:१-३; निर्गमन १:७, २०; व्यवस्थाविवरण १:१०.
१३, १४. (अ) आज के समय में जनन के बारे में क्या कहा जा सकता है, और कौनसी आलोचना अनुचित होगी? (ब) जबकि इस अंत के समय में जनन एक ज़ाती मामला है, कौनसी सलाह दी गयी है?
१३ आज, जनन यहोवा के उसके लोगों को दिए काम का विशेष रूप से एक भाग नहीं। तिस पर भी, अगर विवाहित लोग इसे चाहते हैं, तो यह फिर भी एक विशेषाधिकार है जो वह उन्हें प्रदान करता है। इसीलिए, जो मसीही दम्पत्ति परिवार शुरु करना चाहते हैं, उनकी आलोचना नहीं करनी चाहिए; और न ही उन दम्पत्तियों की जो बच्चे पैदा करने से परहेज़ करते हैं।
१४ तो इस अंत के समय में जनन एक ज़ाती मामला है, जिसे निश्चित करना प्रत्येक दम्पत्ति को अपने लिए करना पड़ेगा। फिर भी, चूँकि “समय कम है,” विवाहित दम्पत्तियों को उत्तम होगा अगर वे इस संसार में बच्चे जनने के लाभ और हानियों को सावधानी से और प्रार्थनापूर्वक तोलें। (१ कुरिन्थियों ७:२९) जो लोग बच्चे पैदा करना चुनते हैं, उन्हें न केवल जनन से आनेवाले आनन्दों के विषय, लेकिन उस से संबद्ध ज़िम्मेदारियों और उन समस्याओं के विषय भी पूर्णरूपेण अवगत रहना चाहिए, जो उनके लिए और उन से जन्मे बच्चों के लिए उत्पन्न हो सकते हैं।
जब बिना इरादे का हो
१५, १६. (अ) जब गर्भ अनपेक्षित रीति से ठहरता है तब कौनसी अभिवृत्ति से दूर रहना चाहिए, और क्यों? (ब) किसी बच्चे का विचार किस तरह किया जाना चाहिए, और इस में कौनसी ज़िम्मेदारियाँ समाविष्ट हैं?
१५ कुछेक शायद कहेंगे: ‘वह सब तो ठीक है, पर क्या करें अगर बच्चा अनपेक्षित रूप से हो?’ ऐसा अनेक दम्पत्तियों के साथ हुआ है, जो कि पूर्ण रूप से इस वास्तविकता से अवगत थे कि यह बच्चों को पैदा करने के लिए आदर्श समय नहीं है। उन में से कुछेक लोग सालों से पूरे-समय की सेवा में हिस्सा ले रहे थे। उन्हें अनपेक्षित नवागंतुक के आगमन का किस तरह विचार करना चाहिए?
१६ इस स्थिति में ज़िम्मेवार मातृ-पितृत्व प्रयोग में लाया जा सकता है। यह सही है कि गर्भावस्था शायद अनपेक्षित हो, लेकिन जो बच्चा पैदा होता है, मसीही माता-पिता उसे अनचाहा नहीं समझ सकते। उसके आगमन से जो भी परिवर्तन आएँगे, उसकी वजह से उन्हें निश्चय ही उसके प्रति नाराज़गी महसूस नहीं करनी चाहिए। आख़िर, वे ही गर्भधारण के लिए ज़िम्मेवार थे। अब जबकि यह आया है, उन्हें अपनी बदली हुई स्थिति को स्वीकार करना चाहिए, यह जानकर कि, किसी न किसी तरह, सभी मनुष्य “समय और संयोग के वश में हैं।” (सभोपदेशक ९:११) स्वेच्छा से या उसके बग़ैर, उन्होंने एक ऐसे सृजनात्मक कार्य में भाग लिया है जिसका रचयिता यहोवा परमेश्वर है। उन्हें अपने बच्चे को एक पवित्र अमानत के तौर से स्वीकार करना चाहिए और ‘प्रभु में माता-पिता’ होने के नाते अपनी ज़िम्मेदारियाँ ग्रहण करनी चाहिए।—इफिसियों ६:१.
‘जो कुछ भी करो, सब प्रभु के नाम से करो’
१७. कुलुस्सियों को प्रेरित पौलुस ने कौनसी सलाह दी, और आज इस सलाह का पालन किस तरह किया जा सकता है?
१७ पारीवारिक मामलों पर सलाह देने से थोड़ी ही देर पहले, प्रेरित पौलुस ने लिखा: “वचन से या काम से जो कुछ भी करो, सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।” (कुलुस्सियों ३:१७-२१) मसीही अपने आप को चाहे किसी भी अवस्था में पाए, उसे यहोवा का शुक्रगुज़ार होना चाहिए और ‘सब कुछ प्रभु के नाम से करने’ के लिए अपनी स्थिति का फ़ायदा उठाना चाहिए।
१८, १९. (अ) कुवाँरे मसीही और बेऔलाद दम्पत्ति किस तरह ‘सब कुछ प्रभु के नाम से कर सकते हैं?’ (ब) मसीही माता-पिता को अपने बच्चों का विचार किस तरह करना चाहिए, और उन्हें खुद के लिए कौनसा लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए?
१८ जिस मसीही ने कुवाँरा या कुवाँरी रहना चुना है, वह अपनी स्वतंत्रता, भोगासक्ति के लिए नहीं, पर अगर संभव हो तो पूरे-समय की सेवा के किसी रूप में, ‘तन मन से यहोवा के लिए’ काम करने में इस्तेमाल करेगा (या करेगी)। (कुलुस्सियों ३:२३; १ कुरिन्थियों ७:३२) उसी तरह, जो दम्पत्ति बच्चों को जन्म देने से परहेज़ करने का निश्चय करते हैं, वे स्वार्थ से ‘संसार को अधिक न बर्तेंगे,’ लेकिन अपनी ज़िन्दगी में राज्य सेवा को यथासंभव सबसे बड़ी जगह देंगे।—१ कुरिन्थियों ७:२९-३१.
१९ अब रही उन मसीहियों की बात, जिनके बच्चें हैं, उन्हें अपने मातृ-पितृत्व को एक ज़िम्मेदार रीति से स्वीकार करना चाहिए। अपने बच्चों को यहोवा की सेवा करने में एक बाधा समझना तो दूर, उन्हें उनको एक विशेष नियतकार्य के तौर से समझना चाहिए। ख़ैर, जब एक समर्पित मसीही सच्चाई में दिलचस्पी रखनेवाले किसी व्यक्ति से मिलता है, वह उसके के साथ एक नियमित बाइबल अध्ययन शुरु करता है। चूँकि अध्ययन शुरु किया है, वह गवाह बहुत ही अध्यवसायी होता है, और उस दिलचस्पी रखनेवाले व्यक्ति को आत्मिक प्रगति करने की मदद करने के लिए, वह हफ़्तेवार लौटता है। मसीही के बच्चों के संबंध में उतने ही अध्यवसाय की ज़रूरत है। एक नियमित, सुविचारित बाइबल अध्ययन की ज़रूरत है, जो जितना संभव हो उतने जल्दी शुरु किया जानेवाला और नियमित रूप से लिया जानेवाला हो, ताकि बच्चे को आत्मिक रूप से बढ़ने और अपने सृजनहार से प्रेम रखने की मदद हो सके। (२ तीमुथियुस ३:१४, १५) इसके अतिरिक्त, माता-पिता जिस तरह किंग्डम हॉल में बर्ताव करेंगे, ठीक उसी तरह वे घर में भी मसीही आचरण का एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए ध्यानयुक्त होंगे। और जहाँ संभव हो, वे अपने बच्चों को क्षेत्र सेवकाई में प्रशिक्षित करने की ज़िम्मेदारी भी लेंगे। इस तरह, दूसरे प्रौढ़ों को प्रचार करने के अतिरिक्त, यहोवा की मदद से, माता-पिता खुद अपने बच्चों को ‘चेला बनाने’ का प्रयत्न करेंगे।—मत्ती २८:१९.
“भारी क्लेश” के दौरान बच्चे
२०. (अ) हमारे आगे क्या है, और यीशु ने कौनसी कठिनाइयों के विषय चेतावनी दी? (ब) अंत के समय में बच्चों के पालन-पोषण से यीशु के शब्दों का क्या संबंध है?
२० हमारे आगे “ऐसा भारी क्लेश” है, “जैसा जगत के आरंभ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा।” (मत्ती २४:२१) प्रौढ़ और बच्चे, दोनों के लिए बराबर, वह समय कठिन होगा। वर्तमान रीति-व्यवस्था की समाप्ति के विषय पर अपनी भविष्यवाणी में, यीशु ने पूर्वबतलाया कि मसीही सच्चाई परिवारों को विभक्त करती। उसने बताया: “और भाई को भाई, और पिता को पुत्र घात के लिए सौंपेंगे, और लड़केबाले माता-पिता के विरोध में उठकर उन्हें मरवा डालेंगे।” (मरकुस १३:१२) स्पष्ट रूप से, अंत के समय में बच्चों का पालन-पोषण करना हमेशा आनन्दमयी नहीं होता। जैसे कि यीशु के ऊपरोक्त शब्द दिखाते हैं, यह अत्यंत दुःख, निराशा और ख़तरा भी ला सकता था।
२१. (अ) भविष्य पर यथार्थता से विचार करते समय, माता-पिताओं को क्यों अनुचित रीति से चिंतित नहीं रहना चाहिए? (ब) अपने लिए और अपने बच्चों के लिए, उनकी आशा क्या हो सकती है?
२१ लेकिन जबकि आगे की कठिनाइयों के बारे में यथार्थवादी हो रहे हों, जिन लोगों के छोटे बच्चे हों, उन्हें भविष्य के बारे में अनुचित रीति से चिंतित रहना नहीं चाहिए। अगर वे खुद विश्वसनीय रहें और “यहोवा के अनुशासन और मानसिक-नियंत्रण में” अपने बच्चों का पालन-पोषण करने में अच्छी सी अच्छी कोशिश करें, तो आश्वस्त रह सकते हैं कि उनके आज्ञाकारी बच्चों का विचार अनुकूल रूप से किया जाएगा। (इफिसियों ६:४; तुलना १ कुरिन्थियों ७:१४ से करें.) “बड़ी भीड़” का एक हिस्सा होने के नाते, वे और अपने छोटे बच्चे “भारी क्लेश” से बचे रहने की आशा कर सकते हैं। अगर ऐसे बच्चे बड़े होकर यहोवा के विश्वसनीय सेवक बनेंगे, तो वे अनन्त काल तक उसके प्रति शुक्रगुज़ार होंगे कि उनके माता-पिता ज़िम्मेदार थे।—प्रकाशितवाक्य ७:९, १४; नीतिवचन ४:१, ३, १०.
समीक्षा के प्रश्न
◻ बच्चे के जन्म में कौनसा दीर्घकालीन कार्यक्रम समाविष्ट है?
◻ कुछ प्राचीन और सहायक सेवकों ने अपने विशेषाधिकार क्यों गँवा दिए हैं?
◻ मसीही पति को अपनी पत्नी का गर्भवती होने से संबंधित किन तत्त्वों पर विचार करना चाहिए?
◻ क्या साबित करता है कि एक मसीही दम्पत्ति बेऔलाद होकर भी आनन्दित हो सकता है?
◻ माता-पिता को बच्चे के जन्म का विचार किस तरह करना चाहिए, और उन्हें भविष्य के बारे में क्यों बहुत चिंतित नहीं रहना चाहिए?
[पेज 25 पर तसवीरें]
सभाओं के दौरान बच्चों को शांत रखने की ज़िम्मेदारी को पिता बाँट सकते हैं