अध्याय 21
परमेश्वर का राज अपने दुश्मनों को मिटा देगा
1, 2. (क) किन सबूतों से पता चलता है कि हमारा राजा 1914 से हुकूमत कर रहा है? (ख) इस अध्याय में हम क्या देखेंगे?
परमेश्वर के राज ने अपने दुश्मनों के बीच हुकूमत करते हुए कितनी कामयाबियाँ हासिल की हैं! (भज. 110:2) जैसे हमने इस किताब में देखा, हमारे राजा ने ऐसे लोगों की एक सेना इकट्ठी की है जो खुशी-खुशी प्रचार काम करते हैं। उसने अपने चेलों को उपासना के मामलों में और नैतिक मामलों में शुद्ध किया है। पूरी दुनिया में हमारे बीच एकता है, इसके बावजूद कि परमेश्वर के राज के दुश्मनों ने हममें फूट डालने की हर मुमकिन कोशिश की है। इस तरह की कामयाबियों पर चर्चा करके हमारा विश्वास मज़बूत हुआ है। इसलिए शक की कोई गुंजाइश नहीं कि 1914 से हमारा राजा दुश्मनों के बीच राज कर रहा है।
2 परमेश्वर का राज बहुत जल्द भविष्य में और भी कई हैरतअंगेज़ काम करनेवाला है। वह राज ‘आएगा’ और अपने दुश्मनों को “चूर-चूर करके उनका अंत कर डालेगा।” (मत्ती 6:10; दानि. 2:44) मगर वह समय आने से पहले कुछ और खास घटनाएँ होंगी। वे घटनाएँ क्या हैं? इसका जवाब बाइबल की कई भविष्यवाणियों में मिलता है। आइए उनमें से कुछ भविष्यवाणियों को जाँचें और जानें कि बहुत जल्द क्या-क्या घटनाएँ होनेवाली हैं।
‘अचानक विनाश’ आने से पहले क्या होगा
3. हमारे समय में सबसे पहले कौन-सी घटना घटनेवाली है?
3 शांति का ऐलान होगा: हमारे दिनों में सबसे पहले जो घटना होगी, उसका ज़िक्र थिस्सलुनीकियों के नाम पौलुस की पहली चिट्ठी में मिलता है। (1 थिस्सलुनीकियों 5:2, 3 पढ़िए।) पौलुस ने ‘यहोवा के दिन’ का ज़िक्र किया जिसकी शुरूआत में “महानगरी बैबिलोन” पर हमला होगा। (प्रका. 17:5) मगर इस दिन के आने से ठीक पहले दुनिया के राष्ट्र कहेंगे, “शांति और सुरक्षा है!” यह खास तरह का ऐलान होगा। शायद कोई एक ऐलान या फिर ऐसे ऐलानों का सिलसिला होगा। क्या धर्म गुरु भी उनके साथ मिलकर यह ऐलान करेंगे? धर्म गुरु भी दुनिया का हिस्सा हैं, इसलिए हो सकता है कि वे भी राष्ट्रों के साथ मिलकर कहेंगे, “शांति है!” (यिर्म. 6:14; 23:16, 17; प्रका. 17:1, 2) शांति और सुरक्षा का यह ऐलान एक चिन्ह होगा कि यहोवा का दिन शुरू होनेवाला है। परमेश्वर के राज के दुश्मन “किसी भी हाल में नहीं बच पाएँगे।”
4. शांति और सुरक्षा के ऐलान की भविष्यवाणी को समझने से हमें क्या फायदा होता है?
4 इस भविष्यवाणी को समझने से हमें क्या फायदा होता है? पौलुस कहता है, “तुम अंधकार में नहीं हो कि वह दिन तुम पर ऐसे आ पड़े, जैसे दिन का उजाला चोरों पर आ पड़ता है।” (1 थिस्स. 5:3, 4) दुनिया के लोग नहीं समझते कि मौजूदा हालात किस बात का इशारा हैं, मगर हम समझते हैं। शांति और सुरक्षा के ऐलान के बारे में यह भविष्यवाणी ठीक किस तरह पूरी होगी? यह तो वक्त ही बताएगा। इसलिए हमें ‘जागते रहना है और होश-हवास बनाए रखना है।’—1 थिस्स. 5:6; सप. 3:8.
महा-संकट की शुरूआत
5. “महा-संकट” किस घटना से शुरू होगा?
5 धर्मों पर हमला होगा: याद कीजिए कि पौलुस ने कहा था, “जब लोग कहते होंगे, ‘शांति और सुरक्षा है!’ तब उसी वक्त अचानक उन पर विनाश आ पड़ेगा।” जैसे बिजली चमकने के फौरन बाद गरजन होता है, वैसे ही “शांति और सुरक्षा” का ऐलान होने के फौरन बाद ‘अचानक विनाश’ आ पड़ेगा। यहाँ किसके विनाश की बात की गयी है? सबसे पहले, पूरी दुनिया में साम्राज्य की तरह फैले झूठे धर्म का विनाश होगा जिसे “महानगरी बैबिलोन” और “वेश्या” कहा गया है। (प्रका. 17:5, 6, 15) ईसाईजगत और बाकी सभी झूठे धर्मों के नाश से “महा-संकट” शुरू हो जाएगा। (मत्ती 24:21; 2 थिस्स. 2:8) बहुत-से लोग धर्मों का नाश देखकर चौंक जाएँगे। क्यों? क्योंकि तब तक वह वेश्या सोच रही होगी कि वह एक “रानी” है और उसे “कभी मातम नहीं मनाना पड़ेगा।” मगर अचानक उसे एहसास होगा कि वह कितनी बड़ी गलतफहमी में थी। उसे मानो “एक ही दिन में” मिटा दिया जाएगा।—प्रका. 18:7, 8.
6. “महानगरी बैबिलोन” पर हमला कौन करेगा?
6 “महानगरी बैबिलोन” पर यह हमला कौन करेगा? ‘दस सींगोंवाला एक जंगली जानवर।’ प्रकाशितवाक्य की किताब दिखाती है कि वह जंगली जानवर संयुक्त राष्ट्र है। दस सींग आज की उन सभी राजनैतिक शक्तियों को दर्शाते हैं जो उस ‘सुर्ख लाल रंग के जंगली जानवर’ का साथ देती हैं। (प्रका. 17:3, 5, 11, 12) उस हमले का क्या अंजाम होगा? संयुक्त राष्ट्र के सभी देश उस वेश्या की दौलत लूट लेंगे, उसे फाड़ खाएँगे और “उसे आग में पूरी तरह जला देंगे।”—प्रकाशितवाक्य 17:16 पढ़िए।a
7. (क) मत्ती 24:21, 22 में दर्ज़ यीशु की बात पहली सदी में कैसे पूरी हुई? (ख) भविष्य में उसकी बात कैसे पूरी होगी?
7 दिन घटाए जाएँगे: हमारे राजा ने हम पर ज़ाहिर किया है कि महा-संकट में इस घटना के बाद क्या होगा। उसने कहा, “चुने हुओं की खातिर वे दिन घटाए जाएँगे।” (मत्ती 24:21, 22 पढ़िए।) यीशु के ये शब्द ईसवी सन् 66 में छोटे पैमाने पर पूरे हुए थे। उस वक्त जब रोमी सेना यरूशलेम पर हमला कर रही थी तो यहोवा ने उस हमले के दिन ‘घटा दिए थे।’ (मर. 13:20) तब यरूशलेम और यहूदिया के मसीहियों को अपनी जान बचाकर भागने का मौका मिल गया। आनेवाले महा-संकट के दौरान यीशु के ये शब्द पूरी दुनिया में कैसे सच साबित होंगे? जब संयुक्त राष्ट्र धर्मों पर हमला करेगा तो यहोवा हमारे राजा के ज़रिए उस हमले के दिन ‘घटा देगा’ ताकि झूठे धर्मों के साथ सच्चा धर्म न मिट जाए। सभी झूठे धर्मों का सफाया हो जाएगा और इसके बाद एकमात्र सच्चा धर्म ही रहेगा। (भज. 96:5) आइए देखें कि इसके बाद कौन-सी घटनाएँ होंगी।
हर-मगिदोन से पहले होनेवाली घटनाएँ
8, 9. (क) यीशु शायद किन अनोखी घटनाओं की बात कर रहा था? (ख) उन घटनाओं का लोगों पर क्या असर होगा?
8 आखिरी दिनों के बारे में यीशु की भविष्यवाणी से पता चलता है कि हर-मगिदोन से पहले कौन-सी खास घटनाएँ होंगी। पहली दो घटनाएँ मत्ती, मरकुस और लूका की खुशखबरी की किताबों में बतायी गयी हैं।—मत्ती 24:29-31 पढ़िए; मर. 13:23-27; लूका 21:25-28.
9 आसमान में अनोखी घटनाएँ होंगी: यीशु ने भविष्यवाणी की थी, “सूरज अँधियारा हो जाएगा, चाँद अपनी रौशनी नहीं देगा, आकाश से तारे गिर पड़ेंगे।” इसका मतलब यह है कि उस समय लोग ज्ञान की रौशनी यानी मार्गदर्शन के लिए धर्म गुरुओं की ओर नहीं ताकेंगे। क्या यीशु यह भी कह रहा था कि आसमान में सचमुच कुछ अलौकिक घटनाएँ होंगी? शायद हाँ। (यशा. 13:9-11; योए. 2:1, 30, 31) इन घटनाओं का लोगों पर क्या असर होगा? वे बहुत घबरा जाएँगे क्योंकि “उन्हें बचने का कोई रास्ता नहीं सूझेगा।” (लूका 21:25; सप. 1:17) जी हाँ, परमेश्वर के राज के दुश्मन घबरा जाएँगे। “राजा” से लेकर “दास” तक सब लोग बुरी तरह डर जाएँगे। ‘धरती पर और क्या-क्या होगा, इस चिंता और डर के मारे उनके जी में जी न रहेगा।’ वे शरण के लिए यहाँ-वहाँ भागेंगे। मगर उन्हें ऐसी कोई जगह नहीं मिलेगी जहाँ वे हमारे राजा के क्रोध से बच पाएँ।—लूका 21:26; 23:30; प्रका. 6:15-17.
10. (क) यीशु क्या फैसला सुनाएगा? (ख) उसका फैसला सुनकर राज के वफादार लोग क्या करेंगे? (ग) राज का विरोध करनेवाले क्या करेंगे?
10 फैसला सुनाया जाएगा: तब परमेश्वर के राज के सभी दुश्मनों को मजबूरन एक ऐसी घटना देखनी पड़ेगी जिससे उनकी पीड़ा और बढ़ जाएगी। यीशु ने कहा था, “वे इंसान के बेटे को पूरी शक्ति और महिमा के साथ बादलों में आता देखेंगे।” (मर. 13:26) यीशु की शक्ति का यह अनोखा नज़ारा इस बात की निशानी होगा कि यीशु फैसला सुनाने आ गया है। यीशु ने आखिरी दिनों की उसी भविष्यवाणी में बताया था कि जब वह फैसला सुनाएगा तो उस वक्त क्या-क्या होगा। हम इस बारे में भेड़ों और बकरियों की मिसाल में पढ़ सकते हैं। (मत्ती 25:31-33, 46 पढ़िए।) परमेश्वर के राज का साथ देनेवाले वफादार लोगों के बारे में यह फैसला किया जाएगा कि वे ‘भेड़ें’ हैं। वे “सिर उठाकर सीधे खड़े” होंगे क्योंकि वे समझ जाएँगे कि उनके “छुटकारे का वक्त पास आ” गया है। (लूका 21:28) मगर राज का विरोध करनेवालों के बारे में यह फैसला किया जाएगा कि वे ‘बकरियाँ’ हैं। वे ‘दुख के मारे छाती पीटेंगे’ क्योंकि वे समझ जाएँगे कि वे “हमेशा के लिए नाश हो जाएँगे।”—मत्ती 24:30; प्रका. 1:7.
11. भविष्य में होनेवाली घटनाओं पर गौर करते वक्त हमें क्या याद रखना चाहिए?
11 जब यीशु ‘सब राष्ट्रों के लोगों’ को फैसला सुना देगा, तो उसके बाद कुछ और खास घटनाएँ होंगी और उसके बाद ही हर-मगिदोन का युद्ध शुरू होगा। (मत्ती 25:32) हम उनमें से दो घटनाओं पर गौर करेंगे, गोग का हमला और अभिषिक्त जनों का इकट्ठा किया जाना। इन घटनाओं पर गौर करते वक्त हमें याद रखना है कि परमेश्वर के वचन में यह नहीं बताया गया है कि ये घटनाएँ ठीक कब होंगी। ऐसा लगता है कि दोनों घटनाएँ कुछ वक्त के लिए साथ-साथ भी हो सकती हैं।
12. शैतान, परमेश्वर के लोगों पर चौतरफा हमला कैसे करेगा?
12 चौतरफा हमला होगा: मागोग देश का गोग बचे हुए अभिषिक्त जनों और उनके साथियों, यानी दूसरी भेड़ों पर हमला करेगा। (यहेजकेल 38:2, 11 पढ़िए।) जब से परमेश्वर का राज शुरू हुआ और शैतान को स्वर्ग से खदेड़ दिया गया, तब से शैतान अभिषिक्त जनों से लगातार युद्ध कर रहा है। गोग का हमला उस युद्ध का आखिरी वार होगा। (प्रका. 12:7-9, 17) जब से अभिषिक्त जनों को बहाल की गयी मसीही मंडली में इकट्ठा किया जाने लगा खासकर तब से शैतान उनकी खुशहाली मिटाने की कोशिश करता रहा है। मगर वह कामयाब नहीं हुआ है। (मत्ती 13:30) फिर भी वह हार नहीं मानेगा। सभी झूठे धर्मों के नाश के बाद, शैतान को लगेगा कि परमेश्वर के लोगों पर हमला करने का यह सुनहरा मौका है क्योंकि तब वे ऐसे नज़र आएँगे मानो उनकी “हिफाज़त के लिए न कोई दीवार है, न कोई फाटक और न बेड़े।” वह राज के समर्थकों पर चौतरफा हमला करने के लिए इंसानी सरकारों को उकसाएगा।
13. यहोवा अपने सेवकों को बचाने के लिए क्या करेगा?
13 यहेजकेल बताता है कि यह हमला कैसे होगा। भविष्यवाणी में गोग के बारे में कहा गया है, “तू उत्तर से, अपने दूर-दराज़ इलाकों से आएगा। तू और तेरे साथ बहुत-से देश आएँगे, तुम सबकी बड़ी टोली और विशाल सेना घोड़ों पर सवार होकर आएगी। तुम मेरी प्रजा इसराएल पर ऐसे धावा बोलोगे जैसे घने बादल एक देश को ढक लेते हैं।” (यहे. 38:15, 16) तब ऐसा लगेगा कि गोग के हमले को कोई रोक नहीं सकता। उस वक्त यहोवा क्या करेगा? वह कहता है, “मेरे क्रोध की ज्वाला भड़क उठेगी” और ‘मैं हुक्म दूँगा कि गोग पर तलवार चलायी जाए।’ (यहे. 38:18, 21; जकरयाह 2:8 पढ़िए।) यहोवा अपने सेवकों को बचाने के लिए कदम उठाएगा। वही हर-मगिदोन का युद्ध होगा।
14, 15. शैतान का हमला शुरू होने के कुछ समय बाद कौन-सी घटना घटेगी?
14 हर-मगिदोन के युद्ध में यहोवा कैसे अपने लोगों को बचाएगा, इस बारे में गौर करने से पहले आइए एक और खास घटना पर गौर करें। यह घटना, शैतान के चौतरफे हमले और हर-मगिदोन में यहोवा के कदम उठाने के समय के बीच घटेगी। जैसे पैराग्राफ 11 में बताया गया है, यह दूसरी घटना है बचे हुए अभिषिक्त जनों का इकट्ठा किया जाना।
15 अभिषिक्त जनों को इकट्ठा किया जाएगा: यीशु ने हर-मगिदोन से पहले होनेवाली जिन घटनाओं का ज़िक्र किया उनमें से एक घटना “चुने हुओं,” यानी पवित्र शक्ति से अभिषिक्त मसीहियों से जुड़ी है। इसके बारे में मत्ती और मरकुस, दोनों ने अपनी किताब में लिखा है। (पैराग्राफ 7 देखें।) यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि एक राजा की हैसियत से वह क्या करेगा: “फिर वह स्वर्गदूतों को भेजेगा और पृथ्वी के छोर से लेकर आकाश के छोर तक, चारों दिशाओं से अपने चुने हुओं को इकट्ठा करेगा।” (मर. 13:27; मत्ती 24:31) इस आयत में इकट्ठा करने का मतलब क्या है? यीशु बचे हुए अभिषिक्त मसीहियों पर आखिरी मुहर लगाने की बात नहीं कर रहा था, क्योंकि आखिरी मुहर महा-संकट के शुरू होने से ठीक पहले लगा दी जाएगी। (प्रका. 7:1-3) वह एक ऐसी घटना के बारे में बता रहा था जो महा-संकट के दौरान होगी। यह दिखाता है कि परमेश्वर के लोगों पर शैतान का हमला शुरू होने के कुछ समय बाद, धरती पर बचे हुए अभिषिक्त जनों को इकट्ठा करके स्वर्ग ले जाया जाएगा।
16. हर-मगिदोन के युद्ध में अभिषिक्त जन कैसे हिस्सा लेंगे?
16 महा-संकट के आखिर में होनेवाले हर-मगिदोन से पहले, धरती पर बचे हुए सभी अभिषिक्त मसीहियों को इकट्ठा करके स्वर्ग ले जाया जाएगा। यह कैसे कहा जा सकता है? बाइबल कहती है कि 1,44,000 जनों को मसीह के साथ मिलकर “लोहे के छड़” से परमेश्वर के राज के सभी दुश्मनों का नाश करने का अधिकार दिया जाएगा। (प्रका. 2:26, 27) इससे पता चलता है कि हर-मगिदोन युद्ध शुरू होने से पहले वे सभी स्वर्ग में होंगे। ये अभिषिक्त जन और शक्तिशाली स्वर्गदूत अपने राजा और वीर योद्धा, मसीह के साथ युद्ध करने निकल पड़ेंगे। वे दुश्मनों की उस “विशाल सेना” का मुकाबला करेंगे जो यहोवा के लोगों को धर-दबोचने पर होगी। (यहे. 38:15) दोनों पक्षों के बीच ज़बरदस्त मुकाबला होगा और यही हर-मगिदोन का युद्ध होगा!—प्रका. 16:16.
महा-संकट का शानदार अंत
17. हर-मगिदोन के दौरान “बकरियों” का क्या होगा?
17 सज़ा दी जाएगी: हर-मगिदोन का युद्ध महा-संकट की सबसे आखिरी घटना होगी। उस वक्त यीशु एक और काम करेगा। “सब राष्ट्रों” का न्यायी होने के अलावा वह उन्हें सज़ा देनेवाला भी ठहरेगा। वह उन सब लोगों को सज़ा देगा जिनके बारे में उसने पहले फैसला किया होगा कि वे ‘बकरियाँ’ हैं। (मत्ती 25:32, 33) हमारा राजा “एक तेज़ धारवाली लंबी तलवार” से “राष्ट्रों पर वार” करेगा। तब बकरी जैसे स्वभाव के लोग, “राजाओं” से लेकर “दासों” तक सभी “हमेशा के लिए नाश हो जाएँगे।”—प्रका. 19:15, 18; मत्ती 25:46.
18. (क) “भेड़ों” के लिए हालात कैसे बदल जाएँगे? (ख) यीशु कैसे अपनी जीत पूरी करेगा?
18 जिन लोगों को यीशु ने ‘भेड़’ करार दिया होगा उनके हालात देखते-ही-देखते बदल जाएँगे! एक वक्त पर वे ऐसी “भेड़ों” जैसे लग रहे होंगे जिनका बचानेवाला कोई नहीं है और शैतान की “बकरियों” की विशाल सेना उन्हें कुचल देगी। मगर वे दुश्मन के उस हमले से बच जाएँगे और इस तरह उनकी ‘बड़ी भीड़ महा-संकट से निकलकर’ आएगी। (प्रका. 7:9, 14) जब यीशु धरती से परमेश्वर के राज के सभी दुश्मनों को मिटा देगा तो उसके बाद वह शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों को अथाह-कुंड में डाल देगा। वहाँ वे हज़ार साल के लिए निष्क्रिय पड़े रहेंगे और उनकी हालत मुरदों जैसी होगी।—प्रकाशितवाक्य 6:2; 20:1-3 पढ़िए।
हम कैसे तैयार हो सकते हैं?
19, 20. यशायाह 26:20 और 30:21 की सलाह हम कैसे लागू कर सकते हैं?
19 जैसे हमने अब तक देखा, भविष्य में ऐसी घटनाएँ होंगी जो पूरी दुनिया को हिलाकर रख देंगी। आज हम उनका सामना करने के लिए खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं? कुछ साल पहले प्रहरीदुर्ग में कहा गया था, “बचाव उन्हीं का होगा जो आज्ञा का पालन करते हैं।” ऐसा क्यों कहा जा सकता है? जवाब के लिए हम याद कर सकते हैं कि यहोवा ने बैबिलोन की बँधुआई में रहनेवाले यहूदियों को क्या चेतावनी दी थी। यहोवा ने उन्हें बताया कि जब बैबिलोन को हरा दिया जाएगा तब उन्हें अपने बचाव के लिए क्या करना होगा। यहोवा ने कहा, “हे मेरे लोगो, अपने-अपने अंदरवाले कमरे में जाओ और दरवाज़ा बंद कर लो। थोड़ी देर के लिए छिप जाओ, जब तक कि मेरी जलजलाहट शांत नहीं हो जाती।” (यशा. 26:20) गौर कीजिए कि यहाँ “जाओ,” “बंद कर लो” और “छिप जाओ” जैसे शब्द इस्तेमाल किए गए हैं। ये सभी आज्ञाएँ हैं। जिन यहूदियों ने ये आज्ञाएँ मानीं वे अपने घरों के अंदर रहे होंगे और उन सैनिकों से बच गए होंगे जो सड़कों पर मार-काट मचा रहे थे। बचाव उन्हीं का हुआ होगा जिन्होंने यहोवा की आज्ञा मानी।b
20 इस वाकये से हम क्या सीखते हैं? पुराने ज़माने के उन सेवकों की तरह अगर हम भी यहोवा की हिदायतें मानेंगे तो हम भविष्य में होनेवाली घटनाओं से ज़िंदा बच निकलेंगे। (यशा. 30:21) हमें ऐसी हिदायतें मंडली के ज़रिए दी जाती हैं। इसलिए हमें इन हिदायतों को दिल से मानने की आदत बनानी होगी। (1 यूह. 5:3) अगर आज हम ऐसा करेंगे तो भविष्य में भी आज्ञाएँ मानना हमारे लिए आसान होगा और हमारा पिता यहोवा और हमारा राजा यीशु हमारी हिफाज़त करेंगे। (सप. 2:3) और हम अपनी आँखों से देख पाएँगे कि परमेश्वर का राज कैसे अपने दुश्मनों का नामो-निशान मिटा देता है। वह क्या ही यादगार घटना होगी!
a यह कहना सही लगता है कि “महानगरी बैबिलोन” के नाश का मतलब सभी झूठे धर्मों का नाश है, न कि उन धर्मों को माननेवाले सभी लोगों का नाश। इसलिए उन धर्मों के नाश के बाद भी ऐसे कई लोग ज़िंदा रहेंगे, मगर वे शायद धर्मों से कोई नाता नहीं रखेंगे, ठीक जैसे जकरयाह 13:4-6 में बताया गया है।
b ज़्यादा जानने के लिए यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला I किताब के पेज 282-283 देखें।