बातचीत शुरू करने के लिए
पाठ 6
हिम्मत से काम लीजिए
सिद्धांत: ‘अपने परमेश्वर की मदद से हमने हिम्मत जुटायी ताकि तुम्हें उसकी खुशखबरी सुना सकें।’—1 थिस्स. 2:2.
यीशु ने क्या किया?
1. वीडियो देखिए या लूका 19:1-7 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों के बारे में सोचिए:
क. कुछ लोग क्यों जक्कई से दूर-दूर रहते होंगे?
ख. फिर भी यीशु उसे गवाही क्यों दे पाया?
यीशु से हम क्या सीखते हैं?
2. अगर हम हिम्मत से काम लेंगे, तो बिना भेदभाव किए हर किसी को गवाही दे पाएँगे।
यीशु की तरह हमें क्या करना है?
3. यहोवा से मदद माँगिए। पवित्र शक्ति की मदद से यीशु हिम्मत से प्रचार कर पाया। हम भी ऐसा कर सकते हैं। (मत्ती 10:19, 20; लूका 4:18) हिम्मत के लिए यहोवा से प्रार्थना कीजिए ताकि आप उन लोगों को गवाही दे पाएँ जिनसे आपको डर लगता है।—प्रेषि. 4:29.
4. पहले से राय कायम मत कीजिए। हो सकता है कि कुछ लोगों का रंग-रूप, ओहदा, जीने का तरीका या यह देखकर कि वे किस धर्म से हैं, हमें उनसे बात करने में झिझक महसूस हो। शायद हम सोच लें कि यह व्यक्ति तो सुनेगा ही नहीं। पर याद रखिए:
क. हम लोगों का दिल नहीं पढ़ सकते, सिर्फ यहोवा और यीशु ऐसा कर सकते हैं।
ख. यहोवा किसी भी तरह के व्यक्ति को अपनी तरफ खींच सकता है।
5. हिम्मत के साथ-साथ समझदारी से काम लीजिए। (मत्ती 10:16) किसी से बहस मत कीजिए। अगर सामनेवाला आपकी नहीं सुनना चाहता या आपको लगता है कि आपको कोई खतरा है, तो बातचीत खत्म कीजिए और शांति से वहाँ से चले जाइए।—नीति. 17:14.