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एक भयानक आँधी शान्त करनाप्रहरीदुर्ग—1990 | मार्च 1
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यह समझने योग्य है कि यीशु थका हुआ है। तो, किनारे से हटने के जल्द ही बाद, वह कश्ती के पिछले हिस्से में, एक तकिये पर अपना सिर रखकर, सो जाता है। कई प्रेरित अनुभवी नाविक हैं, क्योंकि उन्होंने गलील सागर पर व्यापक रूप से मछुवाही की थी। इसलिए वे नाव चलाने की ज़िम्मेदारी उठा लेते हैं।
लेकिन यह एक आसान यात्रा नहीं होनेवाली है। झील की सतह पर, जो कि समुद्र-तल के लगभग ७०० फुट (२१० कि.मि.) नीचे है, अधिक गरम तापमान होने, और पास के पहाड़ों में अधिक ठंडी हवा होने की वजह से, ज़ोरदार हवाएँ कभी-कभी तेज़ी से चलती हैं और झील पर आकस्मिक प्रचण्ड आँधियाँ उत्पन्न करती हैं। अब यही होता है। जल्द ही लहरें नाव से टकराकर उस में पानी उछाल रही हैं, यहाँ तक कि वह क़रीब-क़रीब जल-मग्न होने को है। फिर भी, यीशु सोता रहता है!
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एक भयानक आँधी शान्त करनाप्रहरीदुर्ग—1990 | मार्च 1
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[पेज 12 पर बड़ी तसवीर दी गयी है]
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