“तुझे ऐसा ही करना मंज़ूर हुआ”
“तू ने ये बातें बुद्धिमानों और ज्ञानियों से तो बहुत ध्यान से छिपाए रखीं, मगर बच्चों पर ज़ाहिर की हैं।”—लूका 10:21.
1. यीशु क्यों “पवित्र शक्ति और बड़े आनंद से भर गया” था? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
ज़रा सोचिए कि यीशु “पवित्र शक्ति और बड़े आनंद से” भरा हुआ है। उसके चेहरे पर मुसकान है, उसकी आँखें खुशी से चमक रही हैं। आखिर क्यों यीशु इतना खुश है? उसने अभी-अभी अपने 70 चेलों को परमेश्वर के राज की खुशखबरी सुनाने भेजा है। लेकिन खुशखबरी का विरोध करनेवाले भी बहुत-से ताकतवर लोग हैं। इनमें शास्त्री और फरीसी भी हैं, जो बहुत पढ़े-लिखे और चालाक हैं। वे चाहते हैं कि लोग यीशु को बस एक मामूली बढ़ई और उसके चेलों को “कम पढ़े-लिखे, मामूली आदमी” समझें। इसलिए यीशु यह देखना चाहता है कि विरोध के बावजूद उसके चेले अपनी ज़िम्मेदारी कैसे निभाएँगे। (प्रेषि. 4:13; मर. 6:3) यीशु के चेलों का काफी विरोध किया गया, यहाँ तक कि दुष्ट स्वर्गदूतों से भी उनका पाला पड़ा। फिर भी वे प्रचार करते रहे। जब वे प्रचार करके वापस आए, तो वे बहुत खुश थे। आखिर कैसे वे खुशी बनाए रख पाए और हिम्मत जुटा पाए?—लूका 10:1, 17-21 पढ़िए।
2. (क) यीशु के चेले किस मायने में नन्हे-मुन्नों की तरह थे? (ख) उन्हें बाइबल की गूढ़ बातें समझने में कैसे मदद मिली?
2 यीशु ने यहोवा से कहा: “हे पिता, स्वर्ग और पृथ्वी के मालिक, मैं सबके सामने तेरी बड़ाई करता हूँ कि तू ने ये बातें बुद्धिमानों और ज्ञानियों से तो छिपा रखीं, मगर नन्हे-मुन्नों पर प्रकट की हैं। हाँ, हे पिता, क्योंकि तुझे ऐसा ही करना मंज़ूर हुआ।” (मत्ती 11:25, 26) यीशु ने अपने चेलों को नन्हे-मुन्ने क्यों कहा? क्योंकि वे बच्चों की तरह सीखने के लिए हरदम तैयार रहते थे। उन्होंने नम्र होना सीखा, न कि घमंडी होना। (मत्ती 18:1-4) उनके नम्र होने की वजह से ही यहोवा ने बाइबल की गूढ़ बातें समझने में पवित्र शक्ति के ज़रिए उनकी मदद की। वहीं शास्त्री और फरीसी ऐसे नहीं थे। वे बहुत पढ़े-लिखे थे और खुद को बुद्धिमान समझते थे। उन घमंडी धर्मगुरुओं को लगता था कि उन्हें सबकुछ पता है। वे यीशु के चेलों का मज़ाक उड़ाते थे। उन यहूदी धर्मगुरुओं के मन को शैतान ने और खुद उनके घमंड ने अंधा कर दिया था।
3. इस लेख में हम किस बात पर गौर करेंगे?
3 यीशु यह देखकर बेहद खुश था कि कैसे यहोवा ने नम्र लोगों पर बाइबल की गूढ़ बातें ज़ाहिर की हैं, जबकि वे लोग ज़्यादा पढ़े-लिखे और बुद्धिमान नहीं थे। उसे इस बात की खुशी थी कि उसका पिता यहोवा चाहता है कि सच्चाई आसान तरीके से और साफ-साफ सिखायी जाए। यहोवा आज भी बदला नहीं है। लेकिन यह कैसे पता चलता है कि सिखाने का यही तरीका उसे आज भी मंज़ूर है? आज कैसे यहोवा बाइबल की गूढ़ बातें नम्र लोगों पर ज़ाहिर करता है? आइए देखें। जब हम इस पर गौर करेंगे तो हमें भी वही खुशी मिलेगी जो यीशु को मिली थी।
बाइबल की गूढ़ बातें सभी को समझाइए
4. प्रहरीदुर्ग पत्रिका का सरल संस्करण कैसे कई लोगों के लिए एक तोहफा है?
4 पिछले कुछ सालों से यहोवा का संगठन शास्त्र की बातें इस तरह समझाता है कि वे लोगों को बड़ी आसानी से और साफ-साफ समझ में आती हैं। आइए इसके तीन उदाहरणों पर गौर करें। पहला है, प्रहरीदुर्ग पत्रिका का सरल संस्करण,a यानी अध्ययन के लिए इस्तेमाल की जानेवाली आसान भाषावाली एक और प्रहरीदुर्ग पत्रिका। आसान भाषावाली यह पत्रिका ऐसे बहुत-से लोगों के लिए एक तोहफा है, जिन्हें अपनी भाषा में प्रहरीदुर्ग में दी जानकारी पढ़ने या समझने में मुश्किल होती है। परिवार के मुखियाओं ने देखा है कि इस पत्रिका की वजह से उनके बच्चे भी प्रहरीदुर्ग में दी जानेवाली जानकारी आसानी से समझ पा रहे हैं। इस तोहफे के लिए कई लोगों ने शासी निकाय को खत लिखकर अपनी कदरदानी ज़ाहिर की है। एक बहन लिखती है कि उसे पहले प्रहरीदुर्ग अध्ययन में जवाब देने से डर लगता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब वह आसान भाषावाली पत्रिका इस्तेमाल करती है। उसने खत में यह भी लिखा, ‘अब मैं एक नहीं, कई जवाब देती हूँ। अब मुझे ज़रा भी डर नहीं लगता। यहोवा और आप भाइयों का बहुत-बहुत शुक्रिया!’
5. न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन बाइबल के नए अनुवाद के कुछ फायदे क्या हैं?
5 दूसरा उदाहरण है, 5 अक्टूबर 2013 की सालाना सभा में, (जो विश्व मुख्यालय में रखी जाती है) अँग्रेज़ी में रिलीज़ की गयी न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द होली स्क्रिप्चर्स बाइबल।b बाइबल का यह अनुवाद पहलेवाली न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन बाइबल से काफी आसान है। बाइबल के इस अनुवाद में कई आयतों में पहले से कम शब्द हैं। लेकिन इनका मतलब बदला नहीं है और इन आयतों को समझना अब पहले से ज़्यादा आसान है। मिसाल के लिए, अय्यूब 10:1 में पहले 27 शब्द थे, अब 19 शब्द हैं और नीतिवचन 8:6 में पहले 20 शब्द थे, अब 13 शब्द हैं। ये दोनों आयतें अँग्रेज़ी की इस नयी बाइबल में ज़्यादा साफ समझ में आती हैं। कई सालों से वफादारी से यहोवा की सेवा कर रहे एक अभिषिक्त भाई ने कहा, “इस नयी बाइबल से मैंने अभी बस अय्यूब की किताब पढ़ी और मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं इसे पहली बार समझ रहा हूँ!” कुछ ऐसा ही और भी बहुत-से लोगों ने कहा है।
6. (क) मत्ती 24:45-47 के बारे में हमें क्या खुलकर समझाया गया है? (ख) इस बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?
6 तीसरा उदाहरण है, कुछ खास आयतों के बारे में हमें और भी खुलकर समझाया गया है। जैसे, 15 जुलाई, 2013 की प्रहरीदुर्ग में ‘विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास’ के बारे में हमें और भी साफ-साफ समझाया गया। (मत्ती 24:45-47) उस पत्रिका के एक लेख में बताया गया है कि विश्वासयोग्य दास, शासी निकाय है। और ‘घर के कर्मचारी’ वे सभी लोग हैं जो आध्यात्मिक भोजन लेते हैं, फिर चाहे वे अभिषिक्त मसीही हों या “दूसरी भेड़ें।” (यूह. 10:16) हमें ये सच्चाइयाँ सीखने और दूसरों को सिखाने में बेहद खुशी होती है! अब आइए देखें, यहोवा ने और किन तरीकों से ज़ाहिर किया है कि उसे सिखाने का ऐसा तरीका मंज़ूर है जिससे सच्चाई आसानी से और साफ समझ में आए।
बाइबल के ब्यौरे आसान तरीके से समझना
7, 8. बाइबल के कुछ ऐसे कौन-से ब्यौरे हैं, जो भविष्य में होनेवाली बातों को दर्शाते हैं?
7 अगर आप कई सालों से यहोवा की सेवा कर रहे हैं, तो ज़ाहिर है आपने गौर किया होगा कि अब हमारी किताबों-पत्रिकाओं में बाइबल के कुछ ब्यौरे थोड़ा अलग तरीके से समझाए जाते हैं। वह कैसे? बीते समय में, अकसर हमारी किताबों-पत्रिकाओं में समझाया जाता था कि बाइबल में बताया एक व्यक्ति, घटना या कोई चीज़ भविष्य में आनेवाले उससे भी महान व्यक्ति या बात को दर्शाती है। उदाहरण के लिए, यीशु ने “योना भविष्यवक्ता की निशानी” का ज़िक्र किया। (मत्ती 12:39, 40 पढ़िए।) उसने समझाया कि जितने समय तक योना मछली के पेट में रहा, वह इस बात को दर्शाता है कि यीशु कब्र में कितने समय तक रहेगा। बाइबल के ब्यौरे इस तरीके से समझाने की क्या कोई खास वजह है? जी हाँ।
8 वह इसलिए कि योना के ब्यौरे की तरह बाइबल के कुछ ब्यौरे भविष्य में होनेवाली किसी बड़ी बात को दर्शाते हैं। ऐसी ही कई बातों के बारे में प्रेषित पौलुस ने समझाया। जैसे, अब्राहम का हाजिरा और सारा के साथ जो रिश्ता था, वह इस बात को दर्शाता था कि यहोवा का इसराएल राष्ट्र के साथ और परमेश्वर के संगठन के उस हिस्से के साथ कैसा रिश्ता होगा, जो स्वर्ग में है। (गला. 4:22-26) उसी तरह, निवासस्थान, मंदिर, प्रायश्चित दिन, महायाजक और कानून में बतायी दूसरी बातें ‘आनेवाली अच्छी बातों की छाया’ थीं। (इब्रा. 9:23-25; 10:1) जब हम बाइबल के ऐसे ब्यौरों का अध्ययन करते हैं, जो भविष्य में होनेवाली बातों को दर्शाते हैं तो हमारा विश्वास मज़बूत होता है। तो क्या इसका मतलब, बाइबल में बताया गया हर व्यक्ति, घटना और चीज़ भविष्य में आनेवाले किसी-न-किसी व्यक्ति या बात को दर्शाती है?
9. बाइबल में दिया नाबोत का ब्यौरा बीते समय में किस तरह समझाया गया है?
9 दरअसल बीते समय में, बाइबल के किसी ब्यौरे के बारे में अकसर हमारी किताबों-पत्रिकाओं में इस तरह समझाया जाता था। उदाहरण के लिए, नाबोत के ब्यौरे पर गौर कीजिए। नाबोत को दुष्ट रानी ईज़ेबेल ने मरवा डाला था, ताकि उसके पति आहाब को नाबोत का अंगूर का बगीचा मिल सके। (1 राजा 21:1-16) यह ब्यौरा सन् 1932 की प्रहरीदुर्ग में समझाया गया था। उसमें बताया गया था कि आहाब और ईज़ेबेल, शैतान और उसके संगठन को दर्शाते हैं। नाबोत यीशु को दर्शाता है और नाबोत की मौत, यीशु की मौत को दर्शाती है। मगर 1961 में, “तेरा नाम पवित्र किया जाए” (अँग्रेज़ी) किताब में समझाया गया था कि नाबोत अभिषिक्त मसीहियों को और ईज़ेबेल ईसाईजगत को दर्शाती है। और ईज़ेबेल ने नाबोत पर जो ज़ुल्म ढाया, वह आखिरी दिनों में अभिषिक्त मसीहियों पर होनेवाले ज़ुल्म को दर्शाता है। इस तरह की समझ से कई सालों तक परमेश्वर के लोगों का विश्वास मज़बूत हुआ। तो फिर अब हम बाइबल के ब्यौरे अलग तरीके से क्यों समझा रहे हैं?
10. (क) विश्वासयोग्य दास बाइबल का कोई ब्यौरा समझाने में किस तरह पहले से ज़्यादा सावधानी बरतता है? (ख) आजकल हमारी किताबों-पत्रिकाओं में किस बात पर ज़ोर दिया जाता है?
10 पिछले कई सालों से, यहोवा ने ‘विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास’ को और भी सूझ-बूझ से काम लेने में मदद दी है। किस मायने में? अब विश्वासयोग्य दास बाइबल का कोई ब्यौरा समझाने में पहले से ज़्यादा सावधानी बरतता है। अब यह दास बाइबल के किसी ब्यौरे के बारे में तभी यह बताता है कि यह ब्यौरा भविष्य में होनेवाली किसी बात को दर्शाता है, जब ऐसा कहने की बाइबल में कोई साफ वजह होती है। पहले जब यह समझाया जाता था कि कोई व्यक्ति, घटना या चीज़ भविष्य में आनेवाले उससे भी महान व्यक्ति या बात को दर्शाती है, तो वे बातें समझना, याद रखना और लागू करना बहुत मुश्किल होता था। उससे भी बढ़कर, जब इस बात पर ज़्यादा ज़ोर दिया जाता था कि बाइबल के किसी ब्यौरे का क्या मतलब हो सकता है, तो यह पता नहीं चलता था कि उससे हम सबक क्या सीखते हैं। इसीलिए आजकल हमारी किताबों-पत्रिकाओं में इस बात पर ज़्यादा ज़ोर दिया जाता है कि बाइबल के ब्यौरों से मिलनेवाली सीख हम अपनी ज़िंदगी में कैसे लागू कर सकते हैं। जैसे, विश्वास, धीरज, परमेश्वर की भक्ति और दूसरे बढ़िया गुण हम अपने अंदर कैसे बढ़ा सकते हैं।c
11. (क) अब हम नाबोत का ब्यौरा किस तरह समझते हैं? (ख) उसकी मिसाल से हमें कैसे मदद मिलती है? (ग) अब यह कभी-कभार ही क्यों समझाया जाता है कि बाइबल का कोई ब्यौरा भविष्य में होनेवाली किसी बड़ी बात को दर्शाता है? (इस अंक में दिया लेख “आपने पूछा” देखिए।)
11 अब हम नाबोत का ब्यौरा और भी साफ-साफ और आसानी से समझते हैं। नाबोत की मौत इसलिए नहीं हुई कि वह यीशु या अभिषिक्त मसीहियों को दर्शाता था। इसके बजाय, उसने ठान लिया था कि वह परमेश्वर का वफादार बना रहेगा इसलिए उसे मार डाला गया। हालाँकि उस पर ताकतवर शासकों ने काफी ज़ुल्म ढाए, फिर भी वह यहोवा के कानून का पालन करता रहा। (गिन. 36:7; 1 राजा 21:3) नाबोत, परमेश्वर के उन सेवकों के लिए क्या ही बेहतरीन मिसाल है जिन्हें आज ऐसे ही ज़ुल्म सहने पड़ते हैं। (2 तीमुथियुस 3:12 पढ़िए।) नाबोत से हम जो सीखते हैं, वह सभी मसीही समझ सकते हैं, याद रख सकते हैं और उसे लागू कर सकते हैं और इससे उनका विश्वास मज़बूत हो सकता है।
12. (क) हमें बाइबल के ब्यौरों के बारे में क्या नहीं मान लेना चाहिए? (ख) किस वजह से आज हम बाइबल के गहरे रहस्य भी साफ समझ पाते हैं? (फुटनोट देखिए।)
12 तो क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि बाइबल के ब्यौरों से हम सिर्फ ज़िंदगी में लागू होनेवाली बातें सीखते हैं? क्या इन ब्यौरों का और कुछ मतलब नहीं होता? नहीं, ऐसा नहीं है। दरअसल आजकल हमारी किताबों-पत्रिकाओं में यह समझाने पर ज़्यादा ज़ोर दिया जाता है कि बाइबल का कोई ब्यौरा कैसे दूसरे ब्यौरे से मेल खाता है। अब इस बात पर इतना ध्यान नहीं दिया जाता कि वह ब्यौरा किस बात को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, नाबोत जिस तरह ज़ुल्म सहने के बावजूद मौत तक परमेश्वर का वफादार रहा, उससे हमें यीशु और अभिषिक्त मसीहियों की वफादारी याद आती है। साथ ही, इससे हमें बहुत-सी ‘दूसरी भेड़ों’ की वफादारी भी याद आती है। जी हाँ, इन बातों से हम साफ देख सकते हैं कि कैसे यहोवा हमें आसान तरीके से सिखा रहा है।d
यीशु की मिसालें आसान तरीके से समझना
13. कौन-से उदाहरण दिखाते हैं कि अब यीशु की मिसालें काफी आसान और साफ-साफ समझायी जाती हैं?
13 यीशु मसीह धरती पर जीनेवाला सबसे महान शिक्षक था। उसे मिसालें या उदाहरण देकर सिखाना बहुत अच्छा लगता था। (मत्ती 13:34) मिसालों से लोगों के मन में एक तसवीर खिंच जाती है और वे मुश्किल-से-मुश्किल बात भी आसानी से समझ जाते हैं। उन्हें जो बताया जाता है, वह उन्हें सोचने पर मजबूर कर देता है और उनके दिल को हिलाकर रख देता है। कई सालों से, हमारी किताबों-पत्रिकाओं में यीशु की मिसालें काफी आसान और साफ-साफ समझायी जा रही हैं। उदाहरण के लिए, 15 जुलाई, 2008 की प्रहरीदुर्ग में और भी खुलकर समझाया गया है कि यीशु ने खमीर, राई के दाने और बड़े जाल की जो मिसालें दीं उनका क्या मतलब है। अब हम साफ समझ सकते हैं कि ये मिसालें परमेश्वर के राज की तरफ इशारा करती हैं। इस राज की वजह से बहुत बड़ी तादाद में लोग इस दुष्ट दुनिया को ठुकराकर मसीह के चेले बने हैं।
14. (क) दयालु सामरी की मिसाल पहले कैसे समझायी गयी थी? (ख) अब हम यीशु की यह मिसाल कैसे समझते हैं?
14 यीशु ने जो कहानियाँ या मिसालें बतायीं, उन्हें हमें कैसे समझना चाहिए? क्या ये बस किसी बात की निशानी हैं या इनसे हम कुछ सबक सीख सकते हैं? बेशक बाइबल में दर्ज़ कुछ कहानियाँ निशानी के तौर पर हैं और ये एक तरह से भविष्यवाणियाँ हैं। मगर कुछ कहानियों या मिसालों से हम सबक सीखते हैं। लेकिन हम यह कैसे जानेंगे कि कौन-सी कहानी निशानी के तौर पर है और कौन-सी नहीं? इसका जवाब कुछ सालों से हमारी किताबों-पत्रिकाओं में दिया जा रहा है। उदाहरण के लिए, ज़रा सोचिए यीशु की दी दयालु सामरी की मिसाल पहले कैसे समझायी गयी थी। (लूका 10:30-37) सन् 1924 की प्रहरीदुर्ग में बताया गया था कि सामरी आदमी यीशु को दर्शाता है। और यरूशलेम से नीचे यरीहो को जानेवाली सड़क इंसानों की बद-से-बदतर हो रही हालत को दर्शाती है, जो अदन में हुई बगावत से शुरू हुई थी। साथ ही, मिसाल में बताए लुटेरे बड़ी-बड़ी कंपनियों और लालची व्यापारियों को दर्शाते हैं और याजक और लेवी ईसाईजगत को दर्शाते हैं। लेकिन अब हमारी किताबों-पत्रिकाओं में उस मिसाल से हमें यह याद दिलाया जाता है कि हम मसीहियों को किसी के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। हमें सभी ज़रूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए और खासकर उन्हें परमेश्वर के बारे में सच्चाई सिखानी चाहिए। क्या यह देखकर हमें खुशी नहीं होती कि कैसे यहोवा हमें सच्चाई और भी साफ-साफ समझा रहा है?
15. अगले लेख में किस बारे में चर्चा की जाएगी?
15 अगले लेख में हम यीशु की दी एक और मिसाल पर चर्चा करेंगे, वह है दस कुँवारियों की मिसाल। (मत्ती 25:1-13) आखिरी दिनों में यीशु के चेलों को उसकी यह दमदार मिसाल किस तरह समझनी चाहिए, इस बारे में यीशु क्या चाहता था? क्या उस मिसाल में बताया हर व्यक्ति, चीज़ और घटना भविष्य में होनेवाली किसी बड़ी बात को दर्शाती है? या क्या यीशु चाहता था कि इस मिसाल से आखिरी दिनों में उसके चेले कुछ सबक सीखें और उन्हें ज़िंदगी में लागू करें? आइए देखें।
a यह सरल संस्करण जुलाई 2011 में सबसे पहले अँग्रेज़ी में आना शुरू हुआ। तब से यह संस्करण कुछ दूसरी भाषाओं में भी आ रहा है।
b यह नया और आसान अनुवाद दूसरी भाषाओं में भी तैयार किया जा रहा है।
c उदाहरण के लिए, इमिटेट देयर फेथ किताब में बाइबल के 14 किरदारों के बारे में चर्चा की गयी है। इस किताब में यह बताया गया है कि उन किरदारों से हम क्या सीख सकते हैं, न कि वे किन्हें दर्शाते हैं।
d हालाँकि बाइबल के सभी लेखकों को पवित्र शक्ति से प्रेरणा मिली थी, इसके बावजूद परमेश्वर के वचन में ऐसी बातें भी दर्ज़ हैं, जो “समझने में मुश्किल” लगती हैं। इनमें पौलुस की लिखी कुछ बातें भी शामिल हैं। लेकिन परमेश्वर की पवित्र शक्ति आज सच्चे मसीहियों को बाइबल की सच्चाइयाँ समझने, “यहाँ तक कि परमेश्वर के गहरे रहस्यों” को समझने में मदद देती है।—2 पत. 3:16, 17; 1 कुरिं. 2:10.