अध्ययन लेख 13
सृष्टि से बच्चों को यहोवा के बारे में सिखाएँ
“देखो, किसने इन तारों को बनाया?”—यशा. 40:26.
गीत 11 सृष्टि करे यहोवा की तारीफ!
एक झलकa
1. माता-पिताओं की क्या इच्छा होती है?
माता-पिताओ, आप यही चाहते होंगे कि आपके बच्चे यहोवा को जानें और उससे प्यार करें। लेकिन परमेश्वर को तो हम देख नहीं सकते। तो फिर आप अपने बच्चों को कैसे सिखा सकते हैं कि यहोवा में कौन-कौन-से गुण हैं, ताकि वे उसे और अच्छे-से जानें और उसके करीब आएँ?—याकू. 4:8.
2. माता-पिता अपने बच्चों को कैसे सिखा सकते हैं कि यहोवा में कौन-से गुण हैं?
2 अपने बच्चों को यहोवा के बारे में सिखाने का एक तरीका है, उनके साथ बाइबल का अध्ययन करना। (2 तीमु. 3:14-17) लेकिन बाइबल में एक और तरीका बताया गया है जिससे आपके बच्चे यहोवा को जान सकते हैं और उसके करीब आ सकते हैं। नीतिवचन के एक अध्याय में हम पढ़ते हैं कि एक पिता अपने बेटे को यहोवा के उन गुणों के बारे में बता रहा है जो सृष्टि से पता चलते हैं और वह उससे कहता है कि वह ‘इन्हें भूल न जाए।’ (नीति. 3:19-21) इससे पता चलता है कि यहोवा की बनायी चीज़ों से भी हम जान सकते हैं कि उसमें कौन-से गुण हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि माता-पिता कैसे सृष्टि से अपने बच्चों को सिखा सकते हैं कि यहोवा कैसा परमेश्वर है।
सृष्टि से बच्चों को कैसे सिखाएँ?
3. माता-पिताओं को बच्चों को क्या समझाना चाहिए?
3 बाइबल में लिखा है कि परमेश्वर के ‘अनदेखे गुण दुनिया की रचना के वक्त से साफ दिखायी देते हैं। ये गुण उसकी बनायी चीज़ों को देखकर अच्छी तरह समझे जा सकते हैं।’ (रोमि. 1:20) माता-पिताओ, आपको ज़रूर अपने बच्चों के साथ बाहर जाकर समय बिताना बहुत अच्छा लगता होगा। क्यों ना उस वक्त आप बच्चों को यह समझाएँ कि यहोवा की बनायी चीज़ों से उसके कौन-से लाजवाब गुणों के बारे में पता चलता है? आइए देखें कि इस बारे में आप यीशु से क्या सीख सकते हैं।
4. यीशु ने यहोवा की बनायी चीज़ों से कैसे अपने चेलों को सिखाया? (लूका 12:24, 27-30)
4 ध्यान दीजिए कि यीशु ने यहोवा की बनायी चीज़ों की मिसाल देकर कैसे अपने चेलों को सिखाया। एक बार उसने उनसे कहा कि वे कौवों और सोसन (या “लिली”) के फूलों पर ध्यान दें। (लूका 12:24, 27-30 पढ़िए।) यीशु चाहता तो किसी भी जानवर या पौधे की मिसाल दे सकता था, लेकिन उसने एक ऐसे पंछी और फूल के बारे में बताया जिनके बारे में उसके चेलों को अच्छी तरह पता था। जब यीशु उन्हें यह मिसाल दे रहा होगा, तो सोचिए कैसे उसने अपना हाथ बढ़ाकर उनकी ओर इशारा किया होगा। शायद उसके चेलों ने भी आसमान में कौवों को उड़ते हुए और मैदान में सोसन के फूलों को लहलहाते हुए देखा होगा। इसके बाद यीशु ने क्या किया? उसने अपने चेलों को बताया कि जिस तरह यहोवा कौवों को खाना खिलाता है और सोसन के फूलों को इतने शानदार कपड़े पहनाता है, उसी तरह वह अपने वफादार सेवकों की ज़रूरतें भी पूरी करेगा। इस तरह उसने उन्हें समझाया कि यहोवा अपने सेवकों को दिल खोलकर देता है और उनकी बहुत परवाह करता है।
5. माता-पिता सृष्टि से बच्चों को यहोवा के बारे में कैसे सिखा सकते हैं?
5 माता-पिताओ, आप यीशु की तरह अपने बच्चों को कैसे सिखा सकते हैं? आप उन्हें यहोवा की बनायी किसी ऐसी चीज़ के बारे में बता सकते हैं जो आपको बहुत अच्छी लगती है। जैसे आप उन्हें बता सकते हैं कि आपको कौन-सा जानवर या कौन-से पेड़-पौधे सबसे ज़्यादा पसंद हैं और उनसे यहोवा के बारे में क्या पता चलता है। इसके बाद अपने बच्चों से पूछिए कि उन्हें कौन-से जानवर या पेड़-पौधे सबसे ज़्यादा अच्छा लगते हैं। फिर जब आप उन्हें बताएँगे कि उनके मन-पसंद जानवर या पेड़-पौधे से यहोवा के कौन-से गुण के बारे में पता चलता है, तो शायद वे आपकी बात और भी ध्यान से सुनें।
6. हम भाई क्रिस्टोफर की मम्मी से क्या सीख सकते हैं?
6 माता-पिताओ, जब आपको बच्चों को बताना हो कि किसी जानवर या पौधे से यहोवा के बारे में क्या पता चलता है, तो क्या आपको घंटों इस बारे में खोजबीन करनी होगी? ज़रूरी नहीं। यीशु ने अपने चेलों को एक लंबा-चौड़ा भाषण नहीं दिया कि कौवे क्या खाते हैं, कैसे खाते हैं या सोसन के फूल कैसे बढ़ते हैं। हो सकता है, आपके बच्चों को प्रकृति की चीज़ों के बारे में सीखना अच्छा लगता हो, लेकिन ज़रूरी नहीं कि आप हर बार उन्हें बहुत-सी बातें बताएँ। कई बार शायद उस जानवर या पौधे के बारे में एक छोटी-सी बात कहना या एक छोटा-सा सवाल करना भी काफी हो। क्रिस्टोफर नाम के एक भाई बताते हैं कि जब वे छोटे थे, तो उनकी मम्मी उन्हें किस तरह सिखाती थीं। वे कहते हैं, “हमारे आस-पास प्रकृति की जो चीज़ें होती थीं, उनके बारे में मम्मी हमें कोई छोटी-सी बात बताती थीं ताकि हम उनकी और भी कदर करें। जैसे, जब हम पहाड़ों की तरफ जाते थे, तो वे कुछ ऐसा कहती थीं, ‘देखो ये पहाड़ कितने बड़े हैं, कितने सुंदर हैं! यहोवा कितना महान है ना?’ या जब हम समुंदर किनारे जाते थे, तो वे कुछ ऐसा कहती थीं, ‘इन ऊँची-ऊँची लहरों को देखो, यहोवा कितना ताकतवर है ना?’” भाई कहते हैं, “वह किसी चीज़ के बारे में एक छोटी-सी बात कहती थीं और फिर हम उस बारे में और सोचने लगते थे। इस तरह हम बहुत कुछ सीख पाए।”
7. आप बच्चों को कैसे सिखा सकते हैं कि वे यहोवा की बनायी चीज़ों पर ध्यान दें?
7 जैसे-जैसे आपके बच्चे बड़े होते हैं, उन्हें सिखाइए कि वे यहोवा की बनायी चीज़ों पर ध्यान दें और सोचें कि उनसे उन्हें यहोवा के बारे में क्या पता चलता है। आप प्रकृति की किसी एक चीज़ के बारे में उनसे बात कर सकते हैं और फिर पूछ सकते हैं, ‘इससे तुम्हें यहोवा के बारे में क्या पता चलता है?’ उनके जवाब सुनकर शायद आप हैरान रह जाएँ!—मत्ती 21:16.
सृष्टि से बच्चों को कब सिखाएँ?
8. सड़क पर सफर करते वक्त इसराएली अपने बच्चों को क्या सिखा सकते थे?
8 बीते ज़माने में इसराएलियों से कहा गया था कि वे “सड़क पर चलते” हुए अपने बच्चों को यहोवा की आज्ञाओं के बारे में बताएँ। (व्यव. 11:19) इसराएल देश में कई सारी सड़कें थीं और उनके आस-पास तरह-तरह के जानवर, पंछी और फूल देखने को मिलते थे। तो जब भी एक परिवार इन सड़कों पर सफर करता होगा, माता-पिता यहोवा की बनायी इन चीज़ों के बारे में बच्चों से बात करते होंगे, ताकि उनके मन में इनके बारे में और भी जानने की इच्छा जागे। आज भी जब माता-पिता अपने बच्चों के साथ कहीं जाते हैं, तो वे उनके साथ यहोवा की बनायी चीज़ों के बारे में बात कर सकते हैं। आइए देखें कुछ माता-पिताओं ने यह कैसे किया है।
9. आप बहन पुनीता और बहन काट्या से क्या सीख सकते हैं?
9 पुनीता नाम की एक बहन भारत के एक बड़े शहर में रहती हैं। वे कहती हैं, “जब भी हम अपने घरवालों से मिलने गाँव जाते हैं, तो हमें यहोवा की बनायी बहुत-सी सुंदर चीज़ें देखने को मिलती हैं और हम हमेशा बच्चों से उनके बारे में बात करते हैं। मुझे लगता है, जब बच्चे शहर की भीड़-भाड़ और गाड़ियों के शोर-शराबे से दूर होते हैं, तो वे यहोवा की बनायी चीज़ों पर और भी ध्यान दे पाते हैं।” माता-पिताओ, जब आप बच्चों के साथ किसी सुंदर जगह पर जाते हैं, तो आपके साथ बिताए वे पल शायद वे कभी ना भूलें। काट्या नाम की एक बहन जो मोलदोवा से हैं, कहती हैं, “बचपन में मम्मी-पापा के साथ गाँव में बिताया वक्त मुझे आज भी अच्छी तरह याद है। मम्मी-पापा ने मुझे सिखाया कि मैं रुककर यहोवा की बनायी चीज़ों को निहारूँ और उनसे यहोवा को और अच्छी तरह जानूँ। मैं इसके लिए उनका बहुत एहसान मानती हूँ।”
10. अगर आपका परिवार शहर से दूर नहीं जा सकता, तो आप क्या कर सकते हैं? (“माता-पिताओं के लिए सुझाव” नाम का बक्स देखें।)
10 लेकिन अगर आप शहर से दूर नहीं जा सकते, तब आप क्या कर सकते हैं? भारत के रहनेवाले भाई अमोल कहते हैं, “हमारे यहाँ आम तौर पर लोगों को पूरे-पूरे दिन काम करना पड़ता है और अगर शहर से बाहर कहीं घूमने जाना हो, तो बहुत महँगा पड़ता है। लेकिन आपको कहीं दूर जाने की ज़रूरत नहीं, आप अपने घर की छत पर ही या किसी छोटे-से पार्क में जाकर अपने बच्चों के साथ यहोवा की बनायी चीज़ें देख सकते हैं और उसके गुणों के बारे में बात कर सकते हैं।” अगर आप ध्यान-से देखें, तो आपको अपने घर के आस-पास ही ऐसी बहुत-सी चीज़ें देखने को मिल जाएँगी जिनसे आप अपने बच्चों को सिखा सकते हैं, जैसे छोटे-छोटे कीड़े, पेड़-पौधे और पंछी। (भज. 104:24) बहन करीना जो जर्मनी से हैं कहती हैं, “मेरी मम्मी को फूल बहुत पसंद हैं, इसलिए जब मैं छोटी थी और हम साथ मिलकर सैर पर जाते थे, तो मम्मी हमेशा मुझे सुंदर-सुंदर फूल दिखाती थीं।” माता-पिताओ, आप अपने बच्चों को संगठन के उन वीडियो और लेखों से भी सिखा सकते हैं जिनमें सृष्टि के बारे में बताया गया है। आप चाहे जहाँ भी रहते हों, आप अपने बच्चों को सिखा सकते हैं कि वे यहोवा की बनायी चीज़ों पर ध्यान दें। अब आइए यहोवा के कुछ गुणों के बारे में बात करें जिनके बारे में आप बच्चों को सृष्टि से सिखा सकते हैं।
यहोवा के ‘अनदेखे गुण साफ दिखायी देते हैं’
11. माता-पिता बच्चों को कैसे एहसास दिला सकते हैं कि यहोवा हमसे प्यार करता है?
11 माता-पिताओ, आप बच्चों को कैसे इस बात का एहसास दिला सकते हैं कि यहोवा हमसे प्यार करता है? आप उन्हें दिखा सकते हैं कि कई जानवर किस तरह बहुत अच्छे-से अपने बच्चों का खयाल रखते हैं। (मत्ती 23:37) आप इस बात पर भी उनका ध्यान दिला सकते हैं कि प्रकृति में कितनी तरह-तरह की चीज़ें पायी जाती हैं जिन्हें देखकर हमें अच्छा लगता है। बहन करीना जिनका पहले ज़िक्र किया गया था, कहती हैं, “जब मम्मी और मैं सैर पर निकलते थे, तो हम हमेशा रुककर फूलों को देखते थे। मम्मी कहती थीं, ‘देखो! हर फूल दूसरे फूल से अलग है और कितना सुंदर है। इससे पता चलता है कि यहोवा हमसे प्यार करता है।’ इस बात को कई साल हो गए हैं, लेकिन आज भी जब मैं किसी फूल को देखती हूँ, तो ध्यान देती हूँ कि कैसे वह दूसरे फूलों से अलग है, उसका रंग कैसा है और उसकी बनावट कैसी है। हर बार जब मैं फूलों को देखती हूँ, तो मुझे एहसास होता है कि यहोवा हमसे कितना प्यार करता है।”
12. माता-पिता बच्चों को कैसे एहसास दिला सकते हैं कि यहोवा बहुत बुद्धिमान है? (भजन 139:14) (तसवीर भी देखें।)
12 यहोवा हम इंसानों से कहीं ज़्यादा बुद्धिमान है। (रोमि. 11:33) आप अपने बच्चों को इस बात का एहसास कैसे दिला सकते हैं? आप चाहें तो उन्हें बादलों के बारे में बता सकते हैं। पानी आसमान में जाकर बादल बन जाता है और फिर बड़ी आसानी से एक-जगह से दूसरी जगह जाकर बरस सकता है। (अय्यू. 38:36, 37) आप उन्हें यह भी बता सकते हैं कि हम इंसानों को कितने लाजवाब तरीके से बनाया गया है। (भजन 139:14 पढ़िए।) ध्यान दीजिए कि व्लादिमीर नाम के एक भाई ने अपने बेटे को यह बात कैसे समझायी। वे कहते हैं, “एक दिन हमारा बेटा साइकिल चलाते वक्त गिर गया और उसे चोट लग गयी। कुछ ही दिनों में उसका घाव भर गया। तब मैंने और उसकी मम्मी ने उसे समझाया कि यहोवा ने हमारे शरीर को इस तरह बनाया है कि चोट लगने पर हमारे घाव अपने-आप भर जाते हैं। फिर हमने उसे बताया कि इंसान भी बहुत सारी चीजें बनाते हैं, लेकिन वे खुद-ब-खुद ठीक नहीं होतीं। जैसे किसी एक्सीडेंट के बाद कोई गाड़ी अपने-आप ठीक नहीं हो जाती। इस तरह हमारा बेटा समझ पाया कि यहोवा कितना बुद्धिमान है।”
13. माता-पिता अपने बच्चों को कैसे एहसास दिला सकते हैं कि यहोवा बहुत ताकतवर है? (यशायाह 40:26)
13 यहोवा हमसे कहता है कि हम अपनी आँखें उठाकर आसमान को देखें और इस बारे में सोचें कि किस तरह उसकी शक्ति से सभी तारे अपनी जगह पर रहते हैं। (यशायाह 40:26 पढ़िए।) आप अपने बच्चों से भी कह सकते हैं कि वे ऊपर आसमान की तरफ देखें और यहोवा ने जो कुछ बनाया है उसके बारे में सोचें। ताइवान की रहनेवाली बहन शियंग-शियंग की माँ ने भी उन्हें ऐसा ही करने का बढ़ावा दिया था। उन्हें अपने बचपन का एक किस्सा आज भी याद है। वे बताती हैं, “एक बार मम्मी और मैं घूमने के लिए शहर से दूर गए और तंबू में रहे। उस इलाके में शहर की तरह इतनी रौशनी नहीं थी, इसलिए हम रात में आसमान में बहुत सारे तारे देख पाए। उन दिनों मुझे यह सोचकर बहुत चिंता हो रही थी कि कहीं मैं अपनी क्लास के बच्चों की बातों में आकर यहोवा की आज्ञा ना तोड़ दूँ। मम्मी ने मुझसे कहा कि मैं इस बारे में सोचूँ कि जब यहोवा ने इतने सारे तारे बनाए हैं, तो उसमें कितनी ताकत होगी और वह मुझे भी ताकत दे सकता है ताकि मैं किसी भी मुश्किल का सामना कर सकूँ। उन छुट्टियों में यहोवा की बनायी चीज़ों पर ध्यान देकर मेरा मन करने लगा कि मैं उसे और भी अच्छी तरह जानूँ और मैंने सोच लिया कि चाहे जो हो जाए, मैं हमेशा उसकी सेवा करूँगी।”
14. माता-पिता सृष्टि से अपने बच्चों को कैसे बता सकते हैं कि यहोवा खुश रहता है?
14 यहोवा ने जो चीज़ें बनायी हैं, उनसे यह भी पता चलता है कि वह खुश रहता है और चाहता है कि हम भी खुश रहें। वैज्ञानिकों ने देखा है कि ज़्यादातर जानवर खेलते-कूदते हैं, पंछी और मछलियाँ भी। (अय्यू. 40:20) क्या आपके बच्चों ने कभी बंदरों को अजीबो-गरीब हरकतें करते हुए देखा है या पिल्लों को आपस में खेलते हुए देखा है? क्या उन्हें देखकर आपके बच्चे हँस पड़े थे? अगली बार जब आप देखें कि आपके बच्चे किसी जानवर की हरकत देखकर खुश हो रहे हैं, तो उन्हें याद दिलाइए कि हम जिस परमेश्वर की सेवा करते हैं, वह भी खुश रहता है।—1 तीमु. 1:11.
बच्चों के साथ मिलकर यहोवा की बनायी चीज़ों का मज़ा लीजिए
15. माता-पिता अपने बच्चों के मन की बात कैसे जान सकते हैं? (नीतिवचन 20:5) (तसवीर भी देखें।)
15 कई बार माता-पिताओं को समझ में नहीं आता कि वे अपने बच्चों से किस तरह बात करें, ताकि बच्चे खुलकर उन्हें अपनी समस्याओं के बारे में बताएँ। अगर आपको भी यह दिक्कत है, तो आप क्या कर सकते हैं? यह जानने की कोशिश कीजिए कि आपके बच्चों के मन में क्या चल रहा है, वे किस तरह सोचते हैं। (नीतिवचन 20:5 पढ़िए।) कई माता-पिताओं ने देखा है कि जब वे बाहर अपने बच्चों के साथ प्रकृति का मज़ा ले रहे होते हैं, तो वे आसानी से बच्चों के मन की बात जान पाते हैं। वह इसलिए कि वहाँ ध्यान भटकानेवाली ज़्यादा चीज़ें नहीं होतीं और माता-पिता और बच्चे खुलकर बात कर पाते हैं। ताइवान में रहनेवाले भाई मासाहीको बताते हैं कि बच्चों के साथ बाहर समय बिताने का एक और फायदा है। वे कहते हैं, “जब हम बच्चों के साथ बाहर समय बिताते हैं, फिर चाहे हम पहाड़ों पर जाएँ या समुंदर किनारे, तो उनका मूड बहुत अच्छा होता है। इसलिए हम उनसे अच्छे-से बात कर पाते हैं और जान पाते हैं कि उनके मन में क्या चल रहा है।” काट्या जिनका पहले ज़िक्र किया गया था, कहती हैं, “स्कूल के बाद मम्मी मुझे एक सुंदर-से पार्क में ले जाया करती थीं। वहाँ मुझे बहुत अच्छा लगता था और मैं आसानी से मम्मी को बता पाती थी कि उस दिन स्कूल में क्या हुआ या मुझे किस बात की चिंता हो रही है।”
16. माता-पिता बच्चों के साथ समय बिताने और सृष्टि का मज़ा लेने के लिए क्या कर सकते हैं?
16 जब परिवार में सब साथ मिलकर यहोवा की बनायी चीज़ों को देखते हैं और उनका मज़ा लेते हैं, तो सबको बहुत अच्छा लगता है और सब एक-दूसरे के और करीब आ जाते हैं। बाइबल में भी लिखा है कि “हँसने का समय” और “नाचने” या खेलने-कूदने का भी समय होता है। (सभो. 3:1, 4) यहोवा ने ऐसी बहुत-सी चीज़ें बनायीं हैं जिन्हें देखकर हमें बहुत खुशी होती है, जैसे पहाड़, समुंदर और जंगल। कई परिवारों को ऐसी जगहों पर जाकर समय बिताना अच्छा लगता है। कई बच्चों को पार्क में खेलना-कूदना, जानवरों को देखना और नदी, तालाब या समुंदर में तैरना बहुत अच्छा लगता है। सच में, यहोवा ने कितनी सारी जगह बनायी हैं जहाँ हम अपने परिवार के साथ मज़े कर सकते हैं!
17. यह क्यों ज़रूरी है कि माता-पिता बच्चों को सृष्टि की कदर करना सिखाएँ?
17 नयी दुनिया में माता-पिता अपने बच्चों के साथ यहोवा की बनायी चीज़ों का और भी मज़ा ले पाएँगे। तब ना हमें जानवरों से डर लगेगा और ना ही वे हमसे डरेंगे। (यशा. 11:6-9) उस वक्त यहोवा की बनायी चीज़ों को निहारने के लिए और उनका मज़ा लेने के लिए हमारे पास वक्त-ही-वक्त होगा। (भज. 22:26) लेकिन माता-पिताओ, उस वक्त तक इंतज़ार मत कीजिए। अभी से अपने बच्चों को सिखाइए कि वे यहोवा की बनायी चीज़ों का मज़ा लें और उनसे यहोवा को और अच्छी तरह जानें। फिर वे भी राजा दाविद की तरह महसूस करेंगे जिसने कहा, ‘हे यहोवा, तूने जो काम किए हैं वे बेमिसाल हैं।’—भज. 86:8.
गीत 134 बच्चे हैं यहोवा की अमानत
a बहुत-से भाई-बहनों को आज भी याद है कि जब वे छोटे थे, तो कैसे उनके मम्मी-पापा उन्हें प्रकृति की चीज़ें दिखाकर उन्हें यहोवा के बारे में बताते थे। अपने मम्मी-पापा के साथ बिताए वे पल, वे मीठी यादें वे आज भी नहीं भूले हैं। अगर आपके बच्चे हैं, तो आप उन्हें प्रकृति की चीज़ें दिखाकर कैसे समझा सकते हैं कि यहोवा में कौन-कौन-से गुण हैं? इस लेख में हम इस बारे में जानेंगे।