अध्याय 79
विश्वास न करनेवालों का नाश क्यों होगा?
यीशु दो हादसों से मिलनेवाला सबक बताता है
कुबड़ी औरत सब्त के दिन ठीक होती है
यीशु ने कई बार लोगों को समझाया है कि वे इस बारे में सोचें कि क्या परमेश्वर उनसे खुश है। फरीसी के घर के बाहर लोगों से बात करने के बाद अब वह फिर से उन्हें समझाता है।
कुछ लोग यीशु को एक हादसे के बारे में बताते हैं: ‘जब गलील के कुछ लोग मंदिर में बलिदान चढ़ा रहे थे, तो कैसे [रोमी राज्यपाल पुन्तियुस] पीलातुस ने उन्हें मरवा डाला था।’ (लूका 13:1) आखिर वे कहना क्या चाहते हैं?
पीलातुस ने मंदिर के खज़ाने में से पैसे लेकर एक सुरंग बनवायी थी ताकि यरूशलेम में पानी लाया जाए। शायद उसने मंदिर के अधिकारियों के साथ मिलकर ऐसा किया था। मगर तब हज़ारों यहूदियों ने पीलातुस से बगावत की और उसने उनमें से कई लोगों को मरवा डाला। जो लोग यीशु को इस हादसे के बारे में बताते हैं, वे सोचते हैं कि गलील के उन लोगों ने कुछ बुरा किया होगा, इसीलिए उनके साथ ऐसा हुआ। मगर यीशु उन्हें बताता है कि वे गलत सोच रहे हैं।
वह उनसे पूछता है, “क्या तुम्हें लगता है कि ये गलीली बाकी सभी गलीलियों से ज़्यादा पापी थे क्योंकि उनके साथ ऐसा हुआ था?” फिर वह कहता है, “नहीं!” इसके बाद वह बताता है कि उन्हें इस घटना से क्या सबक लेना चाहिए, “अगर तुम पश्चाताप नहीं करोगे, तो तुम सब इसी तरह नाश हो जाओगे।” (लूका 13:2, 3) फिर यीशु भी एक हादसे के बारे में बताता है जो शायद कुछ समय पहले हुआ था। यह घटना भी सुरंग बनाने की उस घटना से ही जुड़ी थी।
“क्या तुम्हें लगता है कि वे 18 लोग जिन पर सिलोम की मीनार गिर गयी थी और जो उसके नीचे दबकर मर गए थे, यरूशलेम के बाकी सभी लोगों से ज़्यादा पापी थे?” (लूका 13:4) लोगों को शायद लगे कि उन 18 लोगों ने कोई पाप किया होगा, इसीलिए वे मर गए। मगर यीशु फिर से बताता है कि वे गलत सोच रहे हैं। “मुसीबत की घड़ी” किसी पर भी आ सकती है। (सभोपदेशक 9:11) उन 18 लोगों के साथ जो हुआ वह एक इत्तफाक था। मगर लोगों को उस घटना से एक सबक लेना चाहिए: “अगर तुम पश्चाताप नहीं करोगे, तो तुम सब इसी तरह नाश हो जाओगे।” (लूका 13:5) यीशु लोगों को बार-बार यही बात क्यों समझा रहा है?
याद कीजिए कि यीशु को प्रचार काम शुरू किए कितना समय गुज़र चुका है। वह एक मिसाल बताता है: “एक आदमी था जिसके अंगूरों के बाग में एक अंजीर का पेड़ लगा था। वह उस पेड़ में फल ढूँढ़ने आया, मगर उसे एक भी फल नहीं मिला। तब उसने बाग के माली से कहा, ‘पिछले तीन साल से मैं इस पेड़ के पास यह उम्मीद लेकर आ रहा हूँ कि मुझे फल मिलें, लेकिन आज तक मुझे एक भी फल नहीं मिला। इस पेड़ को काट डाल! यह बेकार में ज़मीन को क्यों घेरे खड़ा है?’ माली ने उससे कहा, ‘मालिक, एक और साल इसे रहने दे ताकि मैं इसके चारों तरफ खुदाई करके इसमें खाद डालूँ। और अगर यह भविष्य में फल दे, तो अच्छी बात है। लेकिन अगर नहीं, तो तू इसे कटवा देना।’”—लूका 13:6-9.
यहूदी राष्ट्र उस अंजीर के पेड़ जैसा है। यीशु को यहूदियों को प्रचार करते और सिखाते तीन साल से ज़्यादा समय हो चुका है। लेकिन उसे अपनी मेहनत का कोई खास फल नहीं मिला है। बहुत कम लोग उसके चेले बने हैं। अब चौथे साल वह और भी ज़्यादा मेहनत कर रहा है। वह यहूदिया और पेरिया में लोगों को सिखा रहा है जो कि पेड़ के चारों तरफ खुदाई करने और खाद डालने जैसा है। मगर बहुत कम लोग उसकी बात सुन रहे हैं। यह राष्ट्र पश्चाताप नहीं करना चाहता और नाश के लायक हो गया है।
लोग कितने ढीठ हैं, इसका एक और सबूत सब्त के दिन मिलता है। जब यीशु एक सभा-घर में सिखा रहा होता है, तो वह एक औरत को देखता है जो कुबड़ी है। उसके अंदर एक दुष्ट स्वर्गदूत समाया हुआ है जिस वजह से उसकी यह हालत हो गयी है। वह 18 साल से यह तकलीफ झेल रही है। यीशु को उस औरत पर तरस आता है और वह उससे कहता है, “जा, तुझे अपनी कमज़ोरी से छुटकारा दिया जा रहा है।” (लूका 13:12) यीशु उस पर अपने हाथ रखता है और वह तुरंत सीधी हो जाती है। फिर वह परमेश्वर की महिमा करने लगती है।
मगर यह देखकर सभा-घर का अधिकारी लोगों पर भड़क उठता है, “छ: दिन होते हैं जिनमें काम किया जाना चाहिए। इसलिए उन्हीं दिनों में आकर चंगे हो, सब्त के दिन नहीं।” (लूका 13:14) वह यह नहीं कह रहा है कि यीशु के पास लोगों को चंगा करने की शक्ति नहीं है। मगर वह लोगों को डाँट रहा है कि वे चंगा होने के लिए सब्त के दिन क्यों आते हैं। मगर यीशु कहता है, “अरे कपटियो, क्या तुममें से हर कोई सब्त के दिन अपने बैल या गधे को थान से खोलकर पानी पिलाने नहीं ले जाता? तो क्या यह औरत, जो अब्राहम की बेटी है और जिसे शैतान ने 18 साल तक अपने कब्ज़े में कर रखा था, इसे सब्त के दिन उसकी कैद से आज़ाद करना सही नहीं था?”—लूका 13:15, 16.
यीशु के विरोधी शर्मिंदा हो जाते हैं। मगर लोग उसके महान कामों को देखकर बहुत खुश होते हैं। इसके बाद यीशु यहाँ यहूदिया में भी राज के बारे में दो मिसालें बताता है जो दरअसल भविष्यवाणियाँ हैं। यीशु ने एक बार गलील झील में नाव पर बैठकर यही मिसालें बतायी थीं।—मत्ती 13:31-33; लूका 13:18-21.