पाठ 46
समर्पण करना और बपतिस्मा लेना क्यों ज़रूरी है?
जब एक व्यक्ति यहोवा को समर्पण करता है, तो वह उससे प्रार्थना करता है और वादा करता है कि वह सिर्फ यहोवा की उपासना करेगा और उसकी मरज़ी को अपनी ज़िंदगी में सबसे पहली जगह देगा। (भजन 40:8) इसके बाद वह बपतिस्मा लेता है। उसके बपतिस्मे से दूसरे यह जान पाते हैं कि उसने अपना जीवन यहोवा को समर्पित किया है। यहोवा को अपना समर्पण करना ज़िंदगी का सबसे ज़रूरी फैसला है। यह फैसला आपकी ज़िंदगी बदल सकता है। पर कौन-सी बात आपको यह अहम फैसला लेने के लिए उभारेगी? आइए जानें।
1. क्या बात एक व्यक्ति को समर्पण करने के लिए उभारेगी?
यहोवा के लिए प्यार एक व्यक्ति को समर्पण करने के लिए उभारेगा। (1 यूहन्ना 4:10, 19) बाइबल हमें बढ़ावा देती है, “तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान, अपने पूरे दिमाग और अपनी पूरी ताकत से प्यार करना।” (मरकुस 12:30) तो हम सिर्फ कहते नहीं कि हम यहोवा से प्यार करते हैं बल्कि अपने कामों से भी दिखाते हैं कि हमें उससे प्यार है। जैसे एक लड़का-लड़की अगर एक-दूसरे से सच्चा प्यार करते हैं, तो वे शादी कर लेते हैं, वैसे ही अगर हम यहोवा से प्यार करते हैं, तो हम अपना जीवन उसे समर्पित करेंगे और बपतिस्मा लेंगे।
2. जो लोग बपतिस्मा लेकर यहोवा के साक्षी बनते हैं, उन्हें वह क्या आशीषें देता है?
बपतिस्मा लेने पर यहोवा आपका पिता बन जाता है और आप उसके परिवार का हिस्सा बन जाते हैं। इसके बाद आप कई तरीकों से यहोवा का प्यार महसूस कर पाते हैं और उसके साथ आपका रिश्ता और भी खास और गहरा हो जाता है। (मलाकी 3:16-18 पढ़िए।) इसके अलावा, आपको दुनिया-भर में कई मसीही भाई-बहन मिलते हैं जो यहोवा से और आपसे बहुत प्यार करते हैं। (मरकुस 10:29, 30 पढ़िए।) बेशक बपतिस्मा लेने से पहले आपको कुछ कदम उठाने होंगे। आपको यहोवा के बारे में सीखना होगा, उससे प्यार करना होगा और उसके बेटे पर विश्वास करना होगा। फिर आपको यहोवा को अपना जीवन समर्पित करना होगा। यह सब करने के बाद जब आप बपतिस्मा लेंगे, तो आपको हमेशा की ज़िंदगी पाने का सुनहरा मौका मिलेगा। तभी परमेश्वर के वचन में लिखा है, ‘बपतिस्मा तुम्हें बचा रहा है।’—1 पतरस 3:21.
और जानिए
यह क्यों ज़रूरी है कि आप यहोवा को अपना जीवन समर्पित करें और बपतिस्मा लें? आइए जानें।
3. हम सबको फैसला करना है कि हम किसकी सेवा करेंगे
पुराने ज़माने में कुछ इसराएली सोचते थे कि वे यहोवा की भी उपासना कर सकते हैं और झूठे देवता बाल की भी। लेकिन उनकी इस गलत सोच को सुधारने के लिए यहोवा ने अपने भविष्यवक्ता एलियाह को उनके पास भेजा। पहला राजा 18:21 पढ़िए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:
इसराएलियों को क्या फैसला करना था?
इसराएलियों की तरह हमें भी फैसला करना होगा कि हम किसकी सेवा करेंगे। लूका 16:13 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
यहोवा के साथ-साथ हम किसी और की या किसी चीज़ की उपासना क्यों नहीं कर सकते?
आप यहोवा को कैसे दिखा सकते हैं कि आपने सिर्फ उसकी उपासना करने का फैसला किया है?
4. मनन कीजिए कि यहोवा आपसे कितना प्यार करता है
यहोवा ने हमें बहुत सारे अनमोल तोहफे दिए हैं। बदले में हम उसे क्या दे सकते हैं? वीडियो देखिए।
आइए कुछ तरीकों पर ध्यान दें जिनसे यहोवा ने दिखाया कि वह आपसे प्यार करता है। भजन 104:14, 15 और 1 यूहन्ना 4:9, 10 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
आप यहोवा से मिले किन तोहफों के लिए उसका बहुत एहसान मानते हैं?
ये तोहफे पाकर आप यहोवा के बारे में कैसा महसूस करते हैं?
जब हमें कोई तोहफा बहुत पसंद आता है, तो हम तोहफा देनेवाले का एहसान मानते हैं और उसके लिए कुछ करना चाहते हैं। व्यवस्थाविवरण 16:17 पढ़िए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:
जब आप गहराई से सोचते हैं कि यहोवा ने आपके लिए कितना कुछ किया है, तो बदले में आप उसे क्या देना चाहेंगे?
5. समर्पण करने से ढेरों आशीषें मिलती हैं
बहुत-से लोगों को लगता है कि नाम और शोहरत, अच्छे करियर और पैसे से ही खुशी मिल सकती है। पर क्या यह सच है? वीडियो देखिए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
वीडियो में दिखाए खिलाड़ी को फुटबॉल खेलना बहुत पसंद था, फिर भी उसने अपना यह करियर क्यों छोड़ दिया?
उसने फैसला किया कि वह फुटबॉल में नहीं बल्कि यहोवा की सेवा में जी-जान लगाएगा। क्या आपको लगता है कि उसने सही फैसला किया? आप ऐसा क्यों कहेंगे?
मसीही बनने से पहले प्रेषित पौलुस एक अच्छा करियर बनाने के लिए ऊँची शिक्षा हासिल कर रहा था। वह एक जाने-माने शिक्षक से यहूदी कानून सीख रहा था। लेकिन मसीही बनने के लिए उसने वह सबकुछ छोड़ दिया। क्या पौलुस को इसका कोई अफसोस था? फिलिप्पियों 3:8 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
मसीही बनने से पहले पौलुस जिन बातों में लगा हुआ था, उन्हें उसने “ढेर सारा कूड़ा” क्यों कहा?
पौलुस ने जो कुछ छोड़ा, उसके बदले में उसने क्या पाया?
आपको किस बात से ज़्यादा खुशी मिल सकती है, यहोवा की सेवा करने से या ज़िंदगी में कुछ और हासिल करने से? आप ऐसा क्यों कहेंगे?
कुछ लोग कहते हैं: “मैं समर्पण के बारे में बाद में सोचूँगा, अभी नहीं।”
यहोवा को अपना जीवन समर्पित करना क्यों ज़रूरी है?
अब तक हमने सीखा
यहोवा के लिए प्यार हमें उभारता है कि हम उसे अपनी ज़िंदगी समर्पित करें और बपतिस्मा लें।
आप क्या कहेंगे?
यह क्यों कहा जा सकता है कि यहोवा हमारी उपासना और प्यार का हकदार है?
जो लोग बपतिस्मा लेकर यहोवा के साक्षी बनते हैं, उन्हें वह क्या आशीषें देता है?
क्या आप यहोवा को अपना जीवन समर्पित करना चाहेंगे?
ये भी देखें
दो नौजवानों ने संगीत और खेल में करियर बनाने के बजाय यहोवा को अपना जीवन समर्पित क्यों किया? आइए देखें।
आइए जानें कि समर्पण करने की कुछ और वजह क्या हैं।
“हमें अपनी ज़िंदगी यहोवा को क्यों समर्पित करनी चाहिए?” (प्रहरीदुर्ग, 15 जनवरी, 2010)
संगीत के इस वीडियो में देखिए कि जो लोग यहोवा को अपना जीवन समर्पित करके बपतिस्मा ले रहे हैं, उन्हें कितनी खुशी मिल रही है।
“सालों तक मैं सोचती रही, ‘हमें क्यों बनाया गया है?’” इस कहानी में एक औरत के लिए उसका करियर ही सबकुछ था। मगर फिर वह यह सोचने लगी कि क्या बात उसकी ज़िंदगी में ज़्यादा अहमियत रखती है। आइए जानें कि उसने ऐसा क्यों किया।