अध्याय १७
मसीह की वापसी —कैसे देखी जाती है?
१. (क) मसीह ने क्या प्रतिज्ञा की थी? (ख) मसीह की वापसी की आवश्यकता क्यों है?
“मैं फिर आ रहा हूँ।” (यूहन्ना १४:३) यह था वह वचन जो यीशु मसीह ने अपने प्रेरितों को उस समय दिया था जब वह अपनी मृत्यु से पहले की रात उनके साथ था। शायद आप इस बात से सहमत होंगे कि शांति, स्वास्थ्य और जीवन की इतनी अधिक आवश्यकता पहले कभी नहीं रही है जो राजसत्ता में मसीह की वापसी मानवजाति के लिये लायेगी। परन्तु मसीह कैसे लौटता है? कौन उसे देखते हैं और किस तरीक़े से देखते हैं?
२. (क) जब वह लौटता है तो मसीह अपने अभिषिक्त अनुयायियों को जिनमें उसके प्रेरित भी सम्मिलित हैं, कहाँ रहने के लिए ले जाता है? (ख) वहाँ उनकी देह किस प्रकार की है?
२ जब मसीह वापस आता है तब वह पृथ्वी पर रहने के लिये नहीं आता है। इसकी अपेक्षा वे जो उसके साथ राजा बनकर शासन करेंगे, उसके साथ स्वर्ग में रहने के लिये ले जाये जाते हैं। यीशु ने अपने प्रेरितों से यह कहा था: “मैं फिर आ रहा हूँ और तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊंगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो।” (यूहन्ना १४:३) अतः जब मसीह वापस आता है तो वे व्यक्ति जो उसे साथ स्वर्ग ले जाये जाते हैं, आत्मिक व्यक्ति बन जाते हैं और वे मसीह को उसकी महिमायुक्त आत्मिक देह में देखते हैं। (१ कुरिन्थियों १५:४४) परन्तु क्या मानवजाति के शेष लोग जो स्वर्ग नहीं जाते हैं मसीह को जब वह वापस आता है, देख सकते हैं?
वह मनुष्य बनकर क्यों नहीं वापस आ सकता है
३. वह बाइबल प्रमाण क्या है जो यह प्रदर्शित करता है कि मनुष्य मसीह को फिर कभी नहीं देखेंगे?
३ उसी रात यीशु ने अपने प्रेरितों से यह भी कहा: “थोड़ा समय रह गया है और संसार मुझे फिर न देखेगा।” (यूहन्ना १४:१९) “संसार” मानवजाति की ओर संकेत करता है। अतः यीशु ने यहाँ स्पष्ट रूप से कहा था कि पृथ्वी पर लोग उसके स्वर्ग चढ़ जाने के पश्चात् उसे फिर नहीं देखेंगे। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “यदि हमने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था तो निश्चय अब हम उसे इस प्रकार से नहीं जानेंगे।”—२ कुरिन्थियों ५:१६.
४. किस बात से प्रदर्शित होता है कि मसीह एक शक्तिशाली अदृश्य आत्मिक व्यक्ति के रूप में लौटता है?
४ फिर भी अनेक व्यक्ति यह विश्वास करते हैं कि मसीह उसी मानव देह में वापस आयेगा जिसमें उसकी मृत्यु हुई थी, और यह कि पृथ्वी पर वे सब रहनेवाले उसे देखेंगे। तथापि बाइबल यह कहती है कि मसीह अपने सब स्वर्गदूतों के साथ महिमा में वापस आता है और अपने “महिमामय सिंहासन पर विराजमान” होता है। (मत्ती २५:३१) यदि यीशु आकर एक पार्थिव सिंहासन पर मनुष्य के रूप में विराजमान होता है तो उसका पद स्वर्गदूतों से नीचे होगा। परन्तु जब वह आता है तब वह परमेश्वर के इन सब आत्मिक पुत्रों से अधिक शक्तिशाली और अत्यधिक प्रतापी होता है और इसलिये वह अदृश्य है, जिस प्रकार वे अदृश्य हैं।—फिलिप्पियों २:८-११.
५. मसीह क्यों एक मानव देह में नहीं लौट सकता था?
५ दूसरी ओर १९०० वर्षों से अधिक समय पहले यीशु का अपने आपको निम्न करना और मनुष्य बनकर आना आवश्यक था। उसका अपना सिद्ध मानव जीवन हमारे लिये छुड़ौती के रूप में देना आवश्यक था। यीशु ने एक बार इस रीति से उसकी व्याख्या की थी: “जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूँगा वह मेरा माँस है।” (यूहन्ना ६:५१) इस प्रकार यीशु ने अपनी शारीरिक देह मानवजाति के लिये बलिदान में दे दी। कितने समय तक उस बलिदान की कार्यान्विति रहेगी? प्रेरित पौलुस उत्तर देता है: “हम यीशु मसीह की देह के सब समय के लिये एक ही बार बलिदान चढ़ाये जाने के द्वारा पवित्र किये गये।” (इब्रानियों १०:१०) जगत के जीवन के लिये अपना शरीर देने से मसीह उसे फिर वापस नहीं ले सकता है और दुबारा मनुष्य नहीं बन सकता है। इसी मूल कारण से उसकी वापसी मानव देह में कभी नहीं हो सकती है जिसे उसने सब समय के लिये एक ही बार बलिदान में चढ़ा दिया था।
शारीरिक देह स्वर्ग नहीं ले जायी गयी
६. क्यों अनेक व्यक्ति यह विश्वास करते हैं कि मसीह अपनी शारीरिक देह को स्वर्ग ले गया था?
६ तथापि, अनेक लोग यह विश्वास करते हैं कि मसीह अपनी शारीरिक देह लेकर स्वर्ग गया था। वे इस वास्तविकता की ओर ध्यान दिलाते हैं कि जब मसीह मृतकों में से जी उठाया गया तो उसकी शारीरिक देह क़ब्र में नहीं पायी गयी थी। (मरकुस १६:५-७) इसके अतिरिक्त अपनी मृत्यु के पश्चात् यीशु अपने शिष्यों को यह प्रदर्शित करने के लिये कि वह जिंदा था, वह उनको शारीरिक देह में दिखायी दिया था। एक बार मसीह ने प्रेरित थोमा को अपनी छाती में किये गये छेद में हाथ डालने के लिये भी कहा जिससे कि थोमा को विश्वास हो जाय कि वह वास्तव में मृतकों में से जी उठा था। (यूहन्ना २०:२४-२७) क्या उससे यह सिद्ध नहीं होता है कि मसीह उसी देह में जीवित किया गया था जिसमें वह मारा गया था?
७. किस बात से सिद्ध होता है मसीह एक आत्मिक व्यक्ति के रूप में स्वर्ग गया था?
७ नहीं, यह इस बात को प्रमाणित नहीं करता है। बाइबल इस विषय में अति स्पष्ट है जब वह यह कहती है: “मसीह सब समय के लिए एक ही बार पापों के कारण मर गया . . . वह शरीर के भाव से मारा गया परन्तु आत्मा के भाव से जी उठाया गया।” (१ पतरस ३:१८) मनुष्य अपनी मांस और लहू की देह सहित स्वर्ग में नहीं रह सकते हैं। स्वर्गीय जीवन के लिये पुनरुत्थान प्राप्त करने के विषय में बाइबल कहती है: “भौतिक देह बोयी जाती है और आत्मिक देह जी उठती है . . . मांस और लहू परमेश्वर के राज्य को विरासत में प्राप्त नहीं कर सकते हैं।” (१ कुरिन्थियों १५:४४-५०) केवल आत्मिक व्यक्ति आत्मिक देह सहित स्वर्ग में रह सकते हैं।
८. मसीह की मानव देह का क्या हुआ?
८ फिर, तब, यीशु की शारीरिक देह का क्या हुआ? क्या उसके शिष्यों ने उसकी क़ब्र को खाली नहीं पाया था? उन्होंने अवश्य उसे खाली पाया। क्योंकि परमेश्वर ने यीशु की देह को वहाँ से हटा दिया था। परमेश्वर ने ऐसा क्यों किया? इसलिये कि उससे उस बात की पूर्ति हुई जो बाइबल में लिखी गयी थी। (भजन संहिता १६:१०; प्रेरितों के काम २:३१) इस प्रकार यहोवा ने यीशु की देह को हटाना उपयुक्त समझा जैसा कि उसने इससे पहले मूसा की देह के साथ भी ऐसा ही किया था। (व्यवस्थाविवरण ३४:५, ६) इसके अतिरिक्त यदि यीशु की देह को क़ब्र में छोड़ दिया जाता तो उसके शिष्य इस बात को नहीं समझ सकते थे कि वह मृतकों में से जी उठाया जा चुका था क्योंकि उस समय उनको पूर्ण रूप से आध्यात्मिक बातों का मूल्यांकन करना नहीं आता था।
९. यीशु की पुनरुत्थित भौतिक देह के जख्म में थोमा के लिए अपना हाथ डालना कैसे संभव हुआ था?
९ परन्तु क्योंकि प्रेरित थोमा अपना हाथ मसीह की छाती में किये गये छेद में डाल सका था तो क्या उससे यह प्रदर्शित नहीं होता है कि मसीह उसी देह में मृतकों में से जी उठाया गया था जो सूली पर कीलों से ठोकी गयी थी? क्योंकि यीशु का केवल भौतिकीकरण हुआ था अथवा उसने शारीरिक देह को धारण किया था जैसा कि स्वर्गदूत भूतकाल में किया करते थे। थोमा को निश्चय कराने के लिये कि वह कौन था, मसीह ने उस देह का प्रयोग किया जिसमें ज़ख्मों के छेद थे। वह पूर्ण रूप से मनुष्य बनकर दिखायी दिया या प्रतीत हुआ और उन स्वर्गदूतों के समान जिनका अतिथिसत्कार इब्राहीम ने एक बार किया था, खाने-पीने के योग्य हुआ।—उत्पत्ति १८:८; इब्रानियों १३:२.
१०. किस बात से प्रदर्शित होता है कि यीशु ने भिन्न भौतिक देह धारण की थीं?
१० जबकि यीशु थोमा को उसी देह में दिखायी दिया जो उस देह के समान थी जिसमें वह मारा गया था तो उसने अन्य भिन्न अवसरों पर भिन्न देह भी धारण कीं जब वह अपने अन्य अनुयायियों को दिखायी दिया था। इसलिये मरियम मगदलीनी ने प्रारंभ में यही सोचा था कि यीशु कोई बागवान था। अन्य अवसरों पर उसके शिष्य उसको पहले नहीं पहचान पाये थे। इन मौक़ों पर वह अपने वैयक्तिक रूप-रंग से नहीं पहचाना गया बल्कि उन्होंने उसकी बातचीत अथवा कार्य से उसे पहचाना।—यूहन्ना २०:१४-१६; २१:६, ७; लूका २४:३०, ३१.
११, १२. (क) किस रीति से मसीह पृथ्वी पर से गया? (ख) अतः किस रीति से हमें मसीह की वापसी की प्रत्याशा करनी चाहिये?
११ अपने जी उठने के पश्चात् यीशु शारीरिक देह में अपने शिष्यों को ४० दिन तक दिखायी देता रहा। (प्रेरितों के काम १:३) फिर वह स्वर्ग चला गया। परन्तु कुछ लोग शायद यह पूछे: ‘क्या उन दो स्वर्गदूतों ने जो उस समय उपस्थित थे, प्रेरितों से यह नहीं कहा कि मसीह “उसी रीति से आयेगा जिस रीति से तुमने उसे आकाश में जाते देखा है”?’ (प्रेरितों के काम १:११) हाँ, उन्होंने अवश्य यही कहा था। परन्तु आप इस बात पर ध्यान दीजिए कि उन्होंने यह कहा था वह “उसी रीति से” न कि उसी देह में आयेगा। और यीशु किस रीति से उनको छोड़कर गया था? वह खामोशी से और बिना किसी सार्वजनिक प्रदर्शन के गया था। केवल उसके प्रेरितों को इसकी जानकारी हुई, संसार को नहीं मालूम हुआ।
१२ इस बात पर विचार कीजिए कि बाइबल कैसे उस रीति का वर्णन करती है जिस रीति से यीशु अपने प्रेरितों को छोड़कर स्वर्ग को गया: “वह उनके देखते-देखते ऊपर उठा लिया गया और बादल ने उसे उनकी आँखों से ओझल कर दिया।” (प्रेरितों के काम १:९) अतः जब यीशु आकाश की ओर जाने लगा था तो एक बादल ने उसको उसके प्रेरितों की वास्तविक दृष्टि से ओझल कर दिया। अतः प्रस्थान करता हुआ यीशु उनके प्रति अदृश्य हो गया। वे उसे नहीं देख सकते थे। फिर वह अपनी आत्मिक देह में स्वर्ग को चढ़ गया। (१ पतरस ३:१८) अतः उसकी वापसी भी अदृश्य अर्थात् आत्मिक देह में होगी।
कैसे प्रत्येक आँख उसको देखेगी
१३. हम इस कथन को किस अर्थ में लें कि “प्रत्येक आँख उसको देखेगी” जब मसीह बादलों के साथ आता है?
१३ तब हम प्रकाशितवाक्य १:७ के शब्दों को कैसे समझें? वहाँ प्रेरित यूहन्ना यह लिखता है: “देखो! वह बादलों के साथ आ रहा है और प्रत्येक आँख उसको देखेगी और वे भी जिन्होंने उसे छेदा था, देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण अपनी छाती पीटेंगे।” यहाँ बाइबल शारीरिक आँखों से देखने के विषय में नहीं बल्कि पहचानने अथवा अनुभव करने के अर्थ में कहती है। इस प्रकार जब एक व्यक्ति को किसी विषय का बोध हो जाता है या वह उसे समझ जाता है तो वह कह सकता है, ‘अब देखा।’ बाइबल वास्तव में तुम्हारे “मन की आँखों” का ज़िक्र करती है। (इफ़िसियों १:१८, किंग जेम्स वर्शन) इस वाक्यांश कि “प्रत्येक आँख उसको देखेगी” का अर्थ यह है कि प्रत्येक व्यक्ति तब इस बात को समझ जाएगा अथवा पहचान लेगा कि मसीह मौजूद है।
१४. (क) “जिन्होंने उसे छेदा” वे किन व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं? (ख) जब प्रत्येक व्यक्ति अंततः मसीह की उपस्थिति को पहचान लेता है तो उस समय क्यों बृहत शोक होगा?
१४ वे लोग जिन्होंने वास्तविक रूप से यीशु को “छेदा” था अब पृथ्वी पर जीवित नहीं हैं। अतः वे उन व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो मसीह के वर्त्तमान काल के अनुयायियों को हानि पहुंचाकर उन पहली शताब्दी के मनुष्यों के आचरण का अनुकरण करते हैं। (मत्ती २५:४०, ४५) वह समय शीघ्र आयेगा जब मसीह इस प्रकार के दुष्ट व्यक्तियों को प्राण दंड देगा। उनको इस विषय में पहले ही से चेतावनी दे दी गयी है। जब यह दंड दिया जायेगा तब वे उस समय इस बात को “देख लेंगे” अथवा पहचान लेंगे कि क्या घटित हो रहा है। और उनका शोक वास्तव में बृहत होगा!
क्या मसीह पृथ्वी पर वापस आता है?
१५. किस रीति से शब्द “वापसी” का प्रयोग अक्सर हुआ है?
१५ वापस आने का हमेशा यह अर्थ नहीं होता है कि कोई वास्तविक स्थान को वापस आता है। जैसा कि बीमार व्यक्तियों के विषय में यह कहा जाता है कि ‘वे स्वास्थ्य को वापस आए।’ एक भूतपूर्व शासक के लिये भी कहा जा सकता है कि ‘वह सत्ता में वापस आया।’ इस समान रीति से परमेश्वर ने इब्राहीम से कहा था: “मैं अगले वर्ष इसी समय वापस आऊंगा और साराह को पुत्र उत्पन्न होगा।” (उत्पत्ति १८:१४; २१:१) यहोवा की वापसी का अर्थ यह नहीं था कि वह शाब्दिक रूप से वापस आया बल्कि यह अर्थ था कि उसने साराह की ओर अपना ध्यान वह कार्य करने के लिये दिया जिसकी उसने प्रतिज्ञा की थी।
१६. (क) किस रीति से पृथ्वी पर मसीह की वापसी होती है? (ख) मसीह कब लौटा और तब क्या घटित हुआ?
१६ उसी समान रीति से मसीह की वापसी का यह अर्थ नहीं है कि वह शाब्दिक रूप से पृथ्वी पर वापस आता है। इसकी अपेक्षा इसका यह अर्थ है कि वह इस पृथ्वी के प्रति अपनी राजकीय सत्ता लेता है और उसकी ओर अपना ध्यान करता है। यह करने के लिये उसको अपना स्वर्गीय सिंहासन छोड़ने की और वास्तविक रूप से पृथ्वी पर आने की आवश्यकता नहीं है। जैसाकि हम पिछले अध्याय में देख चुके हैं कि बाइबल का प्रमाण यह प्रदर्शित करता है कि वर्ष १९१४ सा.यु. में मसीह के वापस आने और शासन आरंभ करने के लिये परमेश्वर का समय आ गया था। उस समय तब स्वर्ग में यह शब्द सुनाई दिया: “अब हमारे परमेश्वर का उद्धार और सामर्थ्य और राज्य और उसके मसीह का अधिकार प्रकट हुआ है।”—प्रकाशितवाक्य १२:१०.
१७. क्योंकि मसीह की वापसी अदृश्य थी इसलिए उसने क्या दिया जिससे हम मालूम कर सकते थे कि वह लौट आया था?
१७ क्योंकि मसीह की वापसी अदृश्य होगी तो क्या उसके पुष्टिकरण का कोई तरीका है जिससे यह मालूम हो जाय कि यह घटना वास्तव में हुई? हाँ, एक तरीका है। मसीह ने स्वयं एक दृश्य “चिन्ह” दिया जिसके द्वारा हम मालूम कर सकते हैं कि वह अदृश्य रूप से मौजूद है और संसार का अन्त निकट है। आइये हम उस “चिंह” की जाँच करें।
[पेज १४२ पर तसवीर]
मसीह ने अपनी देह बलिदान में दी। वह उसे कभी वापस नहीं ले सकता था और पुनः मनुष्य बन सकता था
[पेज १४४, १४५ पर तसवीरें]
क्यों मरियम मगदलीनी ने यीशु को उसके पुनरुत्थान के पश्चात् गलती से एक बागवान समझा?
किस शारीरिक देह में पुनरुत्थित यीशु ने थोमा को अपना हाथ डालने को कहा?
[पेज १४७ पर तसवीर]
मसीह को उसी रीति से लौटना था जिस रीति से वह पृथ्वी पर से गया था। किस रीति से वह गया?