फिरौती हमें कैसे बचाती है
“जो बेटे पर विश्वास दिखाता है, हमेशा की ज़िंदगी उसकी है। जो बेटे की आज्ञा नहीं मानता वह ज़िंदगी नहीं पाएगा, बल्कि परमेश्वर का क्रोध उस पर बना रहता है।”—यूह. 3:36.
1, 2. ज़ायन्स वॉच टावर को प्रकाशित करने का एक मकसद क्या था?
इस पत्रिका का चौथा अंक जिसे पहले ज़ायन्स वॉच टावर कहा जाता था, अक्टूबर 1879 में निकला था, जिसमें बताया गया: “बाइबल का हर अच्छा विद्यार्थी इस बात को ज़रूर समझेगा कि यीशु की मौत कितनी अहमियत रखती है।” इस लेख के आखिर में एक गंभीर बात बतायी गयी: “हमें खबरदार रहने की ज़रूरत है कि हमारे पापों की माफी के लिए मसीह ने जो बलिदान दिया, उसे हम कम न आँकें और न ही यह सोचने लगें कि हमें उसकी कोई ज़रूरत नहीं।”—1 यूहन्ना 2:1, 2 पढ़िए।
2 जुलाई 1879 में जब पहली बार यह पत्रिका प्रकाशित की गयी तो उसका एक मकसद था, फिरौती के बारे में बाइबल की शिक्षा की पैरवी करना। उन्नीसवीं सदी के आखिरी सालों में मसीही होने का दावा करनेवाले ज़्यादातर लोग मसीह के फिरौती बलिदान पर सवाल खड़ा करने लगे कि उससे कैसे हमारे पापों की माफी मिल सकती है। तो इस पत्रिका के ज़रिए “सही वक्त पर . . . खाना” मुहैया कराया गया। (मत्ती 24:45) उस समय बहुत-से लोग विकासवाद की शिक्षा को मानने लगे थे, जो बाइबल की शिक्षा के खिलाफ है। बाइबल बताती है कि इंसान ने सिद्धता खो दी है, जबकि विकासवादी मानते हैं कि इंसान का अपने आप विकास हो रहा है और उसे किसी फिरौती की ज़रूरत नहीं है। तो प्रेषित पौलुस की यह सलाह जो उसने तीमुथियुस को दी थी, ऐसे हालात में बिलकुल सही बैठती है: “तुझे जो अमानत सौंपी गयी है, उसकी हिफाज़त कर। उन खोखली बातों से दूर रह जो पवित्र बातों के खिलाफ हैं और उस ज्ञान से दूर रह जिसे झूठ ही ज्ञान कहा जाता है। ऐसे ज्ञान का दिखावा करने की वजह से कुछ लोग विश्वास की राह से भटक गए हैं।”—1 तीमु. 6:20, 21.
3. अब हम किन सवालों पर गौर करेंगे?
3 बेशक आपने यह ठान लिया होगा कि आप ‘विश्वास की राह से कभी नहीं भटकेंगे।’ इसे ध्यान में रखते हुए अच्छा होगा आप इन सवालों पर गौर करें: मुझे फिरौती की ज़रूरत क्यों है? उसके लिए क्या कीमत अदा की गयी? इस अनमोल इंतज़ाम का फायदा मुझे कैसे हो सकता है जिससे मैं परमेश्वर के क्रोध से बच सकूँ?
परमेश्वर के क्रोध से बचे
4, 5. किस बात से साबित होता है कि मौजूदा दुष्ट व्यवस्था पर परमेश्वर का क्रोध बना है?
4 बाइबल और इंसानी इतिहास बताता है कि जब से आदम ने पाप किया तब से परमेश्वर का क्रोध इंसानों पर “बना . . . है।” (यूह. 3:36) यह इससे साबित होता है कि हर इंसान को मौत का सामना करना ही पड़ता है। शुरुआत से ही इंसान जो मुसीबतें सहता आया है उनसे छुटकारा दिलाने में शैतान की हुकूमत नाकाम रही है। और सारी इंसानी सरकारें अपने नागरिकों की बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने में नाकाबिल रही हैं। (1 यूह. 5:19) इसलिए अब भी मानवजाति युद्ध, अपराध और गरीबी के भँवर में फँसी हुई है।
5 इससे साफ हो जाता है कि मौजूदा दुष्ट व्यवस्था पर यहोवा की आशीष नहीं है। पौलुस ने कहा कि “सारी भक्तिहीनता . . . पर स्वर्ग से परमेश्वर का क्रोध प्रकट होता है।” (रोमि. 1:18-20) इसलिए जो लोग परमेश्वर की मरज़ी के खिलाफ ज़िंदगी जीते हैं और पश्चाताप नहीं दिखाते, वे अपने किए की सज़ा ज़रूर भुगतेंगे। आज परमेश्वर का क्रोध, न्याय के संदेश में ज़ाहिर होता है, जो शैतान की दुनिया पर कहर की तरह उँडेला जा रहा है। बाइबल के आधार पर यह संदेश हमारे कई प्रकाशनों में छापा जाता है।—प्रका. 16:1.
6, 7. अभिषिक्त मसीही किस काम में अगुवाई ले रहे हैं? आज जो लोग शैतान की दुनिया का हिस्सा हैं उनके सामने कौन-सा रास्ता खुला है?
6 क्या इसका मतलब यह है कि अब शैतान के अधिकार से आज़ाद होना और परमेश्वर की मंज़ूरी पाना नामुमकिन है? नहीं, ऐसी बात नहीं है। यहोवा के साथ सुलह करने का रास्ता अब भी पूरी तरह खुला है। अभिषिक्त मसीही जो “मसीह के बदले में काम करनेवाले राजदूत हैं,” वे प्रचार काम में अगुवाई लेते हैं जिसके ज़रिए सभी राष्ट्रों के लोगों से गुज़ारिश की जा रही है: “परमेश्वर के साथ सुलह कर लो।”—2 कुरिं. 5:20, 21.
7 प्रेषित पौलुस ने कहा कि यीशु “हमें परमेश्वर के आनेवाले क्रोध से बचाएगा।” (1 थिस्स. 1:10) आखिरकार जब परमेश्वर का यह क्रोध भड़केगा तब पश्चाताप न दिखानेवाले पापियों को हमेशा के लिए मिटा दिया जाएगा। (2 थिस्स. 1:6-9) उस वक्त कौन बचाया जाएगा? बाइबल कहती है: “जो बेटे पर विश्वास दिखाता है, हमेशा की ज़िंदगी उसकी है। जो बेटे की आज्ञा नहीं मानता वह ज़िंदगी नहीं पाएगा, बल्कि परमेश्वर का क्रोध उस पर बना रहता है।” (यूह. 3:36) जी हाँ, जब इस दुष्ट दुनिया को खत्म करने का समय आएगा उस वक्त परमेश्वर के क्रोध से वे लोग ही बचाए जाएँगे जो यीशु और उसके फिरौती बलिदान पर विश्वास ज़ाहिर करेंगे।
फिरौती क्या है
8. (क) आदम और हव्वा के सामने क्या शानदार आशा थी? (ख) यहोवा का न्याय कैसे बिलकुल सही ठहरा?
8 आदम और हव्वा को सिद्ध बनाया गया था। अगर उन्होंने परमेश्वर की आज्ञा मानी होती तो आज वे अपनी संतानों के साथ खुशी-खुशी फिरदौस बनी इस धरती पर जीते। लेकिन दुख की बात है हमारे पहले माता-पिता ने जानबूझकर परमेश्वर की आज्ञा तोड़ दी। इसका नतीजा यह हुआ कि उन्हें हमेशा की मौत की सज़ा सुनायी गयी और अदन बाग से निकाल दिया गया। जब तक आदम और हव्वा के बच्चे हुए तब तक इंसानों में पाप आ चुका था और पहला पुरुष और स्त्री आखिरकार बूढ़े होकर मर गए। इससे साबित होता है कि यहोवा अपनी बात का पक्का है। इतना ही नहीं हम देख सकते हैं कि परमेश्वर का न्याय बिलकुल सही होता है। यहोवा ने आदम को खबरदार किया था कि अगर वह मना किया हुआ फल खाएगा तो मर जाएगा और ठीक वैसा ही हुआ।
9, 10. (क) आदम की संतानों को क्यों मरना पड़ता है? (ख) हम हमेशा की मौत से कैसे बच सकते हैं?
9 आदम की संतान होने के नाते हमें असिद्ध शरीर विरासत में मिला है जिसका पाप की तरफ झुकाव होता है और अंत में हम मर जाते हैं। आदम ने जब पाप किया था तब हालाँकि हम पैदा नहीं हुए थे फिर भी हम सब उसी की संतान हैं इसलिए मौत की सज़ा हम पर भी लागू होती है। अगर यहोवा बिना फिरौती लिए मरने की प्रक्रिया को खत्म कर देता, तो वह अपनी बात का झूठा साबित होता। पौलुस हम सबकी तरफ से यह हकीकत बयान करता है: “हम जानते हैं कि कानून परमेश्वर की तरफ से है, मगर मैं असिद्ध हूँ और पाप के हाथों बिका हुआ हूँ। मैं कैसा लाचार इंसान हूँ! मुझे इस शरीर से, जो मर रहा है, कौन छुड़ाएगा?”—रोमि. 7:14, 24.
10 सिर्फ यहोवा ही ऐसा कानूनी इंतज़ाम कर सकता था जिसकी बदौलत वह हमें पाप और हमेशा की मौत की सज़ा से छुड़ाता और यह बिलकुल न्याय-संगत होता। इसके लिए उसने स्वर्ग से अपना प्यारा बेटा धरती पर भेजा ताकि वह एक सिद्ध इंसान के रूप में जन्म ले और हमारी फिरौती के लिए अपनी जान कुरबान कर दे। आदम ने अपनी सिद्धता गँवा दी मगर यीशु ने नहीं। तभी तो कहा गया है: “उसने कोई पाप नहीं किया।” (1 पत. 2:22) यीशु में सिद्ध संतान पैदा करने की काबिलीयत थी। लेकिन ऐसा करने के बजाय, उसने परमेश्वर के दुश्मनों के हाथों मरना कबूल किया ताकि आदम की पापी संतानों को गोद ले सके और जो उस पर विश्वास ज़ाहिर करते हैं, उन्हें हमेशा की ज़िंदगी दे सके। बाइबल समझाती है: “परमेश्वर एक है और परमेश्वर और इंसानों के बीच एक ही बिचवई है, यानी एक इंसान, मसीह यीशु जिसने सबकी खातिर फिरौती का बराबर दाम चुकाने के लिए खुद को दे दिया।”—1 तीमु. 2:5, 6.
11. (क) फिरौती को समझने के लिए क्या उदाहरण दिया जा सकता है? (ख) फिरौती का फायदा किन-किन लोगों को होगा?
11 फिरौती को समझने के लिए उन लोगों का उदाहरण लीजिए जिन्होंने अपनी जमा पूँजी एक ऐसे बैंक में जमा की, जो जालसाज़ निकला और इस वजह से लोग कर्ज़ में डूब गए। उस बैंक के मालिकों को उनके किए की सज़ा के तौर पर कई साल के लिए जेल में डाल दिया गया। लेकिन जिन बेचारों ने उस बैंक में पैसा जमा किया था, उनका क्या होता? वे तो कंगाल हो चुके थे और रकम वापस मिलने के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे थे। एक ही उम्मीद बची थी कि कोई दयालु और दौलतमंद आदमी आकर उस बैंक को खरीद ले और उनके पैसे उन्हें लौटा दे और उन्हें कर्ज़ से मुक्त करे। यहोवा और उसके प्यारे बेटे ने कुछ ऐसा ही किया है। उन्होंने आदम की संतानों को खरीदा और यीशु के बहाए गए लहू के आधार पर उनके पाप का कर्ज़ माफ किया इसीलिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला यीशु के बारे में कह सका: “देखो, परमेश्वर का मेम्ना जो दुनिया का पाप दूर ले जाता है!” (यूह. 1:29) जिनके पाप दूर किए जाएँगे उनमें सिर्फ जिंदा लोग ही शामिल नहीं हैं बल्कि वे भी हैं जो मौत की नींद सो रहे हैं।
फिरौती की कीमत
12, 13. इसहाक की बलि चढ़ाते वक्त अब्राहम जिस भावना से गुज़रा, उससे हम क्या सीखते हैं?
12 फिरौती के लिए स्वर्ग में रहनेवाले हमारे पिता और उसके जिगर के टुकड़े को जो कीमत चुकानी पड़ी उसे हम पूरी तरह कभी नहीं समझ सकते। लेकिन बाइबल में कुछ लोगों के उदाहरण दिए गए हैं जिन पर मनन करने से हमें इसके बारे में कुछ समझ मिलती है। ज़रा अब्राहम की मिसाल पर गौर कीजिए। परमेश्वर ने उसे आज्ञा दी थी, “अपने पुत्र को अर्थात् एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग लेकर मोरिय्याह देश में चला जा; और वहां उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊंगा होमबलि करके चढ़ा।” कल्पना कीजिए, मोरिय्याह जाने के लिए तीन दिन का लंबा सफर तय करते वक्त अब्राहम के दिल पर क्या बीती होगी।—उत्प. 22:2-4.
13 आखिरकार अब्राहम परमेश्वर की बतायी जगह पर पहुँच गया। शायद अब्राहम ने दिल पर पत्थर रखकर अपने बेटे इसहाक के हाथ-पाँव बाँधे होंगे और उस वेदी पर लिटाया होगा जो उसने खुद अपने हाथों से बनायी थी। उस छुरी को उठाते वक्त उसके हाथ कैसे काँपे होंगे, जिससे उसे अपने बेटे की बलि चढ़ानी थी! इसहाक की भावनाओं के बारे में भी सोचिए, वह वेदी पर लेटा हुआ इंतज़ार कर रहा था कि जल्द ही उस पर पैनी छुरी चलेगी और वह दर्द में तड़पकर मर जाएगा! लेकिन ऐन मौके पर यहोवा के स्वर्गदूत ने अब्राहम को रोक दिया। अब्राहम और इसहाक के उदाहरण से पता चलता है कि यहोवा ने उस वक्त कितनी बड़ी कीमत चुकायी जब उसने अपने प्यारे बेटे को शैतान के हिमायतियों के हाथों मरने दिया। इसहाक ने जिस तरह अब्राहम का साथ दिया उसी तरह यीशु भी खुशी-खुशी हमारे लिए तड़पने और जान देने के लिए तैयार था।—इब्रा. 11:17-19.
14. याकूब की जिंदगी में घटी घटना से हम कैसे अंदाज़ा लगा सकते हैं कि फिरौती की क्या कीमत अदा की गयी?
14 फिरौती की जो कीमत अदा की गयी उसे समझने के लिए आइए हम याकूब के जीवन में भी हुई एक घटना पर गौर करें। अपने सभी बेटों में वह यूसुफ को सबसे ज़्यादा प्यार करता था। मगर अफसोस, यूसुफ के भाई उससे जलते और नफरत करते थे। फिर भी, अपने पिता के कहने पर यूसुफ अपने भाइयों की खोज-खबर लेने को तैयार हुआ। उसके भाई उस वक्त अपने घर से उत्तर में 100 किलोमीटर दूर हेब्रोन में अपने पिता की भेड़ें चरा रहे थे। ज़रा कल्पना कीजिए कि जब उसके भाई खून में सना हुआ उसका कपड़ा लेकर घर लौटे तो याकूब ने कैसा महसूस किया! उसने आह भरते हुए कहा: “यह मेरे ही पुत्र का अंगरखा है। किसी दुष्ट पशु ने उसको खा लिया है; निःसन्देह यूसुफ फाड़ डाला गया है।” याकूब इतना टूट गया कि वह अपने बेटे यूसुफ की मौत पर कई दिन तक मातम मनाता रहा। (उत्प. 37:33, 34) हम असिद्ध इंसान भावनाओं की रौ में बह जाते हैं, मगर यहोवा ऐसा नहीं करता। लेकिन फिर भी याकूब की घटना पर मनन करने से हमें कुछ हद तक यह समझने में मदद मिलती है कि जब परमेश्वर के प्यारे बेटे के साथ बुरा व्यवहार किया गया और उसे धरती पर बेरहमी की मौत मारा गया, तो उसके दिल पर क्या गुज़री होगी।
फिरौती से फायदा
15, 16. (क) यह कैसे ज़ाहिर होता है कि यहोवा ने फिरौती कबूल की? (ख) फिरौती से आपको कैसे फायदा हुआ है?
15 यहोवा ने अपने वफादार बेटे को महिमावान आत्मिक शरीर में फिर से जी उठाया। (1 पत. 3:18) इसके बाद यीशु चालीस दिन तक अपने चेलों को दिखायी दिया, उसने उनके विश्वास को मज़बूत किया और बड़े पैमाने पर होनेवाले प्रचार काम के लिए तैयार किया। फिर वह स्वर्ग चला गया जहाँ उसने अपने बहाए लहू की कीमत अपने पिता को अदा की ताकि अब उसका पिता यीशु के उन सच्चे चेलों पर उसकी कीमत लागू करे, जो उसके फिरौती बलिदान में विश्वास ज़ाहिर करते हैं। और यहोवा ने मसीह की फिरौती को कबूल किया, जो इस बात से ज़ाहिर हुआ कि जब यीशु के चेले ईसवी सन् 33 में पिन्तेकुस्त के दिन यरूशलेम में जमा हुए, तब यहोवा ने यीशु को यह अधिकार दिया कि वह अपने चेलों पर पवित्र शक्ति उँडेले।—प्रेषि. 2:33.
16 पवित्र शक्ति से अभिषिक्त इन चेलों ने तुरंत अपने यहूदी भाइयों से कहना शुरू किया कि अगर वे परमेश्वर के क्रोध से बचना चाहते हैं तो उन्हें अपने पापों की माफी के लिए यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा लेना होगा। (प्रेषितों 2:38-40 पढ़िए।) ईसवी सन् पिन्तेकुस्त 33 के उस ऐतिहासिक दिन से लेकर आज तक दुनिया के लाखों लोग यीशु के फिरौती बलिदान पर विश्वास दिखाने की वजह से परमेश्वर के साथ एक रिश्ता कायम कर पाए हैं। (यूह. 6:44) अब तक हमने जो भी चर्चा की है उसके आधार पर दो और सवाल उठते हैं: अनंत जीवन की आशा क्या हमें हमारे अच्छे कामों की वजह से दी गयी है? क्या कभी हो सकता है कि हम अपनी इस आशा को गँवा दें?
17. आपको परमेश्वर का दोस्त होने का जो सम्मान मिला है, उसके बारे में आपका कैसा नज़रिया होना चाहिए?
17 हम फिरौती पाने के लायक नहीं थे। लेकिन इसमें विश्वास ज़ाहिर करने की वजह से लाखों लोग परमेश्वर के दोस्त बन चुके हैं और उन्हें फिरदौस धरती पर हमेशा-हमेशा जीने की आशा मिली है। यहोवा के दोस्त बन जाने का यह मतलब नहीं कि अब उसके साथ हमारा रिश्ता कभी नहीं टूटेगा। हमें “फिरौती” के लिए अपनी कदर ज़ाहिर करते रहनी चाहिए “जो मसीह यीशु ने चुकायी है” ताकि हम यहोवा के आनेवाले क्रोध से बच सकें।—रोमि. 3:24; फिलिप्पियों 2:12 पढ़िए।
फिरौती में अपना विश्वास ज़ाहिर करते रहिए
18. फिरौती में कैसे विश्वास ज़ाहिर किया जा सकता है?
18 इस लेख का शुरूआती वचन यूहन्ना 3:36 दिखाता है कि प्रभु यीशु मसीह में विश्वास ज़ाहिर करने का मतलब है उसकी आज्ञा मानना। फिरौती के लिए कदर दिखाने में यीशु की शिक्षाओं के मुताबिक जीना शामिल है, जिसमें उसने नैतिक स्तरों के बारे में भी बताया था। (मर. 7:21-23) जो लोग बिना पछतावा दिखाए व्यभिचार, अश्लील मज़ाक, और “[हर] तरह की अशुद्धता” में लगे रहते हैं जिसमें गंदी तसवीरें देखना शामिल है, उन पर “परमेश्वर का क्रोध . . . आ रहा है।”—इफि. 5:3-6.
19. किन बढ़िया तरीकों से हम फिरौती में अपना विश्वास ज़ाहिर कर सकते हैं?
19 फिरौती के लिए अपनी कदरदानी ज़ाहिर करने के लिए हमें “परमेश्वर की भक्ति के काम” करते रहने चाहिए। (2 पत. 3:11) आइए हम नियमित तौर पर दिल से यहोवा से प्रार्थना करने, निजी बाइबल अध्ययन करने, सभाओं में हाज़िर होने, पारिवारिक उपासना और जोश के साथ प्रचार में हिस्सा लेने के लिए काफी समय अलग रखें। इनके अलावा हम ‘भलाई करना और अपनी चीज़ों से दूसरों की मदद करना न भूलें, क्योंकि परमेश्वर ऐसे बलिदानों से बहुत खुश होता है।’—इब्रा. 13:15, 16.
20. फिरौती में विश्वास ज़ाहिर करते रहनेवाले सभी लोग भविष्य में किस आशीष की उम्मीद कर सकते हैं?
20 जब इस दुष्ट व्यवस्था पर यहोवा का क्रोध भड़केगा तो हमें कितनी खुशी होगी कि हमने फिरौती में अपना विश्वास ज़ाहिर किया और उसके लिए अपनी कदरदानी दिखाते रहे! और परमेश्वर की वादा की गयी नयी दुनिया में हम हमेशा इस बेहतरीन इंतज़ाम के लिए एहसानमंद रहेंगे जिसकी बदौलत हम परमेश्वर के क्रोध से बच पाए।—यूहन्ना 3:16; प्रकाशितवाक्य 7:9, 10, 13, 14 पढ़िए।
आप कैसे जवाब देंगे?
• हमें फिरौती की ज़रूरत क्यों है?
• फिरौती की क्या कीमत चुकायी गयी?
• फिरौती से कौन-से फायदे मिलते हैं?
• यीशु के फिरौती बलिदान में हम कैसे अपना विश्वास ज़ाहिर करते हैं?
[पेज 13 पर तसवीर]
यहोवा के साथ सुलह करने का रास्ता पूरी तरह खुला है
[पेज 15 पर तसवीरें]
अब्राहम, इसहाक और याकूब के वाकयों पर मनन करने से हम समझ पाएँगे कि फिरौती की कितनी बड़ी कीमत चुकायी गयी