अध्ययन लेख 10
बपतिस्मा क्यों लें?
“तुममें से हरेक . . . बपतिस्मा ले।”—प्रेषि. 2:38.
गीत 34 निभाऊँ सदा याह से वफा
एक झलकa
1-2. (क) जब लोग बपतिस्मा लेते हैं, तो आम तौर पर कैसा माहौल होता है? (ख) इस लेख में हम किन बातों पर ध्यान देंगे?
क्या आपने कभी कुछ लोगों को बपतिस्मा लेते हुए देखा है? ज़रा उस घटना की कल्पना कीजिए। बपतिस्मे से पहले उनसे दो सवाल किए जाते हैं जिनका वे पूरे यकीन के साथ ऊँची आवाज़ में जवाब देते हैं। उनके परिवारवाले और दोस्त खुशी से फूले नहीं समाते। फिर जब वे बपतिस्मा लेकर पानी से ऊपर आते हैं, तो तालियों की गड़गड़ाहट सुनायी देती है। उनके चेहरे पर एक अलग ही खुशी नज़र आती है। इसी तरह, हर हफ्ते हज़ारों लोग यहोवा परमेश्वर को अपनी ज़िंदगी समर्पित करते हैं और बपतिस्मा लेकर उसके साक्षी बन जाते हैं।
2 क्या आप भी बपतिस्मा लेने की सोच रहे हैं? अगर हाँ, तो आप इस दुष्ट दुनिया में बहुत खास हैं, क्योंकि आप “यहोवा की खोज” कर रहे हैं। (भज. 14:1, 2) यह लेख खासकर आपके लिए तैयार किया गया है, फिर चाहे आप बूढ़े हों या जवान। इसमें हम यहोवा की सेवा करने के तीन कारणों पर ध्यान देंगे। जिन लोगों का बपतिस्मा हो चुका है, उन्हें भी इस लेख से फायदा होगा। इससे उनका यह इरादा और भी पक्का होगा कि वे हमेशा यहोवा की सेवा करते रहें।
आपको सच्चाई और नेकी से प्यार है
3. यहोवा के लोग सच्चाई और नेकी से प्यार क्यों करते हैं? (भजन 119:128, 163)
3 यहोवा ने अपने लोगों को आज्ञा दी कि वे ‘सच्चाई से प्यार’ करें। (जक. 8:19) यीशु ने भी अपने चेलों को बढ़ावा दिया कि वे हमेशा नेकी की राह पर चलें। (मत्ती 5:6) इसका मतलब, हममें यह ज़बरदस्त इच्छा होनी चाहिए कि हम वही काम करेंगे जो परमेश्वर के हिसाब से नेक और सही हैं और हम उसकी नज़र में शुद्ध बने रहेंगे। क्या आप सच्चाई और नेकी से प्यार करते हैं? हमें यकीन है कि आप करते हैं। और आप झूठ और हर तरह की बुराई से नफरत करते हैं। (भजन 119:128, 163 पढ़िए।) जो लोग झूठ बोलते हैं, वे इस दुनिया के राजा शैतान की तरह बन रहे होते हैं। (यूह. 8:44; 12:31) शैतान यहोवा के पवित्र नाम को बदनाम करने पर तुला हुआ है और वह ऐसा अदन के बाग में हुई बगावत से करता आ रहा है। उस वक्त मानो उसने कहा कि यहोवा झूठा और स्वार्थी है और एक ऐसा राजा है जो अपने लोगों को अच्छी चीज़ें नहीं देना चाहता। (उत्प. 3:1, 4, 5) शैतान आज भी यहोवा के बारे में झूठ फैलाकर लोगों के दिलो-दिमाग में ज़हर भर रहा है। और इस वजह से जब लोग ‘सच्चाई से प्यार’ नहीं करते, तो शैतान बड़ी आसानी से उन्हें गलत राह पर ले जाता है और वे हर तरह के बुरे काम करने लगते हैं।—रोमि. 1:25-31.
4. यहोवा ने यह कैसे साबित किया है कि वह ‘सच्चाई का परमेश्वर’ है? (तसवीर भी देखें।)
4 यहोवा ‘सच्चाई का परमेश्वर’ है और वह यह सच्चाई अपने तक ही नहीं रखता, बल्कि जो उससे प्यार करते हैं, उन्हें भी बताता है। (भज. 31:5) जब यहोवा लोगों को सच्चाई सिखाता है, तो वे शैतान की फैलायी झूठी शिक्षाओं की गुलामी से आज़ाद हो जाते हैं। यहोवा अपने लोगों को यह भी सिखाता है कि वे हमेशा सच बोलें और नेक काम करें। ऐसा करने से उन्हें मन की शांति मिलती है और वे सिर उठाकर जी पाते हैं। (नीति. 13:5, 6) जब आप बाइबल का अध्ययन कर रहे थे, तो क्या आपको भी ऐसा ही लगा? आपने जाना कि यहोवा की बतायी राह पर चलने में ही इंसानों की भलाई है और इस राह पर चलने से आपको खुद भी बहुत फायदा हुआ होगा। (भज. 77:13) इसलिए आपने सोचा कि आप वही करेंगे जो यहोवा की नज़र में सही है। (मत्ती 6:33) आप सच्चाई का साथ देना चाहते हैं और शैतान ने यहोवा पर जो इलज़ाम लगाया है, उसे झूठा साबित करना चाहते हैं। लेकिन आप यह कैसे कर सकते हैं?
5. आप कैसे यह साबित कर सकते हैं कि आपको सच्चाई और नेकी से प्यार है?
5 आप जिस तरह ज़िंदगी जीएँगे, उससे आप साबित कर सकते हैं कि आपको सच्चाई और नेकी से प्यार है। इस तरह आप मानो कह रहे होंगे, “मैं शैतान के फैलाए झूठ पर विश्वास नहीं करूँगा, बल्कि सच्चाई का साथ दूँगा। यहोवा मेरा राजा है और मैं वही करूँगा जो उसकी नज़र में सही है।” पर आप यह कैसे कर सकते हैं? प्रार्थना में अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित करके और फिर अपना समर्पण सबके सामने ज़ाहिर करने के लिए बपतिस्मा लेकर। सच्चाई और नेकी से प्यार आपको उभारेगा कि आप बपतिस्मा लें।
आपको यीशु मसीह से प्यार है
6. भजन 45:4 में यीशु से प्यार करने की कौन-सी वजह बतायी गयी हैं?
6 आप यीशु मसीह से प्यार क्यों करते हैं? ज़रा भजन 45:4 पर ध्यान दीजिए। (पढ़िए।) वहाँ बताया गया है कि यीशु सच्चाई, नम्रता और नेकी की खातिर जंग लड़ता है, उसके लिए ये तीनों बातें बहुत अहमियत रखती हैं। इसलिए अगर आपको सच्चाई और नेकी से प्यार है, तो ज़ाहिर-सी बात है कि आप यीशु से भी प्यार करेंगे। याद कीजिए कि यीशु ने कैसे हिम्मत से नेकी और सच का साथ दिया। (यूह. 18:37) लेकिन उसने नम्र होने का बढ़ावा कैसे दिया? आइए जानें।
7. नम्र होने की बात करें, तो यीशु की कौन-सी बात आपको अच्छी लगती है?
7 यीशु ने अपने जीने के तरीके से सिखाया कि हम कैसे नम्र हो सकते हैं। जैसे उसने कभी-भी लोगों से अपनी वाह-वाही नहीं करवायी, बल्कि सारी महिमा अपने पिता को दी। (मर. 10:17, 18; यूह. 5:19) जब आप इस बारे में सोचते हैं कि यीशु कितना नम्र है, तो आपको कैसा लगता है? क्या आपका मन नहीं करता कि आप उससे प्यार करें और उसके जैसे बनें? ज़रूर करता होगा! लेकिन यीशु इतना नम्र क्यों है? इसलिए कि वह अपने पिता से प्यार करता है जो बहुत नम्र है और उसकी तरह बनना चाहता है। (भज. 18:35; इब्रा. 1:3) सच में, यीशु ने हू-ब-हू यहोवा के गुण ज़ाहिर किए। क्या यह जानकर आप यीशु से और भी प्यार नहीं करने लगते?
8. हम अपने राजा यीशु से क्यों प्यार करते हैं?
8 हम यीशु से प्यार करते हैं और खुश हैं कि वह हमारा राजा है, क्योंकि उससे अच्छा राजा और कोई हो ही नहीं सकता। उसे खुद यहोवा ने सिखाया है और हमारा राजा बनाया है। (यशा. 50:4, 5) और यीशु भी हमसे इतना प्यार करता है कि उसने हमारी खातिर अपनी जान कुरबान कर दी। (यूह. 13:1) ऐसे राजा से कौन प्यार नहीं करेगा? यीशु ने कहा कि जो लोग सच में उससे प्यार करते हैं, वे उसकी आज्ञाएँ मानते हैं और ऐसे लोगों को उसने अपना दोस्त कहा। (यूह. 14:15; 15:14, 15) सोचिए, यहोवा के बेटे का दोस्त होना कितनी बड़ी बात है!
9. यीशु ने जो बपतिस्मा लिया और उसके चेले जो बपतिस्मा लेते हैं, उनमें क्या बात एक-जैसी है?
9 यीशु की एक आज्ञा है कि उसके चेले बपतिस्मा लें। (मत्ती 28:19, 20) उसने खुद भी ऐसा किया था। लेकिन यीशु ने जो बपतिस्मा लिया और उसके चेले जो बपतिस्मा लेते हैं, वह कुछ मायनों में अलग है। (“यीशु के बपतिस्मे और उसके चेलों के बपतिस्मे में क्या फर्क है?” नाम का बक्स देखें।) पर कुछ मायनों में वह एक-जैसा है। जैसे जब यीशु ने बपतिस्मा लिया, तो उसने यह ज़ाहिर किया कि अब से वह अपने पिता की मरज़ी पूरी करेगा। (इब्रा. 10:7) उसी तरह जब उसके चेले यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करके बपतिस्मा लेते हैं, तो वे सबके सामने यह ज़ाहिर करते हैं कि अब से उनके लिए अपनी मरज़ी नहीं, बल्कि यहोवा की मरज़ी पूरी करना सबसे ज़रूरी है। इस तरह वे यीशु के जैसे बन रहे होते हैं।
10. आप यीशु से क्यों प्यार करते हैं और यह प्यार आपको क्या करने के लिए उभारेगा?
10 बाइबल का अध्ययन करके आप यीशु के बारे में बहुत कुछ जान पाए हैं। आप मानते हैं कि यीशु ही यहोवा का इकलौता बेटा है और आपको खुशी है कि परमेश्वर ने उसे हम पर राज करने का अधिकार दिया है। आप जानते हैं कि यीशु नम्र है और वह बिलकुल अपने पिता के जैसा है। आपने बाइबल से जाना कि उसने किस तरह बहुत-से लोगों को खाना खिलाया, जो निराश थे उन्हें दिलासा दिया और बीमार लोगों को ठीक किया। (मत्ती 14:14-21) आपने खुद देखा है कि आज यीशु किस तरह मंडली की निगरानी कर रहा है। (मत्ती 23:10) और आप जानते हैं कि एक राजा के तौर पर वह भविष्य में और भी बड़े-बड़े काम करेगा। आप कैसे दिखा सकते हैं कि आप यीशु से प्यार करते हैं? उसके जैसे बनकर। (यूह. 14:21) ऐसा करने के लिए सबसे पहले आपको अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित करके बपतिस्मा लेना होगा।
आपको यहोवा परमेश्वर से प्यार है
11. आपके हिसाब से बपतिस्मा लेने की सबसे बड़ी वजह क्या है?
11 बपतिस्मा लेने की सबसे बड़ी वजह क्या है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए यीशु की एक बात पर ध्यान दीजिए। उसने बताया कि परमेश्वर की सबसे बड़ी आज्ञा है: “तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान, अपने पूरे दिमाग और अपनी पूरी ताकत से प्यार करना।” (मर. 12:30) क्या आप भी परमेश्वर से ऐसा ही प्यार करते हैं?
12. आप यहोवा से प्यार क्यों करते हैं? (तसवीर भी देखें।)
12 यहोवा से प्यार करने की बहुत-सी वजह हैं। जैसे आपने सीखा है, यहोवा ही सबको ‘जीवन देता है।’ और बाइबल बताती है कि ‘हर अच्छा तोहफा और हर उत्तम देन उसी से मिलती है।’ (भज. 36:9; याकू. 1:17) आज हम जिन चीज़ों का मज़ा लेते हैं, वे सब हमें परमेश्वर यहोवा ने ही दी हैं। वह हमसे बहुत प्यार करता है और हमें सबकुछ दिल खोलकर देता है।
13. फिरौती बलिदान क्यों एक बेमिसाल तोहफा है?
13 फिरौती बलिदान भी यहोवा की तरफ से मिला एक बेमिसाल तोहफा है। हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? ज़रा सोचिए, यहोवा और उसके बेटे के बीच कैसा रिश्ता रहा होगा। यीशु ने कहा, ‘पिता मुझसे प्यार करता है’ और “मैं पिता से प्यार करता हूँ।” (यूह. 10:17; 14:31) वे करोड़ों साल से एक-दूसरे के साथ थे और उस दौरान उनका रिश्ता कितना मज़बूत हो गया होगा! (नीति. 8:22, 23, 30) अब ज़रा सोचिए, जब परमेश्वर ने देखा होगा कि उसके बेटे को कैसे तड़पा-तड़पाकर मार डाला गया, तो उसके दिल पर क्या गुज़री होगी, उसे कितना दर्द हुआ होगा! सच में, यहोवा सभी इंसानों से, आपसे भी बहुत प्यार करता है, इतना कि उसने अपने बेटे को कुरबान कर दिया ताकि आप और बाकी इंसान हमेशा तक जी सकें। (यूह. 3:16; गला. 2:20) क्या यहोवा से प्यार करने की इससे बड़ी कोई और वजह हो सकती है?
14. आपके लिए सबसे बढ़िया लक्ष्य क्या हो सकता है?
14 जब आपने यहोवा को और अच्छे-से जाना, तो आप उससे और भी प्यार करने लगे। उसके साथ आपका एक अच्छा रिश्ता हो गया। और अब आप चाहते होंगे कि यह रिश्ता और भी गहरा होता जाए। ऐसा हो सकता है! यहोवा खुद चाहता है कि आप उसका दिल खुश करें और उसके करीब आएँ। (नीति. 23:15, 16) आप अपनी बातों से ही नहीं, बल्कि अपने कामों से भी ऐसा कर सकते हैं। आप जिस तरह से ज़िंदगी जीएँगे, उससे पता चलेगा कि आप सच में यहोवा से प्यार करते हैं और उसका दिल खुश करना चाहते हैं। (1 यूह. 5:3) इससे बढ़िया लक्ष्य आपके लिए और क्या हो सकता है?
15. आप क्या कर सकते हैं जिससे पता चले कि आप यहोवा से प्यार करते हैं?
15 आप ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे पता चले कि आप यहोवा से प्यार करते हैं? आप अपनी ज़िंदगी सच्चे परमेश्वर को समर्पित कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए आप अकेले में एक खास प्रार्थना कर सकते हैं। (भज. 40:8) फिर अपना समर्पण सबके सामने ज़ाहिर करने के लिए बपतिस्मा ले सकते हैं। जैसे इस लेख में हमने पहले चर्चा की, यह आपकी ज़िंदगी में बहुत ही खुशी का मौका होगा। अब आप ज़िंदगी का एक नया सफर शुरू करेंगे। अब से आप अपने लिए नहीं, बल्कि यहोवा के लिए जीएँगे। (रोमि. 14:8; 1 पत. 4:1, 2) आपको शायद लगे कि यह बहुत बड़ा कदम है। यह बात सच है, लेकिन घबराइए मत, ऐसा करने से आप सबसे अच्छी ज़िंदगी जी पाएँगे। वह कैसे?
16. जैसे भजन 41:12 से पता चलता है, जो लोग यहोवा की सेवा करते हैं, वह उनके लिए क्या करेगा?
16 यहोवा परमेश्वर सबसे उदार है। आप उसके लिए जो कुछ भी करेंगे, वह हमेशा उससे बढ़कर ही आपके लिए करेगा। (मर. 10:29, 30) जब आप उसकी मरज़ी के मुताबिक जीएँगे, तो वह आपको ढेरों आशीषें देगा। इस दुष्ट दुनिया में भी आपको कभी अच्छी चीज़ों की कमी नहीं होगी और आप एक खुशहाल ज़िंदगी जी पाएँगे। यह तो बस शुरूआत है! बपतिस्मे के साथ आपका जो सफर शुरू होगा, उसका कभी कोई अंत नहीं होगा। आपका अपने पिता यहोवा के साथ जो रिश्ता है, वह और भी मज़बूत होता चला जाएगा और आप हमेशा उसकी सेवा करते रह पाएँगे। और जब तक यहोवा रहेगा, आप तब तक जी पाएँगे यानी हमेशा-हमेशा के लिए!—भजन 41:12 पढ़िए।
17. आप यहोवा को ऐसा क्या दे सकते हैं जो उसके पास नहीं है?
17 यहोवा ज़मीन-आसमान का मालिक है, आज हम जिन मीठे पलों का मज़ा लेते हैं और हमारे पास जो भी अच्छी चीजें हैं, वे यहोवा ने ही दी हैं। पर समर्पण करके और बपतिस्मा लेकर हम अपने पिता यहोवा को कुछ ऐसा देने का वादा करते हैं जो उसके पास नहीं है। वह है हमारी भक्ति, हम अपनी ज़िंदगी उसकी सेवा करने में लगा सकते हैं। (अय्यू. 1:8; 41:11; नीति. 27:11) ज़िंदगी जीने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है? आप यहोवा से प्यार करते हैं, बपतिस्मा लेने की यही सबसे बड़ी वजह है।
क्या बात आपको रोक रही है?
18. आप खुद से कौन-से सवाल कर सकते हैं?
18 आप क्या कहेंगे, क्या आप बपतिस्मा लेने के लिए तैयार हैं? इस सवाल का जवाब आप ही दे सकते हैं। पर अच्छा होगा कि आप इस बारे में भी सोचें, ‘बपतिस्मा लेने से क्या बात मुझे रोक रही है?’ (प्रेषि. 8:36) हमने जिन तीन कारणों पर चर्चा की, उन्हें याद रखिए। पहला, आप सच्चाई और नेकी से प्यार करते हैं। इसलिए खुद से पूछिए, ‘क्या मैं वह दिन देखने के लिए बेताब हूँ जब हर कोई सच बोलेगा और सही काम करेगा?’ दूसरा, आप यीशु मसीह से प्यार करते हैं। तो खुद से पूछिए, ‘क्या मैं यीशु को अपना राजा मानने के लिए तैयार हूँ और उसके जैसा बनना चाहता हूँ?’ तीसरा और सबसे ज़रूरी कारण है, आप यहोवा से प्यार करते हैं। इसलिए खुद से पूछिए, ‘क्या मैं यहोवा परमेश्वर की सेवा करके उसका दिल खुश करना चाहता हूँ?’ अगर आप इन सवालों के जवाब ‘हाँ’ में देते हैं, तो फिर देर किस बात की, क्यों ना जल्द-से-जल्द बपतिस्मा लें?—प्रेषि. 16:33.
19. आपको बपतिस्मा लेने से क्यों नहीं झिझकना चाहिए? एक उदाहरण दीजिए। (यूहन्ना 4:34)
19 अगर आप बपतिस्मा लेने से झिझक रहे हैं, तो यीशु की कही एक बात पर ध्यान दीजिए। (यूहन्ना 4:34 पढ़िए।) गौर कीजिए कि यीशु ने अपने पिता की मरज़ी पूरी करने की तुलना खाने से की। खाने से क्यों? क्योंकि खाना खाने से हमें फायदा होता है, हमारा भला होता है। यीशु जानता था कि यहोवा हमसे जो भी करने के लिए कहता है, उससे हमारा भला ही होता है। यहोवा हमसे कभी कोई ऐसा काम करने के लिए नहीं कहेगा जिससे हमारा नुकसान हो। अब ज़रा सोचिए, क्या यहोवा की मरज़ी है कि आप बपतिस्मा लें? बिलकुल। (प्रेषि. 2:38) तो फिर आप पूरा यकीन रख सकते हैं कि अगर आप उसकी आज्ञा मानकर बपतिस्मा लेंगे, तो आपका भला ही होगा। जब आप कोई बढ़िया खाना खाने से नहीं झिझकते, तो फिर बपतिस्मा लेने से क्यों झिझकना?
20. अगले लेख में हम क्या जानेंगे?
20 कुछ लोग बपतिस्मा लेने से क्यों पीछे हटते हैं? शायद वे सोचते हों, ‘मैं अभी इसके लिए तैयार नहीं।’ यह बात सच है कि यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करना और बपतिस्मा लेना एक बहुत बड़ा फैसला है। इसमें वक्त तो लगता ही है, बहुत कुछ सोचना भी पड़ता है और काफी मेहनत करनी होती है। अगर आप बपतिस्मा लेने की सोच रहे हैं, तो आप इसके लिए खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं? इस सवाल का जवाब हम अगले लेख में जानेंगे।
गीत 28 कौन है यहोवा का दोस्त?
a बपतिस्मा लेना हरेक बाइबल विद्यार्थी के लिए बहुत ज़रूरी है। लेकिन क्या बात उसे यह कदम उठाने के लिए उभारेगी? प्यार। पर किससे प्यार? इस सवाल का जवाब हम इस लेख में जानेंगे। हम यह भी जानेंगे कि जो बपतिस्मा लेते हैं, उन्हें क्या आशीषें मिल सकती हैं।