अध्याय 122
ऊपरी कमरे में यीशु की आखिरी प्रार्थना
परमेश्वर और उसके बेटे को जानने से क्या मिलेगा?
यहोवा, यीशु और चेले एक हैं
यीशु अपने प्रेषितों से बहुत प्यार करता है, इसलिए वह काफी समय से उनकी हिम्मत बँधा रहा है। वह बहुत जल्द उन्हें छोड़कर जानेवाला है और नहीं चाहता कि वे दुखी रहें। अब वह स्वर्ग की तरफ नज़रें उठाकर प्रार्थना करता है, “पिता, वह घड़ी आ गयी है। अपने बेटे की महिमा कर ताकि तेरा बेटा तेरी महिमा करे। तूने उसे सब इंसानों पर अधिकार दिया है ताकि तूने उसे जितने लोग दिए हैं, उन सबको वह हमेशा की ज़िंदगी दे सके।”—यूहन्ना 17:1, 2.
यीशु कह रहा है कि परमेश्वर की महिमा करना सबसे ज़रूरी काम है। वह यह भी बता रहा है कि इंसानों को हमेशा की ज़िंदगी पाने की आशा मिल सकती है। यीशु को “सब इंसानों पर अधिकार” मिला है, इसलिए वह सब इंसानों को उसकी फिरौती से फायदा पाने का मौका दे सकता है। पर यीशु यह भी बताता है कि उसकी फिरौती से आशीषें सिर्फ किन लोगों को मिलेंगी: “हमेशा की ज़िंदगी पाने के लिए ज़रूरी है कि वे तुझ एकमात्र सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को जिसे तूने भेजा है, जानें।”—यूहन्ना 17:3.
हमेशा की ज़िंदगी पाने के लिए ज़रूरी है कि एक इंसान यहोवा और यीशु को अच्छी तरह जाने और उनके साथ एक गहरा रिश्ता कायम करे। उसे हर मामले के बारे में यहोवा और यीशु जैसी सोच रखनी चाहिए। और दूसरों के साथ व्यवहार करते समय यहोवा और उसके बेटे के जैसे गुण दर्शाने की कोशिश करनी चाहिए। और उसे यह बात भी समझनी है कि इंसानों के उद्धार से ज़्यादा ज़रूरी यह है कि परमेश्वर के नाम की महिमा हो। अब यीशु फिर से परमेश्वर की महिमा के बारे में बात करता है:
“जो काम तूने मुझे दिया है उसे पूरा करके मैंने धरती पर तेरी महिमा की है। इसलिए अब हे पिता, मुझे अपने पास वह महिमा दे जो दुनिया की शुरूआत से पहले तेरे पास रहते हुए मुझे मिली थी।” (यूहन्ना 17:4, 5) यीशु पिता से बिनती कर रहा है कि उसकी मौत के बाद वह उसे ज़िंदा करे और स्वर्ग में पहले जैसी महिमा दे।
यीशु यह भी बताता है कि उसने धरती पर कैसी सेवा की है: “मैंने तेरा नाम उन लोगों पर ज़ाहिर किया है जिन्हें तूने दुनिया में से मुझे दिया है। वे तेरे थे और तूने उन्हें मुझे दिया है और उन्होंने तेरा वचन माना है।” (यूहन्ना 17:6) यीशु ने परमेश्वर का नाम कैसे ज़ाहिर किया? वह प्रचार करते समय यहोवा का नाम ज़बान पर लाता था और उसने यहोवा को अच्छी तरह जानने में प्रेषितों की मदद की। यहोवा में क्या-क्या गुण है और वह लोगों से कितना प्यार करता है और उन पर कैसी कृपा करता है, यह सब जानने में उसने प्रेषितों की मदद की।
प्रेषितों ने यहोवा को जाना है और यह भी समझा है कि यीशु धरती पर क्यों आया और उसने क्या-क्या सिखाया। यीशु नम्रता से कहता है, “जो बातें तूने मुझे बतायी हैं वे मैंने उन तक पहुँचायी हैं। उन्होंने ये बातें स्वीकार की हैं और वे पक्के तौर पर जान गए हैं कि मैं तेरी तरफ से आया हूँ और उन्होंने यकीन किया है कि तूने मुझे भेजा है।”—यूहन्ना 17:8.
इसके बाद यीशु बताता है कि उसके चेलों और दुनिया के लोगों में कितना फर्क है: “मैं दुनिया के लिए बिनती नहीं करता, मगर उनके लिए करता हूँ जिन्हें तूने मुझे दिया है क्योंकि वे तेरे हैं। . . . हे पवित्र पिता, अपने नाम की खातिर जो तूने मुझे दिया है, उनकी देखभाल कर ताकि वे भी एक हों जैसे हम एक हैं। . . . मैंने उनकी हिफाज़त की और उनमें से एक भी नाश नहीं हुआ, सिर्फ विनाश का बेटा नाश हुआ।” यह “विनाश का बेटा” यहूदा इस्करियोती है जो यीशु को पकड़वाने की कोशिश में लगा हुआ है।—यूहन्ना 17:9-12.
फिर यीशु प्रार्थना में कहता है, ‘दुनिया ने उनसे नफरत की है। मैं तुझसे यह बिनती नहीं करता कि तू उन्हें दुनिया से निकाल ले मगर यह कि शैतान की वजह से उनकी देखभाल कर। वे दुनिया के नहीं हैं, ठीक जैसे मैं दुनिया का नहीं हूँ।’ (यूहन्ना 17:14-16) प्रेषित और बाकी चेले दुनिया में रहते हैं यानी इंसानों के समाज में जिस पर शैतान राज करता है। मगर उन्हें दुनिया और उसकी बुराई से दूर रहना है। इसका क्या मतलब है?
उन्हें उन सच्चाइयों के मुताबिक जीना है जो इब्रानी शास्त्र में लिखी हैं और जो यीशु ने सिखायी हैं। तब वे पवित्र बने रहेंगे यानी परमेश्वर की सेवा करने के लिए दुनिया से अलग रहेंगे। यीशु प्रार्थना करता है, “सच्चाई से उन्हें पवित्र कर। तेरा वचन सच्चा है।” (यूहन्ना 17:17) बाद में कुछ प्रेषित परमेश्वर की प्रेरणा से कुछ किताबें लिखेंगे। जो कोई इब्रानी शास्त्र और प्रेषितों की लिखी किताबों के मुताबिक जीएगा वही पवित्र रह सकेगा।
कुछ समय बाद और भी कई लोग सच्चाई को स्वीकार करेंगे। इसलिए यीशु न सिर्फ 11 प्रेषितों के लिए बल्कि उन सबके लिए प्रार्थना करता है जो बाद में प्रेषितों की ‘बातें मानकर यीशु पर विश्वास करेंगे।’ वह प्रार्थना करता है कि “वे सभी एक हो सकें। ठीक जैसे हे पिता, तू मेरे साथ एकता में है और मैं तेरे साथ एकता में हूँ, उसी तरह वे भी हमारे साथ एकता में हों।” (यूहन्ना 17:20, 21) यहोवा और यीशु एक ही शख्स नहीं हैं, बल्कि वे हर बात में एक हैं। यीशु प्रार्थना करता है कि उसके चेलों में भी इसी तरह एकता हो।
कुछ देर पहले यीशु ने पतरस और दूसरे चेलों को बताया था कि वह उनके लिए स्वर्ग में जगह तैयार करने जा रहा है। (यूहन्ना 14:2, 3) अब यीशु प्रार्थना में यही बात कहता है, “हे पिता, मैं चाहता हूँ कि जिन्हें तूने मुझे दिया है वे भी मेरे साथ वहाँ रहें जहाँ मैं रहूँगा ताकि वे मेरी महिमा देखें जो तूने मुझे दी है, क्योंकि तूने दुनिया की शुरूआत से भी पहले मुझसे प्यार किया।” (यूहन्ना 17:24) यीशु बता रहा है कि बहुत पहले यानी आदम और हव्वा के बच्चे होने से पहले परमेश्वर ने अपने एकलौते बेटे से प्यार किया था और वही यीशु मसीह बनकर धरती पर आया।
प्रार्थना के आखिर में यीशु फिर से पिता के नाम के बारे में बताता है। वह यह भी कहता है कि परमेश्वर प्रेषितों से और उन सबसे कितना प्यार करता है जो “सच्चाई” को स्वीकार करेंगे। वह कहता है, “मैंने तेरा नाम उन्हें बताया है और आगे भी बताऊँगा ताकि जो प्यार तूने मुझसे किया, वह उनमें भी हो और मैं उनके साथ एकता में रहूँ।”—यूहन्ना 17:26.