क्या आप सब बातों में विश्वासयोग्य हैं?
“जो अत्यन्त छोटी-सी बात में विश्वासयोग्य है, वह बहुत में भी विश्वासयोग्य है।”—लूका 16:10, NHT.
1. यहोवा किस तरीके से विश्वासयोग्य है?
क्या आपने कभी देखा है कि जैसे-जैसे दिन चढ़ता है, तो धूप में पेड़ों की छाया का आकार कैसे बदलता जाता है? न सिर्फ आकार मगर छाया की दिशा भी बदल जाती है! उसी तरह, इंसान की कोशिशें और वादे भी अकसर बदलते रहते हैं। लेकिन यहोवा परमेश्वर इस तरह वक्त के साथ-साथ नहीं बदलता। शिष्य याकूब ने उसे ‘ज्योतियों का पिता’ पुकारा और आगे कहा: “[वह] कभी बदलता नहीं और न छाया के समान परिवर्तनशील है।” (याकूब 1:17, NHT) यहोवा कभी नहीं बदलता और छोटी-से-छोटी बात में भी वह पूरी तरह भरोसे के लायक है। वह “विश्वासयोग्य परमेश्वर” है।—व्यवस्थाविवरण 32:4, NHT.
2. (क) हमें क्यों यह जानने के लिए खुद की जाँच करनी चाहिए कि हम विश्वासयोग्य हैं या नहीं? (ख) विश्वासयोग्य होने के बारे में हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?
2 यहोवा अपने सेवकों के विश्वासयोग्य होने के बारे में क्या सोचता है? वही जो दाऊद सोचता था। उसने परमेश्वर के इन सेवकों बारे में कहा: “मेरी आंखें देश के विश्वासयोग्य लोगों पर लगी रहेंगी कि वे मेरे संग रहें; जो खरे मार्ग पर चलता है वही मेरा टहलुआ होगा।” (भजन 101:6) जी हाँ, यहोवा अपने विश्वासयोग्य सेवकों को देखकर खुश होता है। इसी वजह से प्रेरित पौलुस ने लिखा था: “भण्डारी में यह बात देखी जाती है, कि विश्वास योग्य निकले।” (1 कुरिन्थियों 4:2) विश्वासयोग्य होने में क्या-क्या शामिल है? हमें ज़िंदगी के किन मामलों में विश्वासयोग्य होना चाहिए? और ‘खरे मार्ग पर चलने’ के क्या फायदे हैं?
विश्वासयोग्य होने का मतलब क्या है
3. किस बात से साबित होता है कि हम विश्वासयोग्य हैं?
3 इब्रानियों 3:5 कहता है: “मूसा तो . . . सेवक की नाईं विश्वासयोग्य रहा।” मूसा नबी किस वजह से विश्वासयोग्य था? परमेश्वर का निवासस्थान बनाने और उसे खड़ा करने में “मूसा ने जो जो आज्ञा यहोवा ने उसको दी थी उसी के अनुसार किया।” (निर्गमन 40:16) यहोवा के उपासकों के नाते, जब हम उसकी एक-एक आज्ञा सख्ती से मानते हैं, तो हम विश्वासयोग्य होने का गुण दिखाते हैं। इसमें यह भी शामिल है कि जब हम पर कड़ी परीक्षाएँ और बड़े-बड़े दुःख आएँ तो हम इन्हें झेलते हुए भी यहोवा के वफादार रहें। लेकिन, बड़ी परीक्षाओं में टिके रहने या इन्हें पार करने में कामयाब होने से ही यह साबित नहीं होता कि हम विश्वासयोग्य हैं। यीशु ने कहा: “जो अत्यन्त छोटी-सी बात में विश्वासयोग्य है, वह बहुत में भी विश्वासयोग्य है। और जो अत्यन्त छोटी बात में अधर्मी है, वह बहुत में भी अधर्मी है।” (लूका 16:10, NHT) जिन बातों को हम छोटी और मामूली समझते हैं, उनमें भी हमें विश्वासयोग्य बने रहना चाहिए।
4, 5. “अत्यन्त छोटी बात” में हमारा विश्वासयोग्य होना क्या दिखाता है?
4 यह बेहद ज़रूरी है कि हम हर दिन ‘छोटी बातों’ में भी परमेश्वर की आज्ञा मानें। इसकी दो वजह हैं। पहली, परमेश्वर की आज्ञा मानकर हम दिखाते हैं कि यहोवा की हुकूमत के बारे में हम कैसा महसूस करते हैं। गौर कीजिए, पहले इंसानी जोड़े आदम और हव्वा की वफादारी की परीक्षा कैसे ली गयी। उन्हें एक छोटी-सी आज्ञा दी गयी थी जिसे मानने में उन्हें कोई तकलीफ नहीं उठानी पड़ती। अदन के बाग में उनके खाने के लिए हर तरह के पेड़ों के फल थे। उन्हें सिर्फ एक पेड़ का फल खाने से मना किया गया था, वह था ‘भले या बुरे के ज्ञान का वृक्ष।’ (उत्पत्ति 2:16, 17) अगर वे उस छोटी-सी आज्ञा को मानकर विश्वासयोग्य होने का सबूत देते, तो यह दिखाते कि वे यहोवा की हुकूमत के पक्ष में हैं। जब हम अपनी रोज़मर्रा ज़िंदगी में यहोवा की हिदायतों को मानते हैं, तो दिखाते हैं कि हम यहोवा की हुकूमत की हिमायत करते हैं।
5 दूसरी वजह, ‘छोटी बातों’ में हम जो करते हैं, उससे यह तय होगा कि हम “बहुत में भी” यानी ज़िंदगी के बड़े मसलों का सामना करते वक्त भी क्या करेंगे। इस मामले में, गौर कीजिए कि दानिय्येल और उसके तीन वफादार इब्री साथियों यानी हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह के साथ क्या हुआ। उन्हें सा.यु.पू. 617 में बंधुआ बनाकर बाबुल ले जाया गया। वे अभी लड़के ही थे, शायद किशोरावस्था में थे जब इन चारों को राजा नबूकदनेस्सर के शाही दरबार में जगह दी गयी। “राजा ने आज्ञा दी कि उसके भोजन और पीने के दाखमधु में से उन्हें प्रतिदिन खाने-पीने को दिया जाए। इस प्रकार तीन वर्ष तक उनका पालन पोषण होता रहे; तब उसके बाद वे राजा के साम्हने हाज़िर किए जाएं।”—दानिय्येल 1:3-5.
6. बाबुल के शाही दरबार में दानिय्येल और उसके तीन इब्री साथियों के आगे कौन-सी परीक्षा आयी?
6 मगर, बाबुल के राजा से मिलनेवाले भोजन की वजह से इन चार इब्री नौजवानों के आगे एक परीक्षा आयी। मूसा की व्यवस्था में जिन चीज़ों को खाने की मनाही थी, वे भी शायद राजा के पकवानों में शामिल थीं। (व्यवस्थाविवरण 14:3-20) बाबुल के लोग मारे गए पशुओं का लहू अच्छी तरह नहीं बहाते थे, इसलिए इस तरह का मांस खाना परमेश्वर की व्यवस्था के खिलाफ होता। (व्यवस्थाविवरण 12:23-25) भोजन से पहले शायद मूरतों को इसका भोग चढ़ाया जाता था, जैसे कि बाबुल के उपासक अकसर सहभोज खाने से पहले किया करते थे।
7. दानिय्येल और उसके तीन दोस्तों ने परमेश्वर की आज्ञा मानकर क्या दिखाया?
7 बाबुल के शाही घराने में खाने-पीने की चीज़ों में परहेज़ करने पर कोई खास ध्यान नहीं दिया जाता था। मगर दानिय्येल और उसके साथी अपने मन में ठान चुके थे कि वे ऐसा भोजन नहीं खाएँगे जिसे खाने से, परमेश्वर ने अपनी व्यवस्था में मना किया था। यह एक ऐसा मसला था जिसमें उन्हें परमेश्वर की तरफ अपनी वफादारी और विश्वासयोग्यता का सबूत देना था। इसलिए उन्होंने अपने भोजन के लिए सब्ज़ियाँ और पानी माँगा और यह उन्हें दिया गया। (दानिय्येल 1:9-14) उन चार नौजवानों ने जो किया वह शायद आज के कुछ लोगों के लिए कोई खास अहमियत न रखे। मगर, परमेश्वर की आज्ञा मानने से उन्होंने दिखाया कि यहोवा की हुकूमत के मामले में वे सिर्फ उसका पक्ष लेंगे।
8. (क) तीन इब्रियों की वफादारी की कौन-सी सख्त परीक्षा हुई? (ख) इस परीक्षा का अंजाम क्या निकला, और इससे हमें क्या सबक मिलता है?
8 दानिय्येल और उसके तीन दोस्त, ऐसी मामूली लगनेवाली बात में भी विश्वासयोग्य रहकर बड़ी परीक्षाओं के लिए तैयार हुए। बाइबल की दानिय्येल किताब का अध्याय 3 खोलिए और खुद पढ़कर देखिए कि राजा नबूकदनेस्सर की खड़ी की गयी सोने की मूरत को दंडवत् न करने की वजह से कैसे इन तीन इब्रियों को मौत की सज़ा सुनायी गयी। जब उन्हें राजा के सामने लाया गया, तो उन्होंने बेझिझक अपना फैसला सुनाया: “हमारा परमेश्वर, जिसकी हम उपासना करते हैं वह हम को उस धधकते हुए भट्ठे की आग से बचाने की शक्ति रखता है; वरन हे राजा, वह हमें तेरे हाथ से भी छुड़ा सकता है। परन्तु, यदि नहीं, तो हे राजा तुझे मालूम हो, कि हम लोग तेरे देवता की उपासना नहीं करेंगे, और न तेरी खड़ी कराई हुई सोने की मूरत को दण्डवत् करेंगे।” (दानिय्येल 3:17, 18) क्या यहोवा ने उन्हें बचाया? जिन सैनिकों ने उन नौजवानों को आग के भट्ठे में फेंका वे खुद उस आग से भस्म हो गए, मगर उन तीन विश्वासयोग्य इब्रियों पर आँच तक न आयी! वे सही-सलामत उस भट्ठे से बाहर निकल आए। बचपन से उन्होंने विश्वासयोग्य होने की जो आदत डाली थी, उसी से वे इस सख्त परीक्षा की घड़ी में भी विश्वासयोग्य रह पाए। क्या इस मिसाल से पता नहीं चलता कि छोटी-से-छोटी बात में भी विश्वासयोग्य होना कितना ज़रूरी है?
“अधर्म के धन” के मामले में विश्वासयोग्य
9. लूका 16:10 के आस-पास की आयतों में यीशु किस बारे में सलाह दे रहा था?
9 यह सिद्धांत सिखाने से पहले कि जो छोटी लगनेवाली बातों में विश्वासयोग्य है वह बड़ी बातों में भी विश्वासयोग्य होता है, यीशु ने सुननेवालों को यह सलाह दी: “मैं तुम से कहता हूं, कि अधर्म के धन से अपने लिये मित्र बना लो; ताकि जब वह जाता रहे, तो वे तुम्हें अनन्त निवासों में ले लें।” इसके बाद यीशु ने छोटी बातों में विश्वासयोग्य होने की बात कही। और फिर उसने कहा: “इसलिये जब तुम अधर्म के धन में सच्चे [“विश्वासयोग्य,” NHT] न ठहरे, तो सच्चा तुम्हें कौन सौंपेगा! . . . कोई दास दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता: क्योंकि वह तो एक से बैर और दूसरे से प्रेम रखेगा; या एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्छ जानेगा: तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते।”—लूका 16:9-13.
10. “अधर्म के धन” को इस्तेमाल करने के बारे में हम वफादारी कैसे दिखा सकते हैं?
10 आस-पास की आयतों के मुताबिक, लूका 16:10 में यीशु के शब्द “अधर्म के धन” के बारे में हैं यानी हमारी धन-दौलत और संपत्ति। इन्हें अधर्म का धन इसलिए कहा गया है, क्योंकि धन, खासकर पैसा पापी इंसानों के काबू में है। यही नहीं, धन पाने की लालसा एक इंसान से अधर्म के काम करवा सकती है। इसलिए जब हम अपनी धन-दौलत और संपत्ति का बुद्धिमानी से इस्तेमाल करते हैं, तब हम विश्वासयोग्य होने का सबूत देते हैं। इस धन को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करने के बजाय, हम इसे राज्य के काम को बढ़ाने में और ज़रूरतमंदों की मदद करने में लगाना चाहते हैं। इस तरह विश्वासयोग्य होने से, हम यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह को अपना दोस्त बनाते हैं जो “अनन्त निवासों” के मालिक हैं। आगे चलकर, वे इन निवासों में हमें ले लेंगे, यानी हमें या तो स्वर्ग में या इस धरती पर फिरदौस में हमेशा की ज़िंदगी का वरदान देंगे।
11. हमें घर-मालिकों को यह बताने से क्यों झिझकना नहीं चाहिए कि हम यहोवा के साक्षियों के दुनिया-भर में चल रहे काम के लिए दान कबूल करते हैं?
11 गौर कीजिए कि हम लोगों को कैसा बढ़िया मौका देते हैं जब हम राज्य का संदेश बताकर उन्हें बाइबलें या बाइबल की समझ देनेवाला साहित्य देते हैं और उनसे कहते हैं कि अगर आप यहोवा के लोगों के दुनिया-भर में चल रहे काम के लिए दान देना चाहते हैं तो इसे कबूल करने में हमें खुशी होगी। ऐसा कहकर, हम उन्हें अपनी धन-दौलत का बुद्धिमानी से इस्तेमाल करने का मौका देते हैं। लूका 16:10 की बात जब कही गयी थी तो यह खासकर धन-दौलत के इस्तेमाल के बारे में कही गयी थी, मगर वहाँ जो सिद्धांत दिया है वह ज़िंदगी के दूसरे मामलों पर भी लागू होता है।
ईमानदारी बहुत ज़रूरी है
12, 13. हम किन मामलों में ईमानदारी दिखा सकते हैं?
12 प्रेरित पौलुस ने लिखा: “हमें भरोसा है, कि हमारा विवेक शुद्ध है; और हम सब बातों में अच्छी चाल [“ईमानदारी से,” NW] चलना चाहते हैं।” (इब्रानियों 13:18) “सब बातों में” ऐसे सारे मामले आ जाते हैं जिनमें पैसे का लेन-देन शामिल हो। हम अपना कर्ज़ और अपने कर सही वक्त पर और पूरी ईमानदारी से अदा करते हैं। क्यों? हम अपने विवेक को शुद्ध रखने के लिए ऐसा करते हैं और खास तौर पर इसलिए कि हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं और उसकी आज्ञाओं का पालन करना चाहते हैं। (रोमियों 13:5, 6) जब हमें ऐसी कोई चीज़ मिलती है जो हमारी नहीं, तब हम क्या करते हैं? हम इसे इसके मालिक को लौटाने की कोशिश करते हैं। किसी की चीज़ हमने क्यों लौटायी यह सवाल पूछे जाने पर हमें कितनी बढ़िया गवाही देने का मौका हाथ लगता है!
13 सब बातों में विश्वासयोग्य और ईमानदार होने में हमारे काम की जगह भी शामिल है। हमारे काम करने के तरीके में ईमानदारी देखकर लोगों का ध्यान हमारे परमेश्वर की ओर जाता है, जिसकी हम पैरवी करते हैं। हम काम के वक्त सुस्त रहकर वक्त की “चोरी” नहीं करते। इसके बजाय, हम कड़ी मेहनत करते हैं मानो यहोवा के लिए कर रहे हों। (इफिसियों 4:28; कुलुस्सियों 3:23) अनुमान लगाया गया है कि यूरोप के एक देश में, जो नौकरी-पेशा लोग बीमारी की वजह से छुट्टी पाने के लिए डॉक्टर की चिट्ठी लाते हैं उनमें से एक-तिहाई चिट्ठियाँ फरज़ी होती हैं। परमेश्वर के सच्चे सेवक, काम पर न जाने के लिए नए-नए बहाने नहीं बनाते। कई बार, नौकरी की जगह पर यहोवा के साक्षियों को तरक्की इसलिए दी जाती है क्योंकि उनके मालिक उनकी ईमानदारी और कड़ी मेहनत से खुश होते हैं।—नीतिवचन 10:4.
मसीही सेवा में विश्वासयोग्य होना
14, 15. कौन-से कुछ तरीकों से हम मसीही सेवा में विश्वासयोग्य होने का सबूत दे सकते हैं?
14 हमें जो सेवा मिली है, उसमें हम विश्वासयोग्य होने का गुण कैसे दिखा सकते हैं? बाइबल कहती है: “हम . . . स्तुतिरूपी बलिदान, अर्थात् उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।” (इब्रानियों 13:15) प्रचार के काम में विश्वासयोग्य होने का गुण दिखाने का सबसे बढ़िया तरीका है कि हम बिना नागा प्रचार में जाएँ। हम ऐसा कोई महीना गुज़रने नहीं देंगे जिसमें हम यहोवा और उसके उद्देश्य के बारे में गवाही न दें। और अगर हम प्रचार में जाते रहें, तो इससे हमारा हुनर बढ़ेगा और हम ज़्यादा असरदार ढंग से प्रचार कर पाएँगे।
15 प्रचार में विश्वासयोग्य होने का एक और बढ़िया तरीका है कि हम प्रहरीदुर्ग और हमारी राज्य सेवकाई में आनेवाले सुझावों पर अमल करें। जब हम तैयारी करते हैं और सुझाव के मुताबिक या दूसरी कोई असरदार पेशकश इस्तेमाल करते हैं, तो क्या हम अपनी सेवा में और ज़्यादा फल पैदा नहीं करते? जब हमें राज्य संदेश में दिलचस्पी दिखानेवाला कोई शख्स मिलता है, तब क्या हम फौरन उसके पास दोबारा जाकर उसकी दिलचस्पी बढ़ाते हैं? और दिलचस्पी दिखानेवालों के साथ उनके घर पर अध्ययन करने के बारे में क्या? क्या हम उनके पास बिना नागा जाकर बाइबल अध्ययन चलाने में विश्वासयोग्य हैं? अगर हम अपनी सेवा में विश्वासयोग्य होने का सबूत देते हैं, तो इससे हमें और हमारी बात सुननेवालों को ज़िंदगी मिलेगी।—1 तीमुथियुस 4:15, 16.
संसार से अलग रहना
16, 17. हम किन तरीकों से दिखा सकते हैं कि हम दुनिया से अलग हैं?
16 परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए यीशु ने अपने चेलों से कहा: “मैं ने तेरा वचन उन्हें पहुंचा दिया है, और संसार ने उन से बैर किया, क्योंकि जैसा मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं। मैं यह बिनती नहीं करता, कि तू उन्हें जगत से उठा ले, परन्तु यह कि तू उन्हें उस दुष्ट से बचाए रख। जैसे मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं।” (यूहन्ना 17:14-16) हमारा यह अटल फैसला होगा कि हम बड़े-बड़े मसलों पर संसार से अलग रहेंगे, जैसे राजनैतिक मामलों में निष्पक्षता, धर्म से जुड़े त्योहार और रीति-रिवाज़ों से और अनैतिकता से दूर रहना। लेकिन, छोटी-छोटी बातों के बारे में क्या? क्या ऐसा हो सकता है कि हमें इसका एहसास भी न हो और हम कुछ बातों में संसार के तौर-तरीके अपना लें? जैसे, अगर हम सावधान न हों तो हमारे पहनने-ओढ़ने के तरीके में ओछापन दिखायी दे सकता है और हमारे कपड़े ऐसे हो सकते हैं जो एक मसीही के लिए ठीक न हों! विश्वासयोग्य होने में यह भी शामिल है कि हम अपने कपड़ों और बनने-सँवरने के मामले में “शालीनता और आत्म-नियन्त्रण” से पेश आएँ। (1 तीमुथियुस 2:9, 10, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) जी हाँ, “हम किसी बात में ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं देते, कि हमारी सेवा पर कोई दोष न आए। परन्तु हर बात से परमेश्वर के सेवकों की नाईं अपने सद्गुणों को प्रगट करते हैं।”—2 कुरिन्थियों 6:3, 4.
17 हम यहोवा का आदर करना चाहते हैं, इसलिए हम अपनी कलीसिया की सभाओं के लिए ऐसे कपड़े पहनते हैं जिनसे गरिमा नज़र आए। यही बात तब भी लागू होती है जब हम बड़ी तादाद में अपने सम्मेलनों और अधिवेशनों के लिए इकट्ठा होते हैं। हमारा पहनावा ऐसा होना चाहिए जिसमें हमें चलने-फिरने में सुविधा हो और दूसरों की नज़रों को भी भाए। इससे जो हमें देखते हैं उन्हें गवाही मिलती है। यहाँ तक कि स्वर्गदूतों की भी नज़र हमारे कामों पर होती है, ठीक जैसे वे पौलुस और उसके साथियों के कामों को देखा करते थे। (1 कुरिन्थियों 4:9) दरअसल, हमें हर वक्त मुनासिब कपड़े पहनने चाहिए। कुछ लोगों के लिए, कपड़ों का चुनाव करने में विश्वासयोग्य होना एक छोटी बात हो सकती है, मगर परमेश्वर की नज़र में यह बेहद ज़रूरी है।
विश्वासयोग्य होने की आशीषें
18, 19. विश्वासयोग्य होने से क्या आशीषें मिलती हैं?
18 सच्चे मसीहियों के बारे में कहा गया है कि वे ‘परमेश्वर के नाना प्रकार के अनुग्रह के भले भण्डारी’ हैं। इस ज़िम्मेदारी को वे ‘उस शक्ति से करते हैं जो परमेश्वर देता है।’ (1 पतरस 4:10, 11) यही नहीं, भंडारियों की हैसियत से हमें जो दिया गया है वह हमारा अपना नहीं है, यानी परमेश्वर का अनुग्रह जिसमें हमारी सेवा भी शामिल है। खुद को भले भंडारी साबित करने के लिए हम परमेश्वर से मिलनेवाली शक्ति पर, जी हाँ उसके “असीम सामर्थ” पर निर्भर करते हैं। (2 कुरिन्थियों 4:7) भविष्य में चाहे जैसी भी परीक्षाएँ आएँ, उनका सामना करने के लिए हमें परमेश्वर कितनी उम्दा तालीम दे रहा है!
19 भजनहार ने गीत गाया: “हे यहोवा के सब भक्तो उस से प्रेम रखो! यहोवा सच्चे [“विश्वासयोग्य,” NW] लोगों की तो रक्षा करता है।” (भजन 31:23) आइए हम ठान लें कि खुद को विश्वासयोग्य साबित करेंगे और यह यकीन रखेंगे कि यहोवा “सब मनुष्यों का, और निज करके विश्वासियों का उद्धारकर्त्ता है।”—1 तीमुथियुस 4:10.
क्या आपको याद है?
• हमें क्यों “अत्यन्त छोटी-सी बात में विश्वासयोग्य” होना चाहिए?
• हम इन तीन पहलुओं में विश्वासयोग्य होने का सबूत कैसे दे सकते हैं:
ईमानदार होने में?
प्रचार में?
संसार से अलग रहने में?
[पेज 26 पर तसवीरें]
अत्यन्त छोटी-सी बात में विश्वासयोग्य, बहुत में भी विश्वासयोग्य
[पेज 29 पर तसवीर]
‘सब बातों में ईमानदारी से चलिए’
[पेज 29 पर तसवीर]
विश्वासयोग्य होने का सबूत देने का एक बढ़िया तरीका है, प्रचार के लिए अच्छी तैयारी करना
[पेज 30 पर तसवीर]
कपड़ों और सजने-सँवरने में शालीनता दिखाइए