मृत्यु के बाद जीवन—बाइबल क्या कहती है?
“तू मिट्टी तो है और मिट्टी में फिर मिल जाएगा।”—उत्पत्ति ३:१९.
१, २. (क) मृत्यु के बाद जीवन के बारे में कौन-सी अलग-अलग धारणाएँ पायी जाती हैं? (ख) यह जानने से पहले कि बाइबल इंसान के बारे में क्या बताती है हमें क्या जानने की ज़रूरत है?
हिंदू तत्त्वज्ञानी निखिलानंद ने कहा: “इस धारणा को मानना तर्कसंगत नहीं लगता कि ऐसा परमेश्वर, जो अपनी सृष्टि से प्यार करता है, लोगों को अनंतकाल की पीड़ा भी दे सकता है। . . . यह विश्वास करना, कि चंद साल की ज़िंदगी में की गईं गलतियों की सज़ा के लिए किसी को सुधरने का मौका दिये बगैर उसकी आत्मा को अनंतकाल तक तड़पाया जाएगा, हर तरह की बुद्धि और समझ से परे है।”
२ निखिलानंद की तरह कई लोग आज इस शिक्षा को मानना मुश्किल पाते हैं कि अनंतकाल तक आत्मा को पीड़ा भुगतनी पड़ेगी। इसी तरह दूसरे लोग इस धारणा को समझना मुश्किल पाते हैं कि निर्वाण पाकर आत्मा परमब्रह्म में लीन हो जाती है। ईसाईजगत के कई पंथों के लोगों में भी आत्मा के बारे में अलग-अलग धारणाएँ पायी जाती हैं। यहाँ तक कि इनमें से कई तो यह दावा करते हैं कि बाइबल भी इंसान के अंदर एक अमर आत्मा होने की शिक्षा देती है। लेकिन क्या वाकई बाइबल यह सिखाती है कि इंसान में एक अमर आत्मा होती है? बाइबल इसके बारे में क्या बताती है कि इंसान क्या है और उसे कैसे बनाया गया था और उसके मरने के बाद क्या होता है? इन सवालों का जवाब पाने के लिए हमें बाइबल में इस्तेमाल किए गए इब्रानी शब्द नेफेश और यूनानी शब्द प्सीकी का मतलब जानना होगा।
बाइबल के मुताबिक नेफेश और प्सीकी
३. (क) बाइबल के इब्रानी शास्त्र में शब्द नेफेश का क्या मतलब है? (ख) उत्पत्ति २:७ कैसे इस बात का सबूत देती है कि शब्द “प्राणी” का मतलब एक पूर्ण व्यक्ति है?
३ बाइबल के इब्रानी शास्त्र में शब्द नेफेश ७५४ बार आता है। नेफेश का क्या मतलब है? बाइबल और धर्म का शब्दकोश (अंग्रेज़ी) कहता है: “इसका मतलब है सम्पूर्ण प्राणी या पूर्ण व्यक्ति।” इसे हिंदी बाइबल में प्राणी, या मनुष्य अनुवाद किया गया है। यह बात हमें बाइबल के इस सीधे-सादे वृत्तांत से पता चलती है कि इंसान को कैसे बनाया गया था। बाइबल की पहली किताब उत्पत्ति २:७ कहती है: “यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवता प्राणी बन गया।” ध्यान दीजिए कि पहला इंसान “प्राणी बन गया।” तो, यहाँ प्राणी का मतलब है एक पूर्ण व्यक्ति।
४. यूनानी मसीही शास्त्र में शब्द प्सीकी का क्या अर्थ है?
४ जिस यूनानी शब्द का बाइबल में कई जगह “प्राणी” के रूप अनुवाद किया गया है उसके लिए बाइबल के यूनानी शास्त्र में प्सीकी शब्द इस्तेमाल किया गया है। नेफेश की तरह यह शब्द भी पूर्ण व्यक्ति या मनुष्य को सूचित करता है। इसका मतलब समझने के लिए आइए हम कुछ आयतों पर गौर करें: “सब लोगों (प्सीकी) पर भय छा गया।” (प्रेरितों २:४३) “परन्तु प्रत्येक मनुष्य (प्सीकी) जो उस भविष्यद्वक्ता की न सुने, लोगों में से नाश किया जाएगा।” (प्रेरितों ३:२३) “हर एक व्यक्ति (प्सीकी) प्रधान अधिकारियों के आधीन रहे।” (रोमियों १३:१) “थोड़े लोग अर्थात् आठ प्राणी (प्सीकी) पानी के द्वारा बच गए।” (१ पतरस ३:२०) तो यह साफ ज़ाहिर है कि प्सीकी को शब्द नेफेश की तरह ही पूर्ण व्यक्ति को सूचित करने के लिए इस्तेमाल किया गया है। विद्वान नाइजॆल टर्नर के मुताबिक यह शब्द “पूरे मनुष्य को . . . पूरी देह के साथ उस जीवन को सूचित करता है जिसे परमेश्वर ने अपनी रूआख़ [शक्ति] से उसमें फूँका था। . . . यहाँ संपूर्ण व्यक्ति की बात कही गई है।”
५. जानवर और पक्षी क्या हैं?
५ ध्यान दीजिए कि बाइबल में शब्द नेफेश और प्सीकी न सिर्फ इंसानों के लिए इस्तेमाल किए गए हैं, बल्कि ये जानवरों को भी सूचित करते हैं। उदाहरण के लिए उत्पत्ति १:२० में परमेश्वर ने यह आज्ञा दी “जल जीवित प्राणियों [इब्रानी नेफेश] से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें।” और अगले दिन परमेश्वर ने कहा: “पृथ्वी से एक एक जाति के जीवित प्राणी, [इब्रानी नेफेश] अर्थात् घरेलू पशु, और रेंगनेवाले जन्तु, और पृथ्वी के वनपशु, जाति जाति के अनुसार उत्पन्न हों; और वैसा ही हो गया।”—उत्पत्ति १:२४. गिनती ३१:२८ से तुलना कीजिए।
६. इब्रानी शब्द नेफेश और यूनानी शब्द प्सीकी का और क्या अर्थ है?
६ तो फिर हम यह देखते हैं कि शब्द नेफेश और प्सीकी का इस्तेमाल इंसान और जानवर दोनों को सूचित करने के लिए किया गया है। लेकिन इनका एक और मतलब एक प्राणी की जान यानी प्राण भी है। (बक्स देखिए।) बाइबल हमें बहुत ही साफ, सरल तरीके से बताती है कि इंसान को कैसे बनाया गया। इसमें दिया गया वर्णन इंसानी तत्त्वज्ञान, धारणाओं और अंधविश्वासों से मुक्त है। तो फिर यह सवाल उठाना बहुत ज़रूरी हो जाता है कि मौत के बाद इंसान का क्या होता है और बाइबल इसके बारे में क्या कहती है?
मरे हुए कुछ भी नहीं जानते
७, ८. (क) बाइबल मरे हुओं की हालत के बारे में क्या बताती है? (ख) क्या बाइबल यह कहती है कि मरने पर किसी व्यक्ति या प्राणी में से कुछ निकलकर अमर रहता है?
७ मरे हुओं की हालत के बारे में सभोपदेशक ९:५, १० साफ-साफ बताता है: “मरे हुए कुछ भी नहीं जानते, . . . अधोलोक में . . . न काम न युक्ति न ज्ञान और न बुद्धि है।” इसलिए मौत होने पर अस्तित्त्व खत्म हो जाता है। भजनहार कहता है कि जब एक इंसान मरता है तब “वह भी मिट्टी में मिल जाएगा; उसी दिन उसकी सब कल्पनाएं नाश हो जाएंगी।” (भजन १४६:४) मरे हुए लोग मुरदा और बेजान हैं।
८ जब परमेश्वर ने आदम को सज़ा सुनाई तब उसने कहा: “तू मिट्टी तो है और मिट्टी में फिर मिल जाएगा।” (उत्पत्ति ३:१९) भूमि की मिट्टी से बनाए जाने और जीवन दिए जाने से पहले आदम का कोई अस्तित्त्व नहीं था। जब वह मरा तब वह फिर से अस्तित्त्वहीन हो गया। उसकी सज़ा मौत थी, न कि किसी दूसरे लोक में जाकर रहना। क्या उसके अंदर कोई आत्मा थी जो उसके मरने के बाद भी जीवित रही? जी नहीं, क्योंकि बाइबल बताती है कि जब एक इंसान मरता है तब वह पूरी तरह से मिट जाता है। बाइबल यह नहीं सिखाती कि किसी प्राणी के अंदर एक अमर आत्मा होती है जो मरने के बाद भी ज़िंदा रहती है। उन लोगों को यह मानना शायद बड़ा अजीब लगे जो अमर आत्मा में विश्वास करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि मरने पर एक प्राणी या व्यक्ति पूरी तरह नष्ट हो जाता है और उसमें ऐसा कुछ भी अमर नहीं होता जो मरने के बाद ज़िंदा रहे।
९. बाइबल की उस आयत का क्या मतलब है जो कहती है कि राहेल का “प्राण” उसमें से निकल रहा था?
९ तो फिर उत्पत्ति ३५:१८ में राहेल की दुःखद मौत के बारे में जो लिखा है उसके बारे में क्या? वहाँ लिखा है “वह मर गई, और प्राण निकलते निकलते उस ने उस बेटे का नाम बेनोनी रखा: पर उसके पिता ने उसका नाम बिन्यामीन रखा।” क्या इस आयत का मतलब यह है कि राहेल की मौत होने पर उसके अंदर से कुछ निकला था? बिलकुल नहीं। याद कीजिए कि प्राण का मतलब एक इंसान की जान है। तो यहाँ राहेल के प्राण का मतलब उसकी “जान” था। इसलिए बाकी बाइबलों में इस आयत का अनुवाद इस तरह किया गया है “उसका प्राण निकल रहा था,” “उसका जीवन खत्म हो रहा था,” (नॉक्स) “उसने आखिरी साँस ली” (JB), और “उसकी जान उसमें से निकल गई” (बाइबल इन बेसिक इंगलिश)। यहाँ ऐसी कोई भी बात नहीं कही गई है जिससे यह लगे कि राहेल के अंदर से कोई रहस्यमयी साया निकलकर बाहर गया था।
१०. किस मायने में लड़के का प्राण ‘उस में फिर से आ गया’?
१० ऐसा ही एक विधवा के लड़के के जी उठने के वक्त हुआ था, जिसका ज़िक्र १ राजा अध्याय १७ में किया गया है। आयत २२ में हम पढ़ते हैं कि एलिय्याह ने लड़के के ऊपर प्रार्थना की, “एलिय्याह की यह बात यहोवा ने सुन ली, और बालक का प्राण उस में फिर आ गया और वह जी उठा।” यहाँ भी शब्द “प्राण” का मतलब “जान” है। इसलिए न्यू अमेरिकन स्टैंडर्ड बाइबल कहती है: “लड़के में फिर से जान आ गई और वह जी उठा।” जी हाँ, उस लड़के में दोबारा जान आ गई थी, न कि कोई साये जैसी चीज़। एलिय्याह ने लड़के की माँ से जो कहा यह बात उसके मुताबिक ही है: “देख तेरा बेटा [पूर्ण व्यक्ति] जीवित है।”—१ राजा १७:२३.
बाइबल में शब्द आत्मा के बारे में क्या?
११. इब्रानी शब्द रूआख और यूनानी शब्द प्न्यूमा का मूल-अर्थ क्या है?
११ हिंदी बाइबल में इब्रानी शब्द रूआख और यूनानी शब्द प्न्यूमा का कहीं-कहीं आत्मा अनुवाद किया गया है। लेकिन इन शब्दों का मतलब एक साये जैसी चीज़ हरगिज़ नहीं है, जिसके बारे में कहा जाता है कि एक इंसान के मरने के बाद यह उसके शरीर में से निकल जाता है और अमर रहता है। रूआख और प्न्यूमा का मूल-अर्थ “स्वास” है। उदाहरण के लिए सभोपदेशक ३:१९ कहता है: “जैसी मनुष्यों की वैसी ही पशुओं की भी दशा होती है; दोनों की वही दशा होती है, जैसे एक मरता वैसे ही दूसरा भी मरता है। सभों की स्वांस (रूआख) एक सी है, और मनुष्य पशु से कुछ बढ़कर नहीं; सब कुछ व्यर्थ ही है।”
१२. इब्रानी शब्द रूआख और यूनानी शब्द प्नयूमा का और क्या मतलब है?
१२ लेकिन रूआख और प्नयूमा का मतलब स्वास के अलावा और भी कुछ है। मिसाल के तौर पर भजन १४६:४ एक इंसान के नष्ट होने के बारे में ऐसा कहता है: “उसका भी प्राण (रूआख) निकलेगा, वह भी मिट्टी में मिल जाएगा; उसी दिन उसकी सब कल्पनाएं नाश हो जाएंगी।” इसलिए इब्रानी शब्द रूआख का कहीं-कहीं “प्राण” अनुवाद किया गया है और बाइबल में इसका मतलब जानवर और इंसान दोनों के अंदर पाई जानेवाली जीवन-शक्ति है, जो स्वास लेने से कायम रहती है।
१३. बाइबल में जैसा लिखा है, किस मायने में आत्मा परमेश्वर के पास लौट जाती है?
१३ तो फिर, सभोपदेशक १२:७ का क्या मतलब है जो कहता है कि जब एक आदमी मरता है तब उसकी “आत्मा [इब्रानी रूआख] परमेश्वर के पास जिस ने उसे दिया लौट जाएगी”? क्या इसका मतलब यह है कि कोई आत्मा शरीर से निकलकर अंतरिक्ष में उड़ती हुई परमेश्वर के पास जाती है? ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया है। क्योंकि जैसा हमने पहले देखा था, रूआख का मतलब एक साया हरगिज़ नहीं है, जो मौत के बाद शरीर में से निकलकर अमर रहता है। बाइबल में रूआख का मतलब जीवन-शक्ति है, और इसके ‘परमेश्वर के पास लौटने’ का मतलब है कि मरे हुए उस इंसान के लिए भविष्य में जीवन पाने का अधिकार पूरी तरह से परमेश्वर के हाथों में है। सिर्फ परमेश्वर ही किसी इंसान को रूआख, या जीवन-शक्ति दे सकता है ताकि वह इंसान फिर से जीवन पाए। (भजन १०४:३०) लेकिन क्या ऐसा करने का परमेश्वर का उद्देश्य है?
“वह जी उठेगा”
१४. लाजर के मरने पर उसकी बहनों को तसल्ली देने के लिए यीशु क्या कहता है और क्या करता है?
१४ यरूशलेम के पूर्व में करीब तीन किलोमीटर दूर, बैतनिय्याह के छोटे से कस्बे में, मरथा और मरियम अपने जवान भाई लाजर की मौत का शोक मना रही थीं। यीशु भी बहुत दुःखी होता है, क्योंकि उसे लाजर और उसकी बहनों से बहुत प्रेम था। यीशु लाजर की बहनों को कैसे तसल्ली दे सकता था? कोई गूढ़ बात बताकर नहीं, बल्कि सच्चाई बताकर। यीशु ने बस इतना कहा कि “तेरा भाई जी उठेगा।” यीशु लाजर की कब्र पर गया और उसने उसे जीवित कर दिया—चार दिन के मरे हुए आदमी को फिर से जीवन दे दिया!—यूहन्ना ११:१८-२३, ३८-४४.
१५. यीशु ने जो कहा और किया उसके प्रति मारथा का क्या नज़रिया था?
१५ क्या मारथा यीशु की यह बात सुनकर हैरान हो गई की लाजर “जी उठेगा”? नहीं ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि उसने जवाब में कहा था: “मैं जानती हूं, कि अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा।” वह पहले से ही पुनरुत्थान की प्रतिज्ञा में विश्वास करती थी। तब यीशु ने उससे कहा: “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।” (यूहन्ना ११:२३-२५) लाजर के जी उठने से मारथा का विश्वास मज़बूत हुआ, साथ ही और भी बहुत से लोगों ने विश्वास किया। (यूहन्ना ११:४५) लेकिन शब्द “पुनरुत्थान” का क्या मतलब है?
१६. “पुनरुत्थान” का क्या मतलब है?
१६ जिस शब्द का अनुवाद “पुनरुत्थान” किया गया है वह यूनानी शब्द अनास्तासिस है, जिसका मतलब है “दोबारा खड़े होना।” यूनानी भाषा से इब्रानी में अनुवाद करते वक्त इब्रानी अनुवादकों ने अनास्तासिस का अनुवाद “मरे हुओं का पुनः जीवित होना” किया है। (इब्रानी, टेखियाथ हाम्मेथिम)।a इसलिए, पुनरुत्थान का मतलब है एक मरे हुए इंसान को निर्जीव हालत से फिर से जी उठाना या दोबारा जीवित करना।
१७. (क) मरे हुए लोगों का पुनरुत्थान करना यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह के लिए ज़रा भी मुश्किल काम क्यों नहीं है? (ख) जो लोग स्मारक कब्रों में हैं उनसे यीशु ने क्या वायदा किया था?
१७ अथाह बुद्धि और सिद्ध याददाश्त रखने की वज़ह से यहोवा परमेश्वर एक इंसान का आसानी से पुनरुत्थान कर सकता है। किसी भी मरे हुए इंसान की ज़िंदगी के बारे में याद करना उसके लिए ज़रा भी मुश्किल नहीं है, जैसे कि उनकी शख्सियत कैसी थी, उन्होंने क्या-क्या किया था, उनकी एक-एक बात। (अय्यूब १२:१३. यशायाह ४०:२६ से तुलना कीजिए।) इसके अलावा जैसा कि हमें लाजर की कहानी से पता चलता है, यीशु मसीह मरे हुओं को जीवन देने के लिए न सिर्फ तैयार है, बल्कि उसमें ऐसा करने की ताकत भी है। (लूका ७:११-१७; ८:४०-५६ से तुलना कीजिए।) दरअसल यीशु मसीह ने कहा था: “वह समय आता है, कि जितने [स्मारक] कब्रों में हैं, उसका [यीशु का] शब्द सुनकर निकलेंगे। जिन्हों ने भलाई की है वे जीवन के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे और जिन्हों ने बुराई की है वे दंड के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे।” (यूहन्ना ५:२८, २९) जी हाँ, यीशु मसीह ने वायदा किया था कि जितने भी यहोवा की स्मृति में हैं, उन्हें जिलाया जाएगा। तो ज़ाहिर है कि मौत होने पर शरीर में से कोई भी अमर चीज़ नहीं निकलती, बल्कि मौत से छुटकारा पाने का तरीका सिर्फ पुनरुत्थान है। लेकिन अरबों लोग आज तक जन्में हैं और मर भी गए। उनमें से कौन-कौन परमेश्वर की याद में है और पुनरुत्थान पानेवाला है?
१८. कौन-कौन पुनरुत्थान पाएगा?
१८ जिन लोगों ने यहोवा के सेवक बनकर धार्मिकता का जीवन बिताया है, उनका पुनरुत्थान होगा। लेकिन ऐसे करोड़ों लोग भी हैं जिन्हें अपने जीवन में यह साबित करने का मौका नहीं मिला कि वे परमेश्वर के धार्मिक कायदे-कानूनों पर चलते या नहीं। या तो इन्हें परमेश्वर की माँगों की जानकारी नहीं थी या इन्हें अपनी ज़िंदगी को बदलने का मौका नहीं मिला। ये सभी लोग परमेश्वर की याद में हैं और इसलिए उन्हें जिलाया जाएगा, क्योंकि बाइबल वायदा करती है: “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।”—प्रेरितों २४:१५.
१९. (क) पुनरुत्थान के बारे में प्रेरित यूहन्ना ने क्या दर्शन देखा था? (ख) किसे ‘आग की झील में डाला जाएगा’ और इसका क्या मतलब है?
१९ प्रेरित यूहन्ना ने पुनरुत्थान पानेवाले लोगों का एक शानदार दर्शन देखा था। ये लोग परमेश्वर के सिंहासन के सामने खड़े थे। इस दर्शन के बारे में लिखते हुए उसने कहा: “फिर मैं ने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के साम्हने खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गई, अर्थात् जीवन की पुस्तक; और जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उन के कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया। और समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उस में थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उन में थे दे दिया; और उन में से हर एक के कामों के अनुसार उन का न्याय किया गया। और मृत्यु और अधोलोक भी आग की झील में डाले गए; यह आग की झील तो दूसरी मृत्यु है।” (प्रकाशितवाक्य २०:१२-१४) ज़रा सोचिए इसका क्या मतलब है! मरे हुए जितने भी लोग परमेश्वर की याद में हैं उन सबको कब्र से यानी हेडिस, या शियोल से बाहर निकाला जाएगा। (भजन १६:१०; प्रेरितों २:३१) इसके बाद “मृत्यु और अधोलोक” को “आग की झील” में डाल दिया जाएगा, जिसका मतलब है हमेशा-हमेशा का नाश। फिर कभी कब्रें नज़र नहीं आएँगी।
अनोखा भविष्य!
२०. मरे हुए करोड़ों लोग किस तरह के माहौल में जिलाए जाएँगे?
२० जब करोड़ों लोगों का पुनरुत्थान होगा तब वे एक सूनसान पृथ्वी पर नहीं जिलाए जाएँगे। (यशायाह ४५:१८) उनके चारों तरफ सुंदर माहौल होगा, वे पाएँगे कि उनके रहने के लिए बढ़िया घर, कपड़े, और भरपूर खाने का इंतज़ाम किया गया है। (भजन ६७:६; ७२:१६; यशायाह ६५:२१, २२) ये सारे इंतज़ाम आखिर कौन करेगा? ज़ाहिर है वही लोग जो नयी दुनिया में ज़िंदा बचकर पहुँचेंगे और पुनरुत्थान का काम शुरू होने से पहले इस ज़मीन पर रह रहे होंगे। लेकिन वे कौन लोग होंगे?
२१, २२. “अन्तिम दिनों में” रहनेवालों के सामने कौन-सा अनोखा भविष्य है?
२१ बाइबल की भविष्यवाणी की पूर्ति हमें बताती है कि हम इस ज़माने के “अन्तिम दिनों में” जी रहे हैं।b (२ तीमुथियुस ३:१) अब बहुत ही जल्द, यहोवा परमेश्वर दुनिया के मामलों में दखल देगा और इस पूरी धरती से बुराई का नामोनिशान मिटा देगा। (भजन ३७:१०, ११; नीतिवचन २:२१, २२) उस वक्त उन लोगों का क्या होगा जो वफादारी से परमेश्वर की सेवा कर रहे होंगे?
२२ यहोवा दुष्टों के साथ धर्मियों को नाश नहीं करेगा। (भजन १४५:२०) उसने ऐसा कभी नहीं किया, और ना ही वह ऐसा तब करेगा जब वह इस दुनिया की सारी बुराइयों को मिटाएगा। (उत्पत्ति १८:२२, २३, २६ से तुलना कीजिए।) दरअसल बाइबल की आखिरी किताब बताती है: “हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से एक ऐसी बड़ी भीड़, जिसे कोई गिन नहीं सकता था” “बड़े क्लेश में से निकलकर” आती है। (प्रकाशितवाक्य ७:९-१४) जी हाँ उस बड़े क्लेश से एक बड़ी भीड़ बचकर निकलेगी और यह भीड़ परमेश्वर के नए संसार में जाएगी, जबकि बाकी सारी दुष्ट दुनिया नाश हो जाएगी। परमेश्वर ने इंसानों को पाप और मृत्यु से आज़ाद करने का जो प्रबंध किया है, उसका पूरा-पूरा फायदा इस नयी दुनिया में परमेश्वर के वफादार लोग उठा सकेंगे। (प्रकाशितवाक्य २२:१, २) इस तरह “बड़ी भीड़” कभी-भी मौत का मुँह नहीं देखेगी। क्या ही अनोखा भविष्य!
मौत से आज़ाद ज़िंदगी
२३, २४. अगर आप खूबसूरत बगीचे जैसी धरती में हमेशा तक रहना चाहते हैं तो आपको क्या करना होगा?
२३ क्या हम इस आश्चर्यजनक भविष्य पर यकीन कर सकते हैं? बेशक! खुद यीशु ने बताया था कि एक ऐसा वक्त आएगा जब लोगों को मरना नहीं पड़ेगा। अपने दोस्त लाजर को ज़िंदा करने से पहले यीशु ने मारथा को बताया था: “जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा।”—यूहन्ना ११:२६.
२४ क्या आप एक खूबसूरत बगीचे जैसी धरती में हमेशा-हमेशा तक रहना पसंद करेंगे? क्या आप मौत की नींद में सोए अपने प्यारों से मिलना चाहेंगे? प्रेरित यूहन्ना कहता है “संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।” (१ यूहन्ना २:१७) इसलिए अभी वक्त है जब आप यह सीख सकते हैं कि परमेश्वर की इच्छा क्या है और यही वक्त है जब आप उसकी मरज़ी के मुताबिक जीने का फैसला कर सकते हैं। तब परमेश्वर की इच्छा पर चलनेवाले लाखों लोगों के साथ आप भी एक खूबसूरत बगीचे जैसी धरती में हमेशा-हमेशा तक रह सकेंगे।
[फुटनोट]
a जबकि शब्द “पुनरुत्थान” इब्रानी शास्त्र में नहीं पाया जाता, फिर भी पुनरुत्थान की आशा के बारे में अय्यूब १४:१३, दानिय्येल १२:१३, और होशे १३:१४ में साफ-साफ बताया गया है।
b वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किताब ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है के पेज ९८-१०७ देखिए।
क्या आपको याद है?
◻ शब्द नेफेश और प्सीकी का क्या मतलब है?
◻ मरने पर इंसान का क्या होता है?
◻ बाइबल के मुताबिक मरे हुओं के लिए क्या आशा है?
◻ वफादारी से परमेश्वर की सेवा करनेवालों के सामने कौन-सा अनोखा भविष्य है?
[पेज 15 पर बक्स]
प्राणियों का “प्राण”
कई बार इब्रानी शब्द नेफेश और यूनानी शब्द प्सीकी का अनुवाद “प्राण” किया गया है जो एक इंसान या जानवर की जान को सूचित करता है। जब कभी इब्रानी शब्द नेफेश और यूनानी शब्द प्सीकी का इस्तेमाल एक पूरे व्यक्ति को सूचित करने के लिए किया गया है तब हिंदी बाइबल में इसका अनुवाद प्राणी या मनुष्य किया गया है। लेकिन जहाँ पर इन शब्दों का इस्तेमाल किसी व्यक्ति में पाए जानेवाले जीवन यानी जान को सूचित करने के लिए किया गया है तब हिंदी बाइबल में इसका अनुवाद प्राण किया गया है।
उदाहरण के लिए, परमेश्वर ने मूसा को बताया: “जो मनुष्य तेरे प्राण के प्यासे थे वे सब मर गए हैं।” ज़ाहिर है कि मूसा के दुशमन उसकी जान लेना चाहते थे। (निर्गमन ४:१९. यहोशू ९:२४; नीतिवचन १२:१० से तुलना कीजिए।) यीशु ने भी इस शब्द का इसी मायने में इस्तेमाल किया जब उसने कहा: “मनुष्य का पुत्र. . . इसलिये आया कि . . . बहुतों की छुड़ौती के लिये अपने प्राण दे।”—मत्ती २०:२८.
[पेज 15 पर तसवीर]
बाइबल में इन सब को सूचित करने के लिए एक ही शब्द इस्तेमाल किया गया है
[चित्र का श्रेय]
Hummingbird: U.S. Fish and Wildlife Service, Washington, D.C./Dean Biggins
[पेज 17 पर तसवीर]
यीशु ने दिखाया कि मौत का जवाब सिर्फ पुनरुत्थान है
[पेज 18 पर तसवीर]
“जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा।”—यूहन्ना ११:२६