धर्मियों का पुनरुत्थान होगा
‘मैं परमेश्वर से आशा रखता हूं कि धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।’ —प्रेरितों २४: १५.
१. आदम और हव्वा के पतन के समय से सभी मनुष्यों को किस परिस्थिति का सामना करना पड़ा है?
“जो, काम तुझे मिले उसे अपनी शक्ति भर करना, क्योंकि अधोलोक में जहां तू जानेवाला है, न काम न युक्ति न ज्ञान और न बुद्धि है।” (सभोपदेशक ९:१०) इन चंद, चुनिंदा शब्दों से बुद्धिमान राजा सुलैमान उस परिस्थिति का वर्णन करता है जिसका सामना हमारे प्रथम माता-पिता, आदम और हव्वा के पतन के समय से मानवजाति की हर पीढ़ी को करना पड़ा है। बिना किसी अपवाद के मृत्यु ने अंततः—अमीर-ग़रीब, राजा-रंक, विश्वासी-अविश्वासी—सभी को लील लिया है। सचमुच, मृत्यु ने “राज्य किया” है।—रोमियों ५:१७.
२. इस अन्त के समय में कुछ वफ़ादार लोग शायद क्यों निराश हुए होंगे?
२ चिकित्सा विज्ञान की नवीनतम उपलब्धियों के बावजूद, मृत्यु आज भी राजा के रूप में राज्य करती है। जबकि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, कुछ लोग शायद थोड़ा-बहुत निराश हुए होंगे जब अंततः इस पुराने शत्रु से उनका आमना-सामना हुआ। क्यों? दशक १९२० में वॉच टावर संस्था ने यह संदेश घोषित किया “अभी जीवित लाखों लोग कभी नहीं मरेंगे।” ये लाखों लोग कौन होते? भेड़ और बकरियों के बारे में यीशु की टिप्पणियों में बतायी गयी ‘भेड़ें।’ (मत्ती २५:३१-४६) यह पूर्वबताया गया था कि ये भेड़-समान लोग अन्त के समय में प्रकट होंगे, और उनकी आशा होगी परादीस पृथ्वी पर अनन्त जीवन। जैसे-जैसे समय गुज़रता गया, परमेश्वर के लोगों ने यहोवा के उद्देश्यों में इन ‘भेड़ों’ के स्थान की बेहतर समझ प्राप्त की। यह समझा गया कि इन आज्ञाकारी लोगों को हठीली ‘बकरियों’ से अलग किया जाना था, और इन ‘बकरियों’ के विनाश के बाद, ये भेड़ें राज्य के पार्थिव क्षेत्र में बस जातीं जो उनके लिए तैयार किया गया था।
भेड़-समान लोगों का इकट्ठा किया जाना
३. वर्ष १९३५ से परमेश्वर के लोगों ने किस कार्य पर ध्यान केंद्रित किया है?
३ वर्ष १९३५ से, ‘विश्वासयोग्य दास’ ने ऐसे भेड़-समान लागों को ढूँढने और उन्हें यहोवा के संगठन में लाने पर ध्यान केंद्रित किया है। (मत्ती २४:४५; यूहन्ना १०:१६) इन सिखाने-योग्य मसीहियों ने समझ लिया है कि यीशु अभी यहोवा के स्वर्गीय राज्य में शासन कर रहा है और कि इस दुष्ट रीति-व्यवस्था के अन्त का और एक ऐसे नए संसार के आरंभ का समय तेज़ी से निकट आ रहा है जिसमें धार्मिकता वास करेगी। (२ पतरस ३:१३; प्रकाशितवाक्य १२:१०) उस नए संसार में यशायाह के प्रोत्साहक शब्दों की पूर्ति होगी: “वह मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा।”—यशायाह २५:८.
४. अनेक अन्य भेड़ों को क्या हुआ है जबकि उन्हें अरमगिदोन में यहोवा की सर्वसत्ता के दोषनिवारण को देखने की हार्दिक आशा थी?
४ क्योंकि शैतान के संसार का अन्त इतना निकट है, भेड़-समान मसीही उस समय तक जीवित रहने का अत्यधिक आनन्द लेना चाहेंगे जब बड़े बाबुल और शैतान के बाक़ी संसार पर आनेवाले क्लेश के दौरान यहोवा की सर्वसत्ता दोषनिवारित की जाएगी। (प्रकाशितवाक्य १९:१-३, १९-२१) एक बड़ी संख्या में लोगों के साथ ऐसा नहीं हो पाया है। अनेक लोग जिन्होंने उन “लाखों” में होने की आशा रखी थी जो कभी नहीं मरेंगे वस्तुतः मर चुके हैं। कुछ लोगों ने क़ैदखानों और नज़रबन्दी शिविरों में या धार्मिक कट्टरपंथियों के हाथों सत्य के लिए प्राणाहुति दी है। अन्य लोग दुर्घटनाओं में या बीमारी और बुढ़ापे जैसे तथाकथित प्राकृतिक कारणों से मरे हैं। (भजन ९०:९, १०; सभोपदेशक ९:११) स्पष्टतया, अन्त आने से पहले और भी लोग मरेंगे। ऐसे लोग उस नए संसार की प्रतिज्ञा की पूर्ति कैसे देखेंगे जिसमें धार्मिकता वास करेगी?
पुनरुत्थान की आशा
५, ६. उन पार्थिव आशा रखनेवालों के लिए क्या भविष्य है जो अरमगिदोन से पहले मर जाते हैं?
५ प्रेरित पौलुस ने उत्तर दिया जब वह रोमी शासक फेलिक्स के सामने बात कर रहा था। जैसे प्रेरितों २४:१५ में अभिलिखित है, पौलुस ने हिम्मत से घोषित किया: ‘मैं परमेश्वर से आशा रखता हूं कि धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।’ पुनरुत्थान की आशा हमें बुरी-से-बुरी मुसीबतों में भी साहस देती है। उस आशा के कारण, हमारे प्रिय मित्र जो बीमार पड़ जाते हैं और भाँप जाते हैं कि वे मरने जा रहे हैं अत्यधिक निरुत्साहित नहीं होते। चाहे जो भी हो, वे जानते हैं कि वे वफ़ादारी का प्रतिफल पाएँगे। पुनरुत्थान की आशा के कारण, हमारे साहसी भाई-बहन जो अत्याचारियों के हाथों मृत्यु का सामना करते हैं यह जानते हैं कि उन पर अत्याचार करनेवाले किसी भी हालत विजय नहीं पा सकते। (मत्ती १०:२८) जब कलीसिया में कोई व्यक्ति मरता है, तो हम उस को खोने के कारण उदास होते हैं। साथ ही, यदि वह अन्य भेड़ में से एक है तो हम आनन्द करते हैं कि हमारा संगी विश्वासी अन्त तक वफ़ादार साबित हुआ और परमेश्वर के नए संसार में एक भविष्य के बारे में आश्वस्त, अभी विश्राम कर रहा है।—१ थिस्सलुनीकियों ४:१३.
६ जी हाँ, पुनरुत्थान की आशा हमारे विश्वास का एक अति महत्त्वपूर्ण पहलू है। लेकिन, पुनरुत्थान में हमारा विश्वास इतना मज़बूत क्यों है, और वह आशा किन लोगों को है?
७. पुनरुत्थान क्या है, और कौन-से कुछ शास्त्रवचन उसकी निश्चितता को व्यक्त करते हैं?
७ “पुनरुत्थान” के लिए यूनानी शब्द है अनास्टासिस, जिसका शाब्दिक अर्थ है “खड़ा होना।” यह मूलतः मरे हुओं में से जी उठने को सूचित करता है। दिलचस्पी की बात है कि असल शब्द “पुनरुत्थान” इब्रानी शास्त्र में नहीं आता, लेकिन वहाँ पुनरुत्थान की आशा स्पष्ट रीति से व्यक्त की गयी है। उदाहरण के लिए, हम इसे अय्यूब के उन शब्दों में देख सकते हैं जब वह अपनी पीड़ा में था: “भला होता कि तू मुझे अधोलोक में छिपा लेता, . . . और मेरे लिये समय नियुक्त करके फिर मेरी सुधि लेता।” (अय्यूब १४:१३) उसी प्रकार, होशे १३:१४ में हम पढ़ते हैं: “मैं उसको अधोलोक के वश से छुड़ा लूंगा और मृत्यु से उसको छुटकारा दूंगा। हे मृत्यु, तेरी मारने की शक्ति कहां रही? हे अधोलोक, तेरी नाश करने की शक्ति कहां रही?” पहला कुरिन्थियों १५:५५ में प्रेरित पौलुस ने ये शब्द उद्धृत किए और दिखाया कि पूर्वबतायी गयी मृत्यु पर विजय पुनरुत्थान के द्वारा निष्पन्न होती है। (निःसंदेह, उस शास्त्रवचन में पौलुस स्वर्गीय पुनरुत्थान के बारे में बोल रहा था।)
विश्वासी “धर्मी ठहरे”
८, ९. (क) धर्मियों के पुनरुत्थान में अपरिपूर्ण मनुष्यों का भाग कैसे हो सकता है? (ख) एक ऐसे जीवन की हमारी आशा का क्या आधार है जो मृत्यु द्वारा समाप्त नहीं होगा?
८ अनुच्छेद ५ में उद्धृत, फेलिक्स को अपने वक्तव्य में पौलुस ने कहा कि धर्मी और अधर्मी दोनों का पुनरुत्थान होगा। वे धर्मी कौन हैं जिनका जी उठना होगा? कोई मनुष्य स्वभाव से धर्मी नहीं है। हम सभी जन्म से पापी हैं, और हम अपने पूरे जीवनकाल में पाप करते हैं—जो हमें दो कारणों से मृत्यु के योग्य बनाता है। (रोमियों ५:१२; ६:२३) लेकिन, बाइबल में हम ये शब्द ‘धर्मी ठहरे’ पाते हैं। (रोमियों ३:२८) यह उन मनुष्यों को सूचित करता है जिनके पाप यहोवा ने क्षमा किए हैं, हालाँकि वे अपरिपूर्ण मनुष्य हैं।
९ यह अभिव्यक्ति मुख्य रूप से अभिषिक्त मसीहियों के सम्बन्ध में प्रयोग की जाती है, जिनके पास स्वर्गीय आशा है। रोमियों ५:१ में प्रेरित पौलुस कहता है: “जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।” (तिरछे टाइप हमारे) सभी अभिषिक्त मसीही विश्वास के कारण धर्मी ठहरते हैं। किस में विश्वास? जैसा पौलुस रोमियों की पुस्तक में काफ़ी विस्तार से समझाता है, यह यीशु मसीह में विश्वास है। (रोमियों १०:४, ९, १०) यीशु एक परिपूर्ण मनुष्य के रूप में मरा और उसके बाद मरे हुओं में से पुनरुत्थित हुआ और हमारी ओर से अपने मानवी जीवन का मूल्य अर्पित करने के लिए स्वर्ग पर चढ़ा। (इब्रानियों ७:२६, २७; ९:११, १२) जब यहोवा ने वह बलिदान स्वीकार किया, तो यीशु ने वस्तुतः मानवजाति को पाप और मृत्यु के दासत्व से मोल ले लिया। वे जो इस प्रबन्ध में विश्वास रखते हैं इससे बहुत लाभ उठाते हैं। (१ कुरिन्थियों १५:४५) इसके आधार पर वफ़ादार पुरुषों और स्त्रियों को ऐसा जीवन पाने की आशा है जो कठोर शत्रु, अर्थात् मृत्यु द्वारा समाप्त नहीं किया जाएगा।—यूहन्ना ३:१६.
१०, ११. (क) वफ़ादार अभिषिक्त मसीहियों के लिए कौन-सा पुनरुत्थान है? (ख) मसीही-पूर्व उपासकों ने किस क़िस्म के पुनरुत्थान की आशा की थी?
१० यीशु के छुड़ौती बलिदान के कारण वफ़ादार अभिषिक्त जन धर्मी ठहराए गए हैं, और उनके पास यीशु की तरह, अमर आत्मिक प्राणियों के रूप में पुनरुत्थित होने की निश्चित आशा है। (प्रकाशितवाक्य २:१०) उनका पुनरुत्थान प्रकाशितवाक्य २०:६ में उल्लिखित है, जो कहता है: “धन्य और पवित्र वह है, जो इस पहिले पुनरुत्थान का भागी है; ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं, पर वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे, और उसके साथ हजार वर्ष तक राज्य करेंगे।” यह स्वर्गीय पुनरुत्थान है। लेकिन नोट कीजिए कि बाइबल इसे ‘पहिला पुनरुत्थान’ कहती है जो संकेत करता है कि और भी आना बाक़ी है।
११ इब्रानियों अध्याय ११ में पौलुस ने परमेश्वर के मसीही-पूर्व सेवकों की एक लम्बी सूची दी जिन्होंने यहोवा परमेश्वर में मज़बूत विश्वास प्रदर्शित किया था। उन्हें भी एक पुनरुत्थान में विश्वास था। उस अध्याय की आयत ३५ में, पौलुस यह कहते हुए उन चमत्कारिक पुनरुत्थानों के बारे में बताता है जो इस्राएल के इतिहास के दौरान हुए: “स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसलिये कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों।” प्राचीन समय के वे वफ़ादार गवाह, उदाहरण के लिए, एलिय्याह और एलीशा द्वारा किए गए पुनरुत्थानों से बेहतर पुनरुत्थान की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर सकते थे। (१ राजा १७:१७-२२; २ राजा ४:३२-३७; १३:२०, २१) उनकी आशा थी एक ऐसे संसार में पुनरुत्थान जहाँ परमेश्वर के सेवकों को उनके विश्वास के कारण यातना नहीं दी जाती, ऐसा संसार जहाँ स्त्रियों को मृत्यु में अपने प्रिय जनों को खोना नहीं पड़ता। जी हाँ, जिस नए संसार की आशा हम करते हैं उन्होंने उसी नए संसार में मृतकों में से जी उठने की उत्सुकता से प्रतीक्षा की। (यशायाह ६५:१७-२५) इस नए संसार के बारे में यहोवा ने उन्हें उतना नहीं प्रकट किया था जितना उसने हमें प्रकट किया है। फिर भी, वे जानते थे कि नया संसार आ रहा है, और वे उसमें होना चाहते थे।
पार्थिव पुनरुत्थान
१२. क्या मसीही-पूर्व वफ़ादार लोग धर्मी ठहराए गए थे? समझाइए।
१२ उस नए संसार में इन वफ़ादार मसीही-पूर्व पुरुषों और स्त्रियों के जी उठने को क्या हमें धर्मियों के पुनरुत्थान का भाग समझना चाहिए? प्रत्यक्षतः हाँ, क्योंकि बाइबल उन्हें धर्मी कहती है। उदाहरण के लिए, शिष्य याकूब प्राचीन समय के एक पुरुष और स्त्री का उल्लेख करता है जो धर्मी ठहराए गए थे। वह पुरुष इब्राहीम था, इब्रानी प्रजाति का पूर्वज। उसके विषय में हम पढ़ते हैं: “इब्राहीम ने परमेश्वर की प्रतीति की, और यह उसके लिये धर्म गिना गया, और वह परमेश्वर का मित्र कहलाया।” वह स्त्री राहाब थी, एक ग़ैर-इस्राएली स्त्री जिसने यहोवा पर विश्वास रखा। वह ‘धर्मी ठहरायी’ गयी और इब्रानी जाति का भाग बन गयी। (याकूब २:२३-२५) अतः, यहोवा और उसकी प्रतिज्ञाओं में मज़बूत विश्वास रखनेवाले तथा मृत्यु तक वफ़ादार रहनेवाले प्राचीन समय के पुरुष और स्त्री अपने विश्वास के आधार पर यहोवा द्वारा धर्मी ठहराए गए। और वे निश्चित ही ‘धर्मियों के जी उठने’ में भाग लेंगे।
१३, १४. (क) हम कैसे जानते हैं कि पार्थिव आशा रखनेवाले मसीही धर्मी ठहराए जा सकते हैं? (ख) उनके लिए इसका क्या अर्थ है?
१३ लेकिन, आज भेड़-समान व्यक्तियों के बारे में क्या, जिनकी पार्थिव आशा है और जो अपने आपको यहोवा को समर्पित करते हैं तथा जो इस अन्त के समय के दौरान वफ़ादार रहते हुए मर जाते हैं? क्या वे धर्मियों के जी उठने में भाग लेंगे? प्रतीयमानतः, हाँ। प्रेरित यूहन्ना ने ऐसे वफ़ादार लोगों की एक बड़ी भीड़ को दर्शन में देखा। नोट कीजिए कि वह उनका वर्णन कैसे करता है: “मैं ने दृष्टि की, और देखो, हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से एक ऐसी बड़ी भीड़, जिसे कोई गिन नहीं सकता था श्वेत वस्त्र पहिने, और अपने हाथों में खजूर की डालियां लिए हुए सिंहासन के साम्हने और मेम्ने के साम्हने खड़ी है। और बड़े शब्द से पुकारकर कहती है, कि उद्धार के लिये हमारे परमेश्वर का जो सिंहासन पर बैठा है, और मेम्ने का जय-जय-कार हो।”—प्रकाशितवाक्य ७:९, १०.
१४ नोट कीजिए कि ये नम्र लोग अपने उद्धार के बारे में पूरी तरह विश्वस्त हैं, और वे इसका श्रेय यहोवा और यीशु, अर्थात् “मेम्ने” को देते हैं। इसके अतिरिक्त, वे सभी श्वेत वस्त्र पहने हुए यहोवा और मेम्ने के सामने खड़े हैं। श्वेत वस्त्र में क्यों? एक स्वर्गीय प्राणी यूहन्ना को बताता है: “इन्हों ने अपने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धोकर श्वेत किए हैं।” (प्रकाशितवाक्य ७:१४) बाइबल में, श्वेत शुद्धता और धार्मिकता का प्रतीक है। (भजन ५१:७; दानिय्येल १२:१०; प्रकाशितवाक्य १९:८) इस तथ्य का कि बड़ी भीड़ श्वेत वस्त्र पहने हुए देखी गयी यह अर्थ है कि यहोवा उन्हें धर्मी समझता है। यह कैसे सम्भव है? क्योंकि उन्होंने, मानो, मेम्ने के लहू में अपने वस्त्र धोए हैं। वे यीशु मसीह के बहाए गए लहू में विश्वास रखते हैं और इस कारण परमेश्वर के मित्रों के रूप में धर्मी ठहरे हैं जिन्हें बड़े क्लेश से बच निकलने की प्रत्याशा है। अतः, कोई भी वफ़ादार समर्पित मसीही जो अभी “बड़ी भीड़” का भाग है और जो बड़े क्लेश से पहले मर जाता है धर्मियों के पार्थिव पुनरुत्थान का भागी होने के लिए निश्चित हो सकता है।
१५. क्योंकि धर्मी और अधर्मी दोनों का पुनरुत्थान होगा, धर्मियों के पुनरुत्थान का क्या लाभ है?
१५ उस पुनरुत्थान का वर्णन प्रकाशितवाक्य अध्याय २०, आयत १३ में इन शब्दों में किया गया है: “समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उस में थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक [हेडीस्, NW] ने उन मरे हुओं को जो उन में थे दे दिया; और उन में से हर एक के कामों के अनुसार उन का न्याय किया गया।” अतः, यहोवा के महान हज़ार-वर्षीय न्याय के दिन के दौरान, वे सभी लोग जो परमेश्वर के स्मरण में हैं—धर्मी और अधर्मी दोनों—पुनरुत्थित किए जाएँगे। (प्रेरितों १७:३१) लेकिन, धर्मियों के लिए यह कितना बेहतर होगा! वे विश्वास का जीवन जी चुके हैं। उनका यहोवा के साथ पहले ही एक घनिष्ठ सम्बन्ध है और उन्हें उसके उद्देश्यों की पूर्ति में भरोसा है। मसीही युग के पहले के धर्मी गवाह मृत्यु से उठकर यह जानने के लिए उत्सुक होंगे कि वंश के सम्बन्ध में यहोवा की प्रतिज्ञाएँ कैसे पूरी हुईं। (१ पतरस १:१०-१२) हमारे दिनों में अन्य भेड़ों के सदस्य जिन्हें यहोवा धर्मी समझता है उस परादीस पृथ्वी को देखने की उत्सुकता के साथ क़ब्र से उठेंगे जिसके बारे में उन्होंने बात की थी जब इस रीति-व्यवस्था में उन्होंने सुसमाचार की घोषणा की थी। वह क्या ही हर्षमय समय होगा!
१६. वे जो हमारे समय में मरते हैं न्याय के दिन में उनके पुनरुत्थान के बारे में हम क्या कह सकते हैं?
१६ उस हज़ार-वर्षीय न्याय के दिन के दौरान, शैतान की रीति-व्यवस्था के इन अन्तिम सालों में वफ़ादार रहकर मरनेवाले लोगों का पुनरुत्थान ठीक किस समय होगा? बाइबल नहीं बताती। लेकिन, क्या यह सोचना तर्कसंगत नहीं कि धर्मी ठहराए गए वे लोग जो हमारे दिनों में मरते हैं उनका पुनरुत्थान पहले होगा और इस प्रकार वे अरमगिदोन से बचनेवालों की बड़ी भीड़ के साथ मिलकर मृतकों की पिछली पीढ़ियों का स्वागत करने के कार्य में भाग ले सकेंगे? जी हाँ, सचमुच!
आशा जो सांत्वना देती है
१७, १८. (क) पुनरुत्थान की आशा क्या सांत्वना प्रदान करती है? (ख) हम यहोवा के बारे में क्या घोषित करने के लिए प्रेरित होते हैं?
१७ पुनरुत्थान की आशा आज सभी मसीहियों को शक्ति और सांत्वना देती है। यदि हम वफ़ादार रहें, तो कोई आकस्मिक घटना और कोई शत्रु हम से हमारा प्रतिफल नहीं चुरा सकता! उदाहरण के लिए, यहोवा के गवाहों की वार्षिकी १९९२ (अंग्रेज़ी) के पृष्ठ १७७ पर इथियोपिया के उन साहसी मसीहियों की तस्वीरें हैं जो मर गए लेकिन अपने विश्वास का समझौता नहीं किया। शीर्षक कहता है: “चेहरे जिन्हें हम पुनरुत्थान में देखने की प्रत्याशा करते हैं।” इन से और उन अनगिनत अन्य लोगों से परिचित होना क्या ही विशेषाधिकार होगा जिन्होंने मृत्यु का सामना करते हुए भी इसी प्रकार की वफ़ादारी दिखायी है!
१८ हमारे अपने प्रिय जनों और मित्रों के बारे में क्या जो उम्र या अशक्तता के कारण बड़े क्लेश से जीवित पार नहीं होते? पुनरुत्थान की आशा के सामंजस्य में, यदि वे वफ़ादार रहें तो उनका भविष्य अद्भुत है। और यदि हम भी यीशु के छुड़ौती बलिदान में साहसपूर्वक विश्वास रखते हैं, तो हमारा भविष्य अद्भुत है। क्यों? क्योंकि पौलुस की तरह, हम ‘धर्मी और अधर्मी दोनों के जी उठने’ की आशा करते हैं। अपने पूरे हृदय से, हम इस आशा के लिए यहोवा का धन्यवाद करते हैं। निश्चय ही, यह हमें भजनहार के इन शब्दों को दोहराने के लिए प्रेरित करता है: “अन्य जातियों में [परमेश्वर की] महिमा का, और देश देश के लोगों में उसके आश्चर्यकर्मों का वर्णन करो। क्योंकि यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है।”—भजन ९६:३, ४.
क्या आप समझा सकते हैं?
◻ कौन-से शास्त्रवचन पार्थिव पुनरुत्थान की हमारी आशा की पुष्टि करने में मदद करते हैं?
◻ अभी मसीही किस आधार पर धर्मी ठहराए जाते हैं?
◻ पुनरुत्थान की आशा हमें साहस और दृढ़-संकल्प कैसे देती है?
[पेज 9 पर तसवीरें]
पौलुस की तरह, अभिषिक्त मसीही स्वर्गीय पुनरुत्थान की आशा रखते हैं