राज्य का संदेश कबूल करने में दूसरों की मदद करें
“अग्रिप्पा ने पौलुस से कहा, ‘थोड़े ही समय में तू अपनी दलीलों से मुझे मसीही बनने को कायल कर देगा।’”—प्रेरितों 26:28, Nw.
1, 2. प्रेरित पौलुस को गवर्नर फेस्तुस और राजा हेरोदेस अग्रिप्पा II के सामने क्यों हाज़िर होना पड़ा?
सामान्य युग 58 में कैसरिया में, रोमी गवर्नर पुरकियुस फेस्तुस के यहाँ, यरूशलेम से राजा हेरोदेस अग्रिप्पा II और उसकी बहन बिरनीके मेहमान बनकर आए। उन्हें गवर्नर फेस्तुस ने न्यौता दिया था। वे “बड़ी धूमधाम से पलटन के सरदारों और नगर के बड़े लोगों के साथ दरबार में पहुंचे।” तब फेस्तुस के हुक्म पर मसीही प्रेरित पौलुस को उनके सामने हाज़िर किया गया। आखिर किस वजह से यीशु मसीह के इस चेले को गवर्नर फेस्तुस के न्याय सिंहासन के सामने पेश होना पड़ा?—प्रेरितों 25:13-23.
2 फेस्तुस ने अपने मेहमानों को जो बताया, उससे हम जवाब पा सकते हैं कि पौलुस को वहाँ क्यों लाया गया था। उसने कहा: “हे महाराजा अग्रिप्पा, और हे सब मनुष्यो जो यहां हमारे साथ हो, तुम इस मनुष्य को देखते हो, जिस के विषय में सारे यहूदियों ने यरूशलेम में और यहां भी चिल्ला चिल्लाकर मुझ से बिनती की, कि इस का जीवित रहना उचित नहीं। परन्तु मैं ने जान लिया, कि उस ने ऐसा कुछ नहीं किया कि मार डाला जाए; और जब कि उस ने आप ही महाराजाधिराज की दोहाई दी, तो मैं ने उसे भेजने का उपाय निकाला। परन्तु मैं ने उसके विषय में कोई ठीक बात नहीं पाई कि अपने स्वामी के पास लिखूं, इसलिये मैं उसे तुम्हारे साम्हने और विशेष करके हे महाराजा अग्रिप्पा तेरे साम्हने लाया हूं, कि जांचने के बाद मुझे कुछ लिखने को मिले। क्योंकि बन्धुए को भेजना और जो दोष उस पर लगाए गए, उन्हें न बताना, मुझे व्यर्थ समझ पड़ता है।”—प्रेरितों 25:24-27.
3. धर्म-गुरुओं ने पौलुस पर इलज़ाम क्यों लगाए?
3 फेस्तुस ने जो बताया, उससे ज़ाहिर होता है कि पौलुस के सिर पर देशद्रोही होने का झूठा इलज़ाम मढ़ा गया था। (प्रेरितों 25:11) यह जुर्म करनेवाले को सज़ा-ए-मौत दी जाती थी। लेकिन पौलुस बेगुनाह था। यरूशलेम के धर्म-गुरुओं ने जलन के मारे उस पर ये इलज़ाम लगाए थे। पौलुस के प्रचार काम का उन्होंने विरोध किया, और यह देखकर वे कुढ़ते रहते थे कि वह लोगों को यीशु का चेला बना रहा है। पौलुस को हथियारों से लैस सैनिकों की हिफाज़त में यरूशलेम से, बंदरगाह शहर कैसरिया लाया गया और वहाँ उसने अपने मुकद्दमे की सुनवाई के लिए कैसर से अपील की। वहाँ से उसे रोम ले जाया जाता।
4. राजा अग्रिप्पा ने ऐसा क्या कहा जिससे हमें हैरत होती है?
4 कल्पना कीजिए कि पौलुस, गवर्नर के दरबार में कई लोगों के सामने हाज़िर है, जिनमें से एक राजा अग्रिप्पा है जो रोमी साम्राज्य के एक खास इलाके का राजा था। राजा अग्रिप्पा, पौलुस की ओर देखकर उससे कहता है: ‘तुझे बोलने की आज्ञा है।’ जब पौलुस ने बोलना शुरू किया, तो एक अनोखी बात हुई। पौलुस की बातें राजा के दिल को ऐसे झंझोड़ने लगीं कि वह बोल उठा: “थोड़े ही समय में तू अपनी दलीलों से मुझे मसीही बनने को कायल कर देगा!” (NW)—प्रेरितों 26:1-28.
5. पौलुस ने जो कहा, उसका अग्रिप्पा पर क्यों इतना ज़बरदस्त असर हुआ?
5 ज़रा सोचिए तो सही! पौलुस ने इतनी कुशलता से अपनी सफाई पेश की कि परमेश्वर के वचन ने एक राजा के दिल को गहराई तक बेध दिया। (इब्रानियों 4:12) पौलुस ने अपनी सफाई किस तरह पेश की जिससे इतना ज़बरदस्त असर हुआ? और हम पौलुस से क्या सीख सकते हैं जो चेला बनाने के काम में हमारी मदद कर सकता है? पौलुस ने जिस तरह से सफाई पेश की, उस पर ध्यान देने से हमें दो खास मुद्दों का पता लगता है: (1) पौलुस गवाही देते वक्त कायल करने में हुनरमंद था। (2) पौलुस को परमेश्वर के वचन का जो ज्ञान था उसका, उसने बड़ी निपुणता से इस्तेमाल किया, ठीक उसी तरह जैसे एक कुशल कारीगर अपने औज़ार को बेहतरीन ढंग से काम में लाता है।
कायल करने का हुनर इस्तेमाल कीजिए
6, 7. (क) शब्द “कायल” का बाइबल में जिस तरह इस्तेमाल किया गया है, उसका क्या मतलब है? (ख) दूसरों को बाइबल की सच्चाई पर विश्वास दिलाने के लिए कायल करने का हुनर कितनी अहमियत रखता है?
6 प्रेरितों के काम किताब में, पौलुस के सिलसिले में “कायल” के लिए यूनानी शब्द का बार-बार इस्तेमाल किया गया है। आज चेला बनाने के काम में, कायल करने का हुनर हमारे लिए क्या अहमियत रखता है?
7 वाइन की एक्सपोज़िट्री डिक्शनरी ऑफ न्यू टॆस्टमेंट वर्ड्स कहती है कि मसीही यूनानी शास्त्र की मूल भाषा में ‘कायल करने’ का मतलब है, “मन जीत लेना” या “तर्क देकर या सही-गलत के बारे में ठोस दलीलें पेश करके किसी की विचारधारा बदल देना।” “कायल” के लिए इस्तेमाल हुए शब्द के बुनियादी मतलब की जाँच करने पर हमें इसके बारे में और भी गहरी समझ मिलती है। इस शब्द का एक मतलब भरोसा भी है। यह दिखाता है कि जब आप किसी को बाइबल की शिक्षा पर यकीन दिलाने के लिए उसे कायल करते हैं, तो आप उसका भरोसा जीत लेते हैं। इसलिए उसे बाइबल की सच्चाई पर विश्वास होने लगता है। ज़ाहिर है कि एक इंसान को विश्वास दिलाने और उसके मुताबिक काम करने को उकसाने के लिए उसे सिर्फ यह बताना काफी नहीं कि किसी मामले पर बाइबल क्या कहती है। आपको उसे यकीन भी दिलाना होगा कि आप जो कुछ कह रहे हैं वह सच है, फिर चाहे सुननेवाला कोई बच्चा हो या पड़ोसी, साथ काम करनेवाला हो या स्कूल का साथी, या कोई रिश्तेदार।—2 तीमुथियुस 3:14, 15.
8. बाइबल की सच्चाई पर दूसरों को यकीन दिलाने के लिए क्या करने की ज़रूरत है?
8 परमेश्वर के वचन से किसी को गवाही देते वक्त, आप उसे कैसे यकीन दिला सकते हैं कि आप जो कुछ कह रहे हैं वह सच है? पौलुस ने अपने सुननेवालों की सोच बदलने के लिए उनके सामने ठोस दलीलें पेश कीं, तर्क देकर उन्हें समझाया और सच्चे दिल से उनसे गुज़ारिश की।a तो आपका सिर्फ यह बताना काफी नहीं होगा कि आप जो कह रहे हैं वह सही है, बल्कि अपनी बात साबित करने के लिए पक्के सबूत भी पेश करने होंगे। यह आप कैसे कर सकते हैं? इस बात का ध्यान रखें कि आप जो कहते हैं, वह पूरी तरह परमेश्वर के वचन से हो। आपको अपने विचार नहीं बताने चाहिए। इसके अलावा, बाइबल की जो बातें आपके दिल को छू गयी हैं, उन्हें दूसरों को बताते वक्त, पुख्ता करने के लिए कुछ बाहरी सबूत भी दीजिए। (नीतिवचन 16:23) मसलन, अगर आप यह बताना चाहते हैं कि आज्ञा माननेवाले इंसानों को धरती पर फिरदौस में ज़िंदगी मिलेगी, तो उसे साबित करने के लिए बाइबल की कोई आयत दिखाइए जैसे यशायाह 65:21-25. इस मुद्दे को साबित करने के लिए आप कौन-से बाहरी सबूत दे सकते हैं? आप कुछ ऐसी बातों का ज़िक्र कर सकते हैं जिनसे सामनेवाला वाकिफ है। आप उसे ध्यान दिला सकते हैं कि कैसे हम प्रकृति की कई चीज़ों का मुफ्त में मज़ा लेते हैं, जैसे ढलते सूरज की खूबसूरती, फूलों की भीनी-भीनी खुशबू, फलों का बढ़िया स्वाद, या यह देखना का कि एक चिड़िया अपनी चोंच से बच्चों को कैसे खिलाती है। सिरजनहार से मिली ये सारी नेमतें दिखाती हैं कि वह चाहता है कि हम ज़िंदगी का लुत्फ उठाएँ। यह बात समझने में अपने सुननेवाले की मदद कीजिए।—सभोपदेशक 3:11, 12.
9. हम प्रचार में कोमलता का गुण कैसे दिखा सकते हैं?
9 बाइबल की एक शिक्षा पर जब आप किसी को यकीन दिलाने की कोशिश करते हैं, तो ध्यान रहे कि कहीं आप जोश में आकर ऐसे बात न करें जिससे लगे कि आप उस पर अपनी बात थोप रहे हैं। इससे सामनेवाला आपकी बात सुनना ही नहीं चाहेगा। सेवा स्कूल किताब में हमें आगाह किया गया है: “सच क्या है, अगर हम लोगों को सीधे-सीधे यह बता दें और ऐसा करके उनके किसी गहरे विश्वास पर प्रहार करें, तो बेशक वे आपकी बात सुनना पसंद नहीं करेंगे। फिर चाहे आप अपनी बात की सच्चाई साबित करने के लिए बेहिसाब आयतें पढ़कर क्यों न सुना दें। उदाहरण के लिए, अगर हम जाने-माने त्योहारों की सीधे-सीधे बुराई करेंगे और यह कहेंगे कि उनकी शुरूआत झूठे धर्मों से हुई है, तो ज़रूरी नहीं कि लोग उन त्योहारों के बारे में अपनी राय बदल दें। इसके लिए, तर्क करके समझाने के अकसर अच्छे नतीजे निकलते हैं।” हमें क्यों तर्क देकर बात करने और कोमल होने की पूरी-पूरी कोशिश करनी चाहिए? वही किताब कहती है: “तर्क करने के तौर-तरीके से, लोगों के साथ चर्चा करने का रास्ता खुल जाता है, वे बाद में भी इसके बारे में सोचते रहते हैं, साथ ही आगे के लिए और ज़्यादा चर्चा करना भी मुमकिन हो जाता है। यह तरीका लोगों को कायल करने में काफी असरदार साबित हो सकता है।”—कुलुस्सियों 4:6.
ऐसे कायल करना कि दिलों को उभार सकें
10. पौलुस ने अग्रिप्पा के सामने अपनी सफाई की शुरूआत कैसे की?
10 अब आइए हम प्रेरितों के अध्याय 26 में दर्ज़ पौलुस के शब्दों की करीब से जाँच करें। गौर कीजिए कि उसने अपनी सफाई की शुरूआत कैसे की थी। पौलुस ने चर्चा की बुनियाद डालने के लिए एक जायज़ वजह पाकर अग्रिप्पा की तारीफ की, हालाँकि उस राजा का अपनी बहन बिरनीके के साथ नाजायज़ संबंध था। पौलुस ने कहा: “हे राजा अग्रिप्पा, जितनी बातों का यहूदी मुझ पर दोष लगाते हैं, आज तेरे साम्हने उन का उत्तर देने में मैं अपने को धन्य समझता हूं। विशेष करके इसलिये कि तू यहूदियों के सब व्यवहारों और विवादों को जानता है, सो मैं बिनती करता हूं, धीरज से मेरी सुन ले।”—प्रेरितों 26:2, 3.
11. पौलुस के शब्दों से कैसे ज़ाहिर हुआ कि उसने अग्रिप्पा का सम्मान किया, और इससे क्या फायदा हुआ?
11 क्या आपने गौर किया कि पौलुस ने अग्रिप्पा से बात करते वक्त उसे राजा कहकर उसकी ऊँची पदवी के लिए सम्मान दिखाया? और पौलुस ने उसकी शान में बड़ी समझदारी के साथ, सही शब्द इस्तेमाल किए। (1 पतरस 2:17) उसने अग्रिप्पा के बारे में कहा कि वह यहूदियों के ढेरों रस्मो-रिवाज़ और कायदे-कानूनों का बड़ा ज्ञानी है। और ऐसे जानकार राजा के सामने अपनी सफाई पेश करने में वह खुद को धन्य समझता है। पौलुस, गैर-मसीही अग्रिप्पा के सामने इस तरह पेश नहीं आया, मानो वह एक मसीही होने की वजह से उससे किसी तरह बेहतर है। (फिलिप्पियों 2:3) इसके बजाय, उसने राजा से यह बिनती की कि वह उसकी बात सब्र से सुने। इस तरह पौलुस ने ऐसा माहौल तैयार किया जिससे अग्रिप्पा और वहाँ मौजूद दूसरे लोग उसकी बातों पर यकीन कर सकें। वह अपनी चर्चा के लिए एक बुनियाद डाल रहा था। यानी उसने ऐसी बात कही जिसे वह और अग्रिप्पा दोनों मानते थे और जिसकी बिनाह पर वह आगे अपना तर्क पेश कर सके।
12. राज्य के प्रचार काम में हम सुननेवालों के दिलों को कैसे उभार सकते हैं?
12 पौलुस ने जिस तरह अग्रिप्पा से बात की, वैसे ही हमें भी प्रचार के दौरान अपनी बातचीत में शुरू से लेकर आखिर तक, सामनेवाले के दिल को उकसाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए ज़रूरी है कि हम उसे दिल से इज़्ज़त दिखाएँ और उसकी संस्कृति और उसके सोच-विचार से वाकिफ होने की कोशिश करें।—1 कुरिन्थियों 9:20-23.
परमेश्वर के वचन का कुशलता से इस्तेमाल करें
13. पौलुस की तरह, आप अपने सुननेवालों के दिल में कैसे जोश पैदा कर सकते हैं?
13 पौलुस जिनको सुसमाचार सुनाता था, उनके दिलों में सुनी हुई बातों पर अमल करने का जोश पैदा करना चाहता था। (1 थिस्सलुनीकियों 1:5-7) इस काम को अंजाम देने के लिए, उसने लोगों के दिलों तक पहुँचने की कोशिश की, क्योंकि एक इंसान का दिल ही उसे कुछ काम करने के लिए उभारता है। अग्रिप्पा के सामने पौलुस ने जो सफाई पेश की, उस पर दोबारा गौर करने से हम जान सकते हैं कि पौलुस, मूसा और भविष्यवक्ताओं की बातों का हवाला देकर कैसे ‘परमेश्वर के वचन को ठीक रीति से काम में लाया।’—2 तीमुथियुस 2:15.
14. समझाइए कि पौलुस ने अग्रिप्पा को कैसे कायल किया।
14 पौलुस जानता था कि अग्रिप्पा एक यहूदी होने का दावा करता था। पौलुस ने यहूदी धर्म के बारे में अग्रिप्पा के ज्ञान की दुहाई देकर, उसके सामने यह तर्क पेश किया कि वह मसीहा की मौत और उसके पुनरुत्थान के बारे में “उन बातों को छोड़ कुछ नहीं कहता, जो भविष्यद्वक्ताओं और मूसा ने भी कहा कि होनेवाली हैं।” (प्रेरितों 26:22, 23) इसके बाद, उसने सीधे-सीधे अग्रिप्पा से पूछा: “हे राजा अग्रिप्पा, क्या तू भविष्यद्वक्ताओं की प्रतीति करता है?” अब अग्रिप्पा धर्म-संकट में पड़ गया। अगर वह कहता कि उसे भविष्यवक्ताओं पर विश्वास नहीं है, तो यहूदी विश्वासी होने का उसका रुतबा खाक में मिल जाता। लेकिन अगर वह पौलुस के तर्क से सहमत हो जाता, तो सबके सामने यह इस बात का सबूत होता कि वह पौलुस का पक्ष ले रहा है और उसे मसीही कहलाने का जोखिम उठाना पड़ता। इसलिए पौलुस ने बुद्धिमानी दिखाते हुए अपने सवाल का खुद ही जवाब दिया: “हां, मैं जानता हूं, कि तू प्रतीति करता है।” (तिरछे टाइप हमारे।) इस पर अग्रिप्पा के दिल ने उसे क्या कहने को उभारा? उसने कहा: “थोड़े ही समय में तू अपनी दलीलों से मुझे मसीही बनने को कायल कर देगा।” (NW) (प्रेरितों 26:27, 28) हालाँकि अग्रिप्पा मसीही नहीं बना, मगर पौलुस के संदेश का उसके दिल पर काफी हद तक असर पड़ा।—इब्रानियों 4:12.
15. पौलुस, थिस्सलुनीके में एक कलीसिया की शुरूआत कैसे कर सका?
15 क्या आपने गौर किया कि पौलुस, सुसमाचार सुनाने के साथ-साथ लोगों को कायल भी करता था? यही तरीका अपनाकर, पौलुस ‘परमेश्वर के वचन को ठीक रीति से काम में लाया,’ इसलिए कुछ लोगों ने न सिर्फ उसकी बातें सुनीं, बल्कि वे विश्वासी भी बन गए। थिस्सलुनीके में ऐसा ही हुआ था, जहाँ पौलुस ने आराधनालय में जाकर यहूदियों और परमेश्वर का भय माननेवाले अन्यजाति के लोगों को प्रचार किया था। प्रेरितों 17:2-4 में यह वाकया दिया गया है: “पौलुस अपनी रीति के अनुसार उन के पास गया, और तीन सब्त के दिन पवित्र शास्त्रों से उन के साथ विवाद किया। और उन का अर्थ खोल खोलकर समझाता था, कि मसीह को दुख उठाना, और मरे हुओं में से जी उठना, अवश्य था; . . . उन में से कितनों ने . . . मान लिया।” पौलुस ने थिस्सलुनीके के लोगों को कायल किया था। उसने तर्क पेश करके, मुद्दों को समझाकर और शास्त्र का हवाला देकर साबित किया कि यीशु ही वह मसीहा है जिसके आने का वादा बहुत पहले से किया गया था। नतीजा क्या हुआ? वहाँ विश्वासियों की एक कलीसिया बन गयी।
16. आप राज्य का प्रचार करने में ज़्यादा खुशी कैसे पा सकते हैं?
16 क्या आप दूसरों को परमेश्वर का वचन सुनाकर उन्हें कायल करने की अपनी काबिलीयत को और निखार सकते हैं? अगर आप ऐसा कर पाएँ, तो परमेश्वर के राज्य का प्रचार करने और सिखाने के काम में आपको ज़्यादा खुशी मिलेगी और आप संतोष भी महसूस करेंगे। जिन प्रचारकों ने सेवा में बाइबल का ज़्यादा-से-ज़्यादा इस्तेमाल करने के सुझाव पर अमल किया उन्हें ऐसी ही खुशी मिली।
17. यह दिखाने के लिए कि सेवा में बाइबल का इस्तेमाल करना फायदेमंद है, अपना कोई अनुभव सुनाइए या इस पैराग्राफ में दिए अनुभव का सार बताइए।
17 मिसाल के लिए, यहोवा के साक्षियों के एक सफरी ओवरसियर ने लिखा: “अब बहुत-से भाई-बहनों को हाथ में बाइबल लेकर घर-घर प्रचार करते देखा जा सकता है। इस वजह से उनसे मिलनेवाले ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को वे बाइबल की आयतें पढ़कर सुना पा रहे हैं। इससे न सिर्फ घर-मालिकों के दिल में, बल्कि प्रचारकों के दिल में भी यह बात बैठ गयी है कि हमारी सेवा का नाता सिर्फ संस्था की किताबों-पत्रिकाओं से नहीं बल्कि बाइबल से है।” हम प्रचार करते वक्त, बाइबल हाथ में पकड़े हुए घर-घर जाएँगे या नहीं, यह काफी हद तक हमारे यहाँ के रिवाज़ और दूसरी कई बातों पर निर्भर करता है। मगर हम सभी की यह ख्वाहिश होनी चाहिए कि हम परमेश्वर के वचन का कुशलता से इस्तेमाल करने के लिए जाने जाएँ, ताकि हम दूसरों को राज्य का संदेश कबूल करने के लिए कायल कर सकें।
सेवा के बारे में परमेश्वर का नज़रिया रखिए
18, 19. (क) परमेश्वर हमारी सेवा को किस नज़र से देखता है, और हमें भी क्यों उसके जैसा नज़रिया पैदा करना चाहिए? (ख) वापसी भेंट में कामयाब होने में क्या बात हमारी मदद करेगी? (पेज 16 पर दिया बक्स “वापसी भेंट करने में कामयाब कैसे हों” देखिए।)
18 अपने सुननेवालों के दिल तक पहुँचने के लिए एक और ज़रूरी बात यह है कि हम अपनी सेवा के बारे में परमेश्वर का नज़रिया रखें और धीरज से काम लें। परमेश्वर चाहता है कि हर तरह के लोग “सत्य को भली भांति पहचान लें।” (1 तीमुथियुस 2:3, 4) हम भी तो यही चाहते हैं, है ना? इसके अलावा, यहोवा धीरज भी धरता है जिससे कई लोगों को पश्चाताप करने का मौका मिल रहा है। (2 पतरस 3:9) इसलिए जब हमें ऐसा कोई मिले, जो राज्य का संदेश सुनना चाहता है, तो हमें उसकी दिलचस्पी बढ़ाने के लिए उससे कई बार मुलाकात करने की ज़रूरत पड़ सकती है। सच्चाई के बीज को बढ़ता देखने के लिए समय लगता है, और सब्र से काम लेने की ज़रूरत होती है। (1 कुरिन्थियों 3:6) इस लेख के साथ दिए बक्स “वापसी भेंट करने में कामयाब कैसे हों” में लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए सुझाव दिए गए हैं। कभी मत भूलिए कि लोगों की ज़िंदगी—उनकी समस्याएँ और उनके हालात—लगातार बदलते रहते हैं। उन्हें घर पर पाने के लिए शायद हमें बहुत बार कोशिश करनी पड़े, लेकिन हमारी यह मेहनत बेकार नहीं जाएगी। हम चाहते हैं कि उन्हें उद्धार के बारे में परमेश्वर का संदेश सुनने का मौका मिले। इसलिए यहोवा परमेश्वर से बुद्धि के लिए प्रार्थना कीजिए ताकि आप दूसरों को कायल करने का हुनर बढ़ा सकें और राज्य का संदेश कबूल करने में उनकी मदद कर सकें।
19 जब हमें ऐसा कोई मिलता है जो राज्य के संदेश के बारे में ज़्यादा जानना चाहता है, तो हम आगे क्या कदम उठा सकते हैं? इस बारे में हमारा अगला लेख सुझाव देगा।
[फुटनोट]
a कायल करने के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए, परमेश्वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए किताब के अध्याय 48 और 49 देखिए। इस किताब को यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।
क्या आपको याद है?
• पौलुस ने राजा अग्रिप्पा के सामने जो सफाई पेश की, वह किस वजह से असरदार साबित हुई?
• हमारा संदेश लोगों के दिलों को कैसे उभार सकता है?
• परमेश्वर के वचन का अच्छा इस्तेमाल करके लोगों के दिल तक पहुँचने में क्या बात हमारी मदद करेगी?
• हम अपनी सेवा के बारे में परमेश्वर का नज़रिया कैसे रख सकते हैं?
[पेज 16 पर बक्स/तसवीरें]
वापसी भेंट करने में कामयाब कैसे हों
• लोगों में सच्ची दिलचस्पी दिखाइए।
• चर्चा करने के लिए बाइबल का कोई दिलचस्प विषय चुनिए।
• हर मुलाकात के लिए बुनियाद डालिए।
• वापसी भेंट के बाद, घर-मालिक के बारे में सोचिए।
• दिलचस्पी बढ़ाने के लिए जल्द-से-जल्द मुलाकात कीजिए, हो सके तो एक-दो दिन के अंदर-अंदर।
• याद रखिए कि आपका लक्ष्य है, उसके साथ बाइबल अध्ययन शुरू करना।
• यहोवा से प्रार्थना कीजिए कि वह उसकी दिलचस्पी बढ़ाए।
[पेज 15 पर तसवीर]
पौलुस ने गवर्नर फेस्तुस और राजा अग्रिप्पा के सामने सफाई पेश करते वक्त कायल करने का हुनर इस्तेमाल किया