सौ की उम्र पार करने के बाद भी ज़िंदगी मकसद-भरी
एलिन, स्वीडन की रहनेवाली 105 साल की एक बुज़ुर्ग स्त्री है। वह उन 60 लोगों में से एक है जिनका नाम हाल ही में 105 साल या उससे ज़्यादा की उम्र पार करनेवालों के तौर पर रिकॉर्ड किया गया है। एलिन एक वृद्धाश्रम में रहती है और कहीं आ-जा नहीं सकती। लेकिन उम्र ढलने के बावजूद वह यहोवा परमेश्वर की सेवा में आज उतनी ही जोशीली है जितनी कि 60 साल पहले थी, जब उसने यहोवा की एक साक्षी बनने का फैसला किया था।
दूसरों को गवाही देने के मामले में, एलिन प्रेरित पौलुस की मिसाल पर चलती है। जब पौलुस को एक घर में नज़रबंद रखा गया था, तब वह उन सभी लोगों को गवाही देने से नहीं चूकता था जो उससे मिलने आते थे। (प्रेरितों 28:16, 30, 31) उसी तरह, एलिन उन सभी को बाइबल से खुशखबरी सुनाने का एक भी मौका नहीं छोड़ती, जो वृद्धाश्रम में आते-जाते हैं। जैसे, साफ-सफाई करनेवाले, दाँतों के या दूसरे डॉक्टर, नर्स, बाल काटनेवाले (हेअरड्रेसर), वगैरह। समय-समय पर, एलिन की कलीसिया के भाई-बहन अपने बाइबल विद्यार्थियों को उससे मिलाने लाते हैं, ताकि वे उसके ज्ञान और तजुरबे से फायदा पा सकें।
एलिन की कलीसिया के भाई-बहनों को उसका स्वभाव बहुत पसंद है। वह हँसमुख और ज़िंदादिल है और उसमें नयी-नयी बातों को जानने की ललक भी है। एक मसीही भाई कहता है: “वह हमेशा कलीसिया में हो रहे अच्छे कामों को जानने में दिलचस्पी लेती है, और वाकई इसके लिए उसकी दाद देनी चाहिए! उसे कलीसिया के सारे बच्चों के नाम याद हैं और उनके नाम भी जो कलीसिया में नए हैं।” एलिन अपने मज़ाकिया स्वभाव, मेहमानों की खातिरदारी करने और ज़िंदगी से खुश रहने के लिए जानी जाती है।
एलिन अपनी खुशी बरकरार रखने और एक मकसद-भरी ज़िंदगी जीने के लिए क्या करती है? वह यहोवा के साक्षियों की प्रकाशित पुस्तिका, रोज़ाना बाइबल वचनों पर ध्यान दीजिए से हर दिन बाइबल का एक वचन पढ़ती है। इसके अलावा, मैग्निफाइंग ग्लास (जिससे छोटे अक्षर बड़े दिखायी देते हैं) के सहारे वह रोज़ बाइबल का एक भाग पढ़ती है। एलिन हर हफ्ते यहोवा के साक्षियों की होनेवाली सभाओं की तैयारी भी करती है। और हालाँकि वह सभाओं में नहीं जा पाती, मगर वह इनकी रिकॉर्डिंग ज़रूर सुनती है। अगर हम भी हर रोज़ बाइबल और बाइबल की समझ देनेवाली किताबें-पत्रिकाएँ पढ़ें और मसीही सभाओं में इकट्ठा होना न छोड़ें, तो चाहे हमारी उम्र जो भी हो, हम भी एलिन की तरह एक मकसद-भरी और संतोष की ज़िंदगी जी पाएँगे।—भजन 1:2; इब्रानियों 10:24, 25. (w07 1/15)