यहोवा की “आंखें” सबको जाँचती हैं
“[यहोवा की] आंखें मनुष्य की सन्तान को . . . जांचती हैं।”—भज. 11:4.
1. हम किस तरह के लोगों की तरफ खिंचे चल आते हैं?
आप उन लोगों के बारे में कैसा महसूस करते हैं, जो आपमें सच्ची दिलचस्पी लेते हैं? जब आप किसी मामले पर उनसे उनकी राय पूछते हैं, तो वे ईमानदारी से अपनी राय देते हैं। ज़रूरत की घड़ी में वे आपकी मदद करने को तैयार रहते हैं। और जब आपमें कोई सुधार की ज़रूरत होती है, तो वे प्यार से आपको सलाह देते हैं। (भज. 141:5; गल. 6:1) क्या आप ऐसे लोगों की तरफ खिंचे चले नहीं आएँगे? बेशक खिंचे चले आएँगे! यहोवा और उसके बेटे को आपमें ऐसी ही दिलचस्पी है। सच पूछो तो वे इंसानों से कहीं बढ़कर आपमें दिलचस्पी लेते हैं। मगर ऐसा करने के पीछे उनका कोई स्वार्थ नहीं। वे दरअसल आपकी मदद करना चाहते हैं, “ताकि [आप] सच्ची ज़िन्दगी पर कब्ज़ा” कर सकें।—1 तीमु. 6:19, हिन्दुस्तानी बाइबल; प्रका. 3:19.
2. यहोवा अपने सेवकों में किस हद तक दिलचस्पी लेता है?
2 यहोवा किस हद तक हममें दिलचस्पी लेता है, इस बारे में भजनहार दाऊद ने कहा: “[यहोवा की] आंखें मनुष्य की सन्तान को नित देखती रहती हैं और उसकी पलकें उनको जांचती हैं।” (भज. 11:4) जी हाँ, यहोवा न सिर्फ हमें देखता है, बल्कि हमें जाँचता भी है। दाऊद ने यह भी लिखा: “तू ने मेरे हृदय को परखा है, तू ने रात को मुझे जांचा है, . . . पर कुछ भी कुटिलता न पाई।” (भज. 17:3, NHT) ज़ाहिर है कि दाऊद जानता था कि यहोवा को उसमें गहरी दिलचस्पी है। उसे यह भी मालूम था कि अगर वह अपने अंदर पापी इच्छाओं को पनपने दे या मन में साज़िश रचे, तो इससे यहोवा दुःखी और नाराज़ होगा। वाकई, दाऊद के लिए यहोवा का वजूद एकदम सच्चा था। क्या आपके लिए यहोवा उतना ही सच्चा है?
यहोवा दिल देखता है
3. यहोवा ने कैसे दिखाया कि वह हमारी असिद्धताओं के बारे में सही नज़रिया रखता है?
3 यहोवा को खासकर इस बात में दिलचस्पी है कि हम अंदर से कैसे इंसान हैं। (भज. 19:14; 26:2) परमेश्वर हमारी छोटी-मोटी खामियों पर ध्यान नहीं देता। मिसाल के लिए, जब इब्राहीम की पत्नी सारा ने एक देहधारी स्वर्गदूत से सच छिपाया, तो स्वर्गदूत ने उसे सिर्फ हलकी-सी फटकार लगायी। क्योंकि उसने देखा कि वह डरी और सहमी हुई थी। (उत्प. 18:12-15) जब कुलपिता अय्यूब ने “परमेश्वर को नहीं, अपने ही को निर्दोष ठहराया,” तब यहोवा ने उसे आशीषों से महरूम नहीं रखा। क्योंकि वह जानता था कि अय्यूब ने शैतान के हाथों तकलीफें झेलने की वजह से ऐसी बातें कही थीं। (अय्यू. 32:2; 42:12) उसी तरह, जब सारपत की विधवा ने एलिय्याह से कड़वी बातें कहीं, तो यहोवा उससे खफा नहीं हुआ। वह समझ गया कि अपने एकलौते बेटे की मौत के गम से वह बावली हो गयी थी।—1 राजा 17:8-24.
4, 5. यहोवा ने अबीमेलेक को कैसे लिहाज़ दिखाया?
4 यहोवा दिलों को जाँचता है, इसलिए उसने उन लोगों को भी लिहाज़ दिखाया जो उसके उपासक नहीं थे। गौर कीजिए कि वह अबीमेलेक के साथ किस तरह पेश आया, जो पलिश्ती नगर गरार का राजा था। अबीमेलेक नहीं जानता था कि इब्राहीम और सारा शादीशुदा हैं, इसलिए वह सारा को अपनी पत्नी बनाना चाहता था। लेकिन इससे पहले कि वह ऐसा करता, यहोवा ने सपने में आकर उससे कहा: “मैं जानता हूं कि तूने निष्कपट हृदय से यह कार्य किया है। मैंने ही तुझे अपने विरुद्ध पाप करने से रोका था। इसलिए मैंने तुझे उसे स्पर्श भी नहीं करने दिया। अब तू उस पुरुष की पत्नी लौटा दे। वह नबी है। वह तेरे लिए प्रार्थना करेगा, और तू जीवित रहेगा।”—उत्प. 20:1-7, नयी हिन्दी बाइबिल।
5 यहोवा चाहता तो झूठे देवताओं के उपासक अबीमेलेक के साथ सख्ती से पेश आ सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उसने देखा कि अबीमेलेक ने जो किया, वह निष्कपट हृदय से किया था। इसलिए यहोवा ने उसे लिहाज़ दिखाया और उसे बताया कि वह कैसे अपनी गलती की माफी पाकर ‘जीवित रह’ सकता है। क्या आप ऐसे परमेश्वर की उपासना नहीं करना चाहेंगे?
6. यीशु किस मायने में हू-ब-हू अपने पिता जैसा था?
6 यीशु हू-ब-हू अपने पिता जैसा था। उसने अपने चेलों की अच्छाइयों पर ध्यान दिया और उनकी गलतियों को खुशी-खुशी माफ कर दिया। (मर. 10:35-45; 14:66-72; लूका 22:31, 32; यूह. 15:15) यीशु ने यूहन्ना 3:17 में जो कहा, उसके मुताबिक काम भी किया। वहाँ हम पढ़ते हैं: “परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए।” जी हाँ, यहोवा और यीशु हमसे बेइंतिहा प्यार करते हैं और उनका प्यार कभी कम नहीं होगा। इसी प्यार की वजह से वे चाहते हैं कि हम हमेशा की ज़िंदगी पाएँ। (अय्यू. 14:15) और इसी प्यार की वजह से यहोवा हमें जाँचता है, हममें अच्छाइयाँ ढूँढ़ता है और हमें सुधारने की कोशिश करता है।—1 यूहन्ना 4:8, 19 पढ़िए।
यहोवा प्यार से हमें जाँचता है
7. यहोवा हमें किस इरादे से जाँचता है?
7 तो फिर यह सोचना कितना गलत होगा कि यहोवा एक पुलिसवाले की तरह हम पर नज़र रखता है कि कब हम पाप करें और वह हमें रंगे हाथों पकड़ ले! दरअसल वह शैतान ही है, जो हममें गलतियाँ ढूँढ़ने और हम पर दोष लगाने की फिराक में रहता है। (प्रका. 12:10) वह यह भी दावा करता है कि हमारी नीयत बुरी है, जबकि यह सच नहीं। (अय्यू. 1:9-11; 2:4, 5) परमेश्वर के बारे में भजनहार लिखता है: “हे याह, यदि तू अधर्म के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु कौन खड़ा रह सकेगा?” (भज. 130:3) जवाब साफ है, कोई नहीं! (सभो. 7:20) लेकिन यहोवा हमारी गलतियाँ गिनाने के लिए हमारी जाँच नहीं करता। वह तो एक दयालु और प्यार करनेवाला पिता है, जो अपने बच्चों को खतरों से बचाने के लिए उन पर नज़र रखता है। वह हमें हमारी असिद्धताओं और कमज़ोरियों का इसलिए एहसास कराता है, ताकि हम कोई गलत कदम उठाकर खुद को नुकसान न पहुँचाएँ।—भज. 103:10-14; मत्ती 26:41.
8. यहोवा अपने सेवकों को किन तरीकों से शिक्षा और अनुशासन देता है?
8 यहोवा का प्यार इस बात से देखा जा सकता है कि वह हमें अलग-अलग तरीकों से शिक्षा और अनुशासन देता है। कैसे? बाइबल और “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के तैयार किए गए आध्यात्मिक भोजन के ज़रिए। (मत्ती 24:45; इब्रा. 12:5, 6) यहोवा मसीही कलीसिया और ‘मनुष्यों के रूप में दान’ यानी प्राचीनों के ज़रिए भी हमारी मदद करता है। (इफि. 4:8) इतना ही नहीं, वह यह भी देखता है कि हम उसकी तालीम को कबूल करते हैं या नहीं और फिर उस हिसाब से हमें और भी मदद देता है। भजन 32:8 (NHT) कहता है, “मैं तुझे बुद्धि दूँगा और जिस मार्ग पर तुझे चलना है उसमें तेरी अगुवाई करूंगा, मैं अपनी दृष्टि तुझ पर लगाए रखकर तुझे सम्मति दूंगा।” तो फिर यह कितना ज़रूरी है कि हम हमेशा यहोवा की सुनें! हमें खुद को नम्र बनाना चाहिए और यह कबूल करना चाहिए कि यहोवा हमारा प्यारा शिक्षक और पिता है।—मत्ती 18:4 पढ़िए।
9. हमें किन बुराइयों से दूर रहना चाहिए और क्यों?
9 दूसरी तरफ, हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि कहीं हम घमंड, विश्वास की कमी या “पाप के छल” में पड़कर कठोर न बन जाएँ। (इब्रा. 3:13; याकू. 4:6) अकसर एक इंसान में ये बुराइयाँ तब जड़ पकड़ने लगती हैं, जब वह अपने अंदर बुरे विचारों या इच्छाओं को पनपने देता है। ऐसी नौबत भी आ सकती है कि वह बाइबल में दी सलाह को मानने से साफ इनकार कर दे। इससे भी बदतर, वह शायद अपने रवैए और तौर-तरीकों में इस कदर ढीठ हो जाए कि खुद को परमेश्वर का दुश्मन बना ले। सच, यह क्या ही भयानक हालत है! (नीति. 1:22-31) आइए इस सिलसिले में आदम और हव्वा के पहिलौठे बेटे, कैन की मिसाल पर ध्यान दें।
यहोवा सबकुछ देखता है और उसके मुताबिक कदम उठाता है
10. यहोवा ने कैन की भेंट को क्यों स्वीकार नहीं किया और इस पर कैन ने क्या रवैया दिखाया?
10 एक बार कैन और हाबिल ने यहोवा को अपनी-अपनी भेंट चढ़ायी। यहोवा को उनकी भेंट से ज़्यादा इस बात में दिलचस्पी थी कि वे किस मंशा से भेंट चढ़ा रहे हैं। परमेश्वर उनकी मंशा पढ़ सकता था। उसने देखा कि हाबिल ने विश्वास से भेंट चढ़ायी थी, जबकि कैन ने विश्वास की कमी दिखायी। इसलिए यहोवा ने हाबिल की भेंट को स्वीकार किया, मगर कैन की नहीं। (उत्प. 4:4, 5; इब्रा. 11:4) इस घटना से सबक सीखने और अपना नज़रिया बदलने के बजाय, कैन के दिल में अपने भाई के लिए क्रोध की ज्वाला भड़कने लगी।—उत्प. 4:6.
11. (क) कैन ने कैसे दिखाया कि उसका दिल धोखा देनेवाला है? (ख) इस घटना से हम क्या सबक सीखते हैं?
11 यहोवा ने कैन के खतरनाक रवैए पर गौर किया और प्यार से उसे समझाया कि अगर वह भलाई करे, तो वह भी उसकी मंज़ूरी पा सकता है। मगर अफसोस, कैन ने अपने सिरजनहार की सलाह पर ध्यान नहीं दिया और अपने भाई का कत्ल कर दिया। कैन का दिल कितना बुरा हो चुका था! उसकी बुराई तब और ज़ाहिर हुई जब परमेश्वर के पूछने पर कि “तेरा भाई हाबिल कहां है?,” कैन ने रुखाई से जवाब दिया: “मैं क्या जानूँ? क्या मैं अपने भाई का रखवाला हूँ?” (उत्प. 4:7-9, NHT) एक इंसान का दिल कितना धोखा देनेवाला हो सकता है! वह उसे इतना कठोर बना सकता है कि वह परमेश्वर की सलाह को भी ठुकरा दे। (यिर्म. 17:9) आइए हम इस घटना से सबक सीखें और अपने मन में गलत सोच और इच्छाओं को जड़ न पकड़ने दें। (याकूब 1:14, 15 पढ़िए।) अगर हमें बाइबल से सलाह दी जाती है, तो हमें उसे यहोवा के प्यार का सबूत समझकर कबूल करना चाहिए।
यहोवा की नज़रों से कोई पाप छिप नहीं सकता
12. एक व्यक्ति के पाप करने पर यहोवा क्या कदम उठाता है?
12 कुछ लोगों को शायद लगे कि अगर कोई उन्हें बुरा काम करते नहीं देखता, तो वे सज़ा से बच जाएँगे। (भज. 19:12) लेकिन देखा जाए तो ऐसा कोई पाप नहीं, जो यहोवा से छिपकर किया जा सके। बाइबल कहती है: “जिसको हमें लेखा देना है, उसकी आंखों के सामने सब वस्तुएं खुली और बेपरदा हैं।” (इब्रा. 4:13, आर.ओ.वी.) यहोवा एक न्यायी होने के नाते दिल की गहराइयों में छिपे इरादों को जाँचता है। और एक व्यक्ति के पाप करने पर वह जो कदम उठाता है, उससे उसका सच्चा न्याय झलकता है। यह सच है कि यहोवा ‘दयालु, अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, अति करुणामय और सत्य’ है। लेकिन “जान बूझकर पाप” करनेवालों या साज़िश रचनेवालों को वह ‘किसी प्रकार निर्दोष नहीं ठहराता।’ (निर्ग. 34:6, 7; इब्रा. 10:26) आकान, हनन्याह और सफीरा के साथ यहोवा जिस तरह पेश आया, उससे यह बात साफ ज़ाहिर हुई।
13. आकान की किस गलत सोच ने उसे बुरा काम करने के लिए बहकाया?
13 परमेश्वर ने आज्ञा दी थी कि इस्राएलियों को यरीहो की लूट का माल अपने लिए नहीं रखना था। लेकिन आकान ने यह आज्ञा तोड़ दी और अपने परिवार की मिलीभगत से कुछ माल अपने तंबू में छिपा दिया। जब आकान के पाप का परदाफाश हुआ, तब वह जानता था कि उसने एक संगीन जुर्म किया है। क्योंकि उसने कहा: “[मैंने] यहोवा के विरुद्ध पाप किया है।” (यहो. 7:20) कैन की तरह, आकान का दिल भी बुरा हो चुका था। लेकिन आकान के मामले में इसकी सबसे बड़ी वजह लालच थी। इसलिए उसने बेईमानी की। यरीहो की लूट का माल यहोवा का था, तो आकान ने एक तरह से यहोवा की चीज़ें चुरायी थीं। इसके लिए उसे और उसके परिवार को जान से हाथ धोना पड़ा—यहो. 7:25.
14, 15. हनन्याह और सफीरा को यहोवा ने क्यों सज़ा दी और इससे हम क्या सीखते हैं?
14 अब हनन्याह और सफीरा पर गौर कीजिए। वे पहली सदी में, यरूशलेम की मसीही कलीसिया के सदस्य थे। सामान्य युग 33 के पिन्तेकुस्त के दिन कई लोग दूर-दराज़ इलाकों से यरूशलेम आए और चेले बने। इनमें से कुछ चेले यरूशलेम में ही रुक गए, इसलिए उनके खाने-पीने की ज़रूरतों के लिए दान इकट्ठा करने का इंतज़ाम किया गया। कोई भी जितना चाहे दान दे सकता था। हनन्याह ने अपनी ज़मीन बेचकर कुछ पैसे रख लिए और कुछ दान कर दिए। लेकिन उसने अपने सारे पैसे दान करने का ढोंग रचा और इसमें उसकी पत्नी भी बराबर की हिस्सेदार थी। बेशक उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे कलीसिया में खास सम्मान पाना चाहते थे। लेकिन यह सरासर बेईमानी थी। और उनकी यह करतूत यहोवा से छिपी नहीं रही। उसने किसी चमत्कार के ज़रिए प्रेरित पतरस पर ज़ाहिर किया कि हनन्याह और सफीरा ने धोखाधड़ी की है। तब पतरस ने हनन्याह से पूछा कि उसने यह पाप क्यों किया। इस पर हनन्याह वहीं गिरकर मर गया। कुछ देर बाद, सफीरा की भी मौत हो गयी।—प्रेरि. 5:1-11.
15 ऐसा नहीं था कि पल-भर के लिए हनन्याह और सफीरा की कमज़ोरी उन पर हावी हो गयी और वे पाप कर बैठे। उन्होंने जानबूझकर प्रेरितों की आँखों में धूल झोंकने के लिए साज़िश रची और झूठ बोला। और-तो-और, उन्होंने ‘पवित्र आत्मा [“पवित्र शक्ति,” NW] और परमेश्वर से झूठ बोला’ था। यहोवा ने उन्हें जो सिला दिया, उससे साफ ज़ाहिर है कि वह कलीसिया में कपटियों को बरदाश्त नहीं करता। वाकई, “जीवते परमेश्वर के हाथों में पड़ना [कितनी] भयानक बात है”!—इब्रा. 10:31.
हर समय खराई बनाए रखिए
16. (क) शैतान किस तरह परमेश्वर के लोगों को भ्रष्ट करने की कोशिश कर रहा है? (ख) आपके इलाके में लोगों को भ्रष्ट करने के लिए शैतान कौन-से तरीके आज़माता है?
16 शैतान हमें भ्रष्ट करने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है, ताकि हम यहोवा की मंज़ूरी खो बैठें। (प्रका. 12:12, 17) उसके बुरे इरादे दुनिया में साफ देखे जा सकते हैं, क्योंकि आज जहाँ देखो वहाँ सेक्स और हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है। पोर्नोग्राफी की तो इतनी भरमार है कि इसे कंप्यूटर या दूसरे इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों के ज़रिए बड़ी आसानी से देखा जा सकता है। आइए ठान लें कि हम कभी शैतान का निशाना नहीं बनेंगे। इसके बजाय, हम भजनहार दाऊद की तरह जज़्बा रखेंगे, जिसने कहा: “मैं बुद्धिमानी से खरे मार्ग में चलूंगा। . . . मैं अपने घर में मन की खराई के साथ अपनी चाल चलूंगा।”—भज. 101:2.
17. (क) चोरी-छिपे किए पापों का खुलासा करने के लिए क्या बात यहोवा को उकसाती है? (ख) हमें क्या करने की ठान लेनी चाहिए?
17 यहोवा आज गंभीर पापों और बेईमानी के कामों को उजागर करने के लिए कोई चमत्कार नहीं करता। मगर हाँ, वह सबकुछ देखता है और अपने समय और तरीके से उन पापों का खुलासा करता है। पौलुस ने कहा: “कुछ लोगों के पाप बिल्कुल प्रकट होते हैं और पहिले ही से न्याय के लिये पहुंच जाते हैं, परन्तु अन्य लोगों के पाप बाद में प्रकट होते हैं।” (1 तीमु. 5:24, NHT) दरअसल यहोवा का प्यार ही उसे उकसाता है कि वह पापों का खुलासा करे। वह कसीलिया से बेहद प्यार करता है और उसे शुद्ध बनाए रखना चाहता है। इसके अलावा, वह उन लोगों पर भी दया दिखाता है, जिन्हें पाप करने के बाद अपने किए पर बहुत पछतावा होता है। (नीति. 28:13) तो आइए हम खरे मन से यहोवा की सेवा करें और हर तरह के बुरे असर का डटकर मुकाबला करें।
खरा मन बनाए रखिए
18. राजा दाऊद अपने बेटे से क्या चाहता था?
18 राजा दाऊद ने अपने बेटे सुलैमान से कहा: “तू अपने पिता के परमेश्वर का ज्ञान रख, और खरे मन और प्रसन्न जीव से उसकी सेवा करता रह; क्योंकि यहोवा मन को जांचता और विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है उसे समझता है।” (1 इति. 28:9) दाऊद चाहता था कि उसका बेटा न सिर्फ परमेश्वर पर विश्वास करे, बल्कि इस बात की भी कदर करे कि यहोवा अपने सेवकों में गहरी दिलचस्पी लेता है। क्या आप भी इस बात के लिए यहोवा के एहसानमंद हैं?
19, 20. (क) भजन 19:7-11 के मुताबिक, किस बात ने दाऊद को यहोवा के करीब आने में मदद दी? (ख) हम कैसे दाऊद की मिसाल पर चल सकते हैं?
19 यहोवा जानता है कि नेकदिल लोग उसकी तरफ खिंचे चले आएँगे और उसके लाजवाब गुणों के बारे में सीखकर उसके और भी करीब आएँगे। इसलिए वह चाहता है कि हम उसे जानें और उसकी शानदार शख्सियत से वाकिफ हों। यह हम कैसे कर सकते हैं? परमेश्वर के वचन बाइबल का अध्ययन करने और अपनी ज़िंदगी में उसकी आशीषें पाने के ज़रिए।—नीति. 10:22; यूह. 14:9.
20 क्या आप बाइबल को परमेश्वर का वचन मानते हैं और उसे हर दिन पढ़ते हैं? क्या आप बाइबल सिद्धांतों को लागू करने के लिए प्रार्थना में परमेश्वर से मदद माँगते हैं? (भजन 19:7-11 पढ़िए।) अगर आप ऐसा करते हैं, तो यहोवा पर आपका विश्वास और उसके लिए आपका प्यार बढ़ेगा। बदले में वह आपके करीब आएगा और मानो आपका हाथ थामकर आपके साथ-साथ चलेगा। (यशा. 42:6; याकू. 4:8) जी हाँ, जैसे-जैसे आप जीवन की ओर ले जानेवाले रास्ते पर चलते हैं, यहोवा अपने प्यार का सबूत देता रहेगा। वह उसके करीब रहने में आपकी मदद करेगा और आपके लिए आशीषों के झरोखे खोल देगा।—भज. 91:1, 2; मत्ती 7:13, 14.
आप क्या जवाब देंगे?
• यहोवा हमें किस इरादे से जाँचता है?
• किन बुराइयों की वजह से कुछ लोगों ने खुद को परमेश्वर का दुश्मन बना लिया?
• हम कैसे दिखा सकते हैं कि यहोवा का वजूद हमारे लिए सच्चा है?
• हम कैसे खरे मन से यहोवा की सेवा कर सकते हैं?
[पेज 4 पर तसवीर]
यहोवा कैसे एक प्यार करनेवाले पिता की तरह हम पर नज़र रखता है?
[पेज 5 पर तसवीर]
हनन्याह की मिसाल से हम क्या सबक सीखते हैं?
[पेज 6 पर तसवीर]
खरे मन से यहोवा की सेवा करते रहने में क्या बात हमारी मदद करेगी?