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मंडली के लिए “शांति का दौर शुरू” होता है‘परमेश्वर के राज के बारे में अच्छी तरह गवाही दो’
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1, 2. शाऊल ने दमिश्क में क्या करने की ठान ली है?
मुसाफिरों की एक टोली बड़ी तेज़ी से दमिश्क शहर की तरफ बढ़ रही है। उन्होंने ठान लिया है कि वे वहाँ के मसीहियों को घसीटकर घरों से बाहर निकालेंगे, सबके सामने ज़लील करेंगे और उन्हें यरूशलेम की महासभा के सामने लाएँगे ताकि उन्हें कड़ी-से-कड़ी सज़ा मिले।
2 इस टोली का सरदार शाऊल है, जिसके हाथ पहले ही खून से रंगे हैं।a हाल ही में जब कुछ कट्टरपंथी यहूदियों ने यीशु के चेले स्तिफनुस को मार डाला था, तो शाऊल खड़े होकर यह सब देख रहा था और उसने इस कत्ल में पूरा साथ दिया। (प्रेषि. 7:57–8:1) फिर शाऊल यरूशलेम में चेलों को बहुत सताने लगा। यह करके भी उसका जी नहीं भरा, वह दूसरे शहरों में भी मसीहियों पर ज़ुल्म करने निकल पड़ा। उसने ठान लिया कि वह मसीहियों के इस खतरनाक पंथ का नामो-निशान मिटा देगा जिसे “प्रभु की राह” कहा जाता है।—प्रेषि. 9:1, 2; यह बक्स देखें, “शाऊल को दमिश्क जाने का अधिकार कैसे मिला?”
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