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लहू से जीवन बचाना—कैसे?प्रहरीदुर्ग—1992 | अप्रैल 1
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७, ८. यह किस तरह स्पष्ट हुआ कि लहू के बारे में परमेश्वर का नियम मसीहियों पर लागू होता है?
७ इतिहास हमें दिखाता है कि बाद में क्या हुआ जब मसीही शासी वर्ग की परिषद् ने यह तय किया कि क्या मसीहियों को इस्राएल के सभी नियमों का पालन करना था या नहीं। ईश्वरीय मार्गदर्शन से, उन्होंने कहा कि मसीही मूसा की व्यवस्था का पालन करने को बाध्य न थे, परन्तु “मूरतों के बलि किए हुओं से, और लोहू से, और गला घोंटे हुओं के माँस से [यानी ऐसा माँस जिस में से लहू उचित रूप से बहाया गया न हो], और व्यभिचार से, परे” रहना “आवश्यक” था। (प्रेरितों १५:२२-२९) उन्होंने इस प्रकार यह स्पष्ट किया कि लहू से परे रहना नैतिक रूप से उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना मूर्तिपूजा और घोर अनैतिकता से दूर रहना महत्त्वपूर्ण है।a
८ प्रारंभिक मसीहियों ने उस ईश्वरीय निषेध को बनाए रखा। उस पर टिप्पणी करते हुए, बरतानवी विद्वान्, जोसेफ़ बेन्सन ने कहा: “लहू खाने की निषेधाज्ञा, जो नूह और उसकी सारी भावी पीढ़ियों को दी गयी, और इस्राएलियों को दोहरायी गयी थी, . . . कभी वापस नहीं ली गयी है, लेकिन, उलटा, नए करार में, प्रेरितों के काम १५ में इसकी पुष्टि हुई; और इस प्रकार इस पर अमल करने की ज़िम्मेदारी स्थायी बनायी गयी है।” फिर भी, लहू के बारे में बाइबल में जो कहा गया है, क्या यह रक्ताधान जैसे आधुनिक चिकित्सीय प्रयोगों को वर्जित कर देता है, जो कि स्पष्ट रूप से नूह के दिनों में, या प्रेरितों के समय में इस्तेमाल नहीं किए जाते थे?
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लहू से जीवन बचाना—कैसे?प्रहरीदुर्ग—1992 | अप्रैल 1
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a आदेश इस तरह समाप्त हुआ: “अगर इन से ध्यानपूर्वक परहेज़ करो तो तुम्हारा भला होगा। तुम्हारा स्वास्थ्य अच्छा रहे!” (प्रेरितों १५:२९, N.W.) ये शब्द “तुम्हारा स्वास्थ्य अच्छा रहे” एक ऐसा वादा न था कि ‘अगर तुम लहू या व्यभिचार से परहेज़ करो, तो तुम्हारा स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।’ यह चिट्ठी की मात्र समाप्ति ही थी, जैसे, “अलविदा।”
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