-
जागते रहने के बारे में यीशु के प्रेषितों से सीखिएप्रहरीदुर्ग—2012 | जनवरी 15
-
-
4, 5. पौलुस और उसके साथियों ने कैसे पवित्र शक्ति के मार्गदर्शन का अनुभव किया?
4 सबसे पहले, हम देखते हैं कि कहाँ गवाही देनी है इस बारे में मिली हिदायतों को प्रेषितों ने माना। एक ब्यौरे में हम पढ़ते हैं कि यीशु ने किस तरह यहोवा से मिली पवित्र शक्ति का इस्तेमाल करके प्रेषित पौलुस और उसके साथ सफर करनेवालों को मार्गदर्शन दिया। (प्रेषि. 2:33) उनका सफर बहुत अनोखा था। चलिए देखते हैं कि वे कहाँ-कहाँ गए।—प्रेषितों 16:6-10 पढ़िए।
-
-
जागते रहने के बारे में यीशु के प्रेषितों से सीखिएप्रहरीदुर्ग—2012 | जनवरी 15
-
-
7 अब उन्होंने एक ऐसा फैसला लिया जो शायद कुछ अजीब लगे। आयत 8 बताती है: “वे मूसिया से होकर त्रोआस शहर पहुँचे।” वे बितूनिया से पश्चिम की ओर चल दिए और शहर-पर-शहर पार करते चले गए। आखिर में, 563 किलोमीटर का सफर तय कर वे त्रोआस के बंदरगाह पहुँचे, जहाँ से वे मकिदुनिया जा सकते थे। अब तीसरी बार पौलुस ने दरवाज़ा खटखटाया। और इस बार यह दरवाज़ा उनके लिए खुल गया! आयत 9 बताती है कि आगे क्या हुआ: “रात के वक्त पौलुस को एक दर्शन दिखायी दिया। उसने देखा कि मकिदुनिया का एक आदमी खड़ा हुआ उससे यह बिनती कर रहा है: ‘इस पार मकिदुनिया आकर हमारी मदद कर।’” अब पौलुस जान गया कि उसे कहाँ प्रचार करना है। बिना देर किए, वह फौरन अपने साथियों के साथ मकिदुनिया के लिए निकल पड़ा।
-