परमेश्वर के करीब आइए
क्या दुनिया की कोई चीज़ ‘हमें परमेश्वर के प्रेम से अलग’ कर सकती है?
हममें से ऐसा कौन है, जिसे प्यार पाने की चाहत नहीं होती? जी हाँ, अपने परिवार के लोगों और दोस्तों का प्यार पाकर ही हम फलते-फूलते हैं। मगर अफसोस, इंसानी रिश्तों के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता, ये इतने नाज़ुक होते हैं कि किसी भी पल टूट सकते हैं। जिन लोगों से हम प्यार करते हैं, एक दिन वे ही हमें ठेस पहुँचा सकते हैं, हमें छोड़कर जा सकते हैं, यहाँ तक कि हमसे पूरी तरह नाता तोड़ सकते हैं। लेकिन, एक ऐसा शख्स है, जिसका प्यार कभी नहीं बदलता। वह है परमेश्वर यहोवा। अपने सेवकों के लिए यहोवा के प्यार को रोमियों 8:38, 39 में बड़ी खूबसूरती से बयान किया गया है।
प्रेरित पौलुस ने कहा: “मैं निश्चय जानता हूं।” उसे किस बात का निश्चय या यकीन था? इस बात का कि कोई भी चीज़ ‘हमें परमेश्वर के प्रेम से अलग नहीं’ कर सकती। पौलुस ने यहाँ ‘हमें’ कहा, यानी वह सिर्फ अपनी नहीं, बल्कि हम सबकी बात कर रहा था, जो वफादारी से परमेश्वर की सेवा करते हैं। दुनिया की कोई भी चीज़, परमेश्वर के सच्चे सेवकों के लिए उसके प्यार में बाधा नहीं बन सकती। पौलुस ने अपनी इस बात को पुख्ता करने के लिए ऐसी कई चीज़ों का ज़िक्र किया।
“न मृत्यु, न जीवन।” अपने लोगों के लिए यहोवा का प्यार उनकी मौत के बाद भी खत्म नहीं होता। अपने प्यार का सबूत देने के लिए परमेश्वर ने उन लोगों को अपनी याद में सँजोए रखा है और उन्हें नयी दुनिया में दोबारा ज़िंदा करेगा, जहाँ धर्मी लोग बसेंगे। (यूहन्ना 5:28, 29; प्रकाशितवाक्य 21:3, 4) मगर तब तक, परमेश्वर के वफादार सेवकों को अपनी ज़िंदगी में चाहे किसी भी हालात से गुज़रना पड़े, परमेश्वर का प्यार उनके लिए कभी कम नहीं होगा।
“न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं।” इस दुनिया में ऊँचा ओहदा रखनेवालों के सामने हम इंसान झुक सकते हैं, मगर यहोवा पर उनका कोई असर नहीं होता। ताकतवर स्वर्गदूत जैसे कि शैतान भी लाख कोशिश कर ले मगर वह परमेश्वर को उसके उपासकों से प्यार करने से नहीं रोक सकता। (प्रकाशितवाक्य 12:10) प्रधानताएँ या दुनिया की सरकारें चाहे सच्चे मसीहियों का कितना ही विरोध क्यों ना करें, मगर परमेश्वर की नज़रों में उसके सेवक हमेशा अनमोल रहेंगे।—1 कुरिन्थियों 4:13.
“न वर्तमान, न भविष्य।” परमेश्वर का प्यार समय के साथ फीका नहीं पड़ता। परमेश्वर के सेवक आज या भविष्य में चाहे जिस हालात से गुज़रें, उसका प्यार उनके लिए हमेशा बरकरार रहता है।
“न सामर्थ।” स्वर्ग और धरती की ताकतों, यानी “स्वर्गदूत” और ‘प्रधानताओं’ का ज़िक्र करने के बाद पौलुस ने “सामर्थ” की बात की। इसके लिए इस्तेमाल किए गए यूनानी शब्द के कई मतलब हैं। इसका असल मतलब चाहे जो भी हो मगर एक बात तय है कि स्वर्ग और धरती पर ऐसी कोई भी सामर्थ या ताकत नहीं, जो परमेश्वर के प्रेम को उसके सेवकों तक पहुँचने से रोक सके।
“न ऊंचाई, न गहिराई।” यहोवा के लोगों की ज़िंदगी में कितने भी उतार-चढ़ाव क्यों ना आएँ, वह उन्हें हर हाल में प्यार करता है।
“न कोई और सृष्टि।” पौलुस इन शब्दों के ज़रिए ज़ाहिर करता है कि सृष्टि की कोई भी चीज़ यहोवा के वफादार सेवकों को उसके प्यार से जुदा नहीं कर सकती।
इंसानों के प्यार का क्या भरोसा, आज है तो कल नहीं। लेकिन परमेश्वर का प्यार अटल है। जो परमेश्वर पर विश्वास के साथ आस लगाए रहते हैं, उनके लिए उसका प्यार हमेशा कायम रहता है। यकीनन, यह बात हमें यहोवा के करीब लाती है। साथ ही हमें उकसाती है कि हम भी जी-जान लगाकर यहोवा के लिए अपना प्यार साबित करें। (w08 8/1)