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“परमेश्वर की पवित्र शक्ति के तेज से भरे रहो”प्रहरीदुर्ग—2009 | अक्टूबर 15
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9. पौलुस ने अभिषिक्त मसीहियों की तुलना शरीर के अलग-अलग अंगों से क्यों की?
9 रोमियों 12:4, 5, 9, 10 पढ़िए। पौलुस ने अभिषिक्त मसीहियों की तुलना शरीर के अलग-अलग अंगों से की, जो अपने सिर यानी मसीह के अधीन एकता में काम करते हैं। (कुलु. 1:18) वह अभिषिक्त मसीहियों को यह याद दिलाता है कि शरीर के अलग-अलग अंग तरह-तरह के काम करते हैं, फिर भी वे “अनेक होते हुए भी मसीह के साथ एकता में एक शरीर हैं।” उसी तरह, पौलुस ने इफिसुस के अभिषिक्त मसीहियों को उकसाया: “प्यार के साथ . . . आओ हम, सब बातों में मसीह के अधीन बढ़ते जाएँ जो हमारा सिर है। उसी से शरीर के सारे अंग, ज़रूरी काम करनेवाले हरेक जोड़ के ज़रिए आपस में पूरे तालमेल से जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे को सहयोग देते हैं और शरीर के ये अलग-अलग अंग अपना-अपना काम पूरा करते हैं। इसीलिए सारा शरीर बढ़ता जाता है और प्यार में अपना निर्माण करता है।”—इफि. 4:15, 16.
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“परमेश्वर की पवित्र शक्ति के तेज से भरे रहो”प्रहरीदुर्ग—2009 | अक्टूबर 15
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11. हमारी एकता किस पर टिकी है? पौलुस ने कौन-सी दूसरी सलाह दी?
11 हमारी मसीही एकता, प्यार पर टिकी है जो “पूरी तरह से एकता में जोड़नेवाला जोड़ है।” (कुलु. 3:14) पौलुस ने इसी बात पर ज़ोर देते हुए रोमियों के 12वें अध्याय में कहा कि हमारे प्यार में ‘कपट नहीं होना’ चाहिए और “भाइयों जैसा प्यार” दिखाने के लिए हमें “एक-दूसरे के लिए गहरा लगाव” रखना चाहिए। इससे हम एक-दूसरे की इज़्ज़त कर पाते हैं। प्रेषित पौलुस ने कहा: “एक-दूसरे का आदर करने में पहल करो।” मगर प्यार दिखाने का यह मतलब नहीं कि हम भावनाओं में बह जाएँ। हमें अपनी मंडली को शुद्ध बनाए रखने की भरसक कोशिश करनी चाहिए। प्यार के बारे में सलाह देते वक्त पौलुस ने यह भी बताया: “दुष्ट बातों से घिन करो, अच्छी बातों से लिपटे रहो।”
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