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‘सबके साथ शांति बनाए रखो’प्रहरीदुर्ग—2009 | अक्टूबर 15
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भलाई से बुराई को जीत लो
13, 14. (क) विरोध का सामना करते वक्त हमें क्यों हैरानी नहीं होती? (ख) हम अपने सतानेवालों को कैसे आशीष दे सकते हैं?
13 रोमियों 12:14, 21 पढ़िए। यहोवा अपने मकसदों को ज़रूर अंजाम देगा, इस बात पर भरोसा रखते हुए हम अपना पूरा ध्यान उस काम पर लगा सकते हैं, जो उसने हमें सौंपा है। वह है ‘राज की खुशखबरी’ का “सारे जगत में प्रचार” करना। (मत्ती 24:14) हम जानते हैं कि इस काम से हमारे दुश्मन हम पर भड़क उठेंगे, क्योंकि यीशु ने पहले से कहा था: “तुम मेरे नाम की वजह से सब राष्ट्रों की नफरत का शिकार बनोगे।” (मत्ती 24:9) इसलिए सताए जाने पर हम न तो हैरत में पड़ते हैं, ना ही हमारे हौसले पस्त होते हैं। प्रेषित पतरस ने लिखा: “मेरे प्यारो, परीक्षाओं की जो आग तुम्हारे बीच जल रही है उस पर हैरान मत हो, मानो तुम्हारे साथ कोई अनोखी घटना घट रही है। यह इसलिए हो रहा है कि तुम्हारी परख हो। इसके बजाय, तुम यह जानकर खुशियाँ मनाओ कि तुम मसीह की दुःख-तकलीफों में साझेदार बन रहे हो।”—1 पत. 4:12, 13.
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‘सबके साथ शांति बनाए रखो’प्रहरीदुर्ग—2009 | अक्टूबर 15
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15. भलाई से बुराई को जीतने का सबसे बढ़िया तरीका क्या है?
15 इसलिए एक सच्चा मसीही रोमियों के 12वें अध्याय की आखिरी आयत में दी सलाह मानता है: “बुराई से न हारो बल्कि भलाई से बुराई को जीतते रहो।” सारी बुराई की जड़ शैतान और इब्लीस ही है। (यूह. 8:44; 1 यूह. 5:19) प्रेषित यूहन्ना को जो दर्शन दिया गया था, उसमें यीशु ने उसे बताया कि उसके अभिषिक्त भाइयों ने “मेम्ने के लहू की वजह से और उस संदेश की वजह से जिसकी उन्होंने गवाही दी, शैतान पर जीत हासिल की।” (प्रका. 12:11) यह दिखाता है कि शैतान और इस दुनिया की व्यवस्था में फैले उसके बुरे असर पर जीत हासिल करने का सबसे बढ़िया तरीका है, राज की खुशखबरी सुनाकर भलाई करना।
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