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प्रकाश-कौंधें—ज़्यादा और कम (भाग दो)प्रहरीदुर्ग—1995 | मई 15
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“प्रधान अधिकारियों” की समझ स्पष्ट की गयी
४, ५. (क) बाइबल विद्यार्थियों ने रोमियों १३:१ को किस दृष्टिकोण से देखा? (ख) “प्रधान अधिकारियों” के सम्बन्ध में शास्त्रीय दृष्टिकोण के बारे में बाद में क्या देखा गया?
४ वर्ष १९६२ में रोमियों १३:१ से सम्बन्धित प्रकाश की एक तेज़ कौंध दिखाई दी, जो कहता है: “हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के आधीन रहे।” प्रारंभिक बाइबल विद्यार्थियों ने समझा कि वहाँ उल्लिखित ‘प्रधान अधिकारी’ सांसारिक अधिकारियों को सूचित करता है। उन्होंने इस शास्त्रवचन का यह अर्थ निकाला कि यदि एक मसीही युद्ध के समय चुना जाता है, तो वह वर्दी पहनने, बन्दूक उठाने, और युद्ध पर जाने, अर्थात् खन्दकों पर जाने के लिए बाध्य होगा। ऐसा महसूस किया गया कि चूँकि एक मसीही संगी मनुष्य को नहीं मार सकता, तब बुरी से बुरी परिस्थितियों के आने पर वह अपनी बन्दूक से हवा में गोली चलाने के लिए विवश होगा।a
५ नवम्बर १५ और दिसम्बर १, १९६२ की द वॉचटावर ने मत्ती २२:२१ में यीशु के शब्दों पर चर्चा करते वक़्त इस विषय पर स्पष्ट प्रकाश डाला: “जो कैसर का है, वह कैसर को; और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो।” प्रेरितों ५:२९ (NHT) में प्रेरितों के शब्द सुसंगत हैं: “हमारे लिए मनुष्यों की अपेक्षा परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना आवश्यक है।” मसीही कैसर—“प्रधान अधिकारियों”—के अधीन हैं बशर्ते कि यह एक मसीही से परमेश्वर के नियम के विरुद्ध कार्य करने की माँग नहीं करता। ऐसा देखा गया कि कैसर के प्रति अधीनता सापेक्षिक थी, ना कि पूर्ण। मसीही कैसर को केवल वही चीज़ें देते हैं जो परमेश्वर की माँगों के प्रतिकूल नहीं हैं। इस विषय पर स्पष्ट प्रकाश पाना कितना संतोषप्रद था!
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प्रकाश-कौंधें—ज़्यादा और कम (भाग दो)प्रहरीदुर्ग—1995 | मई 15
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a इस दृष्टिकोण की प्रतिक्रिया में, जून १ और जून १५, १९२९ की द वॉच टावर ने व्याख्या दी कि यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह ‘प्रधान अधिकारी’ हैं। मुख्यतः इसी दृष्टिकोण को १९६२ में सुधारा गया था।
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