निष्ठा की कसौटी पर खरा उतरना
“नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धार्मिकता, और पवित्रता [“निष्ठा,” NW] में सृजा गया है।”—इफिसियों ४:२४.
१. हम यहोवा परमेश्वर के प्रति निष्ठा रखने को क्यों बाध्य हैं?
निष्ठा की कसौटी पर खरा उतरने के अनेक पहलू है। सबसे महत्त्वपूर्ण है यहोवा परमेश्वर के प्रति निष्ठा की कसौटी पर खरा उतरना। सचमुच, यह देखते हुए कि यहोवा कौन है और उसने हमारे लिए क्या किया है, और उसके प्रति हमारे समर्पण के कारण, हम उसके प्रति निष्ठा रखने को बाध्य हैं। हम यहोवा परमेश्वर के प्रति निष्ठा कैसे दिखाते हैं? एक मुख्य तरीक़ा है यहोवा के धर्मी सिद्धान्तों के प्रति निष्ठावान रहने के द्वारा।
२, ३. निष्ठा और धार्मिकता के बीच क्या सम्बन्ध है?
२ उस कसौटी पर खरा उतरने के लिए, हमें १ पतरस १:१५, १६ में दिए गए शब्दों को मानने की ज़रूरत है: “जैसा तुम्हारा बुलानेवाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चालचलन में पवित्र बनो। क्योंकि लिखा है, कि पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं।” यहोवा परमेश्वर के प्रति निष्ठा हमें हर समय उसकी आज्ञा मानने के लिए प्रेरित करेगी, हमारे विचारों, शब्दों, और कार्यों को उसकी पवित्र इच्छा के सामंजस्य में लाएगी। इसका अर्थ है एक अच्छा अंतःकरण बनाए रखना, जैसा कि हमें १ तीमुथियुस १:३-५ में आज्ञा दी गयी है: “आज्ञा [भिन्न धर्म-सिद्धान्त नहीं सिखाना अथवा झूठी कहानियों पर ध्यान नहीं देना] का सारांश यह है, कि शुद्ध मन और अच्छे विवेक और कपटरहित विश्वास से प्रेम उत्पन्न हो।” यह सच है कि हम में कोई भी परिपूर्ण नहीं है, लेकिन हमें अपना भरसक करने की कोशिश करनी चाहिए, है कि नहीं?
३ यहोवा के प्रति निष्ठा हमें स्वार्थ के लिए धर्मी सिद्धान्तों पर समझौता करने से रोकेगी। वास्तव में, निष्ठा हमें अन्दर से कुछ और बाहर से कुछ और होने से रोकेगी। भजनहार के मन में निष्ठा थी जब उसने गाया: “हे यहोवा अपना मार्ग मुझे दिखा, तब मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलूंगा, मुझ को एक चित्त कर कि मैं तेरे नाम का भय मानूं।” (भजन ८६:११) निष्ठा उसकी माँग करती है जिसे भली भांति इस प्रकार वर्णित किया गया है, “उन नियमों या सिद्धान्तों का पालन जिन्हें मनुष्य लागू नहीं कर सकते।”
४, ५. निष्ठा हमें कैसा ग़लत कार्य करने से रोकेगी?
४ यहोवा परमेश्वर के प्रति निष्ठा हमें ऐसा कोई कार्य करने से भी रोकेगी जो उसके नाम और राज्य पर कलंक लाता। उदाहरण के लिए, एक बार दो मसीहियों के बीच इतनी अनबन हो गयी कि उन्होंने अनुचित रीति से एक सांसारिक अदालत का सहारा लिया। न्यायाधीश ने पूछा, ‘क्या आप दोनों यहोवा के साक्षी हैं?’ प्रत्यक्षतः वह यह समझ नहीं पाया कि वे अदालत में क्या कर रहे थे। वह कैसा कलंक था! यहोवा परमेश्वर के प्रति निष्ठा ने उन भाइयों को प्रेरित किया होता कि प्रेरित पौलुस की सलाह को मानें: “सचमुच तुम में बड़ा दोष तो यह है, कि आपस में मुकद्दमा करते हो; बरन अन्याय क्यों नहीं सहते? अपनी हानि क्यों नहीं सहते?” (१ कुरिन्थियों ६:७) निश्चित ही, यहोवा परमेश्वर के प्रति निष्ठा का मार्ग है कि यहोवा और उसके संगठन पर कलंक लाने के बजाय व्यक्तिगत हानि सह लें।
५ यहोवा परमेश्वर के प्रति निष्ठा में मनुष्य के भय के आगे नहीं झुकना भी सम्मिलित है। “मनुष्य का भय खाना फन्दा हो जाता है, परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह ऊंचे स्थान पर चढ़ाया जाता है।” (नीतिवचन २९:२५) अतः, सताहट आने पर हम समझौता नहीं करते, बल्कि हम भूतपूर्व सोवियत संघ, मलावी, इथियोपिया, और अनेकों अन्य देशों में यहोवा के साक्षियों द्वारा रखे गए उदाहरण पर चलते हैं।
६. निष्ठा हमें किसके साथ संगति करने से रोकेगी?
६ यदि हम यहोवा परमेश्वर के प्रति निष्ठावान हैं, तो हम उन सभी के साथ मित्रता नहीं करेंगे जो उसके शत्रु हैं। इसीलिए शिष्य याकूब ने लिखा: “हे व्यभिचारिणियो, क्या तुम नहीं जानतीं, कि संसार से मित्रता करनी परमेश्वर से बैर करना है? सो जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्वर का बैरी बनाता है।” (याकूब ४:४) हम वह निष्ठा रखनी चाहते हैं जिसका प्रमाण राजा दाऊद ने दिया जब उसने कहा: “हे यहोवा, क्या मैं तेरे बैरियों से बैर न रखूं, और तेरे विरोधियों से रूठ न जाऊं? हां, मैं उन से पूर्ण बैर रखता हूं; मैं उनको अपना शत्रु समझता हूं।” (भजन १३९:२१, २२) हम किसी हठीले पापियों के साथ मिलना-जुलना नहीं चाहते, क्योंकि हमारे और उनके बीच कुछ भी समान नहीं है। क्या परमेश्वर के प्रति निष्ठा हमको यहोवा के ऐसे किसी भी शत्रु के साथ संगति करने से नहीं रोकती, वह चाहे व्यक्तिगत रूप से हो या टॆलीविज़न के माध्यम से?
यहोवा के पक्ष में सफ़ाई देना
७. यहोवा के सम्बन्ध में निष्ठा क्या करने में हमारी मदद करेगी, और एलीहू ने यह कैसे किया?
७ निष्ठा हमें यहोवा परमेश्वर के पक्ष में सफ़ाई देने के लिए प्रेरित करेगी। इस सम्बन्ध में हमारे पास एलीहू का क्या ही उत्तम उदाहरण है! अय्यूब ३२:२, ३ हमें बताता है: “एलीहू . . . का क्रोध भड़क उठा। अय्यूब पर उसका क्रोध इसलिये भड़क उठा, कि उस ने परमेश्वर को नहीं, अपने ही को निर्दोष ठहराया। फिर अय्यूब के तीनों मित्रों के विरुद्ध भी उसका क्रोध इस कारण भड़का, कि वे अय्यूब को उत्तर न दे सके, तौभी उसको [परमेश्वर को] दोषी ठहराया।” अय्यूब अध्याय ३२ से लेकर ३७ तक, एलीहू यहोवा के पक्ष में सफ़ाई देता है। उदाहरण के लिए, उसने कहा: “कुछ ठहरा रह, और मैं तुझ को समझाऊंगा, क्योंकि ईश्वर के पक्ष में मुझे कुछ और भी कहना है। . . . अपने सिरजनहार को धर्मी ठहराऊंगा। . . . वह धर्मियों से अपनी आंखें नहीं फेरता।”—अय्यूब ३६:२-७.
८. हमें यहोवा के पक्ष में सफ़ाई देने की ज़रूरत क्यों है?
८ यहोवा के पक्ष में सफ़ाई देने की ज़रूरत क्यों है? आज, हमारे परमेश्वर यहोवा की अनेकों-अनेक तरीक़ों से ईशनिन्दा की जाती है। यह दावा किया जाता है कि वह अस्तित्व में नहीं है, कि वह एक त्रियेक का भाग है, कि वह एक जलते हुए नरक में लोगों को हमेशा के लिए तड़पाता है, कि वह संसार को बदलने की एक कमज़ोर कोशिश कर रहा है, कि वह मनुष्यजाति की परवाह नहीं करता, इत्यादि। हम उसके पक्ष में सफ़ाई देने और यह साबित करने के द्वारा उसके प्रति अपनी निष्ठा प्रदर्शित करते हैं कि यहोवा अस्तित्व में है; कि वह एक बुद्धिमान, न्यायपूर्ण, सर्वशक्तिमान, और प्रेममय परमेश्वर है; कि हर काम के लिए उसका एक समय है; और कि जब उसका नियत समय आएगा, तब वह सभी बुराई का अन्त करेगा और पूरी पृथ्वी को एक परादीस बना देगा। (सभोपदेशक ३:१) यह माँग करता है कि हम यहोवा के नाम और राज्य की साक्षी देने के लिए हर अवसर का लाभ उठाएँ।
यहोवा के संगठन के प्रति निष्ठा
९. किन मामलों में कुछ लोगों ने निष्ठा की कमी दिखायी है?
९ अब हम यहोवा के दृश्य संगठन के प्रति निष्ठा के विषय पर आते हैं। निश्चित ही, हम इसके प्रति निष्ठा रखने को बाध्य हैं, जिसमें “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” सम्मिलित है, जिसके द्वारा मसीही कलीसिया को आध्यात्मिक रूप से पोषित किया जाता है। (मत्ती २४:४५-४७) मान लीजिए कि प्रहरीदुर्ग प्रकाशनों में कोई ऐसी बात छपती है जो हमें समझ नहीं आती या इस समय हम उससे सहमत नहीं। हम क्या करेंगे? नाराज़ होकर संगठन को छोड़ देंगे? कुछ लोगों ने यही किया जब बहुत साल पहले प्रहरीदुर्ग ने नयी वाचा को सहस्राब्दि पर लागू किया। एक समय प्रहरीदुर्ग ने तटस्थता के विषय पर जो कहा, उससे दूसरे नाराज़ हो गए। यदि वे जो इन विषयों पर ठोकर खा गए संगठन के और अपने भाइयों के प्रति निष्ठावान रहे होते, तो उन्होंने इन विषयों को स्पष्ट करने के लिए यहोवा पर भरोसा रखा होता, जो कि उसने अपने नियत समय पर किया। अतः, निष्ठा में यह सम्मिलित है कि तब तक धैर्यपूर्वक ठहरें जब तक कि विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास अतिरिक्त समझ नहीं प्रकाशित करता।
१०. निष्ठा हमें किस बात के बारे में जिज्ञासु होने से रोकेगी?
१० यहोवा के दृश्य संगठन के प्रति निष्ठा का यह अर्थ भी है कि धर्मत्यागियों से कोई नाता न रखें। ऐसे लोगों को क्या कहना है इस विषय में निष्ठावान मसीही जिज्ञासु नहीं होंगे। यह सच है कि जिनको यहोवा परमेश्वर पृथ्वी पर अपने कार्य का निर्देशन करने के लिए प्रयोग कर रहा है वे परिपूर्ण नहीं हैं। लेकिन परमेश्वर का वचन हमें क्या करने के लिए कहता है? परमेश्वर के संगठन को छोड़ दो? जी नहीं। भाईचारे की प्रीति को चाहिए कि हमें इसके प्रति निष्ठावान रखे और हमें “हृदय की सच्ची लगन के साथ एक दूसरे से प्रेम” करते रहना चाहिए।—१ पतरस १:२२, NHT.
निष्ठावान प्राचीनों के प्रति निष्ठा
११. निष्ठा किस नकारात्मक सोच-विचार से बचने में हमारी मदद करेगी?
११ जब कलीसिया में ऐसा कुछ कहा या किया जाता है जिसे समझने में हमें मुश्किल होती है, तब निष्ठा हमें अभिप्रायों पर संदेह करने से रोकेगी और हमें यह स्थिति अपनाने में मदद देगी कि संभवतः यह अपनी-अपनी समझ का फेर है। क्या नियुक्त प्राचीनों और दूसरे संगी विश्वासियों की कमियों के बजाय उनके अच्छे गुणों पर विचार करना कहीं बेहतर नहीं? जी हाँ, हम ऐसे सभी नकारात्मक सोच-विचार से बचना चाहते हैं, क्योंकि यह निष्ठाहीन होने से सम्बन्धित है! निष्ठा हमें पौलुस के निर्देश का पालन करने में भी मदद देगी कि “किसी को बदनाम न करें।”—तीतुस ३:१, २.
१२, १३. प्राचीनों को कौन-सी ख़ास चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
१२ निष्ठा प्राचीनों के लिए ख़ास चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है। इनमें से एक चुनौती है गोपनीयता का विषय। कलीसिया का कोई सदस्य एक प्राचीन पर भरोसा करके शायद उसे कुछ बताए। उस व्यक्ति के प्रति निष्ठा प्राचीन को गोपनीयता के सिद्धान्त का उल्लंघन करने से रोकेगी। वह नीतिवचन २५:९ में दी गयी सलाह को मानेगा: “किसी दूसरे का भेद न खोल।” इसका अर्थ है स्वयं अपनी पत्नी को भी नहीं!
१३ प्राचीनों को निष्ठा की अन्य परीक्षाओं का भी सामना करना होता है। क्या वे मनुष्यों को प्रसन्न करनेवाले होंगे, या क्या वे साहस और मृदुलता के साथ उनकी सहायता करेंगे जिन्हें सुधार की ज़रूरत है, चाहे वे सगे-सम्बन्धी या घनिष्ठ मित्र ही क्यों न हों? यहोवा के संगठन के प्रति निष्ठा हम में से उनको जो प्राचीन हैं, प्रेरित करेगी कि उनको मदद देने की कोशिश करें जिन्हें आध्यात्मिक सहायता की ज़रूरत है। (गलतियों ६:१, २) हालाँकि हम कृपालु होंगे, निष्ठा हमें अपने संगी प्राचीन के साथ स्पष्टवादी बनाएगी, ठीक जैसे पौलुस ने प्रेरित पतरस के साथ स्पष्ट रीति से बात की। (गलतियों २:११-१४) दूसरी ओर, ओवरसियर सावधान रहना चाहते हैं, कहीं बुद्धिहीनता से कार्य करने या पक्षपात करने या किसी दूसरे तरीक़े से अपने अधिकार का दुष्प्रयोग करने के द्वारा, वे उनकी देखरेख में सौंपे हुओं के लिए परमेश्वर के संगठन के प्रति निष्ठावान होना कठिन न बना दें।—फिलिप्पियों ४:५.
१४, १५. कौन-सी बातें कलीसिया के सदस्यों की निष्ठा की परीक्षा ले सकती हैं?
१४ कलीसिया और उसके प्राचीनों के प्रति निष्ठा की कसौटी पर खरा उतरने के विषय में दूसरे पहलू भी हैं। यदि कलीसिया में कुछ मुश्किल परिस्थिति है, तो यह हमें यहोवा के प्रति और उसका प्रतिनिधित्व करनेवालों के प्रति निष्ठा दिखाने का अवसर देती है। (जून १५, १९८७ की अंग्रेज़ी प्रहरीदुर्ग, पृष्ठ १५-१७ देखिए।) जब कोई बहिष्कृत होता है, तब निष्ठा यह माँग करती है कि हम प्राचीनों का समर्थन करें, और बाद में यह अटकलें लगाने की कोशिश न करें कि की गयी कार्यवाही के लिए पर्याप्त कारण थे या नहीं।
१५ कलीसिया के प्रति निष्ठा हमसे यह माँग भी करती है कि अपनी परिस्थितियों और योग्यता के हिसाब से सभी पाँच साप्ताहिक सभाओं का समर्थन करें। निष्ठा की यह माँग है कि हम न सिर्फ़ नियमित रूप से उनमें उपस्थित हों बल्कि उनके लिए तैयारी भी करें और अवसर के अनुसार प्रोत्साहक टिप्पणियाँ करें।—इब्रानियों १०:२४, २५.
वैवाहिक निष्ठा
१६, १७. विवाहित मसीहियों को निष्ठा की कौन-सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
१६ हम और किसके प्रति निष्ठा रखने को बाध्य हैं? यदि हम विवाहित हैं, तो अपने विवाह-वचन को ध्यान में रखते हुए, हमें अपने विवाह साथी के प्रति निष्ठावान होने की कसौटी पर खरा उतरना है। अपने साथी के प्रति निष्ठा हमें यह ग़लती करने से रोकेगी कि दूसरी स्त्रियों या पुरुषों के साथ स्वयं अपनी पत्नी या पति से ज़्यादा अच्छा व्यवहार करें। अपने साथी के प्रति निष्ठा यह माँग भी करती है कि हम अपने साथी की कमज़ोरियों या कमियों को बाहरवालों को न बताएँ। इसके बनिस्बत कि अपने साथी के साथ संचार-मार्ग खुला रखने के लिए मेहनत करें, जो कि सुनहरे नियम के सामंजस्य में हमें करना चाहिए, दूसरों से शिक़ायत करना ज़्यादा आसान है। (मत्ती ७:१२) असल में, वैवाहिक अवस्था हमारी मसीही निष्ठा के लिए एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करती है।
१७ निष्ठा की इस कसौटी पर खरा उतरने के लिए, हमें न सिर्फ़ घोर दुराचरण का दोषी होने से बचना है बल्कि हमें अपने विचारों और भावनाओं को भी सुरक्षित रखना है। (भजन १९:१४) उदाहरण के लिए, यदि हमारा धोखेबाज़ हृदय सुख और उत्तेजना का लोभी है, तो यह बहुत आसान है कि स्वार्थ के कारण हम प्रशंसा करते करते अभिलाषा करने लगें। वैवाहिक निष्ठा का आग्रह करते हुए, राजा सुलैमान पतियों को सलाह देता है कि लाक्षणिक रूप से ‘अपने ही कुण्ड से पानी पिया करें।’ (नीतिवचन ५:१५) और यीशु ने कहा: “जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका।” (मत्ती ५:२८) जो पति अश्लील साहित्य का रस लेते हैं वे परस्त्रीगमन करने के लिए प्रवृत्त होने के ख़तरे में हैं, इस प्रकार अपनी पत्नियों से धोखा करते हैं और उनके प्रति निष्ठाहीन होते हैं। यही कारण है कि एक पत्नी जो ऐसे धारावाहिक देखने में लीन हो जाती है जिनमें व्यभिचार प्रसंग होते हैं, वह अपने पति के प्रति निष्ठाहीन बनने के लिए प्रलोभित हो सकती है। लेकिन, अपने साथी के प्रति सचमुच निष्ठावान होने के द्वारा, हम वैवाहिक बंधन को मज़बूत बनाते हैं, और हम यहोवा परमेश्वर को प्रसन्न करने के हमारे प्रयास में एक दूसरे की मदद करते हैं।
निष्ठावान रहने में सहायक
१८. किस बात का मूल्यांकन निष्ठावान होने में हमारी मदद करेगा?
१८ इन चार क्षेत्रों में कौन-सी बात हमें निष्ठा की कसौटी पर खरा उतरने में मदद देगी: यहोवा, उसके संगठन, कलीसिया, और अपने विवाह-साथी के प्रति निष्ठा? एक सहायक है इस बात का मूल्यांकन करना कि निष्ठा की कसौटी पर खरा उतरना यहोवा की सर्वसत्ता के दोषनिवारण के साथ जुड़ा हुआ है। जी हाँ, निष्ठावान रहने के द्वारा हम दिखाते हैं कि हम यहोवा को विश्व सर्वसत्ताधारी मानते हैं। अतः हम आत्म-सम्मान और यहोवा के नए संसार में अनन्त जीवन की आशा भी रख सकते हैं। हम निष्ठा के उत्तम उदाहरणों पर विचार करने के द्वारा निष्ठावान रहने में अपनी मदद कर सकते हैं। ये यहोवा और उन लोगों के उदाहरण हैं जिनका उल्लेख बाइबल में और प्रहरीदुर्ग प्रकाशनों में है, जिसमें वार्षिकी में दिए गए वृत्तांत सम्मिलित हैं।
१९. हमारे निष्ठावान होने में विश्वास क्या भूमिका निभाता है?
१९ यहोवा परमेश्वर में दृढ़ विश्वास और उसे अप्रसन्न करने का भय हमें निष्ठा की कसौटी पर खरा उतरने में मदद देगा। हम परमेश्वर के वचन का कर्मठता से अध्ययन करने के द्वारा और मसीही सेवकाई में भाग लेने के द्वारा यहोवा में अपना विश्वास और उसके प्रति भय को मज़बूत करते हैं। यह हमें इफिसियों ४:२३, २४ में अभिलिखित पौलुस की सलाह के सामंजस्य में कार्य करने में मदद देगा: “अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ। और नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धार्मिकता, और पवित्रता [“निष्ठा,” NW] में सृजा गया है।”
२०. सबसे बढ़कर, कौन-सा गुण यहोवा के प्रति और उन सब के प्रति निष्ठावान होने में हमारी मदद करेगा जिनके प्रति निष्ठा रखने को हम बाध्य हैं?
२० यहोवा के गुणों का मूल्यांकन निष्ठावान रहने में हमारी मदद करता है। सबसे बढ़कर, अपने स्वर्गीय पिता के लिए निःस्वार्थ प्रेम और उसने हमारे लिए वह सब जो किया है उसके लिए आभार, अपने सम्पूर्ण हृदय, प्राण और मन और शक्ति से उससे प्रेम रखना, हमें उसके प्रति निष्ठावान होने में मदद देगा। इसके अलावा, वह प्रेम रखना जो यीशु ने कहा कि उसके अनुयायियों की पहचान कराता, हमें कलीसिया में और अपने परिवार में सभी मसीहियों के प्रति निष्ठावान होने में मदद देगा। दूसरे शब्दों में कहें तो, यह या तो स्वार्थी या निःस्वार्थ होने का विषय है। निष्ठाहीनता का अर्थ है स्वार्थी होना। निष्ठा का अर्थ है निःस्वार्थ होना।—मरकुस १२:३०, ३१; यूहन्ना १३:३४, ३५.
२१. निष्ठा की कसौटी पर खरा उतरने के मामले का सार कैसे दिया जा सकता है?
२१ सारांश में: निष्ठा वह उत्कृष्ट गुण है जिसे यहोवा परमेश्वर, यीशु मसीह, और यहोवा के सभी सच्चे सेवक प्रदर्शित करते हैं। यहोवा परमेश्वर के साथ एक अच्छा सम्बन्ध रखने के लिए, उसकी धर्मी माँगों के अनुसार जीने के द्वारा, उसके शत्रुओं से कोई नाता न रखने के द्वारा, और औपचारिक तथा अनौपचारिक रूप से साक्षी देकर यहोवा के पक्ष में सफ़ाई देने के द्वारा हमें उसके प्रति निष्ठा की कसौटी पर खरा उतरना है। हमें यहोवा के दृश्य संगठन के प्रति निष्ठावान होने की कसौटी पर भी खरा उतरना है। हमें अपनी कलीसियाओं के प्रति निष्ठावान होना है और अपने विवाह-साथी के प्रति निष्ठावान होना है। सफलतापूर्वक निष्ठा की कसौटी पर खरा उतरने के द्वारा, हम यहोवा की सर्वसत्ता के दोषनिवारण में हिस्सा ले रहे होंगे, और वाद-विषय में उसका पक्ष ले रहे होंगे। इस प्रकार हम उसका अनुग्रह जीतेंगे और अनन्त जीवन का पुरस्कार पाएँगे। प्रेरित पौलुस ने ईश्वरीय भक्ति के बारे में जो कहा वही निष्ठा की कसौटी पर हमारे खरा उतरने के बारे में भी कहा जा सकता है। यह दोनों, अभी के जीवन के लिए और जो आनेवाला है उसके लिए लाभकारी है।—भजन १८:२५; १ तीमुथियुस ४:८.
आप कैसे उत्तर देंगे?
◻ परमेश्वर के प्रति निष्ठा की कसौटी पर हम किन तरीक़ों से खरे उतर सकते हैं?
◻ यहोवा के संगठन के प्रति निष्ठा हमसे क्या माँग करती है?
◻ निष्ठा की कसौटी पर प्राचीन कैसे खरे उतर सकते हैं?
◻ निष्ठा के सम्बन्ध में विवाहित मसीहियों को किस कसौटी पर खरा उतरना है?
◻ कौन-से गुण निष्ठा की कसौटी पर खरा उतरने में हमारी मदद करेंगे?
[पेज 17 पर तसवीरें]
कलीसिया के सदस्यों के प्रति निष्ठा प्राचीनों को भेद खोलने से रोकेगी
[पेज 18 पर तसवीरें]
अपने साथी के प्रति निष्ठा वैवाहिक बंधन को मज़बूत बनाती है