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“धीरज को धारण करो”प्रहरीदुर्ग—2001 | नवंबर 1
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“प्रेम धीरजवन्त है”
9. किस वजह से शायद पौलुस ने कुरिन्थियों से कहा कि “प्रेम धीरजवन्त है”?
9 प्रेम और धीरज के बीच के खास रिश्ते को समझाते हुए, पौलुस ने कहा: “प्रेम धीरजवन्त है।” (1 कुरिन्थियों 13:4) एक बाइबल विद्वान, अल्बर्ट बार्न्ज़ इस बात की ओर संकेत करते हैं कि पौलुस ने कुरिन्थ की मसीही कलीसिया में मौजूद अनबन और झगड़ों को देखते हुए शायद प्रेम और धीरज के खास रिश्ते पर ज़ोर दिया। (1 कुरिन्थियों 1:11,12) बार्न्ज़ बताते हैं: “[धीरज के लिए] यहाँ इस्तेमाल किया गया शब्द, उतावलेपन से बिलकुल उलटा है: यह, गुस्से से भरी बातों और विचारों, और चिड़चिड़ेपन से बिलकुल अलग है। यह शब्द मन की ऐसी स्थिति की ओर इशारा करता है, जिसमें एक व्यक्ति सताए जाने, गुस्सा दिलाए जाने पर देर तक सहन कर सकता है।” आज भी प्रेम और धीरज की वजह से मसीही कलीसिया की शांति बहुत बढ़ सकती है।
10. (क) किस तरह प्रेम धीरज धरने में हमारी मदद करता है और प्रेरित पौलुस इस बारे में हमें क्या सलाह देता है? (ख) परमेश्वर के धीरज और कृपा के बारे में बाइबल के एक विद्वान ने क्या कहा? (फुटनोट देखिए।)
10 “प्रेम धीरजवन्त है, और कृपाल है; प्रेम . . . अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं।” इसलिए, प्रेम कई तरीकों से हमें धीरज धरने में मदद देता है।a (1 कुरिन्थियों 13:4,5) प्रेम एक-दूसरे की कमियों को सहने और यह याद रखने में हमारी मदद करता है कि हम सभी असिद्ध हैं और कई बार पाप करते हैं। यह दूसरों की भावनाओं का लिहाज़ करने और उनकी गलतियों को माफ करने में हमारी मदद करता है। प्रेरित पौलुस हमें सलाह देता है: “सदा नम्रता और कोमलता के साथ, धैर्यपूर्वक आचरण करो। एक दूसरे की प्रेम से सहते रहो। वह शांति, जो तुम्हें आपस में बाँधती है, उससे उत्पन्न आत्मा की एकता को बनाये रखने के लिये हर प्रकार का यत्न करते रहो।”—इफिसियों 4:1-3, ईज़ी-टू-रीड वर्शन।
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“धीरज को धारण करो”प्रहरीदुर्ग—2001 | नवंबर 1
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a पौलुस के इस वचन, “प्रेम धीरजवन्त है, और कृपाल है,” के बारे में बाइबल विद्वान गॉर्डन डी. फी लिखते हैं: “पौलुस की धर्मशिक्षा के मुताबिक ये [धीरज और कृपा], इंसान की तरफ परमेश्वर के रवैए के दो पहलू हैं (रोमि. 2:4 से तुलना करें)। एक तरफ, परमेश्वर ने प्यार और सहनशीलता दिखायी है क्योंकि उसने इंसान के विद्रोह के खिलाफ अपने क्रोध को रोक रखा है; और दूसरी तरफ, हज़ारों बार दया दिखाकर उसने हमें दिखाया है कि वह कृपालु है। पौलुस का प्रेम का वर्णन, परमेश्वर के इन दो गुणों से शुरू होता है, जिसने मसीह के ज़रिए दिखाया है कि जो लोग असल में उसके दंड के लायक हैं, उनके साथ वह धीरज और कृपा से पेश आता है।”
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