कैसे हानिकर गपशप को कुचला जा सकता है
“हे यहोवा, मेरे मुख पर पहरा बैठा, मेरे होठों के द्वार की रखवाली कर!”—भजन १४१:३.
१. हमारे ईश्वर-प्रदत्त दिमाग़ में कैसी क्षमता है?
यहोवा ने हमें एक दिमाग़ दिया, और यह क्या ही आश्चर्यजनक चीज़ है! वह आश्चर्यजनक यंत्र (दी इंक्रेडिबल् मशीन) नामक किताब कहती है: “जटिल से जटिल कम्प्यूटर भी, जिन की हम कल्पना कर सकते हैं, मानवी दिमाग़ की क़रीब-क़रीब असीम पेचीदगी और लचीलेपन की तुलना में अपरिष्कृत हैं . . . किसी एक क्षण में आपके दिमाग़ में से तत्क्षण प्रसारित होनेवाले संकेत अद्भुत मात्रा में जानकारी का भार संप्रेषित करते हैं। वे आपके शरीर के भीतरी और बाहरी वातावरण के बारे में ख़बरें लाते हैं . . . जैसे दूसरे संकेत जानकारी को तैयार करते और उसका विश्लेषण करते हैं, वे कुछ विशेष जज़बात, यादें, विचार और योजनाएँ पैदा करते हैं, जिस से निर्णय लिया जाता है। फ़ौरन ही, आपके दिमाग़ में से संकेत आपके शरीर के दूसरे भागों को बताते हैं कि क्या करना है . . . इसी बीच आपका दिमाग़ आपके श्वसन, रक्त-रसायन, ताप, और आपके बोध के बाहर अन्य ज़रूरी प्रक्रियाओं की भी जाँच कर रहा है।”—पृष्ठ ३२६.
२. कौनसा सवाल अब विचार के योग्य है?
२ अवश्य, परमेश्वर की ओर से ऐसे बढ़िया उपहार को कूड़ा-करकट के पीपे या कचरे के डिब्बे के तौर से कभी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। फिर भी, हम हानिकर गपशप सुनने और फैलाने के द्वारा दिमाग़ का दुरुपयोग कर सकते हैं। हम किस तरह ऐसी बातचीत से बच सकते हैं और दूसरों को इस में भाग लेने से परहेज़ करने की मदद कर सकते हैं?
आपके ईश्वर-प्रदत्त दिमाग़ की क़दर कीजिए
३. क्यों कोई भी सच्चा मसीही हानिकर गपशप में भाग न लेगा?
३ हमारे ईश्वर-प्रदत्त दिमाग़ के लिए क़दर की भावना हमें हानिकर गपशप सुनने और उसे फैलाने से रोकेगी। यहोवा की आत्मा किसी को अपना दिमाग़ ऐसे विचारों से भरने और अपनी जीभ किसी को चोट पहुँचाने के लिए इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित नहीं करेगी। उलटा, परमेश्वर का वचन कहता है: ‘दुष्ट अपना चाल-चलन और अनर्थकारी अपने सोच-विचार छोड़ दें।’ (यशायाह ५५:७) दुष्ट व्यक्ति का दिमाग़ बुरे विचारों से भरा हुआ है, और वह ईमानदार लोगों का मिथ्यापवाद करने के लिए तत्पर है। लेकिन हमें ऐसी भाषा की उम्मीद उन लोगों से नहीं, जो अपने ईश्वर-प्रदत्त दिमाग़ की क़दर करते हैं।
४. अगर हम अपने दिमाग़ की और हमारी बोलने की क्षमता की क़दर करेंगे, तो हम अपना दिमाग़ और जीभ को किस तरह इस्तेमाल करेंगे?
४ उचित क़दरदानी हमें अपने दिमाग़ और जीभ को अपने पापमय मानवी स्वभाव की इच्छा-पूर्ति में सहायक होने के लिए इस्तेमाल नहीं करने देगी। उलटा, हम अपनी विचार-शक्ति और भाषा को एक उन्नत स्तर पर रखेंगे। हम उस व्यक्ति पर, जिनके विचार हमारे विचारों से ऊँचे हैं, प्रार्थनापूर्वक निर्भर रहने के द्वारा हानिकर गपशप से दूर रह सकते हैं। प्रेरित पौलुस ने सलाह दी: “जो जो बातें सत्य हैं [झूठ या मिथ्यापवादी नहीं], और जो जो बातें महत्त्वपूर्ण हैं [नगण्य नहीं], और जो जो बातें नेक हैं [दुष्ट और हानिकर नहीं], और जो जो बातें विशुद्ध हैं [अशुद्ध मिथ्यापवाद या बुरे शक नहीं], और जो जो बातें प्रीतिकर हैं [घृणित और अपमानजनक नहीं], और जो जो बातें सम्मानित हैं [अनादरपूर्ण नहीं], निदान जो जो [दुर्गुण नहीं बल्कि] सद्गुण और [निन्दित नहीं बल्कि] प्रशंसा की बातें हैं, इन्हीं पर ध्यान लगाया करो।”—फिलिप्पियों ४:८.
५. पौलुस के सम्बन्ध में संगी विश्वासियों ने क्या देखा और सुना था?
५ पौलुस ने आगे कहा: “जो बातें तुम ने मझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनीं, और मुझ में देखीं, उन्हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्ति का सोता है, तुम्हारे साथ रहेगा।” (फिलिप्पियों ४:९) दूसरों ने पौलुस के सम्बन्ध में क्या देखा और सुना था! ऐसी बातें जो विशुद्ध और आध्यात्मिक रूप से उन्नति के लिए थीं। उसने लुदिया या तीमुथियुस के बारे में नवीनतम गपशप से उनके कान नहीं भरे। आप निश्चित रह सकते हैं कि पौलुस ने यरूशलेम के बुज़ुर्ग भाइयों के बारे में अफ़वाहें न सुनी और ना ही फैलायी।a संभवतः, अपने ईश्वर-प्रदत्त दिमाग़ के लिए आदर भाव से पौलुस को हानिकर गपशप में उलझ जाने से बचे रहने की मदद हुई। अगर हम सचमुच ही उस दिमाग़ और जीभ की क़दर करेंगे, जो यहोवा ने हमें दी है, तो हम उसकी बढ़िया मिसाल का अनुकरण करेंगे।
परमेश्वर और उनके वचन के लिए आदर
६, ७. (अ) याकूब ने एक अनियंत्रित जीभ का प्रभाव किस तरह दर्शाया? (ब) अगर हम परमेश्वर और उनके वचन का आदर करेंगे, तो क्या नहीं होगा?
६ परमेश्वर और उनके पवित्र वचन के लिए दिली आदर भी हमें हानिकर गपशप को कुचलने में मदद करगा। वास्तव में, ऐसा आदर हमें शिष्य याकूब की सलाह की ओर ध्यान देने के लिए प्रेरित करेगा, जिस ने जीभ को फटकारा। (याकूब ३:२-१२) अगर कोई जीभ पर क़ाबू रख सकता, तो वह अपनी सारी देह पर भी लगाम लगा सकता, उसी तरह जैसे घोड़े के मुँह में लगाया हुआ लगाम उस जानवर को चला सकता है। जिस तरह बस एक ही चिनगारी सारे जंगल को जला सकती है, उसी तरह यह छोटी-सी जीभ भवचक्र में आग लगा सकती है। इंसान हर प्रकार के जंगली जानवरों, परिन्दों और रेंगनेवाले जन्तुओं और समुन्दर के प्राणियों को वश में कर सकते हैं, “पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता,” याकूब ने कहा। फिर भी, हानिकर गपशप को कुचलने की कोई कोशिश न करने के लिए यह तो कोई बहाना न हुआ।
७ याकूब ने यह भी कहा कि जीभ एक ही मुँह से धन्यवाद और शाप देती को भेजती है। यह उचित नहीं, इसलिए कि सोते के एक ही मुँह से मीठा और खारा जल दोनों नहीं निकलते। अंजीर का पेड़ ज़ैतून नहीं उत्पन्न कर सकता, और खारे जल से मीठा जल नहीं निकल सकता। अवश्य, जब तक कि मसीही अपरिपूर्ण हैं, तब तक जीभ को परिपूर्ण रूप से क़ाबू में रखना असंभव होगा। इस से हमें पश्चातापी अपराधियों के प्रति दयालु बनना चाहिए, फिर भी यह हानिकर गपशप के लिए एक बहाना नहीं है। तो जहाँ तक यह हम पर निर्भर है, अगर हम परमेश्वर और उनके वचन का सचमुच ही आदर करते हैं, तो जीभ का यह ज़हरीला दुरुपयोग नहीं होता रहेगा।
किस तरह प्रार्थना मदद कर सकती है
८. प्रार्थना हमें हानिकर गपशप को कुचलने की मदद कैसे कर सकती है?
८ हानिकर गपशप सुनने और फिर फैलाने का प्रलोभन बहुत ही तीव्र हो सकता है। तो अगर आप अतीत में ऐसे प्रलोभन के सामने झुक गए हैं, तो क्या आपको परमेश्वर की क्षमा और मदद नहीं माँगनी चाहिए? यीशु ने हमें प्रार्थना करना सिखाया: “और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु उस दुष्ट से बचा।” (मत्ती ६:१३, न्यू.व.) जो मसीही सच्चे दिल से प्रार्थना करते हैं कि परमेश्वर उन्हें ऐसी लुभावनी परन्तु बुरी बातचीत करने के लिए छोड़ न दें, वे शैतान की इस युक्ति से वशीभूत न होंगे; उन्हें उस बड़े मिथ्यापवादी से बचा लिया जाएगा।
९. अगर हम किसी के बारे में मिथ्यापवाद करने के लिए प्रलोभित होते हैं, तो हम किस तरह प्रार्थना कर सकते हैं?
९ अगर हम किसी के बारे में मिथ्यापवाद करने के लिए प्रलोभित होते हैं, तो हम प्रार्थना कर सकते हैं: “हे यहोवा, मेरे मुख पर पहरा बैठा, मेरे होठों के द्वार की रखवाली कर!” (भजन १४१:३) प्रलोभन के सामने झुक जाने और इब्लीस का, एक घृणित, झूठे, हत्यारे मिथ्यापवादी के तौर से अनुकरण करने के द्वारा हम अनन्त जीवन के लिए हमारी प्रत्याशाओं को बिगाड़ सकते हैं। (यूहन्ना ८:४४) प्रेरित यूहन्ना ने लिखा: “जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह हत्यारा है; और तुम जानते हो, कि किसी हत्यारे में अनन्त जीवन नहीं रहता।”—१ यूहन्ना ३:१५.
प्रेम गपशप को दूर करता है
१०. दूसरों के बारे में गपशप करने के बजाय, हम किस बात में उनके कर्ज़दार हैं?
१० हम सब किसी न किसी बात में दूसरों के कर्ज़दार हैं, लेकिन हम ऐसी घृणा के विषय में कर्ज़दार नहीं जिससे हानिकर गपशप प्रेरित होती है। पौलुस ने लिखा, “आपस में प्रेम को छोड़ और किसी बात में किसी के कर्ज़दार न हो।” (रोमियों १३:८) दूसरों के ख़िलाफ़ बोलने और उनकी नेकनामी को बिगाड़ने के बजाय, हमें उस कर्ज़ को प्रतिदिन चुकाना चाहिए। अगर हम यहोवा से प्रेम करने का दावा करते हैं, तो हम एक संगी उपासक के बारे में मिथ्यापवाद नहीं कर सकते हैं, “क्योंकि जो अपने भाई से, जिसे उस ने देखा है, प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर से भी, जिसे उस ने नहीं देखा, प्रेम नहीं रख सकता।”—१ यूहन्ना ४:२०.
११. भेड़ों और बकरियों के बारे में यीशु के दृष्टान्त से हमें हानिकर गपशप के सम्बन्ध में विचारणीय विषय कैसे मिलता है?
११ भेड़ों और बकरियों के बारे में यीशु के दृष्टान्त पर ग़ौर कीजिए। बकरी-समान लोगों को बताया गया कि जो कुछ उन्होंने मसीह के भाइयों के साथ किया, उसे इस तरह माना जाता, कि यह उसी के साथ किया गया हो। क्या आप मसीह के बारे में गपशप करते? अगर आप अपने प्रभु और स्वामी के ख़िलाफ़ नहीं बोलते, तो उनके अभिषिक्त भाइयों के साथ उस तरह से बरताव न करें। उन बकरियों के समान ग़लती न करें, जो “अनन्त दण्ड में जाएँगे।” अगर आप यीशु के भाइयों से प्रेम रखते हैं, तो आप उनके बारे में क्या कहते हैं, इसके द्वारा इस बात को दर्शाएँ।—मत्ती २५:३१-४६.
१२. नीतिवचन १६:२ का सार क्या है, और इससे हमारे विचारों, कार्यों और भाषा पर कैसा असर होना चाहिए?
१२ चूँकि हम सब पापी हैं और हमें यीशु के छुटकारे के बलिदान की आवश्यकता है, इसलिए अगर हमारे बारे में कोई प्रतिकूल टिप्पणी करना चाहता, तो उसे कहने के लिए बहुत कुछ मिल जाता। (१ यूहन्ना २:१, २) निश्चय ही, हम सोचेंगे कि हम काफ़ी अच्छी तरह से चल रहे हैं। “मनुष्य का सारा चाल-चलन अपनी दृष्टि में पवित्र ठहरता है, परन्तु यहोवा मन को तौलता है।” पक्षपात या तरफ़दारी परमेश्वर के पलड़े को भारी नहीं करते। (नीतिवचन १६:२; प्रेरितों १०:३४, ३५) वह हमारी मनोभावना को तोलते हैं, हमारी मनोवृत्ति पर और हमें सोचने, कार्य करने और बोलने के लिए प्रेरित करनेवाली अन्तःप्रेरणाओं पर ग़ौर करते हैं। तो फिर, निश्चय ही, हम नहीं चाहेंगे कि परमेश्वर को पता चले कि हम ग़लत रूप से अपने आप को स्वच्छ और दूसरों को मैले, और चोट पहुँचानेवाली टिप्पणी के योग्य मानते हैं। यहोवा की तरह, हमें निष्पक्ष, दयालु और प्रेममय होना चाहिए।
१३. (अ) यह बात कि “प्रेम धीरजवन्त है, और कृपालु है,” किस तरह हानिकर गपशप को कुचलने में मददगार साबित होगी? (ब) उस व्यक्ति के ख़िलाफ़, जिसको सेवा का एक ऐसा विशेषाधिकार मिलता है, बोलने में कौनसी बात हमें रोक सकती है?
१३ पौलुस ने १ कुरिन्थियों १३:४-८ में जो कहा, उस पर अमल करने से हमें हानिकर गपशप को कुचलने में मदद हो सकती है। उन्होंने लिखा: “प्रेम धीरजवन्त है, और कृपालु है।” एक बहन जो विभाजित गृहस्थी में उत्पीड़न सह रही है, वह शायद हँसमुख चेहरे से हमें नमस्कार नहीं करेगी। या कुछ लोग शायद कमज़ोर स्वास्थ्य के कारण, शारीरिक रूप से धीमा होंगे। उन्हें आलोचनात्मक गपशप का शिकार बना देने के बजाय, क्या हमें प्रेम से ऐसे व्यक्तियों के प्रति सहनशील और कृपालु होने के लिए प्रेरित होना नहीं चाहिए? ‘प्रेम डाह नहीं करता, अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं।’ इस प्रकार, अगर किसी दूसरे मसीही को सेवा का ऐसा विशेषाधिकार मिलता है जो हमें नहीं, तो प्रेम हमें उसके ख़िलाफ़ बोलने और यह सुझाने, कि वह कार्य के लिए अयोग्य है, रोकेगा। प्रेम हमें अपनी सिद्धियों के बारे में डींग मारने से भी रोकेगा, जो कि ऐसी बातचीत है जिस से कम विशेषाधिकृत लोग निराश हो सकते हैं।
१४. हम दूसरों के बारे में जो कहते हैं, उसे पर प्रेम का और क्या बात है जो प्रभाव डाल सकेगा?
१४ पौलुस ने यह भी कहा कि ‘वह अनरीति नहीं चलता, अपनी भलाई नहीं चाहता, झुँझलाता नहीं, अन्याय का हिसाब नहीं रखता।’ निर्लज्जता से अख्रिस्तीय बातें करने के बजाय, दूसरों के बारे में अच्छा बोलने और उनकी हितों के बारे में सोचने के लिए हम ने अपने आप को प्रेम के द्वारा प्रेरित होने देना चाहिए। यह हमें झुँझलाने से और असली या कल्पित अन्यायों की वजह से लोगों के ख़िलाफ़ बोलने से रोकता है। चूँकि ‘प्रेम कुकर्म से आनन्दित नहीं, बल्कि सत्य से आनन्दित होता है,’ इसलिए यह हमें अन्याय सहनेवाले विरोधियों के बारे में भी हानिकर गपशप में भाग लेने से रोकता है।
१५. (अ) हमें इस तथ्य से किस तरह प्रभावित होना चाहिए कि ‘प्रेम सब बातों पर विश्वास करता है और सब बातों की आशा रखता है?’ (ब) अगर दूसरे लोग यहोवा के संघटन के ख़िलाफ़ बोलते भी हैं, तो भी उससे लगे रहने के लिए प्रेम के कौनसे पहलू हमारी मदद करेंगे?
१५ प्रेम परमेश्वर के वचन में पायी गयी ‘सब बातों पर विश्वास करता है, सब बातों की आशा रखता है,’ और हमें झूठ बोलनेवाले धर्मत्यागियों के मिथ्यापवादी कथनों को सुनने के बजाय, ‘विश्वासयोग्य दास’ वर्ग द्वारा दिए गए आध्यात्मिक भोजन का मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित करता है। (मत्ती २४:४५-४७; १ यूहन्ना २:१८-२१) चूँकि प्रेम ‘सब बातों में धीरज धरता है और कभी टलता नहीं,’ इसलिए अगर ‘झूठे भाई’ या कोई अन्य परमेश्वर के संघटन के ख़िलाफ़ या उसके सदस्यों के ख़िलाफ़ बोलते भी हैं, तो भी यह उसके प्रति वफ़ादार रहने में हमारी मदद करता है।—गलतियों २:४.
आदर गपशप पर क़ाबू रखता है
१६. कुरिन्थ में झूठे भाइयों ने पौलुस से कैसा बरताव किया?
१६ संगी विश्वासियों के लिए आदर भी हानिकर गपशप को कुचलने में मदद करता है। चूँकि वे परमेश्वर को स्वीकार्य हैं, तो निश्चय ही हमें उनकी निन्दा नहीं करनी चाहिए। हम उन “झूठे भाइयों” की तरह कभी न हों, जिनका सामना पौलुस ने किया। बेशक, उन्होंने उसके बारे में बुरी बातें कहीं। (२ कुरिन्थियों ११:२६) धर्मत्यागियों ने भी उसकी निन्दा की होगी। (यहूदा ३, ४ से तुलना कीजिए।) कुरिन्थ में कुछेक व्यक्तियों ने कहा: “उस की पत्रियाँ तो गम्भीर और प्रभावशाली हैं, परन्तु जब देखते हैं, तो वह देह का निर्बल और वक्तव्य में हल्का जान पड़ता है।” (२ कुरिन्थियों १०:१०) लोग ऐसी टिप्पणी अपने प्रियों के बारे में नहीं कहते।
१७. दियुत्रिफेस किस प्रकार के शब्दों के साथ प्रेरित यूहन्ना के बारे में बात कर रहा था?
१७ प्रेरित यूहन्ना पर ग़ौर करें, जिसके ख़िलाफ़ दियुत्रिफेस बोलता था। “मैं ने मण्डली को कुछ लिखा था,” यूहन्ना ने कहा, “पर दियुत्रिफेस जो उन में बड़ा बनना चाहता है, हम से कोई भी बात आदर से ग्रहण नहीं करता। सो जब मैं आऊँगा, तो उसके कामों की जो वह कर रहा है, सुधि दिलाऊँगा, कि वह हमारे विषय में बुरी बुरी बातें बकता है।” (३ यूहन्ना ९, १०, न्यू.व.) ऐसे बकबक करना एक बहुत ही गंभीर मामला था, और अगर हम आज समान बातें सुन रहे हैं या फैला रहे हैं, तो हमें ऐसा करना फ़ौरन बन्द कर देना चाहिए।
१८. देमेत्रियुस और दियुत्रिफेस के बीच क्या अन्तर था, और ऐसी विषमता हमारे आचरण पर किस तरह असर कर सकती है?
१८ सच्चे लोगों का आदर करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए, यूहन्ना ने गयुस से कहा: “हे प्रिय, बुराई के नहीं, पर भलाई के अनुयायी हो, जो भलाई करता है, वह परमेश्वर की ओर से है, पर जो बुराई करता है, उस ने परमेश्वर को नहीं देखा। देमेत्रियुस के विषय में सब ने बरन सत्य ने भी आप ही गवाही दी: और हम भी गवाही देते हैं, और तू जानता है, कि हमारी गवाही सच्ची है।” (३ यूहन्ना १, ११, १२) हम में से हर एक व्यक्ति अपने आप से पूछ सकता है: क्या मैं एक बकवादी दियुत्रिफेस हूँ, या क्या मैं एक निष्ठावान् देमेत्रियुस हूँ? अगर हम संगी विश्वासियों का आदर करते हैं, तो हम उनके बारे में नकारात्मक टिप्पणी नहीं करेंगे, जिस से दूसरों को हमें बकवादी समझने का कारण मिल सकता है।
१९. झूठे भाइयों ने भाई रस्सेल की मानहानि करने की कोशिश किस तरह की?
१९ झूठे भाई सिर्फ़ पहली सदी में ही अस्तित्व में न थे। १८९० के दशक में, परमेश्वर के संघटन के साथ संघटित होनेवाले कुछेक बेईमान व्यक्तियों ने वॉच टावर सोसाइटी को अपने वश में करने की कोशिश की। उन्होंने चार्ल्स टेज़ रस्सेल के ख़िलाफ़ षड्यन्त्र किया, इस उद्देश्य से कि सोसाइटी के पहले सभापति के रूप में उनका अन्त ला सके। क़रीब दो साल तक तैयार होने के बाद, आख़िर षड्यन्त्र १८९४ में पूरी तरह से फूट पड़ा। झूठे आरोप मुख्य रूप से रस्सेल की व्यवसाय में की गयी तथाकथित बेईमानी पर केंद्रित थे। कुछेक नीच आरोपों से आरोप लगानेवालों का इरादा स्पष्ट हुआ—सी. टी. रस्सेल की मानहानि। निष्पक्ष मसीहियों ने मामलों की तहक़ीक़ात की और उसे निर्दोष पाया। इस प्रकार, “श्री. रस्सेल और उसके कार्य को पूरी तरह से नष्ट करने” की योजना विफ़ल हुई। तो, पौलुस के जैसे, भाई रस्सेल को झूठे भाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन इस परीक्षा को शैतान के एक षड्यन्त्र के तौर से पहचाना गया। इसके बाद षड्यन्त्रकारियों को मसीही संग-साथ का आनन्द प्राप्त करने के लिए अयोग्य ठहराया गया।
अच्छे कार्य गपशप को दबा देते हैं
२०. पौलुस ने कुछेक जवान विधवाओं में कौनसा दोष निकाला?
२० पौलुस जानता था कि हानिकर गपशप अक्सर बहुत सारे अच्छे कामों से नहीं, बल्कि आलस्य से जुड़ी हुई थी। वह बिल्कुल खुश न था कि कुछेक विधवाओं ने ‘घर घर फिरकर आलसी होना सीखा था, और केवल आलसी ही नहीं, पर बकबक करना और औरों के काम में हाथ भी डालना और अनुचित बातें बोलना सीखा था।’ तो फिर इलाज क्या था? हितकर काम। इसलिए, पौलुस ने लिखा: “इसलिए मैं यह चाहता हूँ, कि जवान विधवाएँ ब्याह करें, बच्चे जनें और घरबार सँभालें, और विरोधी को बदनाम करने का अवसर न दें।”—१ तीमुथियुस ५:११-१४, बाइंग्टन.
२१. हानिकर गपशप के फंदों से बचे रहने के साथ १ कुरिन्थियों १५:५८ का क्या सम्बन्ध है?
२१ अगर औरतें गृहस्थी सँभालेंगी, परमेश्वर के स्तरों के अनुसार बच्चों को प्रशिक्षित करेंगी, और अन्य योग्य लक्ष्यों में लग जाएँगी, तो उन्हें हानिकर गपशप की ओर ले जानेवाली सुस्ती में की गयी बातचीत के लिए बहुत कम वक़्त रहेगा। अगर आदमी अच्छे कामों में व्यस्त रहेंगे, तो उन्हें भी ऐसी बातचीत के लिए कम वक़्त रहेगा। “प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते” जाने के द्वारा हमें हानिकर गपशप के फंदों से बचने की मदद होगी। (१ कुरिन्थियों १५:५८) ख़ासकर, मसीही सेवकाई, मण्डली की सभाओं, और अन्य ईश्वरीय कामों में हार्दिक रूप से शामिल होने से हमारा दिमाग़ आध्यात्मिक मामलों पर केंद्रित रहेगा, जिस से कि हम दूसरों के मामलों में दस्तंदाज़ और निकम्मे गप्पी न बनें।
२२. नीतिवचन ६:१६-१९ में मिथ्यापवादियों के विषय में परमेश्वर के नज़रिए के बारे में क्या कहा गया है?
२२ अगर हम ईश्वरीय कामों में व्यस्त रहेंगे और दूसरों को आध्यात्मिक रूप से आशीर्वाद देने की कोशिश करेंगे, तो हम बेवफ़ा चुग़लखोर नहीं, बल्कि वफ़ादार दोस्त होंगे। (नीतिवचन १७:१७) और अगर हम हानिकर गपशप से बचे रहेंगे, तो हमारे पास सबसे अच्छा दोस्त होगा—यहोवा परमेश्वर। हम याद रखें कि उन्हें घृणित लगनेवाली सात वस्तुएँ ‘घमण्ड से चढ़ी हुई आँखें, झूठ बोलनेवाली जीभ, और निर्दोष का लोहू बहानेवाले हाथ, अनर्थ कल्पना गढ़नेवाले मन, बुराई करने को वेग दौड़नेवाले पाँव, झूठ बोलनेवाले साक्षी और भाइयों के बीच में झगड़ा उत्पन्न करनेवाले मनुष्य’ हैं। (नीतिवचन ६:१६-१९) गपशप करनेवाले बातों को बढ़ा-चढ़ाकर और ग़लत अर्थ लगाकर कहते हैं, और मिथ्यापवादियों की झूठी जीभ होती है। उनके शब्दों से उन लोगों के पाँव चुग़ली खाने के लिए चलना शुरु होते हैं। और प्रायः हमेशा ही, परिणाम कलह ही होता है। लेकिन अगर हम उन बातों से घृणा करेंगे जिनसे परमेश्वर घृणा करते हें, तो हम हानिकर गपशप से दूर रहेंगे जो कि सच्चे लोगों को हानि पहुँचा सकती है और उस बड़े मिथ्यापवादी, शैतान इब्लीस को उल्लसित बना सकती है।
२३. हमारी बातचीत के संबंध में, हम किस तरह यहोवा के मन को आनन्दित कर सकते हैं?
२३ इसलिए, हम यहोवा के मन को आनन्दित करें। (नीतिवचन २७:११) हम ऐसी बातचीत से दूर रहें जिससे वह घृणा करते हैं, मिथ्यापवाद को सुनना अस्वीकार करें, और हानिकर गपशप को कुचलने की भरसक कोशिश करें। निश्चय ही, हम अपने पवित्र परमेश्वर, यहोवा की मदद से ही ऐसा कर सकेंगे।
[फुटनोट]
a आज भी सनसनीखेज़ कथाओं को (जो अक्सर किसी भी तथ्य पर आधारित नहीं) सुनना और फैलाना उपयुक्त नहीं, इस विषय में कि शासी वर्ग के सदस्यों या उनके प्रतिनिधियों ने कल्पित रूप से क्या कहा या किया है।
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ प्रार्थना हमें दूसरों के बारे में मिथ्यापवाद करने से बचे रहने की मदद कैसे करती है?
◻ १ कुरिन्थियों १३:४-८ पर अमल करने से हमें किस तरह हानिकर गपशप को कुचलने मैं मदद मिलती है?
◻ आत्म-सम्मान हमें संगी विश्वासियों के बारे में गपशप करने के किसी भी प्रलोभन पर क़ाबू रखने की मदद किस तरह करता है?
◻ हानिकर गपशप के फंदों से बचे रहने के साथ १ कुरिन्थियों १५:५८ का क्या सम्बन्ध हो सकता है?
[पेज 13 पर चित्र का श्रेय]
U.S. Forest Service photo