-
परमेश्वर की उपासना करने में दूसरों की मदद करनाप्रहरीदुर्ग—1989 | अगस्त 1
-
-
“परन्तु . . . कोई अविश्वासी या अनपढ़ा मनुष्य भीतर आ जाए . . . उसके मन के भेद प्रगट हो जाएंगे, और तब वह मुंह के बल गिरकर परमेश्वर को दण्डवत करेगा।”—१ कुरिन्थियों १४:२४, २५.
-
-
परमेश्वर की उपासना करने में दूसरों की मदद करनाप्रहरीदुर्ग—1989 | अगस्त 1
-
-
‘अविश्वासियों और साधारण व्यक्तियों’ की मदद करना
४. कुरिन्थ के लोगों के समान आज बहुतों की सहायता किन मार्गों से की जाती है?
४ आज के यहोवा के गवाह भी “सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और बपतिस्मा” देने के यीशु के आदेश का पालन कर रहे हैं। (मत्ती २८:१९, २०) ग्रहणशील हृदयों में सत्य के बीज बोने के बाद, वे लौटते हैं और इन्हें सींचते हैं। (१ कुरिन्थियों ३:५-९; मत्ती १३:१९, २३) ये गवाह मुफ्त साप्ताहिक गृह-बाइबल अध्ययनों का प्रस्ताव करते हैं ताकि लोगों को उनके प्रश्नों का उत्तर मिल सके और वे बाइबल सच्चाइयाँ सीख सकें। ऐसे व्यक्तियों को यहोवा के गवाहों की सभाओं में उपस्थित रहने के लिए भी आमत्रिंत किए जाते हैं जैसे कि पहली सदी के “अविश्वासी” कुरिन्थ में उपस्थित हुआ करते थे लेकिन उन व्यक्तियों की ओर यहोवा के गवाहों का क्या दृष्टिकोण होना चाहिए जो बाइबल का अध्ययन कर रहे हैं और सभाओं में आते हैं?
५. कुछ व्यक्तियों से व्यवहार करते समय सावधानी रखने का क्या शास्त्रीय आधार है?
५ हम उन्हें परमेश्वर के निकट जाते हुए देखने से हर्षित हैं। फिर भी, हम यह याद रखते हैं कि वे अब बपतिस्मा पाए हुए विश्वासी नहीं हैं। पिछले लेख पर आधारित उन दो चेतावनियों को भी याद करें। (१) इस्राएलियों ने उन विदेशी उपनिवेशियों की ओर सावधानी प्रदर्शित की, जो परमेश्वर के लोगों के बीच होने और कुछ नियमों का पालन करने पर भी, खतना किए हुए धर्मान्तरित उपासना में भाई नहीं थे। (२) कुरिन्थी मसीही जो ‘अविश्वासियों और साधारण व्यक्तियों’ से व्यवहार करते थे, पौलुस के शब्दों के कारण सचेत रहे: “अविश्वासियों के साथ असमान जूए में न जुतो, क्योंकि धार्मिकता और अधर्म का क्या मेल जोल?”—२ कुरिन्थियों ६:१४.
६. “अविश्वासियों” को सभाओं के द्वारा कैसे “दोषी ठहराये” जा सकते हैं और यह किस प्रकार का फटकार है?
६ इसलिए जब हम ‘अविश्वासियों और साधारण व्यक्तियों’ का स्वागत करते हैं, हम जानते हैं कि वे अभी तक परमेश्वर के स्तरों के अनुकूल नहीं हुए हैं। जैसे १ कुरिन्थियों १४:२४, २५ में बाइबल सूचित करती है, ऐसों को, जो वे सीख रहे हैं उसके द्वारा, “परख” लेने और कभी अपने आप को “दोषी” ठहराने की भी आवश्यकता होगी। यह एक न्यायिक प्रकार की फटकार नहीं, उन्हें एक न्यायिक कमेटी के सामने लाया नहीं जाता क्योंकि वे अब तक उस मण्डली के बपतिस्मा पाए हुए सदस्य नहीं हैं। उलटे, वे जो सीख रहे हैं उसके परिणामस्वरूप ये नए व्यक्तियाँ निश्चयी हो जाते हैं कि परमेश्वर कोई भी स्वार्थी और अनैतिक मार्गों का निन्दा करता है।
-