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“मरे हुओं को कैसे ज़िंदा किया जाएगा?”प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2020 | दिसंबर
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3. (क) जैसा 1 कुरिंथियों 15:30-32 से पता चलता है, पौलुस ने क्या-क्या सहा? (ख) वह यह सब क्यों सह पाया?
3 पौलुस को पूरा विश्वास था कि अगर उसकी मौत हो गयी, तो परमेश्वर बाद में उसे ज़िंदा कर देगा। इसीलिए वह कई तरह की मुश्किलें सह पाया। (1 कुरिंथियों 15:30-32 पढ़िए।) उसने कुरिंथियों के नाम चिट्ठी में लिखा, “मैं हर दिन मौत का सामना करता हूँ।” उसने यह भी लिखा, “मैं . . . इफिसुस में जंगली जानवरों से लड़ा।” शायद पौलुस इफिसुस के किसी अखाड़े में सचमुच जानवरों से लड़ा होगा। (2 कुरिं. 1:8; 4:10; 11:23) या फिर वह उन यहूदियों और दूसरे विरोधियों के बारे में बात कर रहा था जिन्होंने उसके साथ “जंगली जानवरों” जैसा व्यवहार किया था। (प्रेषि. 19:26-34; 1 कुरिं. 16:9) वाकई, पौलुस ने कई खतरों का सामना किया था। फिर भी उसे पूरा यकीन था कि भविष्य में उसे अपना इनाम ज़रूर मिलेगा।—2 कुरिं. 4:16-18.
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“मरे हुओं को कैसे ज़िंदा किया जाएगा?”प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2020 | दिसंबर
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5. हमें किस तरह की सोच से खबरदार रहना चाहिए?
5 पौलुस के दिनों में कुछ लोग गलत सोच रखते थे। वे कहते थे, “अगर मरे हुओं को ज़िंदा नहीं किया जाएगा तो ‘आओ हम खाएँ-पीएँ क्योंकि कल तो मरना ही है।’” पौलुस ने वहाँ के मसीहियों को ऐसी सोच से खबरदार रहने के लिए कहा। वरना उनका विश्वास कमज़ोर पड़ जाता कि परमेश्वर उन्हें दोबारा जीवन दे सकता है। पौलुस के ज़माने से सदियों पहले कुछ इसराएली भी ऐसी गलत सोच रखते थे, जैसा कि यशायाह 22:13 से पता चलता है और पौलुस ने शायद 1 कुरिंथियों 15 में इसी आयत का हवाला दिया था। वे इसराएली परमेश्वर के साथ अपना रिश्ता मज़बूत करने के बजाय मौज-मस्ती में डूबे रहते थे। उनका मानना था, “खाओ, पीओ, ऐश करो, कल किसने देखा है।” आज भी कई लोग ऐसा ही मानते हैं। लेकिन ऐसी सोच रखने का हमेशा बुरा अंजाम होता है। इसराएल राष्ट्र को भी ऐसा अंजाम भुगतना पड़ा।—2 इति. 36:15-20.
6. हमें ऐसे लोगों से दोस्ती क्यों नहीं करनी चाहिए जो सिर्फ आज के लिए जीते हैं?
6 हमें इस बात पर पूरा विश्वास है कि अगर हमारी मौत हो गयी, तो परमेश्वर हमें दोबारा जीवन देगा। इसलिए हमें ऐसे लोगों से दोस्ती नहीं करनी चाहिए जो मानते हैं कि यही ज़िंदगी सबकुछ है और भविष्य के लिए कोई आशा नहीं है। पौलुस ने भी कुरिंथ के मसीहियों को ऐसे लोगों से दूर रहने की सलाह दी थी। जो लोग सिर्फ आज के लिए जीते हैं, उनके साथ ज़्यादा मेल-जोल रखने से हम भी उनकी तरह सोचने लगेंगे और हमने जो अच्छी आदतें बढ़ायी हैं, वे सब बिगड़ जाएँगी। फिर शायद हम ऐसे गलत काम भी करने लगें जिनसे परमेश्वर नफरत करता है। यही वजह है कि पौलुस ने कड़े शब्दों में कहा, “नेक काम करने के लिए होश में आ जाओ और पाप करने में मत लगे रहो।”—1 कुरिं. 15:33, 34.
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