पारिवारिक और आपसी रिश्ते
कई लोगों को अपने परिवार और दोस्तों के साथ अच्छा रिश्ता बनाए रखना मुश्किल लगता है। लेकिन बाइबल की सलाह पर चलने से आप दूसरों के साथ अच्छा रिश्ता बनाए रख सकते हैं। आइए कुछ बातों पर गौर करें।
सिर्फ अपने बारे में नहीं बल्कि दूसरों के बारे में भी सोचिए
बाइबल की सलाह: “हर एक सिर्फ अपने भले की फिक्र में न रहे, बल्कि दूसरे के भले की भी फिक्र करे।”—फिलिप्पियों 2:4.
इसका क्या मतलब है? अगर हम दूसरों के साथ अच्छा रिश्ता बनाए रखना चाहते हैं, तो हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि वे हमारे लिए क्या कर सकते हैं बल्कि यह कि हम उनके लिए क्या कर सकते हैं। अगर हम सिर्फ अपने बारे में सोचें तो इससे दूसरों के साथ हमारा रिश्ता बिगड़ सकता है। जैसे, अगर एक शादीशुदा व्यक्ति सिर्फ अपनी इच्छाएँ पूरी करने के बारे में सोचे, तो हो सकता है वह अपने साथी के साथ बेवफाई कर बैठे। इसके अलावा, कोई भी ऐसे व्यक्ति के साथ दोस्ती नहीं करना चाहेगा जो अपनी चीज़ों की या अपने ज्ञान की बड़ाई करता है। जैसे एक किताब बताती है, “जो इंसान सिर्फ अपने बारे में सोचता है, वह कई मुसीबतों में फँस जाता है।”
आप क्या कर सकते हैं?
दूसरों की मदद कीजिए। अच्छे दोस्त वे होते हैं जो एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं और मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। एक रिपोर्ट बताती है कि जो लोग दूसरों की मदद करते हैं वे कम निराश होते हैं और उनका आत्म-विश्वास भी बढ़ता है।
हमदर्दी जताइए। हमदर्दी रखने का मतलब है दूसरों का दर्द महसूस करना। ऐसे लोग चुभनेवाली बातें नहीं कहेंगे और ऐसा मज़ाक नहीं करेंगे जिससे दूसरों को ठेस पहुँच सकती है।
अगर आपमें हमदर्दी होगी तो आप दूसरों की राय की कदर करेंगे और उनके काम करने के तरीके में नुक्स नहीं निकालेंगे। आप भेदभाव नहीं करेंगे और अलग-अलग संस्कृति के लोगों के साथ दोस्ती कर पाएँगे।
दूसरों के साथ वक्त बिताइए। अगर आप लोगों के साथ ज़्यादा वक्त बिताएँगे, तो आप उन्हें अच्छी तरह जान पाएँगे। उनके साथ ऐसे विषय पर बात कीजिए जिसमें उन्हें दिलचस्पी है या जो उनके लिए अहमियत रखती हैं। ऐसा करने से वे आपके अच्छे दोस्त बन पाएँगे। जब वे आपसे बात करते हैं तो ध्यान से सुनिए। अगर वे कोई चिंता ज़ाहिर करते हैं तो उनके लिए परवाह दिखाइए। एक रिपोर्ट बताती है कि “जब दो लोग खुलकर बात करते हैं तो इससे उन्हें खुशी मिलती है।”
सोच-समझकर दोस्त चुनिए
बाइबल की सलाह: “धोखा न खाओ। बुरी संगति अच्छे उसूलों को बिगाड़ देती है।”—1 कुरिंथियों 15:33, फुटनोट।
इसका क्या मतलब है? आप जिन लोगों के साथ वक्त बिताते हैं, उनका आप पर या तो अच्छा असर हो सकता है या बुरा। इंसानों के व्यवहार का अध्ययन करनेवाले मानते हैं कि एक इंसान पर उसके दोस्तों का बहुत असर होता है। जैसे, अगर आप ऐसे लोगों के साथ उठते-बैठते हैं जो सिगरेट पीते हैं या तलाक लेने की सोच रहे हैं, तो शायद आप भी सिगरेट पीने लगें या तलाक लेने की सोचने लगें।
आप क्या कर सकते हैं? उन लोगों के साथ दोस्ती कीजिए जिनमें ऐसे गुण हैं और जिनके ऐसे उसूल हैं जो आप चाहते हैं कि आप में भी हों। जैसे, ऐसे लोगों से दोस्ती कीजिए जो सोच-समझकर बात करते हैं, दूसरों का आदर करते हैं, दरियादिल हैं और मेहमान-नवाज़ी करते हैं।
बाइबल की कुछ और सलाह
चुभनेवाली बातें मत कहिए।
“बिना सोचे-समझे बोलना, तलवार से वार करना है।”—नीतिवचन 12:18.
दरियादिल बनिए।
“दरियादिल इंसान फलता-फूलता है।”—नीतिवचन 11:25.
दूसरों के साथ वैसा व्यवहार कीजिए जैसा आप चाहते हैं कि वे आपके साथ करें।
“जो कुछ तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उनके साथ वैसा ही करो।”—मत्ती 7:12.