‘मृत्यु को नाश किया जाएगा’
“सब से अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है।” —१ कुरिन्थियों १५:२६.
१, २. (क) प्रेरित पौलुस मरे हुओं के लिए क्या आशा पेश करता है? (ख) पुनरुत्थान के बारे में पौलुस किस सवाल का जवाब देता है?
“मैं शरीर के पुनरुत्थान और अनंत जीवन में . . . विश्वास करता हूँ।” अपॉसल्स क्रीड (प्रेरितों का धर्मसिद्धांत) ऐसा कहता है। कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट लोग जबकि इसे बार-बार दोहराते हैं उन्हें इस बात का ज़रा भी एहसास नहीं है कि उनका विश्वास यूनानी तत्वज्ञान से ज़्यादा मिलता है पर प्रेरितों के धर्मसिद्धांत से बिलकुल नहीं मिलता। लेकिन प्रेरित पौलुस ने यूनानी तत्वज्ञान को ठुकरा दिया क्योंकि वह अमर आत्मा में विश्वास नहीं करता था। फिर भी वह आनेवाले जीवन में पूरा यकीन रखता था और परमेश्वर की प्रेरणा से उसने लिखा: “सब से अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है।” (१ कुरिन्थियों १५:२६) मौत के मुँह में जा रही मानवजाति के लिए इसका क्या मतलब है?
२ जवाब पाने के लिए आइए हम पहले कुरिन्थियों के १५ अध्याय में पुनरुत्थान के बारे में पौलुस की चर्चा पर दोबारा गौर करें। आपको याद होगा कि पहली आयत में पौलुस ने इस बात को साबित किया था कि पुनरुत्थान पर विश्वास करना मसीही शिक्षा का ज़रूरी हिस्सा है। इसके आगे वह एक खास किस्म के सवाल का जवाब देता है: “अब कोई यह कहेगा, कि मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं, और कैसी देह के साथ आते हैं?”—१ कुरिन्थियों १५:३५.
किस तरह की देह?
३. क्यों कुछ लोगों ने पुनरुत्थान को ठुकराया?
३ इन सवालों को उठाने के द्वारा पौलुस शायद प्लेटो के तत्वज्ञान के प्रभाव को खत्म करने की कोशिश कर रहा था। प्लेटो ने सिखाया था कि इंसान में एक अमर आत्मा होती है जो मरने पर शरीर से निकल जाती है। जिनको बचपन से ही ऐसी शिक्षा दी गई थी उनकी नज़र में मसीही शिक्षा वाकई बेकार थी। अगर मरने पर आत्मा बच जाती है तो पुनरुत्थान की ज़रूरत ही क्या है? इसके अलावा पुनरुत्थान शायद उन्हें बेसिर-पैर की बात लगा हो। एक बार जब शरीर मिट्टी में मिल गया, तो उसका पुनरुत्थान कैसे हो सकता है? बाइबल विद्वान हॆनरीख मॆयर कहते हैं कि कुछ कुरिन्थियों के विरोध की वज़ह शायद यह “तत्वज्ञान था कि शरीर के नष्ट हुए तत्वों को वापस लाना नामुमकिन है।”
४, ५. (क) अविश्वासियों का विरोध मूर्खता क्यों है? (ख) पौलुस द्वारा बताए गए ‘नीरे दाने’ का दृष्टांत समझाइए। (ग) पुनरुत्थान पानेवाले अभिषिक्त जनों को परमेश्वर किस तरह की देह देता है?
४ पौलुस उनके इस मूर्खतापूर्ण विचार का परदाफाश करता है: “हे निर्बुद्धि, जो कुछ तू बोता है, जब तक वह न मरे जिलाया नहीं जाता। और जो तू बोता है, यह वह देह नहीं जो उत्पन्न होनेवाली है, परन्तु निरा दाना है, चाहे गेहूं का, चाहे किसी और अनाज का। परन्तु परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार उस को देह देता है; और हर एक बीज को उस की विशेष देह।” (१ कुरिन्थियों १५:३६-३८) परमेश्वर लोगों की उस देह को जीवित नहीं करने जा रहा जो लोगों के पास ज़िंदा रहते वक्त थी। इसके बजाय एक काया पलट होगा।
५ पौलुस पुनरुत्थान की तुलना बीज के अंकुरित होने से करता है। गेहूँ का नन्हा बीज उसमें से उगनेवाले पौधे से एकदम फर्क दिखता है। द वर्ल्ड बुक एनसाइक्लोपीडिया कहती है: “जब एक बीज में अंकुर निकलता है, तब वह बहुत पानी पीता है। पानी से बीज के अंदर बहुत सारे रासायनिक बदलाव आते हैं। इसकी वज़ह से बीज के अंदर का हिस्सा फूल जाता है और बाहरी कवच को फोड़कर बाहर निकल आता है।” नतीजा यह होता है कि बीज मर जाता है और एक नए पौधे का रूप ले लेता है। “परमेश्वर . . . उस को देह देता है” इसका मतलब है कि उसे बढ़ानेवाले नियमों को बनाता है और हर बीज अपनी जाति के अनुसार देह पाता है। (उत्पत्ति १:११) इसी तरह, अभिषिक्त मसीही पहले आम इंसानों की तरह ही मरते हैं। उसके बाद, परमेश्वर अपने ठहराए हुए समय पर, उन्हें एकदम नए शरीर के साथ जीवित करता है। जैसा पौलुस ने फिलिप्पी के मसीहियों को बताया: “यीशु मसीह . . . हमारी दीन-हीन देह का रूप बदलकर, अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा।” (फिलिप्पियों ३:२०, २१; २ कुरिन्थियों ५:१, २) उन्हें महिमा की देह के साथ जिलाया जाता है और वे स्वर्ग में रहते हैं।—१ यूहन्ना ३:२.
६. यह मानना तर्कसंगत क्यों है कि परमेश्वर पुनरुत्थान पानेवालों को सही-सही आत्मिक देह दे सकता है?
६ क्या इस पर यकीन करना बहुत मुश्किल है? जी नहीं। पौलुस तर्क करता है कि पशुओं की अलग-अलग देह होती है। इसके अलावा वह स्वर्ग में रहनेवाले स्वर्गदूतों की तुलना हाड़-माँस के बने इंसानों से करते हुए कहता है: “स्वर्गीय देह हैं, और पार्थिव देह भी हैं।” निर्जीव वस्तुओं में भी बड़ा फर्क पाया जाता है। “एक तारे से दूसरे तारे के तेज में अन्तर है” पौलुस ने यह बात बहुत पहले बताई थी, जबकि विज्ञान ने अब यह पाया है कि नीले तारे, लाल तारे, और सफेद छोटे वामन तारे जैसे तारगण भी पाए जाते हैं। इन सबको देखते हुए क्या यह मानना सही नहीं होगा कि परमेश्वर पुनरुत्थित अभिषिक्त जनों को सही-सही स्वर्गीय देह दे सकता है?—१ कुरिन्थियों १५:३९-४१.
७. अविनाशी का क्या मतलब है? अमरता का क्या मतलब है?
७ इसके बाद पौलुस कहता है: “मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशमान दशा में बोया जाता है, और अविनाशी रूप में जी उठता है।” (१ कुरिन्थियों १५:४२) इंसान की देह चाहे सिद्ध भी क्यों न हो नाश की जा सकती है। उसे मारा जा सकता है। मिसाल के तौर पर, पौलुस ने कहा पुनरुत्थान पाए यीशु को ‘कभी सड़ना नहीं था।’ (प्रेरितों १३:३४) उसे नाश हो सकनेवाले जीवन में नहीं लौटना था चाहे यह जीवन एक सिद्ध मानवी देह में ही क्यों न होता। जो देह परमेश्वर पुनरुत्थान पाए अभिषिक्त मसीहियों को देता है वह अविनाशी होती है—मृत्यु या सड़न की पहुँच से बाहर। पौलुस आगे कहता है: “वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है; और सामर्थ के साथ जी उठता है। स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है।” (१ कुरिन्थियों १५:४३, ४४) आगे पौलुस कहता है: “अवश्य है, कि . . . यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले।” अमरता का मतलब है अंतहीन, अविनाशी जीवन। (१ कुरिन्थियों १५:५३; इब्रानियों ७:१६) इस तरह पुनरुत्थान पाए जन यीशु जैसा, यानी “उस स्वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे” जिसने पुनरुत्थान संभव बनाया।—१ कुरिन्थियों १५:४५-४९.
८. (क) हम यह कैसे जानते हैं कि पुनरुत्थान पानेवाले वैसे ही व्यक्ति रहते हैं जैसे वे पृथ्वी पर थे? (ख) जब पुनरुत्थान होता है तब कौन-सी भविष्यवाणियाँ पूरी होती हैं?
८ इस काया पलट के बावजूद, अभिषिक्त जन वही व्यक्ति रहते हैं जो मरने से पहले वे थे। उनका पुनरुत्थान उन्हीं यादों और उत्तम मसीही गुणों के साथ किया जाएगा। (मलाकी ३:३; प्रकाशितवाक्य २१:१०, १८) इस तरह वे यीशु के समान हैं। उसका स्वर्गीय रूप बदला और वह इंसान के रूप में आया। उसके बाद वह मरा और स्वर्गीय जीवधारी के रूप में उसका पुनरुत्थान हुआ। फिर भी, “यीशु मसीह कल और आज और युगानुयुग एकसा है।” (इब्रानियों १३:८) अभिषिक्त जनों के पास क्या ही शानदार वरदान है! पौलुस कहता है: “और जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तब वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया। हे मृत्यु तेरी जय कहां रही?”—१ कुरिन्थियों १५:५४, ५५; यशायाह २५:८; होशे १३:१४.
क्या पृथ्वी पर भी पुनरुत्थान है?
९, १०. (क) पहला कुरिन्थियों १५:२४ के बयान में “अन्त” क्या है और इससे संबंधित और क्या-क्या घटनाएँ होती हैं? (ख) मृत्यु का नाश होने के लिए क्या होना ज़रूरी है?
९ क्या उन लाखों लोगों के लिए भी कोई भविष्य है जिनकी अमर आत्मिक जीवधारियों के रूप में स्वर्ग में रहने की कोई आशा नहीं? ज़रूर है! यह बताने के बाद कि स्वर्गीय पुनरुत्थान यीशु की उपस्थिति में होता है, पौलुस उसके बाद की घटनाओं के बारे में बताता है, वह कहता है: “इस के बाद अन्त होगा; उस समय वह सारी प्रधानता और सारा अधिकार और सामर्थ का अन्त करके राज्य को परमेश्वर पिता के हाथ में सौंप देगा।”—१ कुरिन्थियों १५:२३, २४.
१० “अन्त” मसीह के हज़ार साल के राज्य का अंत है, जब यीशु नम्रता और निष्ठा के साथ अपना राज्य अपने परमेश्वर और पिता के हाथों में सौंप देता है। (प्रकाशितवाक्य २०:४) परमेश्वर का यह उद्देश्य पूरा हो जाएगा कि “सब कुछ वह मसीह में एकत्र करे।” (इफिसियों १:९, १०) लेकिन इससे पहले मसीह परमेश्वर की अटल इच्छा के विरोधियों की “सारी प्रधानता और सारा अधिकार और सामर्थ का अन्त” करेगा। इसमें अरमगिदोन में होनेवाले विनाश से और भी ज़्यादा शामिल है। (प्रकाशितवाक्य १६:१६; १९:११-२१) पौलुस कहता है: “जब तक कि [मसीह] अपने बैरियों को अपने पांवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है। सब से अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है।” (१ कुरिन्थियों १५:२५, २६) जी हाँ, आदम से मिलनेवाले पाप और मृत्यु का नामो-निशान मिटा दिया जाएगा। और इसे पूरा करने के लिए ज़रूरी कदम उठाकर परमेश्वर मरे हुओं को जीवित करने के द्वारा “कब्रों” को खाली कर चुका होगा।—यूहन्ना ५:२८.
११. (क) हम कैसे जानते हैं कि परमेश्वर इंसान को दोबारा बना सकता है? (ख) पृथ्वी पर पुनरुत्थान पानेवालों को किस तरह की देह दी जाएगी?
११ इसका मतलब है इंसान को दोबारा सृजना। क्या यह नामुमकिन है? जी नहीं, क्योंकि भजन १०४:२९, ३० हमें यकीन दिलाता है कि परमेश्वर ऐसा कर सकता है: “तू मुख फेर लेता है, और वे घबरा जाते हैं; तू उनकी सांस ले लेता है, और उनके प्राण छूट जाते हैं और मिट्टी में फिर मिल जाते हैं। फिर तू अपनी ओर से सांस भेजता है, और वे सिरजे जाते हैं।” जबकि पुनरुत्थान पाए लोग वैसे ही होंगे जैसे वे मरने से पहले थे लेकिन उनकी देह वही नहीं होगी। स्वर्गीय जीवन के लिए पुनरुत्थान पानेवाले लोगों की तरह परमेश्वर उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार देह देगा। इसमें कोई शक नहीं कि उनकी यह नयी देह तंदुरुस्त होगी और काफी-कुछ उनकी पहली देह से मिलती-जुलती होगी ताकि उनके संगी-साथी उन्हें पहचान सकें।
१२. पृथ्वी पर पुनरुत्थान कब होता है?
१२ पृथ्वी पर पुनरुत्थान कब होता है? मारथा ने अपने मरे हुए भाई लाजर के बारे में कहा था: “मैं जानती हूं, कि अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा।” (यूहन्ना ११:२४) उसे यह कैसे मालूम था? पुनरुत्थान की शिक्षा पर उसके दिनों में बहस होती थी, क्योंकि फरीसी मानते थे कि पुनरुत्थान है लेकिन सदूकी इसे नहीं मानते थे। (प्रेरितों २३:८) फिर भी, मारथा को उन पूर्व-मसीही साक्षियों के बारे में जानकारी थी जो पुनरुत्थान पर विश्वास करते थे। (इब्रानियों ११:३५) वह दानिय्येल १२:१३ से भी जान सकती थी कि पुनरुत्थान अंतिम दिनों में होगा। उसने शायद खुद यीशु से इसकी शिक्षा पाई हो। (यूहन्ना ६:३९) वह “अंतिम दिन” मसीह के हज़ार साल के राज्य से मेल खाता है। (प्रकाशितवाक्य २०:६) उस “दिन” के दौरान के आश्चर्य की कल्पना कीजिए जब यह महान घटना शुरू होगी!—लूका २४:४१ से तुलना कीजिए।
कौन-कौन जीवित होगा?
१३. प्रकाशितवाक्य २०:१२-१४ में पुनरुत्थान के बारे में कौन-सा दर्शन लिखा है?
१३ प्रकाशितवाक्य २०:१२-१४ में पृथ्वी पर पुनरुत्थान के बारे में यूहन्ना के दर्शन में यूँ लिखा है: “फिर मैं ने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के साम्हने खड़े हुए देखा, और पुस्तक खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गई, अर्थात् जीवन की पुस्तक; और जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उन के कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया। और समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उस में थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उन में थे दे दिया; और उन में से हर एक के कामों के अनुसार उन का न्याय किया गया। और मृत्यु और अधोलोक भी आग की झील में डाले गए; यह आग की झील तो दूसरी मृत्यु है।”
१४. पुनरुत्थान पानेवालों में कौन-कौन शामिल होगा?
१४ पुनरुत्थान में “छोटे बड़े” मशहूर और गुमनाम सभी तरह के लोग शामिल होंगे जो पहले मर गए थे। यहाँ तक कि छोटे बच्चे भी इस गिनती में शामिल होंगे! (यिर्मयाह ३१:१५, १६) प्रेरितों २४:१५ में एक और खास बात प्रकट की गई है: “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।” इन “धर्मी” लोगों में प्रमुख हाबिल, हनोक, नूह, इब्राहीम, सारा और राहब जैसे वफादार पुरुष और महिलाएँ होंगी। (इब्रानियों ११:१-४०) ज़रा सोचिए इन लोगों के साथ बातचीत करना और बाइबल में हुई घटनाओं का आँखों देखा हाल जानना कितना अच्छा होगा! इन ‘धर्मियों’ में परमेश्वर का भय माननेवाले वे हज़ारों लोग भी शामिल होंगे जो हाल ही में मरे हैं और जिनकी स्वर्गीय जीवन की आशा नहीं थी। क्या आपका कोई अपना या कोई रिश्तेदार उन लोगों में होगा? यह जानने से कितनी तसल्ली मिलती है कि आप उन्हें दोबारा देख पाएँगे! तो फिर ये “अधर्मी” कौन हैं जो जीवित होंगे? इसमें ऐसे लाखों, करोड़ों लोग शामिल हैं जो बाइबल की सच्चाई सीखने और उसे लागू करने का मौका पाए बिना ही मर गए थे।
१५. इसका क्या मतलब है कि ‘जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उन के कामों के अनुसार’ दोबारा जीवन पानेवालों का “न्याय किया” जाएगा?
१५ दोबारा जीवित होनेवालों का ‘जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उन के कामों के अनुसार’ कैसे “न्याय किया” जाएगा? ये पुस्तकें उनकी पिछली ज़िंदगी के कामों का लेखा नहीं; क्योंकि जब वे मर गए थे तो अपने उस जीवन के पापों से मुक्त हो गए थे। (रोमियों ६:७, २३) लेकिन पुनरुत्थान पानेवाले इंसान अभी-भी आदम के पाप के भागी होंगे। यह तब होगा जब इन पुस्तकों से परमेश्वर के नियम बताएँ जाएँगे जिन्हें सभी लोगों को लागू करना होगा ताकि यीशु मसीह के बलिदान से पूरी तरह लाभ उठा सकें। जब आदम के पाप के आखिरी निशान तक को नाश किया जा चुकेगा उस समय सही मायनों में पूरी तरह से ‘मृत्यु का नाश’ होगा। हज़ार साल के अंत में, परमेश्वर ‘सब के लिए सब कुछ’ होगा। (१ कुरिन्थियों १५:२८) इसके बाद इंसान को कभी-भी महायाजक या छुड़ानेवाले की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। पूरी मानवजाति को उस सिद्ध अवस्था में लाया जाएगा जिसमें आदम शुरूआत में था।
क्रम के अनुसार पुनरुत्थान
१६. (क) यह मानना सही क्यों है कि पुनरुत्थान क्रमानुसार धीरे-धीरे होगा? (ख) मरे हुओं में से जी उठनेवालों में पहले कौन-कौन होंगे?
१६ क्योंकि स्वर्गीय पुनरुत्थान क्रमानुसार, “हर एक अपनी अपनी बारी से” होता है, तो यह साफ है कि पृथ्वी पर पुनरुत्थान के समय लोगों को एक साथ जिलाया नहीं जाएगा जिससे कहीं सारी पृथ्वी में लोगों की भीड़ से आफत न मच जाए। (१ कुरिन्थियों १५:२३) यह बात ज़ाहिर है कि पुनरुत्थान पाए नए लोगों को देखभाल की ज़रूरत होगी। (लूका ८:५५ से तुलना कीजिए।) उन्हें भौतिक वस्तुओं की ज़रूरत होगी—पर इससे भी ज़्यादा—आध्यात्मिक मदद की ज़रूरत होगी ताकि वे यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह के बारे में जीवन-दायक ज्ञान पा सकें। (यूहन्ना १७:३) अगर सभी का पुनरुत्थान एकसाथ हो जाए तो उनकी सही तरह देखभाल कर पाना नामुमकिन हो जाएगा। इसलिए यह मानना सही है कि पुनरुत्थान धीरे-धीरे होगा। वे वफादार मसीही जो शैतान की इस दुनिया के नाश होने से पहले मर गए थे मुमकिन है कि पहले जी उठनेवालों में से हों। हम प्राचीन समय के वफादार पुरुषों का जल्दी पुनरुत्थान होने की भी आशा कर सकते हैं जो जी उठने पर “हाकिम” ठहराए जाएँगे।—भजन ४५:१६.
१७. पुनरुत्थान के बारे में कौन-सी कुछ बातें हैं जिनके बारे में बाइबल कुछ नहीं बोलती और मसीहियों को ऐसे मामलों में बेवज़ह चिंता क्यों नहीं करनी चाहिए?
१७ फिर भी हमें ऐसे मामलों में हठी नहीं होना चाहिए। बहुत-सी बातों के बारे में बाइबल कुछ नहीं बोलती। यह नहीं बताती कि कैसे, कब या कहाँ लोगों का पुनरुत्थान होगा। यह नहीं बताती कि जीवित होनेवाले लोगों के लिए रोटी, कपड़ा और मकान का इंतज़ाम कैसे किया जाएगा। हम यह बात भी दावे के साथ नहीं कह सकते कि यहोवा पुनरुत्थित बच्चों की परवरिश जैसी बातों के लिए क्या करेगा या हमारे दोस्तों या संगी-साथियों के मामलों में कुछ नाज़ुक मसलों का क्या करेगा। ऐसी बातों के बारे में सोचना लाज़मी है; लेकिन जिनका जवाब अभी नहीं है, ऐसे सवालों का जवाब देने के लिए वक्त बर्बाद करना मूर्खता होगी। हमारा ध्यान यहोवा की वफादारी से सेवा करने और अनंत जीवन पाने पर होना चाहिए। अभिषिक्त मसीही महिमापूर्ण स्वर्गीय पुनरुत्थान पाने पर अपनी आशा लगाए रहते हैं। (२ पतरस १:१०, ११) “अन्य भेड़ें” परमेश्वर के राज्य के पार्थिव क्षेत्र में हमेशा का भाग पाने की आशा रखती हैं। (यूहन्ना १०:१६, NW; मत्ती २५:३३, ३४) पुनरुत्थान के बारे में बहुत सारी बाकी तफसीलों की जहाँ तक बात है तो हमें यहोवा पर पूरा भरोसा है। भविष्य की हमारी खुशी उसके हाथों में महफूस है जो “अपनी मुट्ठी खोलकर, सब प्राणियों को आहार से तृप्त करता है।”—भजन १४५:१६; यिर्मयाह १७:७.
१८. (क) पौलुस किस जय के बारे में बताता है? (ख) हम पुनरुत्थान की आशा पर यकीन क्यों करते हैं?
१८ पौलुस इस बहस को यह कहते हुए खत्म करता है: “परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्त करता है।” (१ कुरिन्थियों १५:५७) जी हाँ, आदम द्वारा आनेवाली मृत्यु पर यीशु मसीह के छुड़ौती बलिदान से जय पायी जाती है और इस जय में अभिषिक्त और “अन्य भेड़ें” दोनों शामिल हैं। निश्चित ही आज जीवित ‘अन्य भेड़ों’ के पास ऐसी आशा है जो अनोखी है। लगातार बढ़ती “बड़ी भीड़” के भाग के रूप में वे आनेवाले “बड़े क्लेश” से बच सकते हैं और उन्हें कभी-भी मरना नहीं पड़ेगा! (प्रकाशितावाक्य ७:९, १४) लेकिन वे लोग भी जो “समय और संयोग के” कारण या शैतान के पैरोकारों के हाथों मरते हैं, पुनरुत्थान की आशा में यकीन रख सकते हैं।—सभोपदेशक ९:११.
१९. किस प्रोत्साहन पर आज सभी मसीहियों को ध्यान देना चाहिए?
१९ इसलिए हम उस महिमापूर्ण दिन का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं जब मृत्यु को नाश कर दिया जाएगा। यहोवा की पुनरुत्थान की प्रतिज्ञा में हमारा अटल विश्वास हमें सही नज़रिया रखने में मदद देता है। चाहे इस ज़िंदगी में हमारे साथ कुछ भी हो—चाहे हमें मरना भी पड़े—लेकिन कोई भी हमसे यहोवा की प्रतिज्ञा छीन नहीं सकता। इसलिए कुरिन्थियों को दिया गया पौलुस का आखिरी प्रोत्साहन आज उतना ही सही है जितना आज से दो हज़ार साल पहले था: “हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है।”—१ कुरिन्थियों १५:५८.
क्या आप बता सकते हैं?
◻ पुनरुत्थान होने पर अभिषिक्त जन कैसी देह पाएँगे इस सवाल का जवाब पौलुस कैसे देता है?
◻ कैसे और कब मृत्यु को पूरी तरह नाश किया जाएगा?
◻ पृथ्वी पर पुनरुत्थान में कौन-कौन शामिल होगा?
◻ उन मामलों के बारे में हमारा नज़रिया क्या होना चाहिए जिनके बारे में बाइबल कुछ नहीं बोलती?
[पेज 20 पर तसवीर]
एक बीज बड़ा परिवर्तन होने के द्वारा ‘मरता’ है
[पेज 23 पर तसवीर]
नूह, इब्राहीम, सारा, और राहब जैसे वफादार पुरुष और स्त्रियाँ पुनरुत्थान पानेवालों में होंगे
[पेज 24 पर तसवीर]
पुनरुत्थान बड़ी खुशी का अवसर होगा!