“परमेश्वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है”
यहोवा उदारता का साकार रूप है। वाकई, बाइबल कहती है कि वह ‘हर एक अच्छे वरदान और हर एक उत्तम दान’ का दाता है। (याकूब १:१७) मिसाल के तौर पर परमेश्वर ने जो चीज़ें बनायी हैं उन पर विचार कीजिए। उसने ऐसा भोजन बनाया है जो स्वादिष्ट है, बेस्वाद नहीं; ऐसे फूल बनाए जो रंग-बिरंगे हैं, बदरंगे नहीं; ऐसा सूर्यास्त जो चमकदार और रंगीन होता है, फीका नहीं। जी हाँ, यहोवा द्वारा बनायी हुई हर चीज़ से उसके प्रेम व उदारता का प्रमाण मिलता है। (भजन १९:१, २; १३९:१४) और तो और, यहोवा खुशी-खुशी देता है। अपने सेवकों की भलाई करने में उसे खुशी मिलती है।—भजन ८४:११; १४९:४.
इस्राएलियों को आदेश दिया गया था कि एक दूसरे के साथ व्यवहार करने में वे परमेश्वर की तरह उदार हों। मूसा ने उनसे कहा था, “अपने उस दरिद्र भाई के लिये न तो अपना हृदय कठोर करना, और न अपनी मुट्ठी कड़ी करना; तू उसको अवश्य देना, और उसे देते समय तेरे मन को बुरा न लगे।” (व्यवस्थाविवरण १५:७, १०) चूँकि देने की भावना दिल से आनी चाहिए, इस्राएलियों को उदारता के कार्यों में आनंद पाना था।
मसीहियों को भी इसी तरह की सलाह दी गयी थी। वाकई, यीशु ने कहा कि “देना धन्य है।” (प्रेरितों २०:३५) यीशु के चेलों ने खुशी-खुशी देने में बढ़िया मिसाल रखी। मसलन, बाइबल बताती है कि यरूशलेम में जो लोग विश्वासी बने, वे “अपनी अपनी सम्पत्ति और सामान बेच बेचकर जैसी जिस की आवश्यकता होती थी बांट दिया करते थे।”—प्रेरितों २:४४, ४५.
लेकिन बाद में यहूदिया के ये सभी उदार लोग गरीब हो गए। बाइबल साफ-साफ यह नहीं बताती कि इसकी वज़ह क्या थी। कुछ विद्वान कहते हैं कि प्रेरितों ११:२८, २९ में जिस अकाल का ज़िक्र किया गया है, शायद यह इसकी वज़ह रही हो। चाहे वज़ह जो भी हो, यहूदिया के मसीही बड़ी तंगहाली में थे और पौलुस यह निश्चित करना चाहता था कि उनकी ज़रूरतों की देखरेख की जाए। वह यह कैसे करता?
ज़रूरतमंदों के लिए चंदा
पौलुस ने मकिदुनिया जैसी दूर-दूर की कलीसियाओं की मदद भी माँगी, और उसने यहूदिया के गरीब मसीहियों के लिए चंदा इकट्ठा करने का बंदोबस्त किया। कुरिन्थियों को पौलुस ने लिखा: “जैसी आज्ञा मैं ने गलतिया की कलीसियाओं को दी, वैसा ही तुम भी करो। सप्ताह के पहिले दिन तुम में से हर एक अपनी आमदनी के अनुसार कुछ अपने पास रख छोड़ा करे।”a—१ कुरिन्थियों १६:१, २.
पौलुस का इरादा था कि इस रकम को जल्द-से-जल्द यरूशलेम के भाइयों को पहुँचाया जाए, लेकिन कुरिन्थ के भाई पौलुस के निर्देश का पालन करने में देर कर रहे थे। क्यों? क्या यहूदिया के अपने भाइयों की तकलीफ को देखकर उनके दिल को कुछ नहीं होता था? जी नहीं, ऐसी बात नहीं थी क्योंकि पौलुस जानता था कि कुरिन्थ के भाई “हर बात में अर्थात् विश्वास, वचन, ज्ञान और सब प्रकार के यत्न में . . . बढ़ते जाते” थे। (२ कुरिन्थियों ८:७) मुमकिन है कि वे उन दूसरे ज़रूरी मामलों को निपटने में काफी व्यस्त थे जिन्हें पौलुस ने अपनी पहली पत्री में उनको लिखा था। लेकिन अब यरूशलेम की स्थिति बहुत नाज़ुक थी। सो पौलुस अपनी दूसरी पत्री में कुरिन्थ के भाइयों से इस विषय के बारे में ज़िक्र करता है।
उदारता के लिए की गयी अपील
सबसे पहले पौलुस ने कुरिन्थ के भाइयों को मकिदुनिया के भाइयों के बारे में बताया जिन्होंने राहत कार्य में मदद देने की अच्छी मिसाल रखी। पौलुस ने लिखा, “क्लेश की बड़ी परीक्षा में उन के बड़े आनन्द और भारी कंगालपन के बढ़ जाने से उन की उदारता बहुत बढ़ गई।” मकिदुनिया के भाइयों को उदारता दिखाने के लिए बार-बार कहने की ज़रूरत नहीं पड़ी। इसके उलटे पौलुस ने कहा कि उन्होंने “इस दान में . . . भागी होने के अनुग्रह के विषय में हम से बार बार बहुत बिनती की।” मकिदुनिया के भाइयों की खुशी-खुशी उदारता दिखाने की बात और भी ज़्यादा उल्लेखनीय है क्योंकि हम यह देखते हैं कि वे खुद भी “भारी कंगालपन” में थे।—२ कुरिन्थियों ८:२-४.
मकिदुनिया के भाइयों की तारीफ करने के द्वारा क्या पौलुस कुरिन्थ के भाइयों में स्पर्धा करने की भावना जगाने की कोशिश कर रहा था? बिलकुल भी नहीं, क्योंकि वह जानता था कि प्रेरित करने के लिए ऐसा करना उचित न था। (गलतियों ६:४) और तो और, वह जानता था कि कुरिन्थ के भाइयों को सही काम करने के लिए बार-बार कहकर उन्हें लज्जित करने की ज़रूरत नहीं थी। इसके बजाय, उसे विश्वास था कि कुरिन्थ के भाई यहूदिया के अपने भाइयों से वाकई प्रेम करते थे और राहत कार्य के द्वारा उनकी मदद करने की उनको इच्छा भी थी। पौलुस ने उनसे कहा, “एक वर्ष से [तुम] न तो केवल इस काम को करने ही में, परन्तु इस बात के चाहने में भी प्रथम हुए थे।” (२ कुरिन्थियों ८:१०) सचमुच, राहत कार्य के कुछ पहलुओं में स्वयं कुरिन्थ के भाई आदर्श थे। पौलुस ने उनसे कहा, “मैं तुम्हारी तत्परता को जानता हूं, और उसके विषय में मैसीडोनिया के लोगों के सम्मुख तुम पर गर्व करता हूं।” वह आगे कहता है, “तुम्हारे उत्साह ने उनमें से बहुतों को उभारा है।” (तिरछे टाइप हमारे।) (२ कुरिन्थियों ९:२, NHT) लेकिन अब कुरिन्थियों को, अपने उत्साह व तत्परता को कार्यों में दिखाने की ज़रूरत थी।
इसलिए, पौलुस ने उनसे कहा: “हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे; न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है।” (२ कुरिन्थियों ९:७) तो फिर पौलुस का मकसद कुरिन्थियों पर दबाव डालने का नहीं था, क्योंकि अगर किसी व्यक्ति से ज़बरदस्ती की जाती है तो वह खुशी-खुशी दान कर ही नहीं सकता। सो ज़ाहिर है कि पौलुस ने मान लिया कि पहले से ही उनका इरादा सही है, कि हर एक ने पहले से ही अपने मन में दान करने की ठान ली थी। इसके अलावा पौलुस उनसे कहता है, “यदि मन की तैयारी हो तो दान उसके अनुसार ग्रहण भी होता है जो उसके पास है न कि उसके अनुसार जो उसके पास नहीं।” (२ कुरिन्थियों ८:१२) जी हाँ, जब मन तैयार है—जब व्यक्ति प्रेम से प्रेरित होता है—तब वह जो भी दे, चाहे वह बहुत ही कम मात्रा ही क्यों न लगे, परमेश्वर उसे स्वीकार करेगा।—लूका २१:१-४ से तुलना कीजिए।
आज खुशी-खुशी देनेवाले लोग
यहूदिया के मसीहियों के लिए किया गया राहत कार्य आज हमारे लिए एक बढ़िया मिसाल है। यहोवा के साक्षी दुनिया भर में प्रचार करने का अभियान चलाते हैं जिससे आध्यात्मिक रूप से भूखे लाखों लोगों को पोषण मिलता है। (यशायाह ६५:१३, १४) ऐसा वे यीशु की इस आज्ञा को मानते हुए करते हैं: “इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें . . . बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ।”—मत्ती २८:१९, २०.
इस आज्ञा को पूरा करना कोई बच्चों का खेल नहीं। इसमें दुनिया भर में मिशनरी घर और सौ से ज़्यादा शाखाओं की देखरेख करना शामिल है। इसमें किंगडम हॉल व एसम्ब्ली हॉल बनाना भी शामिल है ताकि यहोवा के उपासकों को मिलने और एक दूसरे को प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त स्थान मिलें। (इब्रानियों १०:२४, २५) कभी-कभी, यहोवा के साक्षी ऐसे इलाकों के लिए राहत कार्य में भी मदद देते हैं जिसे प्राकृतिक विपत्ति ने बरबाद कर दिया हो।
साहित्य छापने के लिए होनेवाले भारी खर्चे के बारे में भी सोचिए। हर हफ्ते वॉचटावर की औसतन २,२०,००,००० से अधिक प्रतियाँ या अवेक! की कुछ २,००,००,००० प्रतियाँ छापी जाती हैं। आध्यात्मिक भोजन की इस नियमित सप्लाई के अलावा, हर साल लाखों पुस्तकें, ब्रोशर, ऑडियोकैसट व वीडियोकैसट बनाए जाते हैं।
ये सब काम कैसे चलाए जाते हैं? स्वेच्छा से दिए गए दानों के द्वारा। ऐसे दान ख्याति या अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए नहीं किए जाते बल्कि सच्ची उपासना को बढ़ावा देने के लिए किए जाते हैं। इसलिए, इस प्रकार का दान करने से देनेवाले को तो खुशी मिलती ही है, साथ ही परमेश्वर की आशीष भी मिलती है। (मलाकी ३:१०; मत्ती ६:१-४) यहोवा के साक्षियों के बच्चे भी उदारता दिखाते हैं और खुशी-खुशी देते हैं। मिसाल के तौर पर, अमरीका के एक क्षेत्र में प्रचंड तूफान से हुए विनाश के बारे में खबर मिलने पर चार बरस की एलॆसन ने $२ दान में दिए। उसने लिखा, “मेरे गुल्लक में बस इतने ही पैसे हैं। मुझे पता है कि बच्चों ने अपने सारे खिलौने, पुस्तकें और गुड्डे-गुड़िया खो दिए होंगे। आप इन पैसों से मेरी उम्र की किसी लड़की के लिए कोई पुस्तक खरीद सकते हैं।” आठ बरस का मैकलेन लिखता है कि उसे इस बात से खुशी हुई कि तूफान में उसका कोई भी भाई मारा नहीं गया। वह आगे कहता है: “मैंने अपने पिता के साथ हबकैप बेचकर $१७ कमाए। मैं इन पैसों से कुछ खरीदनेवाला था लेकिन तब मुझे अपने भाइयों का ख्याल आया।”—ऊपर दिया गया बॉक्स भी देखिए।
वाकई, जब यहोवा देखता है कि छोटे-बड़े दोनों राज्य हितों को पहला स्थान देकर ‘अपनी सम्पत्ति के द्वारा उसका आदर करते’ हैं, तो इससे उसका दिल खुश होता है। (नीतिवचन ३:९, १०, NHT) बेशक कोई भी व्यक्ति वास्तव में यहोवा को कुछ दे नहीं सकता क्योंकि सभी चीज़ें तो उसी की हैं। (१ इतिहास २९:१४-१७) लेकिन यहोवा के काम को आगे बढ़ाने में मदद देना एक विशेषाधिकार है जिससे उपासक को यहोवा के प्रति अपने प्रेम को इज़हार करने का मौका मिलता है। हम उन सभी लोगों के शुक्रगुज़ार हैं जो इस तरह से प्रेरित होकर कार्य करते हैं।
[फुटनोट]
a हालाँकि पौलुस ने ‘आज्ञा दी,’ इसका मतलब यह नहीं है कि उसने अपनी मरज़ी से और ज़बरदस्ती लोगों से माँग की। इसके बजाय, पौलुस तो चंदा इकट्ठा करने के काम की बस देखरेख कर रहा था क्योंकि इसमें कई कलीसियाएँ शामिल थीं। इसके अलावा, पौलुस ने कहा कि हर एक व्यक्ति “अपनी आमदनी के अनुसार कुछ अपने पास” से दे। दूसरे शब्दों में कहे तो व्यक्ति जो भी दान करता है, उसे अकेले में और अपनी इच्छा से दिया जाना था। किसी से कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं की गयी।
[पेज 26, 27 पर बक्स]
कुछ लोग इन तरीकों से दान करते हैं दुनिया भर के कार्य के लिए दान
अनेक लोग कुछ पैसे अलग रखते हैं या बजट करते हैं जिन्हें वे उन कॉन्ट्रिब्यूशन बॉक्सों में डालते हैं जिन पर लिखा होता है: “दुनिया भर में होनेवाले संस्था के कार्य के लिए कॉन्ट्रिब्यूशन—मत्ती २४:१४.” हर महीने कलीसियाएँ इस रकम को अपने देश के ब्रांच ऑफिस को भेज देती हैं।
पैसे के रूप में किए गए स्वैच्छिक दान भी सीधे Treasurer’s Office, Praharidurg Prakashan Society, Plot A/35, Near Industrial Estate, Nangargaon, Lonavla, 410 401 को भेजे जा सकते हैं। गहने या अन्य कीमती वस्तुएँ भी दान में दी जा सकती हैं। ऐसे कॉन्ट्रिब्यूशन के साथ एक संक्षिप्त पत्र भेजा जा सकता जिसमें लिखा गया हो कि यह अपनी तरफ से की गयी भेंट है।
योजनाबद्ध दान
पैसों की पूर्णतया भेंटों और पैसों के शर्तबंद-दान के अतिरिक्त, दुनिया भर की राज्य सेवा को लाभ पहुँचाने के और भी तरीके हैं। इनमें निम्नलिखित तरीके शामिल हैं:
बीमा: प्रहरीदुर्ग प्रकाशन सोसाइटी को जीवन बीमा पॉलिसी या रिटाएरमेंट/पॆंशन योजना का बॆनेफीशयरी बनाया जा सकता है।
बैंक खाते: बैंक खाते, जमा प्रमाण-पत्र, या व्यक्तिगत रिटाएरमेंट खाते, स्थानीय बैंक-संबंधी माँगों के अनुरूप, प्रहरीदुर्ग प्रकाशन सोसाइटी के लिए न्यास में रखे जा सकते हैं या प्रहरीदुर्ग प्रकाशन सोसाइटी को मृत्यु पर देय किए जा सकते हैं।
शेयर और ऋणपत्र: शेयर और ऋणपत्र प्रहरीदुर्ग प्रकाशन सोसाइटी को पूर्णतया भेंटस्वरूप या ऐसी एक व्यवस्था के अधीन दान दिए जा सकते हैं जिसमें आमदनी पहले की तरह ही दाता को दी जाती है।
भू-संपत्ति: विक्रेय भू-संपत्ति प्रहरीदुर्ग प्रकाशन सोसाइटी को पूर्णतया भेंट करने के द्वारा दी जा सकती है या दाता के लिए आजीवन-संपदा सुरक्षित रखने के द्वारा दान की जा सकती है, जो वहाँ अपने जीवनकाल के दौरान रह सकता या सकती है। ऐसी किसी भी भू-संपत्ति का संस्था के नाम दानपत्र बनाने से पहले व्यक्ति को संस्था के साथ संपर्क करना चाहिए।
वसीयतनामा और न्यास: संपत्ति या पैसा प्रहरीदुर्ग प्रकाशन सोसाइटी के नाम कानूनी तौर पर लागू की गयी वसीयत के द्वारा किया जा सकता है, या संस्था को एक न्यास अनुबंध पत्र का बॆनेफीशयरी बनाया जा सकता है।
पद “योजनाबद्ध दान” से पता चलता है कि इनमें से किसी भी प्रकार का दान करने के लिए दाता को कुछ योजना बनाने की ज़रूरत है।
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बच्चे भी खुशी-खुशी देते हैं!
मैं ये पैसे आपको देना चाहती हूँ ताकि आप हमारे लिए और भी पुस्तकें बना सकें। मैंने ये पैसे अपने डैडी की मदद करके जमा किए हैं। आपकी कड़ी मेहनत के लिए बहुत, बहुत धन्यवाद।—पामॆला, सात बरस।
मैं आपको $६.८५ भेज रही हूँ ताकि आपको और भी ज़्यादा किंगडम हॉल बनाने में मदद मिले। इन गर्मियों में नींबू का शरबत बेचकर मैंने ये पैसे कमाए।—सलेना, छः बरस।
मैंने एक मुर्गी पाली जिससे मुझे एक और मुर्गा व मुर्गी मिली। मैंने दूसरी मुर्गी यहोवा को समर्पित कर दी। इस मुर्गी ने बाद में तीन और मुर्गियों को जन्म दिया जिन्हें मैंने बेच दिया। इनसे मिले पैसों को मैं यहोवा के कार्य के लिए दे रही हूँ।—ट्यीरी, आठ बरस।
मेरे पास बस इतने ही पैसे हैं! इसे बुद्धिमानी से इस्तेमाल कीजिएगा प्लीस। इसे जमा करना बहुत मुश्किल था। यह $२१ लीजिए।—सारा, दस बरस।
मुझे स्कूल के कार्य में पहला इनाम मिला, सो मुझे काउंटी कंपटीशन में भाग लेना पड़ा। वहाँ भी मैं पहले स्थान पर आयी और उसके बाद डिस्ट्रिक्ट फाइनल में दूसरे स्थान पर आई। इन सब के लिए मुझे इनाम पैसों में मिले। मैं इस रकम को सोसाइटी के साथ बाँटना चाहती हूँ। मुझे लगता है कि मैं ये सारे इनाम थिओक्रैटिक मिनिस्ट्री स्कूल में मिले ट्रेनिंग की वज़ह से ही जीत पायी। जजों के सामने मैं पूरे आत्म-विश्वास के साथ अपनी रिपोर्ट दे पायी।—अम्बर, छठी कक्षा।
मैं यहोवा के लिए आपको यह देना चाहती हूँ। उसी से पूछिए कि इसका क्या करना है। वह सब कुछ जानता है।—कैरॆन, छः बरस।
[पेज 25 पर तसवीर]
यहोवा के साक्षियों का कार्य स्वैच्छिक दानों द्वारा चलाया जाता है