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राहत सेवापरमेश्वर का राज हुकूमत कर रहा है!
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6. (क) जैसे पौलुस ने समझाया, राहत काम क्यों हमारी उपासना का एक हिस्सा है? (ख) बताइए कि आज पूरी दुनिया में राहत काम कैसे किया जाता है। (यह बक्स देखें: “जब विपत्ति आती है!”)
6 पौलुस ने कुरिंथियों को समझाया कि राहत काम क्यों उनकी सेवा और यहोवा की उपासना का एक हिस्सा है। ध्यान दीजिए कि उसने क्या दलील दी: मसीही इसलिए दूसरों को राहत पहुँचाते हैं क्योंकि वे ‘मसीह के बारे में खुशखबरी के अधीन रहते हैं।’ (2 कुरिं. 9:13) हम यीशु की शिक्षाओं पर चलना चाहते हैं, इसीलिए हम भाई-बहनों की मदद करते हैं। पौलुस ने कहा कि जब हम इस तरह मदद करते हैं तो दरअसल यह “परमेश्वर की अपार महा-कृपा” का एक सबूत है। (2 कुरिं. 9:14; 1 पत. 4:10) इसलिए 1 दिसंबर, 1975 की प्रहरीदुर्ग ने ज़रूरतमंद भाइयों की मदद करने के बारे में, जिसमें राहत काम भी शामिल है, बिलकुल सही बात कही: “हमें इस बात पर कभी संदेह नहीं करना चाहिए कि यहोवा परमेश्वर और उसका पुत्र यीशु मसीह इस तरह की सेवा को बहुत महत्त्व देते हैं।” जी हाँ, राहत का काम पवित्र सेवा का एक ज़रूरी हिस्सा है।—रोमि. 12:1, 7; 2 कुरिं. 8:7; इब्रा. 13:16.
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राहत सेवापरमेश्वर का राज हुकूमत कर रहा है!
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7, 8. राहत सेवा का पहला लक्ष्य क्या है? समझाइए।
7 राहत काम करने में हमारे लक्ष्य क्या हैं? पौलुस ने इस सवाल का जवाब कुरिंथियों को लिखी दूसरी चिट्ठी में दिया। (2 कुरिंथियों 9:11-15 पढ़िए।) इन आयतों में पौलुस ने बताया कि इस तरह की “जन-सेवा” यानी राहत का काम करके हम खासकर तीन लक्ष्य हासिल करते हैं। आइए एक-एक करके उन पर ध्यान दें।
8 पहला लक्ष्य, हम चाहते हैं कि राहत काम से यहोवा की महिमा हो। गौर कीजिए कि ऊपर बतायी पाँच आयतों में पौलुस ने कैसे बार-बार भाइयों का ध्यान यहोवा की तरफ खींचा। पौलुस ने उन्हें बताया कि इस काम की वजह से “परमेश्वर को धन्यवाद दिया” जाता है। उसने यह भी कहा कि “परमेश्वर का बहुत धन्यवाद किया” जाता है। (आयत 11, 12) उसने बताया कि राहत काम की वजह से मसीही कैसे “परमेश्वर की महिमा करते हैं” और “परमेश्वर की अपार महा-कृपा” की तारीफ करते हैं। (आयत 13, 14) पौलुस ने राहत पहुँचाने की सेवा के बारे में अपनी बात खत्म करते हुए कहा, ‘परमेश्वर का धन्यवाद हो।’—आयत 15; 1 पत. 4:11.
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