मसीह की व्यवस्था के अनुसार जीना
“तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।”—गलतियों ६:२.
१. यह शायद क्यों कहा जा सकता है कि मसीह की व्यवस्था आज भलाई के लिए एक बड़ी शक्ति है?
रुवाण्डा में, हूटू और टुटसी यहोवा के साक्षियों ने उस नृजातीय क़त्लेआम से एक दूसरे को बचाने के लिए अपने जीवन ख़तरे में डाल दिए जो हाल ही में उस देश में फैल गया था। कोबे, जापान में यहोवा के साक्षी जिन्होंने उस विनाशकारी भूकम्प में अपने पारिवारिक सदस्यों को खो दिया था अपनी हानि से टूट गए। फिर भी, वे दूसरे पीड़ितों को बचाने के लिए तुरन्त निकल पड़े। जी हाँ, संसार-भर से हृदयस्पर्शी उदाहरण प्रदर्शित करते हैं कि मसीह की व्यवस्था आज कार्य कर रही है। भलाई के लिए यह एक बड़ी शक्ति है।
२. कैसे मसीहीजगत मसीह की व्यवस्था को नहीं समझा है, और कैसे हम इस व्यवस्था को पूरा कर सकते हैं?
२ साथ ही, इन कठिन “अन्तिम दिनों” के बारे में एक बाइबल भविष्यवाणी की पूर्ति हो रही है। अनेक लोग “भक्ति का भेष” धरते हैं लेकिन ‘उसकी शक्ति को नहीं मानते।’ (२ तीमुथियुस ३:१, ५) विशेषकर मसीहीजगत में, धर्म अकसर एक औपचारिकता का मामला है, न कि हृदय का। क्या यह इसलिए है क्योंकि मसीह की व्यवस्था के अनुसार जीना बहुत ही कठिन है? जी नहीं। यीशु हमें ऐसी व्यवस्था नहीं देता जिसका पालन नहीं किया जा सकता। मसीहीजगत ने उस व्यवस्था की विशेषता को समझा ही नहीं है। वह इन उत्प्रेरित शब्दों पर ध्यान देने से चूक गया है: “तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।” (गलतियों ६:२) हम एक दूसरे का भार उठाने के द्वारा ‘मसीह की व्यवस्था पूरी करते हैं,’ न कि फरीसियों का अनुसरण करने और अनुचित रूप से अपने भाइयों का भार बढ़ाने के द्वारा।
३. (क) मसीह की व्यवस्था में शामिल कुछ आज्ञाएँ क्या हैं? (ख) यह निष्कर्ष निकालना ग़लत क्यों होगा कि मसीही कलीसिया में मसीह की सीधी आज्ञाओं के अलावा और कोई नियम नहीं होने चाहिएँ?
३ मसीह की व्यवस्था में मसीह यीशु की सभी आज्ञाएँ शामिल हैं—चाहे प्रचार करने और सिखाने की, अपनी आँख को शुद्ध और निर्मल रखने की, अपने पड़ोसी के साथ शान्ति बनाए रखने के लिए कार्य करने की, या कलीसिया से अशुद्धता को दूर करने की। (मत्ती ५:२७-३०; १८:१५-१७; २८:१९, २०; प्रकाशितवाक्य २:१४-१६) निःसन्देह, मसीही बाइबल में दी गई सभी आज्ञाओं को मानने के लिए बाध्य हैं जो मसीह के अनुयायियों को दी गईं थीं। और इससे भी ज़्यादा है। यहोवा के संगठन को, और साथ-ही-साथ हरेक कलीसिया को, अच्छी व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज़रूरी नियम और कार्य-विधियाँ स्थापित करनी पड़ती हैं। (१ कुरिन्थियों १४:३३, ४०) मसीही एक-साथ मिल भी नहीं पाते यदि उनके पास ऐसे नियम न होते, जैसे कब, कहाँ, और कैसे इस प्रकार की सभाएँ आयोजित करें! (इब्रानियों १०:२४, २५) संगठन में जिन्हें अधिकार दिया गया है उनके द्वारा स्थापित उचित मार्गदर्शन के साथ सहयोग देना भी मसीह की व्यवस्था को पूरा करने का एक हिस्सा है।—इब्रानियों १३:१७.
४. शुद्ध उपासना के पीछे प्रेरक शक्ति क्या है?
४ फिर भी, सच्चे मसीही अपनी उपासना को नियमों का एक अर्थहीन ढाँचा बनने की अनुमति नहीं देते। वे मात्र इसलिए यहोवा की सेवा नहीं करते क्योंकि कोई व्यक्ति या कोई संगठन उनसे ऐसा करने के लिए कहता है। इसके बजाय, उनकी उपासना के पीछे प्रेरक शक्ति प्रेम है। पौलुस ने लिखा: “मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है।” (तिरछे टाइप हमारे।) (२ कुरिन्थियों ५:१४) यीशु ने अपने अनुयायियों को एक दूसरे से प्रेम रखने की आज्ञा दी। (यूहन्ना १५:१२, १३) आत्म-बलिदानी प्रेम मसीह की व्यवस्था का आधार है, और यह सच्चे मसीहियों को, परिवार और कलीसिया दोनों में, हर जगह बाध्य या प्रेरित करता है। आइए हम देखें कैसे।
परिवार में
५. (क) कैसे माता-पिता घर में मसीह की व्यवस्था को पूरा कर सकते हैं? (ख) बच्चों को माता-पिता से किस चीज़ की ज़रूरत है, और उसे प्रदान करने में कुछ माता-पिताओं को कौन-सी बाधाओं पर विजय पाना ज़रूरी है?
५ प्रेरित पौलुस ने लिखा: “हे पतियो, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो, जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम करके अपने आप को उसके लिये दे दिया।” (इफिसियों ५:२५) जब एक पति मसीह का अनुकरण करता है और अपनी पत्नी से प्रेम और समझ के साथ बर्ताव करता है, तो वह मसीह की व्यवस्था का एक अनिवार्य पहलू पूरा करता है। इसके अलावा, यीशु ने खुलकर छोटे बच्चों को अपनी बाँहों में लेकर उन्हें स्नेह दिखाया, उन पर अपने हाथ रखे, और उन्हें आशिष दी। (मरकुस १०:१६) माता-पिता जो मसीह की व्यवस्था को पूरा करते हैं वे भी अपने बच्चों को स्नेह दिखाते हैं। सच है, कुछ माता-पिता हैं जो इस सम्बन्ध में यीशु के उदाहरण का अनुसरण करना एक चुनौती पाते हैं। कुछ व्यक्ति खुलकर भावनाएँ व्यक्त करने का स्वभाव नहीं रखते। माता-पिताओं, इस प्रकार के विचार को आप अपने बच्चों के लिए जो प्रेम महसूस करते हैं उसे दिखाने से रोकने मत दीजिए! आपके लिए इतना जानना पर्याप्त नहीं है कि आप अपने बच्चों से प्रेम करते हैं। उन्हें भी यह जानना ज़रूरी है। और वे यह तब तक नहीं जानेंगे जब तक कि आप अपने प्रेम को दिखाने के तरीक़े नहीं ढूँढते।—मरकुस १:११ से तुलना कीजिए।
६. (क) क्या बच्चों को जनकीय नियमों की ज़रूरत है, और आप ऐसा क्यों कहते हैं? (ख) घरेलू नियमों के लिए कौन-सा आधारभूत कारण बच्चों के लिए समझना ज़रूरी है? (ग) जब घर में मसीह की व्यवस्था प्रबल होती है तो कौन-से ख़तरों से दूर रहा जाता है?
६ साथ ही साथ, बच्चों को सीमाओं की ज़रूरत होती है, जिसका अर्थ है कि उनके माता-पिता को नियम बनाने की और कभी-कभी उन नियमों को अनुशासन द्वारा लागू करने की ज़रूरत है। (इब्रानियों १२:७, ९, ११) यदि ऐसा है भी, तो बच्चों को इन नियमों के आधार-भूत कारण: उनके माता-पिता उन्हें प्रेम करते हैं, को समझने के लिए लगातार मदद दी जानी ज़रूरी है। और उनका सीखना ज़रूरी है कि प्रेम अपने माता-पिता की आज्ञा मानने का सबसे बड़ा कारण है। (इफिसियों ६:१; कुलुस्सियों ३:२०; १ यूहन्ना ५:३) एक समझदार माता या पिता का लक्ष्य होता है कि अपने युवा जनों को उनकी “तर्क-शक्ति” का प्रयोग करना सिखाना ताकि अन्ततः वे अपने आप अच्छे फ़ैसले करेंगे। (रोमियों १२:१, NW. १ कुरिन्थियों १३:११ से तुलना कीजिए।) दूसरी ओर, नियम हद से ज़्यादा या अनुशासन बहुत कठोर नहीं होना चाहिए। पौलुस कहता है: “हे बच्चेवालो, अपने बालकों को तंग न करो, न हो कि उन का साहस टूट जाए।” (कुलुस्सियों ३:२१; इफिसियों ६:४) जब मसीह की व्यवस्था घर में प्रबल होती है, तो अनियंत्रित गुस्से के साथ अनुशासन देना या चुभनेवाले तानों के साथ अनुशासित करने के लिए कोई जगह नहीं है। ऐसे घर में, बच्चे सुरक्षित और प्रोत्साहित महसूस करते हैं, न कि बोझ से दबे हुए या कुचले हुए।—भजन ३६:७ से तुलना कीजिए।
७. जब घर में नियम बनाने का मामला आता है तो किन तरीक़ों से बेथेल घर एक उदाहरण प्रदान करते हैं?
७ जिन लोगों ने संसार-भर में बेथेल घरों की भेंट की है वे कहते हैं कि ये परिवार के लिए नियमों के मामले में संतुलन के अच्छे उदाहरण हैं। हालाँकि, इनमें प्रौढ़ लोग होते हैं, ऐसे संस्थान काफ़ी कुछ एक परिवार के समान कार्य करते हैं।a बेथेल कार्य-प्रणाली जटिल है और अनेक—निश्चित ही एक साधारण परिवार से ज़्यादा—नियमों की माँग करती है। फिर भी, बेथेल घरों, ऑफ़िसों, और फैक्ट्रियों में अगुवाई करनेवाले प्राचीन मसीह की व्यवस्था को लागू करने का प्रयास करते हैं। न केवल कार्य को व्यवस्थित करना बल्कि आध्यात्मिक उन्नति को और अपने संगी कार्यकर्ताओं के बीच ‘यहोवा के आनन्द’ को बढ़ावा देना भी वे अपनी नियुक्ति समझते हैं। (नहेमयाह ८:१०) इसलिए, वे कार्य को सकारात्मक और प्रोत्साहक तरीक़े से करने का प्रयास करते हैं और कोमल होने की कोशिश करते हैं। (इफिसियों ४:३१, ३२) इसमें कोई ताज्जुब नहीं बेथेल परिवार अपनी आनन्दपूर्ण आत्मा के लिए जाने जाते हैं!
कलीसिया में
८. (क) कलीसिया में हमेशा हमारा क्या लक्ष्य होना चाहिए? (ख) किन परिस्थितियों में कुछ लोगों ने नियमों के लिए पूछा है या उन्हें बनाने की कोशिश की है?
८ इसी प्रकार कलीसिया में एक दूसरे को प्रेम की आत्मा में प्रोत्साहित करना हमारा लक्ष्य है। (१ थिस्सलुनीकियों ५:११) तो सभी मसीहियों को सावधान रहना चाहिए कि व्यक्तिगत चुनाव के मामले में उनके अपने विचारों को दूसरों पर थोपने का निर्णय करने के द्वारा दूसरों के बोझ न बढ़ाएँ। कभी-कभी, कुछ लोग वॉच टावर संस्था को ऐसे मामलों पर नियम पूछने के लिए लिखते हैं जैसे ख़ास फिल्मों, पुस्तकों, और यहाँ तक कि खिलौनों के लिए उनका क्या दृष्टिकोण होना चाहिए। फिर भी, संस्था इस प्रकार की बातों की जाँच करने और उन पर फ़ैसले सुनाने की अधिकारी नहीं है। अधिकतर मामलों में, प्रत्येक व्यक्ति को या परिवार के मुखिया को, बाइबल सिद्धान्तों के लिए अपने प्रेम पर आधारित निर्णय करना चाहिए। दूसरे लोग संस्था की सलाह और मार्गदर्शन को नियम बनाने की ओर प्रवृत्त होते हैं। उदाहरण के लिए, मार्च १५, १९९६ के प्रहरीदुर्ग अंक में, कलीसिया सदस्यों पर नियमित रखवाली भेंट करने के बारे में प्राचीनों को प्रोत्साहित करनेवाला एक उत्तम लेख था। क्या इसका उद्देश्य नियम स्थापित करना था? जी नहीं। हालाँकि वे जो सलाहों का पालन करने में समर्थ हैं शायद अनेक लाभ उठाएँ, फिर भी कुछ प्राचीन ऐसा करने की स्थिति में नहीं हैं। इसी प्रकार, अप्रैल १, १९९५ के प्रहरीदुर्ग अंक के लेख “पाठकों के प्रश्न” ने बपतिस्मे के अवसर की गरिमा को, अनियंत्रित पार्टी देने, या विजय प्रदर्शन करने जैसी हदों तक ले जाने के द्वारा, कम करने के विरुद्ध चेतावनी दी। कुछ लोगों ने इस परिपक्व सलाह को सख़्ती से लागू किया, यहाँ तक कि एक नियम बना दिया कि इस अवसर पर एक प्रोत्साहक कार्ड भेजना ग़लत होता!
९. एक दूसरे के बारे में हद से ज़्यादा आलोचक और दोष लगानेवाले होने से दूर रहना महत्त्वपूर्ण क्यों है?
९ इस बात पर भी ध्यान दीजिए कि “स्वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था” को यदि हमारे बीच प्रबल होना है, तो हमें यह स्वीकार करना ज़रूरी है कि सभी मसीहियों के अन्तःकरण एक जैसे नहीं हैं। (याकूब १:२५) यदि लोगों के ऐसे व्यक्तिगत चुनाव हैं जो शास्त्रीय सिद्धान्तों का उल्लंघन नहीं करते तो क्या हमें बात का बतंगड़ बनाना चाहिए? जी नहीं। हमारा ऐसा करना फूट डालेगा। (१ कुरिन्थियों १:१०) हमें संगी मसीही को दोषी ठहराने के विरुद्ध चेतावनी देते वक़्त पौलुस ने कहा: “उसका स्थिर रहना या गिर जाना उसके स्वामी ही से सम्बन्ध रखता है, बरन वह स्थिर ही कर दिया जाएगा; क्योंकि प्रभु उसे स्थिर रख सकता है।” (रोमियों १४:४) यदि हम ऐसे मामलों में एक दूसरे के विरुद्ध बोलते हैं जिन्हें व्यक्तिगत अन्तःकरण पर छोड़ देना चाहिए तो हम परमेश्वर को अप्रसन्न करने का ख़तरा मोल लेते हैं।—याकूब ४:१०-१२.
१०. कलीसिया की रखवाली करने के लिए किसे नियुक्त किया गया है, और हमें किस प्रकार उनका समर्थन करना चाहिए?
१० आइए हम यह भी याद रखें कि प्राचीनों को परमेश्वर के झुण्ड की रखवाली करने के लिए नियुक्त किया गया है। (प्रेरितों २०:२८) वे वहाँ मदद देने के लिए हैं। उनसे सलाह माँगने के लिए हमें उनके पास निःसंकोच जाना चाहिए, क्योंकि वे बाइबल के विद्यार्थी हैं और वॉच टावर संस्था के साहित्य में जो चर्चा की गई है उससे परिचित हैं। जब प्राचीन ऐसा आचरण देखते हैं जो संभवतः शास्त्रीय सिद्धान्तों के उल्लंघन की ओर ले जाएगा, तो वे साहसपूर्वक ज़रूरी सलाह प्रस्तुत करते हैं। (गलतियों ६:१) कलीसिया के सदस्य उनके बीच अगुवाई करनेवाले इन प्रिय चरवाहों को सहयोग देने के द्वारा मसीह की व्यवस्था का अनुसरण करते हैं।—इब्रानियों १३:७.
प्राचीन मसीह की व्यवस्था लागू करते हैं
११. प्राचीन कलीसिया में कैसे मसीह की व्यवस्था को लागू करते हैं?
११ प्राचीन कलीसिया में मसीह की व्यवस्था को पूरा करने के लिए उत्सुक हैं। वे सुसमाचार प्रचार करने में, हृदयों तक पहुँचने के लिए बाइबल से सिखाने में, और प्रेममय, कोमल चरवाहों के तौर पर “हताश प्राणों” से बात करने में अगुवाई करते हैं। (१ थिस्सलुनीकियों ५:१४, NW) वे उन अमसीही मनोवृत्तियों से दूर रहते हैं जो मसीहीजगत के इतने सारे धर्मों में पाई जाती हैं। सच है, यह संसार तेज़ी से बिगड़ता जा रहा है, और पौलुस की तरह, प्राचीन शायद झुण्ड के लिए चिन्तित महसूस करें; लेकिन वे ऐसी चिन्ताओं पर कार्य करते वक़्त संतुलन बनाए रखते हैं।—२ कुरिन्थियों ११:२८.
१२. जब एक मसीही मदद के लिए एक प्राचीन के पास जाता है, तो प्राचीन शायद कैसे प्रतिक्रिया दिखाएगा?
१२ उदाहरण के लिए, एक मसीही एक प्राचीन से शायद एक ऐसे महत्त्वपूर्ण मामले पर मशवरा करना चाहता है जो कुछ सीधे शास्त्रीय निर्देश द्वारा तय नहीं किया गया या जो विभिन्न मसीही सिद्धान्तों को संतुलित करने की माँग करता है। शायद उसे नौकरी में तरक़्की देने की पेशकश की गई हो जिसमें ज़्यादा तनख़्वाह हो लेकिन बड़ी ज़िम्मेदारियाँ हों। या एक युवा मसीही का अविश्वासी पिता शायद अपने बेटे से ऐसी माँग कर रहा है जो उसकी सेवकाई पर प्रभाव डाल सकती है। ऐसी परिस्थितियों में प्राचीन एक व्यक्तिगत राय देने से दूर रहता है। इसके बजाय, वह संभवतः बाइबल खोलेगा और इस व्यक्ति को संबद्ध सिद्धान्तों पर तर्क करने में मदद देगा। यह ढूँढने के लिए कि “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने प्रहरीदुर्ग के पन्नों में और अन्य प्रकाशनों में इस विषय पर क्या कहा है, यदि उपलब्ध हो तो वह शायद वॉच टावर प्रकाशन अनुक्रमणिका प्रयोग करे। (मत्ती २४:४५) तब क्या यदि उसके बाद वह मसीही एक ऐसा फ़ैसला करता है जो प्राचीन को बुद्धिमत्तापूर्ण नहीं लगता? यदि यह फ़ैसला बाइबल सिद्धान्तों या नियमों का सीधे उल्लंघन नहीं करता, तो यह जानते हुए कि “हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा,” वह मसीही पाएगा कि प्राचीन ऐसा फ़ैसला करने के एक व्यक्ति के अधिकार को मान्यता देता है। लेकिन उस मसीही को यह याद रखना चाहिए कि “मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।”—गलतियों ६:५, ७.
१३. सवालों के सीधे जवाब देने या अपनी राय देने के बजाय, प्राचीन दूसरों को मामलों पर तर्क करने में क्यों मदद देते हैं?
१३ अनुभवी प्राचीन इस प्रकार कार्य क्यों करते हैं? कम-से-कम दो कारणों से। पहला, पौलुस ने एक कलीसिया को बताया कि वह उन पर ‘विश्वास के विषय में अधिकार’ नहीं चाहता था। (२ कुरिन्थियों १:२४, NHT) शास्त्र पर तर्क करने और एक जानकार फ़ैसला करने में अपने भाई को मदद देने में, यह प्राचीन पौलुस की मनोवृत्ति का अनुसरण करता है। वह स्वीकार करता है कि उसके अधिकार की कुछ सीमाएँ है, ठीक जैसे यीशु ने स्वीकार किया कि उसके अधिकार की सीमाएँ थीं। (लूका १२:१३, १४; यहूदा ९) साथ ही, प्राचीन जहाँ ज़रूरत है वहाँ तत्परता से सहायक, यहाँ तक कि सीधी शास्त्रीय सलाह देते हैं। दूसरा, वह अपने संगी मसीही को प्रशिक्षित कर रहा है। प्रेरित पौलुस ने कहा: “अन्न सयानों के लिये है, जिन के ज्ञानेन्द्रिय अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिये पक्के हो गए हैं।” (इब्रानियों ५:१४) अतः, प्रौढ़ता की ओर बढ़ने के लिए, हमें अपनी ज्ञानेन्द्रियों को प्रयोग करना चाहिए, हमेशा दूसरों पर हमारे लिए फ़ैसले करने के लिए निर्भर नहीं रहना चाहिए। एक प्राचीन, अपने संगी मसीही को यह दिखाने के द्वारा कि शास्त्र पर कैसे तर्क करें, उसकी इस तरीक़े से उन्नति करने में मदद कर रहा है।
१४. प्रौढ़ व्यक्ति कैसे दिखा सकते हैं कि वे यहोवा पर भरोसा रखते हैं?
१४ हम विश्वास रख सकते हैं कि यहोवा परमेश्वर अपनी पवित्र आत्मा के माध्यम से सच्चे उपासकों के हृदयों को प्रभावित करेगा। अतः, प्रौढ़ मसीही, अपने भाइयों के हृदयों से अनुरोध करते, उन्हें समझाते हैं, जैसे पौलुस ने किया। (२ कुरिन्थियों ८:८; १०:१; फिलेमोन ८, ९) पौलुस जानता था कि वे ख़ासकर अधर्मी हैं, न कि धर्मी, जिन्हें ख़ुद को उचित आचरण रखने के लिए विस्तृत नियमों की ज़रूरत पड़ती है। (१ तीमुथियुस १:९) उसने अपने भाइयों में विश्वास प्रकट किया, न कि संदेह या अविश्वास। एक कलीसिया को उसने लिखा: “हमें प्रभु में तुम्हारे ऊपर भरोसा है।” (२ थिस्सलुनीकियों ३:४) पौलुस के विश्वास, भरोसे, आश्वस्तता ने निश्चित ही उन मसीहियों को प्रेरित करने में बहुत मदद दी। आज प्राचीनों और सफ़री ओवरसियरों के यही लक्ष्य हैं। ये वफ़ादार पुरुष कितने ही स्फूर्तिदायक हैं, जब ये प्रेमपूर्वक परमेश्वर के झुण्ड की रखवाली करते हैं!—यशायाह ३२:१, २; १ पतरस ५:१-३.
मसीह की व्यवस्था के अनुसार जीना
१५. भाइयों के साथ अपने सम्बन्ध में हम मसीह की व्यवस्था को लागू कर रहे हैं या नहीं, यह देखने के लिए कौन-से कुछेक प्रश्न हम ख़ुद से पूछ सकते हैं?
१५ यह देखने के लिए कि क्या हम मसीह की व्यवस्था के अनुसार जी रहे और उसे बढ़ावा दे रहे हैं, हम सभी को नियमित रूप से ख़ुद की जाँच करने की ज़रूरत है। (२ कुरिन्थियों १३:५) वास्तव में, यह पूछने के द्वारा हम सभी लाभ प्राप्त कर सकते हैं: ‘क्या मैं प्रोत्साहक हूँ या आलोचक? क्या मैं संतुलित हूँ या अति करता हूँ? क्या मैं दूसरों के लिए लिहाज़ दिखाता हूँ या अपने अधिकारों पर ज़िद्द करता हूँ?’ जिन मामलों में बाइबल ख़ास तौर पर राय नहीं देती उनमें उसके भाई को कौन-से क़दम उठाने चाहिए या नहीं उठाने चाहिए इस पर एक मसीही अपना हुक़्म चलाने की कोशिश नहीं करता।—रोमियों १२:१; १ कुरिन्थियों ४:६.
१६. अपने बारे में नकारात्मक दृष्टिकोण रखनेवालों की हम कैसे मदद कर सकते हैं, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था के महत्वपूर्ण पहलू को पूरा कर सकते हैं?
१६ इन कठिन समयों में, हमें एक दूसरे को प्रोत्साहित करने के तरीक़ों को ढूँढना महत्त्वपूर्ण है। (इब्रानियों १०:२४, २५; मत्ती ७:१-५ से तुलना कीजिए।) जब हम अपने भाई-बहनों को देखते हैं तो क्या उनके अच्छे गुणों का हमारे लिए उनकी कमज़ोरियों से ज़्यादा महत्त्व नहीं होता? यहोवा के लिए, प्रत्येक व्यक्ति मूल्यवान है। दुःख की बात है, सभी ऐसा महसूस नहीं करते, अपने बारे में भी। अनेक लोग केवल अपनी व्यक्तिगत ख़ामियों और अपरिपूर्णता को देखने की ओर प्रवृत्त होते हैं। ऐसों को—और दूसरों को—प्रोत्साहित करने के लिए क्या हम हर सभा में एक या दो व्यक्तियों से बात करने की कोशिश कर सकते हैं, उन्हें यह बताने के लिए कि क्यों हम उनकी उपस्थिति की और जो महत्त्वपूर्ण सहयोग वे कलीसिया में देते हैं उसकी क़दर करते हैं? उनके बोझ को इस तरीक़े से हल्का करना और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरा करना क्या ही आनन्द की बात है!—गलतियों ६:२.
मसीह की व्यवस्था कार्य कर रही है!
१७. किन विभिन्न तरीक़ों से आप अपनी कलीसिया में मसीह की व्यवस्था को कार्य करते हुए देखते हैं?
१७ मसीही कलीसिया में मसीह की व्यवस्था कार्य कर रही है। हम इसे प्रतिदिन देखते हैं—जब संगी साक्षी उत्सुकता से सुसमाचार बाँटते हैं, जब वे एक दूसरे को सांत्वना देते और प्रोत्साहित करते हैं, जब वे सबसे कठिन समस्याओं के बावजूद भी यहोवा की सेवा करने के लिए जूझते हैं, जब माता-पिता अपने बच्चों को आनन्दित हृदय से यहोवा को प्रेम करने के लिए बड़ा करने का प्रयास करते हैं, जब झुण्ड को सदाकाल के लिए यहोवा की सेवा करने का ज्वलन्त जोश रखने को उकसाते हुए, ओवरसियर परमेश्वर के वचन को प्रेम और स्नेह के साथ सिखाते हैं। (मत्ती २८:१९, २०; १ थिस्सलुनीकियों ५:११, १४) जब हम व्यक्तिगत रूप से मसीह की व्यवस्था को हमारे जीवन में कार्य करने देते हैं, यहोवा का हृदय कितना ही आनन्दित होता है! (नीतिवचन २३:१५) वह चाहता है कि वे सभी जो उसकी सिद्ध व्यवस्था से प्रेम करते हैं सदाकाल जीएँ। आनेवाले परादीस में, हम ऐसा समय देखेंगे जब मानवजाति परिपूर्ण है, और एक ऐसा समय जिसमें नियम तोड़नेवाले नहीं हैं, जब हमारे हृदय की हर प्रवृत्ति हमारे नियंत्रण में होगी। मसीह की व्यवस्था के अनुसार जीने का क्या ही शानदार प्रतिफल!
[फुटनोट]
a ऐसे घर मसीहीजगत के मठों के समान नहीं हैं। इनमें उस अर्थ में कोई “एबोट” या “फादर” नहीं होते। (मत्ती २३:९) ज़िम्मेदार भाइयों को आदर दिया जाता है, लेकिन उनकी सेवा उन्हीं सिद्धान्तों द्वारा मार्गदर्शित होती है जो सभी प्राचीनों पर लागू होते हैं।
आप क्या सोचते हैं?
◻ क्यों मसीहीजगत मसीह की व्यवस्था को नहीं समझा है?
◻ हम मसीह की व्यवस्था को परिवार में शायद कैसे कार्य करने दें?
◻ कलीसिया में मसीह की व्यवस्था को लागू करने के लिए, हमें किस से दूर रहना चाहिए, और हमें क्या करने की ज़रूरत है?
◻ कलीसिया के साथ अपने व्यवहार में प्राचीन शायद कैसे मसीह की व्यवस्था का पालन करें?
[पेज 23 पर तसवीरें]
आपके बच्चे की सबसे बड़ी ज़रूरत प्रेम है
[पेज 24 पर तसवीरें]
हमारे प्रेमपूर्ण चरवाहे कितने स्फूर्तिदायक हैं!