परमेश्वर के अनन्त उद्देश्य से संबद्ध वाचाएँ
“यहोवा . . .अपनी वाचा को सदा स्मरण रखता आया है, यह वही वचन है जो उस ने हज़ार पीढ़ियों के लिए ठहराया है।”—भजन १०५:७, ८.
१, २. हम क्यों कह सकते हैं कि हम में से अधिकांश लोगों पर किसी वाचा का असर हुआ है?
संभवतः किसी वाचा ने आप पर असर किया है— आपके अतीत, आपके वर्तमान, और आपके भविष्य पर। ‘कौनसी वाचा?’ आप शायद विचार करेंगे। इस संबंध में तो यह विवाह है, इसलिए कि हम में से अधिकांश लोग किसी विवाह की संतान हैं और हम में से कई खुद विवाहित हैं। जिन लोगों की अभी शादी नहीं हुई, वे भी भविष्य में एक आनन्दित विवाह के आशीर्वादों के बारे में शायद सोचेंगे।
२ सदियों पहले, इब्रानी भविष्यद्वक्ता मलाकी ने “तेरी उस जवानी की पत्नी,” “तेरी संगिनी और तेरी वाचा की पत्नी” के बारे में लिखा। (मलाकी २:१४-१६, न्यू.व.) वह विवाह को वाचा इसलिए कह सकता था कि वह एक अनुबंध या एक औपचारिक समझौता, दो पक्षों के बीच कुछ काम मिलकर करने का समझौता है। विवाह समझौता द्विपक्षीय वाचा है जिस में दो पक्ष, एक दूसरे के प्रति ज़िम्मेदारियाँ स्वीकार करते और स्थायी फ़ायदों की आशा रखते हुए, पति-पत्नी बनने के लिए राज़ी होते हैं।
३. विवाह से ज़्यादा दूसरी वाचाओं का शायद हम पर क्यों असर होगा?
३ ऐसा लगेगा कि विवाह ऐसी वाचा है जो हम पर सर्वाधिक व्यक्तिगत असर करती है, पर फिर भी बाइबल इस से भी व्यापक महत्त्व रखनेवाली वाचाओं पर विचार-विमर्श करती है। ग़ैर-बाइबलीय धर्मों की वाचाओं से बाइबलीय वाचाओं का वैषम्य करते हुए, एक विश्वकोश कहता है कि केवल बाइबल में ही “परमेश्वर और उसके लोगों के बीच के रिश्ते की ऐसी व्यवस्था, आख़िरकार सार्विक निहितार्थ सहित, एक व्यापक व्यवस्था बन जाती है।” जी हाँ, ये वाचाएँ हमारे प्रेममय सृजनहार के अनन्त उद्देश्य से संबद्ध हैं। जैसा कि आप देखेंगे, आपका असीम आशीषें पाना इन वाचाओं से संबद्ध है। ‘लेकिन यह कैसे हो सकता है?’ आप को पूछने का कारण है।
४. कौनसी प्रारंभिक वाचा परमेश्वर के अनन्त उद्देश्य की ओर संकेत करती है?
४ आप उन दुःखद परिणामों से भली-भाँति अभिज्ञ हैं जो आदम और हव्वा के परमेश्वर का अधिकार अस्वीकार करने से उत्पन्न हुए। हम ने उन से अपूर्णता विरासत में पायी, जो वास्तविकता हम से सही उन बीमारियों के पीछे है, और जो मृत्यु में परिणत होता है। (उत्पत्ति ३:१- ६, १४-१९) परन्तु, हम आभारी हो सकते हैं कि पृथ्वी को स्थायी तन्दुरुस्ती और खुशी का आनन्द उठा रहे सच्चे उपासकों से भरने का परमेश्वर का उद्देश्य उनके पाप से निष्फल न हो सका। इस संबंध में, यहोवा ने उत्पत्ति ३:१५ में लिपिबद्ध वाचा स्थापित की: “और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करूँगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।” परन्तु, इस कथन की संक्षिप्तता और प्रतीकात्मक भाषा ने कई प्रश्नों को बिन जवाब छोड़ दिया। यहोवा इस वाचा की प्रतिज्ञा किस तरह पूर्ण करता?
५, ६. (अ) अपना उद्देश्य पूरा करने में परमेश्वर ने कौनसा उपाय इस्तेमाल करने का निश्चय किया? (ब) ऐसा करने के लिए परमेश्वर के उपाय में हमें क्यों दिलचस्पी लेनी चाहिए?
५ परमेश्वर ने आगे ईश्वरीय वाचाओं का एक विशेष क्रम व्यवस्थित करना पसंद किया, जो, अदनी वाचा को मिलाकर, कुल सात हैं। अनन्त आशीषों का आनन्द उठाने की आशा रखनेवाला हम में से हर किसी को इन वाचाओं को समझ लेना चाहिए। इस में यह जानना सम्मिलित है कि वे कब और किस तरह बनायी गयीं, उन में कौन-कौन संबद्ध था, उन वाचाओं के उद्देश्य या शर्तें क्या थीं, और आज्ञाकारी मानवजाति को अनन्त जीवन से आशीर्वाद-प्राप्त कराने के लिए परमेश्वर के उद्देश्य में ये वाचाएँ एक दूसरे से किस तरह संबंध रखती हैं। यह समय इन वाचाओं पर पुनर्विचार करने के लिए उचित है, इसलिए कि अप्रैल १०, १९९० को, मसीहियों की मण्डलियाँ प्रभु के संध्या भोजन का स्मरणोत्सव मनाने के लिए इकट्ठा होंगे, जो कि इन वाचाओं से सीधे रूप से संबद्ध है।
६ निश्चय ही, कुछ लोगों को वाचाओं का यह विचार शायद निरस, क़ानूनी लगेगा, और जिस में बहुत कम मानवी दिलचस्पी की बात है। फिर भी, ग़ौर करें, कि थिओलॉजिकल डिक्शनरी ऑफ द ओल्ड टेस्टामेन्ट क्या कहता है: “प्राचीन निकट पूर्व में और साथ साथ यूनानी और रोमी दुनिया में ‘वाचा’ के लिए शब्द . . . दो अर्थ विषयक क्षेत्रों के अनुसार बाँटे गए हैं: एक ओर शपथ और वचनबद्धता, और दूसरी ओर प्रेम और दोस्ती।” हम—शपथ और दोस्ती—दोनों पहलुओं को यहोवा की वाचाओं में आधार-तत्त्व के रूप में देख सकते हैं।
इब्राहीमी वाचा—अनन्त आशीषों की बुनियाद
७, ८. यहोवा ने इब्राहीम के साथ कौनसी वाचा बान्धी? (१ इतिहास १६:१५, १६)
७ कुलपिता इब्राहीम, “उन सब का पिता, जो विश्वास करते हैं,” “यहोवा का मित्र” था। (रोमियों ४:११; याकूब २:२१-२३, न्यू.व.) परमेश्वर ने अपनी ही शपथ खाकर उसे क़सम दी, और ऐसी वाचा स्थापित की जो हमारा अनन्त आशीषें प्राप्त करने के लिए आधारभूत है।—इब्रानियों ६:१३-१८.
८ जब इब्राहीम ऊर नगर में था, यहोवा ने उसे दूसरे देश चले जाने को कहा, जो कि कनान देश साबित हुआ। उस समय यहोवा ने इब्राहीम से वादा किया: “मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊँगा, और तुझे आशीष दूँगा, और तेरा नाम बड़ा करूँगा; . . . और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएँगे।”a (उत्पत्ति १२:१-३) उसके बाद, परमेश्वर ने धीरे-धीरे उस वाचा की तफ़सील दी, जिसका उल्लेख हम उचित रूप से इब्राहीमी वाचा करते हैं: इब्राहीम का वंश, या वारिस, प्रतिज्ञात देश विरासत में पाता; उसका वंश अनगिनत सन्तान उत्पन्न करता; इब्राहीम और सारै राजाओं के स्रोत होते।—उत्पत्ति १३:१४-१७; १५:४-६; १७:१-८, १६; भजन १०५:८-१०.
९. हम कैसे जानते हैं कि हम इब्राहीमी वाचा में शामिल हो सकते हैं?
९ परमेश्वर ने उस वाचा को “[इब्राहीम] तेरे साथ अपनी वाचा” कहा। (उत्पत्ति १७:२) लेकिन हमें निश्चय ही लगना चाहिए कि हमारा जीवन भी संबद्ध है, इसलिए कि परमेश्वर ने बाद में वह वाचा विस्तृत की, यह कहकर: “मैं निश्चय तुझे आशीष दूँगा; और निश्चय तेरे वंश को आकाश के तारागण, और समुद्र के तीर की बाल के किनकों के समान अनगिनित करूँगा, ओर तेरा वंश अपने शत्रुओं के नगरों का अधिकारी होगा, और पृथ्वी की सारी जातियाँ अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी।” (उत्पत्ति २२:१७, १८) हम उन जातियों का एक हिस्सा हैं; एक संभावित आशीष हमारे लिए आगे है।
१०. इब्राहीम के साथ के वाचा से हम कौनसी अंतर्दृष्टि पाते हैं?
१० आइए अब थोड़ी देर के लिए रुकें और इस पर विचार करें कि हम इब्राहीमी वाचा से क्या सीख सकते हैं। उस से पहले अदनी वाचा ही के जैसे, यह भी एक आनेवाले “वंश” की ओर संकेत करती है, इस तरह सूचित करते हुए कि वंश की एक मानवी वंशावली होती। (उत्पत्ति ३:१५) वह शेम के वंशक्रम से इब्राहीम तक, और उसके पुत्र इसहाक के ज़रिए होता। यह वंशक्रम राजत्व संबद्ध करता, और यह किसी तरह, न सिर्फ़ एक परिवार के लिए, लेकिन सभी देशों के मनुष्यों के लिए अशीर्वाद पाने का प्रबन्ध करता। वह वाचा किस तरह पूर्ण हुई?
११. इब्राहीमी वाचा की वास्तविक पूर्ति किस तरह हुई?
११ याकूब, या इस्राएल, के ज़रिए इब्राहीम के वंशज बढ़कर एक बड़ी जाति बन गए। इब्राहीम के अनगिनत वास्तविक वंश की हैसियत से, वे इब्राहीम, इसहाक, और याकूब के परमेश्वर की पवित्र उपासना के लिए समर्पित थे। (उत्पत्ति २८:१३; निर्गमन ३:६, १५; ६:३; प्रेरितों के काम ३:१३) अक़्सर इस्राएली लोग पवित्र उपासना से मुड़ गए, फिर भी “यहोवा ने उन पर अनुग्रह किया, और उन पर दया अपनी वाचा के कारण किया जो उस ने इब्राहीम, इसहाक और याकूब से बान्धी थी; . . . और न तो उन्हें नाश किया।” (२ राजा १३:२३; निर्गमन २:२४; लैव्यव्यवस्था २६:४२-४५) परमेश्वर के मसीही मण्डली को अपने लोगों की हैसियत से स्वीकार करने के बाद भी, वह कुछ समय तक इस्राएलियों को, इब्राहीम के वास्तविक वंश होने के नाते, खास अनुग्रह दिखाता रहा।—दानिय्येल ९:२७.
इब्राहीम का आत्मिक वंश
१२, १३. इब्राहीमी वाचा की आत्मिक पूर्ति में यीशु उस वंश का प्रधान हिस्सा किस तरह साबित हुआ?
१२ इब्राहीमी वाचा की एक और पूर्ति थी, एक आत्मिक पूर्ति। यह महत्तर पूर्ति यीशु के समय से पहले ज़ाहिर होनेवाली न थी, लेकिन हम आनन्दित हो सकते हैं कि यह हमारे समय में स्पष्ट है। हमें परमेश्वर के वचन में इसकी पूर्ति की व्याख्या मिलती है। पौलुस लिखता है: “निदान, प्रतिज्ञाएँ इब्राहीम को, और उसके वंश को दी गईं: वह यह नहीं कहता, कि ‘वंशों को’; जैसे बहुतों के विषय में कहा, पर जैसे एक के विषय में कि ‘तेरे वंश को’: और वह मसीह है।”—गलतियों ३:१६.
१३ हाँ, वंश सिर्फ़ एक ही वंशक्रम, या परिवार से आता, जो यीशु के बारे में सच था, जो कि सहज यहूदी जन्मा था, और इब्राहीम का वास्तविक वंशज था। (मत्ती १:१-१६; लूका ३:२३-३४) इसके अतिरिक्त, वह स्वर्ग में बड़े इब्राहीम के परिवार का सदस्य था। याद करें कि कुलपिता इब्राहीम गहरे विश्वास से अपने पुत्र इसहाक की बलि चढ़ाने के लिए तैयार था, अगर परमेश्वर वैसे चाहता। (उत्पत्ति २२:१-१८; इब्रानियों ११:१७-१९) उसी तरह यहोवा ने अपने इकलौते पुत्र को पृथ्वी पर विश्वास करनेवाली मनुष्यजाति के लिए छुटकारे का बलिदान बनने के लिए भेज दिया। (रोमियों ५:८; ८:३२) इसलिए यह बोधगम्य है कि क्यों पौलुस ने यीशु मसीह की पहचान इस वाचे के अनुसार इब्राहीम के वंश का प्रधान भाग होने के तौर से की।
१४. इब्राहीम के वंश का गौण हिस्सा क्या है, और यह और कौनसे विचार तक ले जाता है?
१४ पौलुस ने आगे सूचित किया कि परमेश्वर आत्मिक पूर्ति में ‘इब्राहीम का वंश बढ़ा देता।’ उसने लिखा: “यदि तुम मसीह के हो, तो इब्राहीम के वंश और प्रतिज्ञा के अनुसार सह-वारिस भी हो।” (उत्पत्ति २२:१७; गलतियों ३:२९, न्यू.व.) ऐसे लोग १,४४,००० आत्मा से अभिषिक्त मसीही हैं जो इब्राहीम के वंश का गौण हिस्सा बनते हैं। वे उस वंश के प्रधान हिस्से के विरोध में नहीं, पर ‘मसीह के लोग हैं।’ (१ कुरिन्थियों १:२; १५:२३) हम जानते हैं कि उन में से कई लोग इब्राहीम तक अपने वंशक्रम का पता नहीं लगा सकते, इसलिए कि वे ग़ैर-यहूदी जातियों के हैं। फिर भी, जो बात आत्मिक पूर्ति में ज़्यादा निर्णायक है, वे सहज रूप से बड़े इब्राहीम के परिवार के सदस्य नहीं; बल्कि वे पापी आदम के अपूर्ण परिवार से आते हैं। तो हमें बाद वाली वाचाओं से यह देखने की ज़रूरत होगी कि वे किस तरह “इब्राहीम का वंश” का हिस्सा बनने के योग्य हो सकते हैं।
अस्थायी रूप से व्यवस्था वाचा जोड़ी गयी
१५-१७. (अ) व्यवस्था वाचा को इब्राहीमी वाचा से क्यों जोड़ा गया? (ब) व्यवस्था ने इन लक्ष्यों को किस तरह पूरा किया?
१५ परमेश्वर का इब्राहीमी वाचा बनाने के बाद, जो कि अपना उद्देश्य पूरा करने की ओर एक आधारभूत उपाय के तौर से था, वंश के प्रगट होने के समय तक उस वंश की वंशावली सम्मिश्रण या उन्मूलन से किस तरह सुरक्षित रखी जाती? जब वंश आता, तब सच्चे उपासक उसे किस तरह पहचान सकते? व्यवस्था की वाचा अस्थायी रूप से जोड़ने में परमेश्वर की बुद्धि की ओर संकेत करके पौलसु ऐसे प्रश्नों का उत्तर देता है। प्रेरित लिखता है:
१६ “तब फिर व्यवस्था क्या रही? वह तो अपराधों के कारण बाद में दी गई, कि उस वंश के आने तक रहे, जिस को प्रतिज्ञा दी गयी थी, और वह स्वर्गदूतों के द्वारा एक मध्यस्थ के हाथ ठहराई गई। . . . इसलिए व्यवस्था मसीह तक पहुँचाने को हमारा शिक्षक हुई है, कि हम विश्वास से धर्मी ठहरें।”—गलतियों ३:१९, २४.
१७ सीनै पर्वत पर, यहोवा ने अपने और इस्राएल के बीच एक अनुपम राष्ट्रीय वाचा बान्धी—व्यवस्था की वाचा, जिसका मध्यस्थ मूसा था।b (गलतियों ४:२४, २५) लोग इस वाचा में शामिल होने के लिए सहमत हुए, और उसे बैलों और बक़रियों के खून से अभिपुष्ट किया गया। (निर्गमन २४:३-८; इब्रानियों ९:१९, २०) इस से इस्राएल को ईशतंत्रीय नियम और धार्मिक शासन के लिए एक रूपरेखा मिली। वाचा में मूर्तिपूजकों से विवाह करना या अनैतिक तथा झूठे धर्मों के अभ्यासों में हिस्सा लेना निषिद्ध था। इस प्रकार इस से इस्राएलियों की रक्षा हुई और यह वंश का वंशक्रम अदूषित बचाए रखने में एक शक्ति थी। (निर्गमन २०:४-६; ३४:१२-१६) लकिन चूँकि कोई अपूर्ण इस्राएली व्यवस्था को पूर्ण रूप से नहीं रख सकता था, इस से पाप प्रगट हुए। (गलतियों ३:१९) इस से एक पूर्ण, स्थायी याजक और एक ऐसा बलिदान, जिसे प्रतिवर्ष दोहराने की ज़रूरत न होती, की आवश्यकता की ओर संकेत हुआ। व्यवस्था एक शिक्षक के जैसे था, जो किसी बच्चे को आवश्यक प्रशिक्षक, जो कि मसीहा, या ख्रीस्त (मसीह), होता, के तरफ़ ले गया। (इब्रानियों ७:२६-२८; ९:९, १६-२२; १०:१-४, ११) जब इसका उद्देश्य पूरा होता, व्यवस्था वाचा ख़त्म हो जाती।—गलतियों ३:२४, २५; रोमियों ७:६; “पाठकों के प्रश्न,” पृष्ठ ३२, देखें।
१८. व्यवस्था वाचा में और कौनसी प्रत्याशा सम्मिलित थी, लेकिन इसे समझना मुश्किल क्यों था?
१८ यह अस्थायी वाचा बनाते समय, परमेश्वर ने इस रोमहर्षक लक्ष्य का भी ज़िक्र किया: “यदि तुम निश्चय मेरी मानोगे, और मेरी वाचा को पालन करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे . . . और तुम मेरी दृष्टि में याजकों का राज्य और पवित्र जाति ठहरोगे।” (निर्गमन १९:५, ६) कैसी प्रत्याशा! राजा-याजकों की जाति। यद्यपि, वह कैसे हो सकता था? जैसे कि व्यवस्था ने बाद में स्पष्ट किया, शासन करनेवाला गोत्र [यहूदा] और याजकीय गोत्र [लेवी] को अलग अलग ज़िम्मेदारियाँ दी गयी। (उत्पत्ति ४९:१०; निर्गमन २८:४३; गिनती ३:५-१३) कोई भी आदमी दोनों सामुदायिक शासक और एक याजक नहीं बन सकता था। फिर भी, निर्गमन १९:५, ६ में परमेश्वर के शब्दों से यह मानने के लिए कारण मिला कि किसी गुप्त रीति से, व्यवस्था वाचा में के लोगों को “याजकों का राज्य और पवित्र जाति” के सदस्यों का प्रबन्ध करने का मौक़ा प्राप्त होता।
दाऊदी राज्य वाचा
१९. वाचाओं में राजत्व की ओर किस तरह संकेत किया गया?
१९ समय आने पर यहोवा ने एक और वाचा जोड़ी जिस से यह स्पष्ट हुआ कि वह, हमारे अनन्त आशीष के लिए, अपना उद्देश्य पूरा करता। हम ने देखा है कि इब्राहीमी वाचा ने इब्राहीम के वास्तविक वंश के बीच राजत्व की ओर संकेत किया। (उत्पत्ति १७:६) व्यवस्था वाचा ने भी परमेश्वर के लोगों के बीच राजा होने का पूर्वानुमान लगाया, इसलिए कि मूसा ने इस्राएल से कहा: “जब तू [प्रतिज्ञात देश] में पहुँचे जिसे तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है, और उसका अधिकारी हो, और उन में बसकर कहने लगे, कि चारों ओर की सब जातियों की नाईं मैं भी अपने ऊपर राजा ठहराउँगा, तब जिसको तेरा परमेश्वर यहोवा चुन ले अवश्य उसी को राजा ठहराना। . . . किसी परदेशी को जो तेरा भाई न हो तू अपने ऊपर अधिकारी नहीं ठहरा सकता।” (व्यवस्थाविवरण १७:१४, १५) परमेश्वर ऐसे राजत्व का प्रबन्ध किस तरह करता, और इब्राहीमी वाचा पर इसका क्या संबंध होता?
२०. दाऊद और उसका वंशक्रम इस में कैसे संबद्ध हैं?
२० हालाँकि इस्राएल का पहला राजा शाऊल बिन्यामीन के गोत्र का था, उसके बाद यहूदा का साहसी और वफ़ादार दाऊद आया। (१ शमूएल ८:५; ९:१, २; १०:१; १६:१, १३) दाऊद के शासन शुरू करने के काफ़ी समय बाद, यहोवा ने दाऊद के साथ वाचा बनाना पसंद किया। पहले उसने कहा: “मैं तेरे निज वंश को जो तेरी अंतड़ियों से निकलेगा, तेरे पीछे खड़ा करके उसके राज्य को स्थिर करूँगा। मेरे नाम का घर वही बनवाएगा, और मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्थिर रखूँगा।” (२ शमूएल ७:१२, १३) जैसे वहाँ सूचित है, दाऊद का बेटा सुलैमान अगला राजा बना, और उसे यरूशलेम में परमेश्वर के लिए एक घर, या मन्दिर, बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया। फिर भी, कुछ और भी था।
२१. दाऊदी राज्य वाचा ने किस के लिए प्रबंध किया?
२१ यहोवा ने आगे जाकर दाऊद से यह वाचा बान्धी: “तेरा घराना और तेरा राज्य मेरे सामने सदा अटल बना रहेगा; तेरी गद्दी सदैव बनी रहेगी।” (२ शमूएल ७:१६) स्पष्टतः, परमेश्वर इस प्रकार दाऊद के परिवार में इस्राएल के लिए एक शाही राजवंश स्थापित कर रहा था। इसे मात्र दाऊदी राजाओं का एक निरंतर अनुक्रमण नहीं होना था। आख़िरकार, दाऊद के वंशक्रम में से कोई “सर्वदा” के लिए राज्य करने के लिए आता “और उसकी राजगद्दी सूर्य की नाईं [परमेश्वर के] सम्मुख [ठहरी रहती]।”—भजन ८९:२०, २९, ३४-३६; यशायाह ५५:३, ४.
२२. वंश के वंशक्रम से दाऊद की वाचा का क्या संबंध था, और इसका क्या नतीजा हुआ?
२२ तो फिर, यह ज़ाहिर है कि दाऊदी वाचा ने वंश के वंशक्रम को और भी ज़्यादा संकुचित कर दिया। पहले-शतकीय यहूदियों ने भी समझ लिया कि मसीहा को दाऊद का वंशज होना ही पड़ता। (यूहन्ना ७:४१, ४२) जैसा कि एक स्वर्गदूत ने गवाही दी, यीशु मसीह, इब्राहीमी वाचा का प्रधान हिस्सा, इस दाऊदी राज्य का स्थायी वारिस बनने के योग्य था। (लूका १:३१-३३) यीशु ने इस प्रकार प्रतिज्ञात देश पर राज्य करने का अधिकार हासिल किया, वही पार्थीव प्रक्षेत्र जिस पर दाऊद ने राज्य किया था। इस से यीशु पर हमारा भरोसा बढ़ना चाहिए; वह, अनधिकृत अपहरण से नहीं, बल्कि एक स्थापित विधिसम्मत व्यवस्था, एक ईश्वरीय वाचा, के ज़रिए राज्य करता है।
२३. कौनसे प्रश्न और बातें तय करने के बाक़ी हैं?
२३ मनुष्यजाति को अनन्त आशीषें लाने के लिए किस तरह परमेश्वर ने अपना उद्देश्य पूरा करने का प्रबंध किया, उस से संबंधित हम ने सिर्फ़ चार ईश्वरीय वाचाओं पर ग़ौर किया है। संभवतः, आप देख सकते हैं कि यह तस्वीर पूरी नहीं। कुछ सवाल बाक़ी हैं: चूँकि मनुष्य अपूर्ण ही रहे, उस अवस्था को कौन-सा याजक या बलिदान स्थायी रूप से बदल सकता था? मनुष्य इब्राहीम के वंश का हिस्सा बनने के योग्य किस तरह बनते? क्या यह मानने के लिए कोई कारण है कि राज्य करने का अधिकार इस हद तक बढ़ जाता कि वह मात्र एक पार्थीव प्रक्षेत्र से ज़्यादा शामिल करता? इब्राहीम के वंश के दोनों हिस्से, प्रधान और गौण, किस तरह “पृथ्वी की सारी जातियों” के लिए, जिन में हम भी शामिल हैं, आशीष ले आ सकता? आइए देखें।
[फुटनोट]
a यह एक एकतरफ़ा वाचा है, चूँकि केवल एक ही पक्ष (परमेश्वर) उसकी शर्तें पूरी करने के लिए वचनबद्ध है।
b “वाचा की कल्पना इस्राएल के धर्म की एक विशेष खूबी थी, यह एकमात्र धर्म था जिस ने अनन्य भक्ति माँगा और दोहरा या बहुल वफ़ाओं की संभावना, जैसे कि अन्य धर्मों में मान्य था, प्रतिबाधित किया।”—थिओलॉजिकल डिक्शनरी ऑफ ऑल्ड टेस्टामेन्ट, खण्ड II, पृष्ठ २७८.
आपका क्या उत्तर है?
◻ इब्राहीमी वाचा ने हमारा अनन्त आशीषें प्राप्त करने का आधार किस तरह तैयार किया?
◻ इब्राहीम का वास्तविक, शारीरिक वंश कौन था? और प्रतीकात्मक वंश?
◻ इब्राहीमी वाचा व्यवस्था वाचा से किस लिए जोड़ा गया?
◻ दाऊदी वाचा ने परमेश्वर के उद्देश्य को किस तरह बढ़ावा दिया?
[पेज 13 पर रेखाचित्र]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
अदनी वाचा उत्पत्ति ३:१५
इब्राहीमी वाचा
प्रधान वंश
गौण वंश
अनन्त आशीषें
[पेज 14 पर रेखाचित्र]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
अदनी वाचा उत्पत्ति ३:१५
इब्राहीमी वाचा
व्यवस्था वाचा
दाऊदी राज्य वाचा
प्रधान वंश
गौण वंश
अनन्त आशीषें
[पेज 10 पर तसवीरें]
मनुष्यजाति के लिए अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए, परमेश्वर ने विश्वासु इब्राहीम के साथ एक वाचा बान्धी