क्या आपको याद है?
क्या आपने हाल की प्रहरीदुर्ग पत्रिकाएँ पढ़ने का आनंद लिया है? देखिए कि क्या आप नीचे दिए गए सवालों के जवाब दे पाते हैं या नहीं:
• ज्योतिषी, यीशु को कब देखने आए थे?
बाइबल का एक संस्करण कहता है, “जिस रात यीशु पैदा हुआ था, उस रात ज्योतिषी उसे देखने पशुशाला में नहीं आए थे। उस रात सिर्फ चरवाहे ही उसे देखने आए थे। ज्योतिषी तो कुछ महीने बाद . . . आए थे।” तब तक यीशु एक शिशु नहीं बल्कि ‘बालक’ हो गया था और एक घर में रह रहा था। (मत्ती 2:7-11) अगर ज्योतिषियों ने यीशु के पैदा होनेवाली रात उसे सोना और दूसरे कीमती तोहफे दिए होते, तो उसकी माँ मरियम 40 दिन बाद यरूशलेम के मंदिर में सिर्फ दो पक्षियों की भेंट क्यों चढ़ाती?—1/1, पेज 31.
• कई लोग अपनी ज़िंदगी को खुशियों के रंग से भरने के लिए क्या कर सकते हैं?
एक व्यक्ति शायद खुद से पूछे, ‘क्या मैं अपने हालात में फेरबदल कर सकता हूँ और अपने जीवन को सादा बना सकता हूँ?’ एमी ने ऐसा ही किया। उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी, मगर वह खुश नहीं थी। उसे एहसास हुआ कि इस संसार में अपना करियर बनाने के चक्कर में, वह तो करीब-करीब विश्वास से भटक चुकी थी। इसलिए उसने राज्य के कामों को पहली जगह देने का फैसला किया। और वह कुछ समय तक पायनियर सेवा भी कर पायी। एमी कहती है, ‘आज मुझे ऐसा गहरा संतोष मिलता है, जो मुझे उस दौरान बिलकुल भी नहीं मिला था जब मैंने अपना सारा वक्त इस दुनिया के लिए काम करने में लगा दिया था।’—1/15, पेज 19.
• क्या बात एक माँ को सच्ची खुशी पाने में मदद दे सकती है?
आज कई मांएँ नौकरी करती हैं। कुछ घर की गाड़ी चलाने के लिए नौकरी करती हैं, तो कुछ इसलिए नौकरी करती हैं ताकि अपनी मन-मरज़ी से पैसे खर्च कर सकें या महँगी-महँगी चीज़ें खरीद सकें। कई-एक मांएँ इसलिए नौकरी करती हैं क्योंकि उन्हें वह काम पसंद होता है। मसीही जीवन के मुताबिक जीनेवाली मांएँ घर पर रहकर अपने बच्चों की देखभाल करने में एक अहम भूमिका निभाती हैं। खासकर जब उनके बच्चे छोटे होते हैं। कुछ माँओं ने अपनी नौकरी छोड़ने या पार्ट-टाइम नौकरी करने का फैसला किया है, ताकि वे अपने परिवार पर ज़्यादा ध्यान दे सकें। नतीजा, उन्हें बेइंतिहा खुशी मिलती है।—4/1, पेज 18-21.
• मत्ती 24:34 में यीशु ने जिस “पीढ़ी” का ज़िक्र किया, वह किसे दर्शाती है?
यीशु ने अकसर दुष्ट लोगों से या उनके बारे में बात करते वक्त शब्द “पीढ़ी” के साथ-साथ “दुष्ट” या “पापी” जैसे विशेषणों का इस्तेमाल किया। लेकिन मत्ती 24:34 में उसने शब्द “पीढ़ी” के साथ इन विशेषणों का इस्तेमाल नहीं किया। यीशु यहाँ अपने चेलों से बात कर रहा था, जिनका बहुत जल्द पवित्र आत्मा से अभिषेक होनेवाला था। और वे ही मत्ती 24:32, 33 में दी बातों के बारे में सही-सही नतीजे पर पहुँच पाते। इससे पता चलता है कि यीशु ने मत्ती 24:34 में जिस “पीढ़ी” का ज़िक्र किया, वह पहली सदी और आज के ज़माने के अभिषिक्त चेलों को दर्शाती है।—2/15, पेज 21-5.
• याकूब 3:17 के मुताबिक हमें कौन-से गुण ज़ाहिर करने चाहिए?
पवित्रता का मतलब है कि हमें बुरी बातों को फौरन ठुकरा देना चाहिए। (उत्प. 39:7-9) इसके अलावा, हमें सबके साथ शांति से रहना चाहिए, गुस्सैल होने या उन कामों से दूर रहना चाहिए, जिनसे शांति भंग हो सकती है। इसलिए हममें से हरेक को खुद से पूछना चाहिए: ‘क्या कलीसिया के भाई-बहन मुझे शांति कायम करनेवाला समझते हैं या शांति भंग करनेवाला? क्या आए दिन दूसरों के साथ मेरी कहा-सुनी होती है? क्या मैं बहुत जल्दी बुरा मान जाता हूँ या क्या मैं दूसरों को अकसर ठेस पहुँचाता हूँ? क्या मैं माफ करने को तैयार रहता हूँ और अपने स्तरों पर अड़े रहने के बजाय दूसरों की बात मान लेता हूँ?’
—3/15, पेज 24-5.