एक धार्मिक रूप से विभाजित परिवार में ईश्वरीय आज्ञाकारिता
“यह किसी भी शारीरिक प्रहार से कहीं ज़्यादा चोट पहुँचाता है। . . . मुझे लगता है कि मेरा पूरा जिस्म ज़ख़्म से भरा है, और फिर भी उसे कोई नहीं देख सकता।” “कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं अपनी ज़िन्दगी से हार मान लेना चाहती हूँ . . . या घर छोड़कर फिर कभी नहीं लौटना चाहती।” “कभी-कभी ठीक तरह से सोचना मुश्किल होता है।”
भावुकता से भरे ये शब्द निराशा और अकेलेपन की भावनाएँ प्रकट करते हैं। इन शब्दों को मौखिक दुर्व्यवहार—जैसे ताने, धमकियाँ, गाली-गलौज, मौन व्यवहार—और यहाँ तक कि विवाह-साथी और परिवार के सदस्यों के शारीरिक दुर्व्यवहार से पीड़ित लोगों ने कहा है। इन लोगों से इतनी बुरी तरह सलूक क्यों किया जाता है? केवल भिन्न धार्मिक विश्वासों के कारण। इन परिस्थितियों में, एक धार्मिक रूप से विभाजित परिवार में रहना, यहोवा की उपासना को एक वास्तविक चुनौती बना देता है। फिर भी, इसके शिकार हुए ऐसे अनेक मसीही सफलतापूर्वक ईश्वरीय आज्ञाकारिता प्रदर्शित करते हैं।
शुक्र है कि ऐसी वेदना और तनाव सभी धार्मिक रूप से विभाजित घरों में नहीं पायी जाती। फिर भी, यह मौजूद है। क्या आपका घर इस विवरण पर ठीक बैठता है? तो फिर, शायद आप अपने साथी या अपने माता-पिता के लिए आदर बनाए रखना मुश्किल पाएँ। अगर इस स्थिति में आप एक पत्नी हैं या ऐसे माहौल में आप बच्चे हैं, तो फिर आप एक धार्मिक रूप से विभाजित परिवार में ईश्वरीय आज्ञाकारिता दिखाने में सफलता कैसे प्राप्त कर सकते हैं? अन्य लोग किस तरह सहारा दे सकते हैं? और परमेश्वर इस मामले को किस नज़र से देखता है?
आज्ञाकारी होना इतना मुश्किल क्यों है?
संसार का आत्म-हित और कृतघ्नता, साथ-साथ आपकी अपनी अपरिपूर्ण प्रवृत्तियाँ आप पर प्रभाव डालते हैं और ईश्वरीय आज्ञाकारिता को एक नियमित संघर्ष बना देते हैं। शैतान यह जानता है, और उसका उद्देश्य है एक मसीही बने रहने के आपके दृढ़-निश्चय को तोड़ना। वह अकसर परिवार के उन सदस्यों को इस्तेमाल करता है जिनमें ईश्वरीय स्तरों के लिए क़दरदानी और आदर बहुत ही कम या बिलकुल नहीं होता। अकसर आपके ऊँचे आध्यात्मिक और नैतिक मूल्य, आपके अविश्वासी परिवार के मूल्यों से बिलकुल अलग होते हैं। इसका अर्थ है बर्ताव और कार्य के बारे में परस्पर-विरोधी मत। (१ पतरस ४:४) आप पर मसीही स्तर से दूर जाने के लिए बहुत ज़्यादा दबाव आ सकता है, क्योंकि आपने इस आज्ञा को माना है: “[उनके साथ] अन्धकार के निष्फल कामों में सहभागी न हो।” (इफिसियों ५:११) उनकी नज़रों में अब आप जो कुछ करते हैं वह सही नहीं है। यह सब आपके धर्म के कारण है। एक माँ ने बीमार बच्चों के बोझ तले दबकर अपने पति से मदद माँगी और उसे यह व्यंगपूर्ण जवाब मिला, “तुम्हारे पास अपने धर्म के लिए समय है; तुम्हें मदद की ज़रूरत नहीं।” ऐसी टिप्पणियाँ आज्ञाकारी होने की चुनौती को बढ़ा देती हैं।
फिर ऐसे समय होते हैं जब आप शायद उन मामलों पर असहमत हों जो शास्त्र का सीधे-सीधे उल्लंघन नहीं करते। फिर भी, आप जानते हैं कि आप परिवार का एक भाग हैं और इसलिए आपकी कुछ बाध्यताएँ हैं। “मेरे पिता हमारे साथ जैसा सलूक करते हैं, यह सोचकर मैं बहुत परेशान हो जाती हूँ क्योंकि मैं समझती हूँ कि वे ख़ुद को अकेला महसूस करते हैं,” कॉनी कहती है। “मुझे अकसर याद रखना पड़ता है कि मुझे अपने पिता के विरोध से नाराज़ नहीं होना चाहिए। मुझे ख़ुद को यह कहने की ज़रूरत होती है कि सच्चाई के लिए हमारी स्थिति के प्रति अनुकूल रीति से प्रतिक्रिया न दिखाने का या उसे अस्वीकार करने का एक प्रबल कारण है। शैतान इस रीति-व्यवस्था का सरदार है।” एक अविश्वासी से विवाहित, सूज़न कहती है: “शुरू में मैं महसूस करती थी कि मैं अपने पति से अलग होना चाहती हूँ—लेकिन अब नहीं। मैं जानती थी कि शैतान मेरी परीक्षा लेने के लिए उनका इस्तेमाल कर रहा था।”
शैतान आपको बेकार महसूस करवाने का प्रयास लगभग हमेशा कर सकता है। अपने साथी के साथ बातचीत किए बग़ैर कई दिन गुज़र सकते हैं। ज़िन्दगी बहुत ही सूनी बन सकती है। यह विश्वास और आत्म-सम्मान को कम करता है और आपकी ईश्वरीय आज्ञाकारिता की परीक्षा लेता है। बच्चे भावात्मक और शारीरिक थकान भी महसूस करते हैं। एक बार, अपने माता-पिता द्वारा आपत्ति उठाए जाने के बावजूद, परमेश्वर के तीन युवा सेवक वफ़ादारी से मसीही सभाओं में उपस्थित रहते। उनमें से एक ने, जो अब पूर्ण-समय का सेवक है, स्वीकार किया: “हम भावात्मक रूप से स्तब्ध होते और थकान महसूस करते; हमें नींद नहीं आती थी; इससे हमारा दिल टूट गया।”
परमेश्वर आपसे क्या अपेक्षा करता है?
परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता हमेशा पहले आती है, और पतिवत् सिर के प्रति सापेक्षिक आज्ञाकारिता को हमेशा वैसा ही होना चाहिए जैसे यहोवा निर्देशित करता है। (प्रेरितों ५:२९) यह शायद मुश्किल हो, फिर भी मुमकिन है। मदद के लिए परमेश्वर की ओर देखते रहिए। वह चाहता है कि आप ‘आत्मा और सच्चाई से आराधना करें,’ और यह भी कि उसके निर्देशनों को सुनें और उसके अधीन हो जाएँ। (यूहन्ना ४:२४, NHT) परमेश्वर के वचन का ज्ञान, जब सही प्रकार के हृदय में भरता है, तब तत्पर आज्ञाकारिता को प्रेरित करता है। आपकी व्यक्तिगत परिस्थितियाँ बदल सकती हैं, लेकिन ना तो यहोवा बदलता है और ना ही उसका वचन। (मलाकी ३:६; याकूब १:१७) यहोवा ने मुखियापन के लिए पति को नियुक्त किया है। चाहे वह मसीह के मुखियापन को स्वीकार करे या न करे, फिर भी यह सच्चाई बनी रहती है। (१ कुरिन्थियों ११:३) हालाँकि, अगर आप निरन्तर दुर्व्यवहार और अपमान का सामना करते हैं, तो इसके साथ जीना शायद कठिन हो, फिर भी शिष्य याकूब कहता है: ‘ऊपर से जो बुद्धि आती है वह आज्ञा मानने के लिए तत्पर है।’ (याकूब ३:१७, NW) इस मुखियापन को सुस्पष्ट रूप से पहचानने के लिए और स्वीकार करने के लिए परमेश्वर की आत्मा आवश्यक है, ख़ासकर उसके प्रेम का फल।—गलतियों ५:२२, २३.
जब आप किसी से प्रेम करते हैं, तो ईश्वरीय रूप से संस्थापित अधिकार के प्रति ईश्वरीय आज्ञाकारिता दिखाना आसान होता है। इफिसियों ५:३३ सलाह देता है: “तुम में से हर एक अपनी पत्नी से अपने समान प्रेम रखे, और पत्नी भी अपने पति का भय माने।”
यीशु के बारे में सोचिए। उसके साथ मौखिक और शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार किया गया, फिर भी उसने किसी को बुरा-भला नहीं कहा। उसने एक निष्कलंक रिकार्ड क़ायम रखा। (१ पतरस २:२२, २३) यीशु को इतना बड़ा अपमान सहने के लिए बहुत ज़्यादा हिम्मत और अपने पिता, यहोवा के प्रति अटल प्रेम की ज़रूरत थी। लेकिन, प्रेम “सब बातों में धीरज धरता है।”—१ कुरिन्थियों १३:४-८.
पौलुस ने अपने साथी, तीमुथियुस को याद दिलाया, और वह आज हमें याद दिलाता है: “परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्थ, और प्रेम, और संयम की आत्मा दी है।” (२ तीमुथियुस १:७) यहोवा और यीशु मसीह के लिए गहरा प्रेम आपको ईश्वरीय आज्ञाकारिता के लिए प्रेरित कर सकता है जब परिस्थिति धीरज धरने के लिए असंभव प्रतीत होती है। संयम आपको एक संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखने और यहोवा तथा यीशु मसीह के साथ अपने रिश्ते पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए मदद करेगा।—फिलिप्पियों ३:८-११ से तुलना कीजिए।
विवाह-साथी जो ईश्वरीय आज्ञाकारिता दिखाने में सफल होते हैं
यह देखने के लिए कि यहोवा आपकी समस्याओं का समाधान कैसे करेगा, कभी-कभी आपको लम्बे समय तक इंतज़ार करना पड़ सकता है। फिर भी, उसका हाथ कभी छोटा नहीं है। एक स्त्री, जो ईश्वरीय आज्ञाकारिता दिखाने में सफल हो रही है, सलाह देती है: “हमेशा वही कीजिए जिनका यहोवा आपको हक़ और विशेषाधिकार देता है—सभाओं और सम्मेलनों में उसकी उपासना करना, अध्ययन करना, सेवा में जाना, और प्रार्थना करना।” यहोवा आपके प्रयासों पर आशिष देता है, केवल आपकी उपलब्धियों पर नहीं। २ कुरिन्थियों ४:१७ में प्रेरित पौलुस ने कहा कि ‘पल भर का क्लेश हमारे लिये अनन्त महिमा उत्पन्न करता है।’ इस पर मनन कीजिए। यह आपको मज़बूत करनेवाला तत्व हो सकता है। एक पत्नी कहती है: “मेरा पारिवारिक जीवन बेहतर नहीं हो रहा है, और कभी-कभी मैं सोचती हूँ कि यहोवा मुझसे ख़ुश है भी या नहीं। लेकिन इस बात को मैं उसकी आशिष के रूप में लेती हूँ कि मैं इन कठिन परिस्थितियों में से अपने पति के मुक़ाबले ज़्यादा अच्छी मानसिक स्थिति में बाहर निकलती हूँ। यह जानना कि हमारे कार्य यहोवा को ख़ुश कर रहे हैं, पूरे संघर्ष को सार्थक बना देता है।”
यहोवा प्रतिज्ञा करता है कि वह आपको ऐसी परिस्थितियों का अनुभव करने नहीं देगा जिन्हें आप नहीं सह सकते। उस पर भरोसा रखिए। वह आपसे बेहतर जानता है, और आपको आपसे बेहतर जानता है। (रोमियों ८:३५-३९; ११:३३; १ कुरिन्थियों १०:१३) कठिन परिस्थितियों में यहोवा से प्रार्थना करना सहायक है। आपको मार्गदर्शित करने के लिए उसकी आत्मा के लिए प्रार्थना कीजिए, ख़ासकर जब आप नहीं जानते कि किस रास्ते जाना है या एक स्थिति से कैसे निपटना है। (नीतिवचन ३:५; १ पतरस ३:१२) उससे अपने जीवन में अधिकार की आज्ञा मानने के लिए धीरज, आत्म-संयम, और विनम्रता के लिए बिनती कीजिए। भजनहार ने कहा: “यहोवा मेरी चट्टान है, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ानेवाला है।” (भजन १८:२) इसे याद रखना, धार्मिक रूप से विभाजित घरानों में रहनेवालों के लिए एक शक्तिप्रद सहायक है।
ख़ासकर, अपने विवाह को सुखद बनाने के लिए हर प्रयास कीजिए। जी हाँ, यीशु को पूर्वज्ञान था कि सुसमाचार के कारण विभाजन होता। लेकिन, प्रार्थना कीजिए कि कोई भी विभाजन कभी-भी आपकी मनोवृत्ति या बर्ताव के कारण न हो। (मत्ती १०:३५, ३६) इस लक्ष्य को मन में रखते हुए, सहकारिता वैवाहिक समस्याओं को कम करती है। जब केवल आप यह उचित मनोवृत्ति प्रदर्शित करते हैं, तब भी यह समस्याओं को अत्यधिक मनमुटाव और मतभेद की हद तक जाने से रोकने के लिए बहुत कुछ कर सकता है। धीरज और प्रेम कितने महत्त्वपूर्ण हैं। “कोमल” और ‘सहनशील होइए।’—२ तीमुथियुस २:२४.
प्रेरित पौलुस “सब मनुष्यों के लिये सब कुछ बना।” (१ कुरिन्थियों ९:२२) वैसे ही, मसीही कर्तव्यों का समझौता किए बग़ैर, अपने साथी या परिवार के साथ अधिक समय बिताने के लिए कभी-कभी आपको शायद अपनी समय-सारणी में समायोजन करने की ज़रूरत हो। उस व्यक्ति के लिए यथा-संभव समय दीजिए जिसके साथ आप अपनी ज़िन्दगी गुज़ारने का चुनाव करते हैं। मसीही लिहाज़ दिखाइए। यह ईश्वरीय आज्ञाकारिता की एक अभिव्यक्ति है।
परमेश्वर का भय माननेवाली और अधीनता दिखानेवाली पत्नी जो सुनम्य और सहानुभूतिशील है, ईश्वरीय आज्ञाकारिता को प्रदर्शित करना आसान पाती है। (इफिसियों ५:२२, २३) कृपालु और ‘सलोने’ शब्द, संभव झगड़ों की बारम्बारता को कम करने में मदद करते हैं।—कुलुस्सियों ४:६; नीतिवचन १५:१.
ईश्वरीय बुद्धि आपको “क्रोध” के साथ सो जाने के बजाय, मतभेदों को जल्दी से निपटाने की और उत्साहित करनेवाले उत्तम शब्दों से शान्ति पुनःस्थापित करने की सलाह देती है। (इफिसियों ४:२६, २९, ३१) इसके लिए विनम्रता की ज़रूरत है। यहोवा की सामर्थ पर पूरी तरह निर्भर रहिए। एक मसीही पत्नी ने नम्रतापूर्वक स्वीकार किया: “हार्दिक प्रार्थना के बाद, मैंने अनुभव किया है कि यहोवा की आत्मा ने अपने साथी के प्रति अधिक प्रेममय मनोवृत्ति रखने के लिए मुझे मज़बूत किया है।” परमेश्वर का वचन सलाह देता है: “बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; . . . भलाई से बुराई को जीत लो।” (रोमियों १२:१७-२१) यह बुद्धिमत्तापूर्ण सलाह और ईश्वरीय आज्ञाकारिता का मार्ग है।
ईश्वरीय आज्ञाकारिता दिखानेवाले बच्चे
धार्मिक रूप से विभाजित परिवारों में आप बच्चों के लिए यहोवा की सलाह है: “सब बातों में अपने अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करो, क्योंकि प्रभु इस से प्रसन्न होता है।” (कुलुस्सियों ३:२०) ध्यान दीजिए कि प्रभु यीशु मसीह को इस मामले में शामिल किया गया है। इसलिए, माता-पिता के प्रति आज्ञाकारिता अप्रतिबन्धित नहीं है। एक प्रकार से, प्रेरितों ५:२९ की सलाह, “मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना,” मसीही युवाओं के लिए भी लागू होती है। ऐसे अवसर आएँगे जब आपको शास्त्र के अनुसार जो सही है उसकी जानकारी के आधार पर फ़ैसले करने होंगे। इसका परिणाम, झूठी उपासना के किसी कार्य में शामिल होने से इनकार करने के कारण किसी तरह की सज़ा मिल सकती है। जबकि यह दुःखद सम्भावना है, आप इस तथ्य से सांत्वना पा सकते हैं और आनन्दित भी हो सकते है कि परमेश्वर की नज़रों में जो सही है, उसे करने के लिए आप दुःख उठा रहे हैं।—१ पतरस २:१९, २०.
क्योंकि आपके विचार बाइबल सिद्धान्तों द्वारा मार्गदर्शित हैं, कुछ मामलों में आपके विचार अपने माता-पिता के विचारों से भिन्न हो सकते हैं। यह उन्हें आपके दुश्मन नहीं बना देता। चाहे वे यहोवा के समर्पित सेवक ना भी हों, वे उचित आदर के योग्य हैं। (इफिसियों ६:२) सुलैमान ने कहा: ‘अपने जन्मानेवाले की सुनना, और अपनी माता को तुच्छ न जानना।’ (नीतिवचन २३:२२) आपके द्वारा उनकी दृष्टि में असाधारण धर्म का पालन करने से उन्हें हुए दर्द को समझने की कोशिश कीजिए। उनके साथ बातचीत कीजिए, और ‘अपनी कोमलता प्रकट’ कीजिए। (फिलिप्पियों ४:५) अपनी भावनाओं और चिन्ताओं को बाँटिए। ईश्वरीय सिद्धान्तों का पालन करने में दृढ़ रहिए, फिर भी, “जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।” (रोमियों १२:१८) यह तथ्य कि आप अभी जनकीय शासन की आज्ञा का पालन करते हैं, यहोवा को दिखाता है कि आप उसके राज्य की एक प्रजा के रूप में आगे भी आज्ञाकारी रहना चाहते हैं।
अन्य लोग जो कर सकते हैं
धार्मिक रूप से विभाजित परिवारों में रहनेवाले मसीहियों को संगी उपासकों के सहारे और हमदर्दी की ज़रूरत है। यह उस स्त्री के शब्दों से स्पष्ट है, जिसने कहा: “मैं बिलकुल आशाहीन और असहाय महसूस करती हूँ, क्योंकि इसे बदलने के लिए कोई भी कुछ नहीं कर सकता, और मैं भी कुछ नहीं कर सकती। हमारे परिवार में यहोवा की इच्छा पूरी करने के लिए मैं उस पर भरोसा रख रही हूँ, चाहे वह इच्छा जो भी हो।”
मसीही सभाओं में आध्यात्मिक भाई-बहनों के साथ संगति एक शरण-स्थान है। उसी स्त्री ने वर्णन किया कि उसका जीवन “दो अलग-अलग दुनिया की तरह है। एक जिसमें मुझे रहना पड़ता है और एक जिसमें मैं रहना चाहती हूँ।” इन पीड़ित लोगों के लिए भाईचारे का प्रेम ही सभी परिस्थितियों में धीरज धरना और सेवा करना मुमकिन बनाता है। अपनी प्रार्थनाओं में उन्हें शामिल कीजिए। (इफिसियों १:१६) नियमित रूप से, हर अवसर पर, उनसे प्रोत्साहक, सकारात्मक, और सांत्वनादायक बात कीजिए। (१ थिस्सलुनीकियों ५:१४) जब व्यावहारिक और उचित हो, उन्हें अपनी ईश्वरशासित और सामाजिक गतिविधियों में शामिल कीजिए।
ईश्वरीय आज्ञाकारिता की आशिषें और लाभ
एक धार्मिक रूप से विभाजित घर में ईश्वरीय आज्ञाकारिता प्रदर्शित करने की आशिषों और लाभों पर रोज़ मनन कीजिए। आज्ञाकारी होने के लिए सतत कड़ा प्रयास कीजिए। ‘निरुत्साहित न होइए।’ (गलतियों ६:९, NHT) “परमेश्वर के प्रति शुद्ध विवेक के कारण” अप्रीतिकर परिस्थितियों और अन्याय को सहना, परमेश्वर के लिए “प्रशंसा का पात्र है।” (१ पतरस २:१९, २०, NHT) उस हद तक आज्ञाकारी रहिए कि यहोवा के धर्मी सिद्धान्तों और नियमों का समझौता न हो। यह यहोवा के प्रबन्ध के प्रति निष्ठा दिखाता है। आपका धर्म-परायण आचरण आपके साथी, बच्चों, या माता-पिता की जान भी बचा सकता है।—१ कुरिन्थियों ७:१६; १ पतरस ३:१.
जैसे-जैसे आप एक धार्मिक रूप से विभाजित परिवार की माँगों और अपेक्षाओं को पूरा करने का संघर्ष करते हैं, यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह के प्रति खराई रखने के महत्त्व को याद रखिए। आप शायद अनेक मुद्दों पर झुक जाएँ, लेकिन खराई छोड़ देना सब कुछ छोड़ देने के बराबर है, जिसमें जीवन भी शामिल है। प्रेरित पौलुस ने कहा: “परमेश्वर ने . . . इन दिनों के अन्त में हम से पुत्र के द्वारा बातें कीं, जिसे उस ने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उस ने सारी सृष्टि रची है।” इस “महान् उद्धार” को पहचानना, आपको आज्ञाकारी होने के लिए मज़बूत करेगा।—इब्रानियों १:१, २; २:३, NHT.
आपकी अटल आज्ञाकारिता तथा सही नीतियों और सही मूल्यों के लिए दृढ़ता, आपके और आपके अविश्वासी साथी के लिए एक स्वास्थ्यकर सुरक्षा है। वफ़ादारी मज़बूत पारिवारिक बन्धन बनाती है। नीतिवचन ३१:१० एक भली और निष्ठावान पत्नी के बारे में कहता है: “उसके पति के मन में उसके प्रति विश्वास है।” आपका पवित्र आचरण और गहरा आदर आपके अविश्वासी पति की आँखें खोल सकता है। यह उसे परमेश्वर के सत्य को स्वीकार करने की ओर ले जा सकता है।
ईश्वरीय आज्ञाकारिता वाक़ई बहुमूल्य और जीवन-रक्षक है। अपने पारिवारिक जीवन में इसके लिए प्रार्थना कीजिए। यह मन की शान्ति में परिणित होगा और यहोवा को स्तुति लाएगा।