यहोवा के संगठन के साथ निष्ठापूर्वक सेवा करना
“निष्ठावान के साथ तू निष्ठा से व्यवहार करेगा।”—२ शमूएल २२:२६, NW.
१, २. निष्ठा के कौन-से कुछ उदाहरण हैं जिन्हें शायद हम सभी कलीसिया में देखें?
देर शाम तक एक प्राचीन मसीही सभा के लिए एक भाषण की तैयारी करता है। वह चाहता तो है कि रुके और आराम करे; इसके बजाय, वह काम करता रहता है और ऐसे शास्त्रीय उदाहरण और दृष्टांत ढूँढता रहता है, जो दिलों तक पहुँचें और झुंड को प्रोत्साहित करें। सभा की रात को, उसी कलीसिया का एक थका-माँदा जोड़ा घर पर शाम बिताने का मज़ा लेना पसंद करता; इसके बजाय, वे धीरज के साथ अपने बच्चों को तैयार करते और सभा में जाते हैं। सभा के बाद, मसीहियों का एक समूह प्राचीन के भाषण पर चर्चा करता है। एक बहन के मन में आता तो है कि यह बताए कि एक बार इसी भाई ने उसकी भावनाओं को ठेस पहुँचाई थी; इसके बजाय, वह जोश के साथ एक मुद्दे के बारे में बात करती है, जो उस भाई ने बताया था। क्या आप इन दृश्यों को पिरोनेवाली एक ही डोरी को देखते हैं?
२ यह डोरी है निष्ठा। प्राचीन निष्ठा से परमेश्वर के झुण्ड की सेवा के लिए काम करता है; माता-पिता निष्ठा से मसीही सभाओं में उपस्थित होते हैं; यह बहन निष्ठा से प्राचीन का समर्थन करती है। (इब्रानियों १०:२४, २५; १३:१७; १ पतरस ५:२) जी हाँ, जीवन के सभी पहलुओं में, हम परमेश्वर के लोगों को यहोवा के संगठन के साथ निष्ठा से सेवा करने के लिए दृढ़-संकल्प पाते हैं।
३. यह इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है कि हम यहोवा के पार्थिव संगठन के प्रति निष्ठावान बने रहें?
३ जब यहोवा इस भ्रष्ट संसार पर नज़र डालता है, तो वह बहुत कम निष्ठा देखता है। (मीका ७:२) उसका दिल कितना आनंदित होता होगा जब वह अपने लोगों में निष्ठा को देखता है! जी हाँ, ख़ुद आपकी निष्ठा उसे हर्षित करती है। तथापि, यह शैतान, अर्थात् सबसे पहले विद्रोही को क्रोधित करती है, और उसे एक झूठा साबित करती है। (नीतिवचन २७:११; यूहन्ना ८:४४) इसकी अपेक्षा कीजिए कि शैतान, यहोवा और उसके पार्थिव संगठन के प्रति आपकी निष्ठा को कमज़ोर बनाने की कोशिश करेगा। आइए हम उन कुछ तरीक़ों पर ध्यान दें जिनसे शैतान ऐसा करता है। इस प्रकार हम शायद सही तरह देख पाएँ कि कैसे हम अंत तक निष्ठावान बने रह सकते हैं।—२ कुरिन्थियों २:११.
अपरिपूर्णताओं पर ध्यान देना निष्ठा को खा सकता है
४. (क) जो लोग अधिकार-प्राप्त हैं उनके बारे में आलोचनात्मक दृष्टिकोण बना लेना आसान क्यों है? (ख) कोरह यहोवा के संगठन के प्रति निष्ठाहीन कैसे साबित हुआ?
४ जब एक भाई ज़िम्मेदारी के पद पर होता है, तो उसकी ग़लतियाँ शायद और स्पष्ट नज़र आएँ। ‘अपने भाई की आँख के तिनके को देखना लेकिन ख़ुद अपनी आँख के लट्ठे को नज़रअंदाज़ करना’ कितना आसान होता है! (मत्ती ७:१-५) लेकिन, ग़लतियों के बारे में सोचते रहना, निष्ठाहीनता को जन्म दे सकता है। समझने के लिए, कोरह और दाऊद के बीच की विषमता पर ग़ौर कीजिए। कोरह पर काफ़ी ज़िम्मेदारी थी, और वह संभवतः कई वर्षों से निष्ठावान रहा था, लेकिन वह महत्वकांक्षी बन गया। वह अपने चचेरे भाइयों, मूसा और हारून के अधिकार पर खिसियाने लगा। हालाँकि मूसा सब मनुष्यों से बहुत अधिक नम्र स्वभाव का था, प्रत्यक्षतः कोरह ने उसे आलोचनात्मक दृष्टि से देखना शुरू कर दिया। उसने संभवतः मूसा की कमियों को देखा। लेकिन वे कमियाँ, यहोवा के संगठन के प्रति कोरह की निष्ठाहीनता को उचित नहीं ठहरातीं। उसे मण्डली के बीच से नाश कर दिया गया।—गिनती १२:३; १६:११, ३१-३३.
५. शाऊल के खिलाफ़ विद्रोह करने के लिए दाऊद के मन में शायद क्यों आया हो?
५ दूसरी तरफ़, दाऊद ने राजा शाऊल के अधीन काम किया। शाऊल पहले एक अच्छा राजा था, लेकिन बाद में सचमुच दुष्ट बन गया। जलन रखनेवाले शाऊल के हमलों से बचने के लिए दाऊद को विश्वास, धीरज, यहाँ तक कि कुछ चालाकी की भी ज़रूरत थी। फिर भी, जब दाऊद के पास बदला लेने का मौका था, तो उसने कहा कि “यहोवा न करे,” कि वह एक ऐसे व्यक्ति पर हाथ उठाकर निष्ठाहीनता का कोई काम करे जिसे यहोवा ने अभिषिक्त किया था।—१ शमूएल २६:११.
६. हम प्राचीनों में कमज़ोरियाँ या गलतियाँ देंखें तो भी, हमें कभी-भी क्या नहीं करना चाहिए?
६ जब कुछ ऐसे लोग जो हमारी अगुवाई करते हैं परखने में ग़लती करते, कटु वचन बोलते, अथवा पक्ष लेते नज़र आते हैं, तो क्या हम उनके बारे में शिकायत करेंगे, शायद कलीसिया में आलोचनात्मक आत्मा को बढ़ावा देंगे? विरोध प्रकट करने के एक तरीक़े के रूप में क्या हम मसीही सभाओं में नहीं आएँगे? निश्चित ही नहीं! दाऊद की तरह, हम कभी-भी दूसरों की ग़लतियों से ख़ुद को यहोवा और उसके संगठन के प्रति निष्ठाहीन होने नहीं देंगे!—भजन ११९:१६५.
७. यरूशलेम के मंदिर के संबंध में कौन-से कुछ भ्रष्ट कार्य विकसित हुए और यीशु ने इनके बारे में कैसा महसूस किया?
७ निष्ठा का सर्वश्रेष्ठ मानवीय उदाहरण यीशु मसीह था, जिसका वर्णन भविष्यसूचक रूप से यहोवा का “निष्ठावान जन” किया गया है। (भजन १६:१०, NW) यरूशलेम में मंदिर के भ्रष्ट दुरुपयोग ने निष्ठा को ज़रूर एक चुनौती बना दिया होगा। यीशु जानता था कि महायाजक के कार्य और बलिदानों ने उसकी अपनी सेवकाई और बलिदान-रूपी मृत्यु को पूर्वचित्रित किया था, और वह यह जानता था कि लोगों का इनसे सीखना कितना ज़रूरी था। सो वह धर्मी क्रोध से भर गया जब उसने देखा कि मंदिर “डाकुओं की खोह” बन गया था। परमेश्वर-प्रदत्त अधिकार के साथ, उसने उसे साफ़ करने के लिए दो बार क़दम उठाए।a—मत्ती २१:१२, १३; यहून्ना २:१५-१७.
८. (क) यीशु ने मंदिर प्रबंध के प्रति कैसे निष्ठा दिखाई? (ख) हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम यहोवा के शुद्ध संगठन के साथ उसकी उपासना करने की क़दर करते हैं?
८ फिर भी, यीशु ने निष्ठापूर्वक मंदिर प्रबंध का समर्थन किया। बचपन से ही, वह मंदिर में त्यौहारों पर उपस्थित हुआ और अकसर वहाँ शिक्षा दी। यहाँ तक कि उसने मंदिर का कर भी दिया—हालाँकि वह ऐसा करने के लिए वाक़ई बाध्य नहीं था। (मत्ती १७:२४-२७) यीशु ने ग़रीब विधवा की “अपनी सारी जीविका” मंदिर की दान पेटी में डालने के लिए सराहना की। उसके थोड़े समय बाद ही, यहोवा ने स्थायी रूप से मंदिर को ठुकरा दिया। लेकिन तब तक, यीशु उसके प्रति निष्ठावान रहा। (मरकुस १२:४१-४४; मत्ती २३:३८) यहोवा का पार्थिव संगठन आज यहूदी व्यवस्था से उसके मंदिर सहित कहीं ज़्यादा श्रेष्ठ है। यह सच है कि यह परिपूर्ण नहीं है; इसीलिए समय-समय पर समंजन किए जाते हैं। लेकिन ना ही यह भ्रष्टाचार से भरा है, और ना ही यहोवा इसे बदलनेवाला है। किसी-भी अपरिपूर्णता को, जो हम इसमें देखते हैं ख़ुद को कड़वाहट से भरने देने या एक कटु, नकारात्मक आत्मा धारण करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। इसके बजाय, आइए हम यीशु मसीह की निष्ठा का अनुकरण करें।—१ पतरस २:२१.
हमारी अपनी अपरिपूर्णताएँ
९, १०. (क) निष्ठाहीन आचरण के लिए हमें प्रलोभित करने के लिए शैतान की रीति-व्यवस्था किस तरह हमारी अपरिपूर्णताओं का फ़ायदा उठाती है? (ख) एक व्यक्ति को जिसने एक गंभीर अपराध किया है क्या करना चाहिए?
९ शैतान भी हमारी अपरिपूर्णता का फ़ायदा उठाने के द्वारा निष्ठाहीनता को बढ़ाने की कोशिश करता है। उसकी रीति-व्यवस्था हमारी कमज़ोरियों का फ़ायदा उठाती है, और यहोवा की नज़रों में जो ग़लत है उसे करने के लिए हमें प्रलोभित करती है। अफ़सोस की बात है कि प्रत्येक वर्ष हज़ारों लोग अनैतिकता के शिकार हो जाते हैं। कुछ लोग दोहरा जीवन जीने के द्वारा इस निष्ठाहीनता को बढ़ा लेते हैं, वे ग़लत काम करते रहते हैं जबकि वफ़ादार मसीही होने का नाटक भी करते रहते हैं। इस विषय पर सजग होइए! में “युवा लोग पूछते हैं . . . ” की श्रंखला के लेखों के जवाब में एक युवती ने लिखा: “लेख मेरी ज़िंदगी की कहानी था।” चोरी-छुपे उसने ऐसे युवकों के साथ दोस्ती बढ़ा ली थी जिन्हें यहोवा से कोई प्रेम नहीं था। इसका नतीजा? वह लिखती है: “मेरी ज़िंदगी गड्ढे में चली गई, और मैं अनैतिकता में फँस गई और मुझे अनुशासित किया जाना पड़ा। यहोवा के साथ मेरा संबंध नष्ट हो गया था, और मेरे माता-पिता और प्राचीनों का भरोसा मुझ पर से उठ गया था।”b
१० इस युवती ने प्राचीनों से मदद पायी और यहोवा की निष्ठावान सेवा में वापस आ गई। लेकिन दुःख की बात है कि अनेक लोग इससे भी बदतर परिणाम झेलते हैं, और कई लोग कभी-भी झुण्ड में वापस नहीं आते। इस दुष्ट संसार में निष्ठावान बने रहना और प्रलोभनों का विरोध करना कितना बेहतर है! सांसारिक संगति और भ्रष्ट मनोरंजन जैसे विषयों पर प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं में दी गई चेतावनियों पर ध्यान दीजिए। ऐसा हो कि आप निष्ठाहीन आचरण में कभी-भी न फँसें। लेकिन यदि आप फँस जाते हैं, तो कभी वह दिखाने का नाटक मत कीजिए जो आप नहीं हैं। (भजन २६:४) इसके बजाय, सहायता माँगिए। मसीही माता-पिता और प्राचीन इसीलिए होते हैं।—याकूब ५:१४.
११. ख़ुद को एकदम दुष्ट समझ लेना ग़लत क्यों होगा, और कौन-सा बाइबलीय पूर्वोदाहरण हमें अपना दृष्टिकोण ठीक करने में मदद कर सकता है?
११ हमारी अपरिपूर्णताएँ शायद दूसरे तरीक़े से हमें ख़तरे में डालें। कुछ लोग जो निष्ठाहीनता का कोई काम करते हैं वे यहोवा को प्रसन्न करने की कोशिश करना छोड़ देते हैं। याद रखिए, दाऊद ने बहुत गंभीर पाप किए थे। फिर भी, दाऊद की मृत्यु के बहुत समय बाद, यहोवा ने उसे एक वफ़ादार सेवक के रूप में याद किया। (इब्रानियों ११:३२; १२:१) क्यों? क्योंकि उसने यहोवा को प्रसन्न करने की कोशिश करना कभी-भी नहीं छोड़ा। नीतिवचन २४:१६ कहता है: “क्योंकि धर्मी चाहे सात बार गिरे तौभी उठ खड़ा होता है।” निश्चित ही, किसी ऐसी कमज़ोरी के कारण जिससे हम लड़ रहे हैं यदि हम छोटे-छोटे पापों में गिरते हैं—जी हाँ बारबार—तो हम यहोवा की नज़रों में अभी-भी धर्मी हो सकते हैं यदि हम ‘उठ खड़े हों’—यानी, सच्चे मन से पश्चाताप करें और निष्ठापूर्ण सेवा के मार्ग पर चलना जारी रखें।—२ कुरिन्थियों २:७ से तुलना कीजिए।
निष्ठाहीनता के छलपूर्ण रूपों से सावधान रहिए!
१२. फरीसियों के मामले में, एक लकीर का फ़कीर, न्यायवादी दृष्टिकोण निष्ठाहीनता की ओर कैसे ले गया?
१२ निष्ठाहीनता के छलपूर्ण रूप भी होते हैं। यह शायद निष्ठा का मुखौटा भी लगा ले! उदाहरण के लिए, यीशु के समय के फरीसियों ने ख़ुद को शायद उत्कृष्ट रूप में निष्ठावानc समझा होगा। लेकिन वे निष्ठावान होने और हठीले रूप से मानव-निर्मित नियमों पर चलनेवाले के बीच फ़र्क नहीं देख पाए, क्योंकि वे लकीर के फ़कीर और कठोर रूप से दोष लगानेवाले थे। (सभोपदेशक ७:१६ से तुलना कीजिए।) इस बात में वे वास्तव में निष्ठाहीन थे—व्यवस्था की सच्ची भावना के प्रति जिसे सिखाने का वे दावा करते थे, उन लोगों के प्रति जिन की सेवा उन्हें करनी चाहिए थी, और ख़ुद यहोवा के प्रति। लेकिन इसके विपरीत, यीशु उस व्यवस्था की सच्ची भावना के प्रति निष्ठावान था, जो प्रेम पर आधारित थी। अतः उसने लोगों को दृढ़ और प्रोत्साहित किया जैसा कि मसीहायी भविष्यवाणियों ने पूर्वबताया था।—यशायाह ४२:३; ५०:४; ६१:१, २.
१३. (क) मसीही माता-पिता कैसे निष्ठाहीन हो सकते हैं? (ख) अपने बच्चों को अनुशासित करने में माता-पिता कैसे हद से ज़्यादा कठोर, आलोचनात्मक, या नकारात्मक हो सकते हैं?
१३ अधिकार-प्राप्त मसीही इस संबंध में यीशु के आदर्श उदाहरण से बहुत लाभ उठाते हैं। उदाहरण के लिए, निष्ठावान माता-पिता जानते हैं कि उन्हें अपने बच्चों को अनुशासित करना ज़रूरी है। (नीतिवचन १३:२४) फिर भी वे ये निश्चित करते हैं कि वे अपने युवा जनों को ग़ुस्से में कठोर अनुशासन देने या लगातार आलोचना करने से रिस न दिलाएँ। वे बच्चे जो ऐसा महसूस करते हैं कि वे कभी-भी अपने माता-पिता को ख़ुश नहीं कर सकते या जो महसूस करते हैं कि उनके माता-पिता का धर्म उन्हें नकारात्मक और कटु बना रहा है तो शायद वे निराश हो जाएँ, और जिसके परिणामस्वरूप वे आख़िरकार सच्चे विश्वास से विमुख हो जाएँ।—कुलुस्सियों ३:२१.
१४. मसीही चरवाहे कैसे उस झुण्ड के प्रति निष्ठावान साबित हो सकते हैं जिसकी वे सेवा करते हैं?
१४ इसी प्रकार, मसीही प्राचीन और सफ़री ओवरसियर उन समस्याओं और ख़तरों पर ध्यान देते हैं जिनका सामना झुण्ड करता है। निष्ठावान चरवाहों के रूप में, जब भी ज़रूरत पड़ती है वे सलाह देते हैं। वे इससे पहले यह निश्चित करते हैं कि उनके पास सभी तथ्य हैं और वे जो बोलते हैं उसे ध्यानपूर्वक बाइबल पर या संस्था के प्रकाशनों पर आधारित करते हैं। (भजन ११९:१०५; नीतिवचन १८:१३) वे यह भी जानते हैं कि आध्यात्मिक प्रोत्साहन और पोषण के लिए भेड़ उन पर निर्भर करती हैं। सो वे उत्तम चरवाहे, यीशु मसीह का अनुकरण करने की खोज में रहते हैं। वे हर सप्ताह मसीही सभाओं में निष्ठावान रूप से भेड़ों की सेवा करते हैं—वे उन्हें गिराते नहीं बल्कि उन्हें प्रोत्साहित करते और उनके विश्वास को मज़बूत करते हैं—मत्ती २०:२८; इफिसियों ४:११, १२; इब्रानियों १३:२०, २१.
१५. प्रथम शताब्दी में कुछ लोगों ने कैसे यह दिखाया कि उनकी निष्ठा अनुचित थी?
१५ निष्ठाहीनता का एक और छलपूर्ण रूप अनुचित निष्ठा है। बाइबल के अर्थ में सच्ची निष्ठा हमें यहोवा परमेश्वर के प्रति हमारी निष्ठा से आगे किसी भी भक्ति को रखने की अनुमति नहीं देती। प्रथम शताब्दी में अनेक यहूदी हठीले रूप से मूसा की व्यवस्था और यहूदी रीति-व्यवस्था से चिपके रहे। लेकिन उस विद्रोही राष्ट्र से आशिष हटाकर उसे आत्मिक इस्राएल को देने का यहोवा का समय आ गया था। तुलनात्मक रूप से ऐसे बहुत कम लोग थे जो यहोवा के प्रति निष्ठावान थे और जिन्होंने इस महत्त्वपूर्ण परिवर्तन के अनुरूप ख़ुद को ढाला। यहाँ तक कि सच्चे मसीहियों में भी, कुछ यहूदी मत-समर्थकों ने मूसा की व्यवस्था की उन “निर्बल और निकम्मी आदि-शिक्षा की बातों” की ओर फिरने का हठ किया, जो मसीह में पूरी हो चुकी थीं।—गलतियों ४:९; ५:६-१२; फिलिप्पियों ३:२, ३.
१६. समंजनों के प्रति यहोवा के निष्ठावान सेवक कैसी प्रतिक्रिया दिखाते हैं?
१६ इसकी विषमता में, आधुनिक समय में यहोवा के लोगों ने परिवर्तनों के समय के दौरान ख़ुद को निष्ठावान साबित किया है। जैसे-जैसे प्रकट सच्चाई का प्रकाश और अधिक अधिक बढ़ता जा रहा है, समंजन किए जा रहे हैं। (नीतिवचन ४:१८) हाल ही में, “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने मत्ती २४:३४ में प्रयोग की गई अभिव्यक्ति “पीढ़ी” तथा मत्ती २५:३१-४६ में बताए गए “भेड़” और “बकरियों” के न्याय के समय की हमारी समझ, साथ ही कुछ प्रकार की असैन्य सेवाओं के बारे में हमारे दृष्टिकोण को बेहतर बनाने में मदद की है। (मत्ती २४:४५) इसमें कोई संदेह नहीं कि कुछ धर्मत्यागियों को बहुत ही ख़ुशी होती यदि अनेक यहोवा के साक्षी हठीले रूप से पिछली समझ से जुड़े रहते और उन्नति करने से इनकार कर देते। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। क्यों? क्योंकि यहोवा के लोग निष्ठावान हैं।
१७. कभी-कभी प्रिय जन हमारी निष्ठा को परीक्षा में कैसे डाल सकते हैं?
१७ लेकिन अनुचित निष्ठा का हम पर व्यक्तिगत रूप से प्रभाव पड़ सकता है। एक प्रिय मित्र या यहाँ तक कि परिवार का एक सदस्य जब ऐसा मार्ग अपनाता है जो बाइबल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, तब हम शायद ऐसा महसूस करें कि हमारी निष्ठा विभाजित हो रही है। यह स्वाभाविक है कि हम पारिवारिक सदस्यों के प्रति निष्ठा महसूस करते हैं। लेकिन हमें इनके प्रति हमारी भक्ति को यहोवा के प्रति हमारी निष्ठा से कभी-भी आगे नहीं रखना चाहिए! (१ शमूएल २३:१६-१८ से तुलना कीजिए।) ना तो हम ग़लत काम करनेवालों के किसी गंभीर पाप को छुपाने में मदद करेंगे, ना ही हम उनका पक्ष लेकर उन प्राचीनों के विरुद्ध होंगे जो ‘नम्रता की आत्मा में ऐसे को संभालते हैं।’ (गलतियों ६:१) ऐसा करना यहोवा, उसके संगठन, और प्रिय जन के प्रति निष्ठाहीनता होगी। आख़िरकार, एक पापी के और उस ज़रूरी अनुशासन के बीच खड़ा होना जिसकी उसे ज़रूरत है, वास्तव में उस तक पहुँचनेवाली यहोवा के प्रेम की अभिव्यक्ति के बीच एक रोड़ा होगा। (इब्रानियों १२:५-७) यह भी याद रखिए कि “जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह विश्वास योग्य हैं।” (नीतिवचन २७:६) परमेश्वर के वचन पर आधारित साफ़, प्रेममय सलाह, ग़लत काम करनेवाले प्रियजन के अहंकार को ठेस तो पहुँचा सकती है, लेकिन आगे चलकर यह जीवनरक्षक साबित हो सकती है!
निष्ठा सताहट में भी बनी रहती है
१८, १९. (क) अहाब, नाबोत से क्या चाहता था, और नाबोत ने इनकार क्यों किया? (ख) नाबोत ने अपनी निष्ठा की जो क़ीमत चुकाई क्या वह उचित थी? समझाइए।
१८ हमारी निष्ठा पर शैतान कभी-कभी सीधा हमला करता है। नाबोत के मामले पर ग़ौर कीजिए। जब राजा अहाब ने उस पर अपनी दाख की बारी बेचने का दबाव डाला, तो उसने जवाब दिया: “यहोवा न करे कि मैं अपने पुरखाओं का निज भाग तुझे दूं।” (१ राजा २१:३) नाबोत हट नहीं कर रहा था; वह निष्ठावान बना रहा। मूसा की व्यवस्था ने आज्ञा दी थी कि कोई भी इस्राएली सदा के लिए अपनी निज भूमि न बेचे। (लैव्यव्यवस्था २५:२३-२८) नाबोत निश्चित ही जानता था कि यह दुष्ट राजा उसे मरवा सकता था, क्योंकि अहाब ने अपनी पत्नी ईज़ेबेल को यहोवा के अनेक भविष्यवक्ताओं को मारने दिया था! तो भी नाबोत दृढ़ रहा।—१ राजा १८:४.
१९ कई बार निष्ठा की क़ीमत चुकानी पड़ती है। ईज़ेबेल ने कुछ “नीच जनों” की सहायता से नाबोत को ऐसे अपराध में फँसा दिया जो उसने नहीं किया था। परिणामस्वरूप उसे और उसके पुत्रों को मरवा डाला गया। (१ राजा २१:७-१६; २ राजा ९:२६) क्या इसका यह अर्थ है कि नाबोत की निष्ठा अनुचित थी? जी नहीं! नाबोत उन अनेक निष्ठावान पुरुष और स्त्रियों में से है जो इस वक़्त यहोवा की याद में ‘जीवित’ हैं और पुनरुत्थान तक सुरक्षित रूप से क़ब्र में सो रहे हैं।—लूका २०:३८; प्रेरितों २४:१५.
२०. आशा हमें निष्ठा बनाए रखने में कैसे मदद कर सकती है?
२० यही प्रतिज्ञा आज यहोवा के निष्ठावान जनों को आश्वासन देती है। हम जानते हैं कि इस संसार में हमें अपनी निष्ठा की भारी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है। यीशु मसीह ने अपनी निष्ठा की क़ीमत अपनी जान देकर चुकाई थी, और उसने अपने अनुयायियों को बताया था कि उसके साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया जाएगा। (यूहन्ना १५:२०) जैसे भविष्य के बारे में उसकी आशा ने उसे संभाले रखा, सो हमारी आशा भी हमें संभाले रखती है। (इब्रानियों १२:२) इस प्रकार हम कैसी भी सताहट के सामने निष्ठावान बने रह सकते हैं।
२१. यहोवा अपने निष्ठावान जनों को क्या आश्वासन प्रस्तुत करता है?
२१ सच है, तुलनात्मक रूप से हममें से कम लोग ही अपनी निष्ठा पर ऐसे सीधे आक्रमणों से पीड़ित होते हैं। लेकिन परमेश्वर के लोग शायद अंत आने से पहले ज़्यादा सताहट का सामना करें। हम यह कैसे निश्चित कर सकते हैं कि हम अपनी निष्ठा बनाए रखें? अभी अपनी निष्ठा बनाए रखने के द्वारा। यहोवा ने हमें उसके राज्य के बारे में प्रचार करने और सिखाने की महान नियुक्ति दी है। आइए हम निष्ठापूर्वक इस अनिवार्य कार्य में लगे रहें। (१ कुरिन्थियों १५:५८) यदि हम मानव अपरिपूर्णता को यहोवा के संगठन के प्रति हमारी निष्ठा को नष्ट करने नहीं देते और यदि हम निष्ठा के छलपूर्ण रूप, जैसे अनुचित निष्ठा, के प्रति सावधान रहते हैं तो जब हमारी निष्ठा की और कड़ाई से परीक्षा होगी तब हम अच्छी तरह तैयार होंगे। चाहे जो भी हो, हमें हमेशा इस बात के बारे में आश्वस्त रहना चाहिए कि यहोवा अपने निष्ठावान सेवकों के प्रति सर्वदा निष्ठावान बना रहता है। (२ शमूएल २२:२६) जी हाँ, वह अपने निष्ठावान जनों की रक्षा करेगा!—भजन ९७:१०.
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a यीशु ऐसे एक व्यापारिक कारोबार पर आक्रमण करने में साहसी था। एक इतिहासकार के अनुसार, मंदिर का कर एक ख़ास प्राचीन यहूदी सिक्के में अदा किया जाना था। इसलिए अनेक आगंतुकों को कर देने के लिए अपने पैसे को बदलने की ज़रूरत होती थी। सर्राफों को इसे बदलने के लिए एक निश्चित शुल्क लेने की अनुमति थी, और इससे बहुत रक़म कमायी जाती थी।
b दिसंबर २२, १९९३; जनवरी ८, १९९४; और जनवरी २२, १९९४ की सजग होइए! (अंग्रेज़ी) देखिए।
c उनका भातृसंघ हसीदियों से शुरू हुआ। यह समूह शताब्दियों पहले यूनानी प्रभाव से लड़ने के लिए खड़ा हुआ था। हसीदियों ने अपना नाम इब्रानी शब्द ख़ासीदीम, से लिया था, जिसका अर्थ है “निष्ठावान जन” या “धर्मी जन।” संभवतः उन्होंने सोचा कि शास्त्र जिन्हें यहोवा के “निष्ठावान जनों” के रूप में सूचित करता है वह एक ख़ास तरीक़े से उन पर लागू होता है। (भजन ५०:५) वे, और उनके बाद फरीसी, व्यवस्था में लिखी बातों के हठधर्मी, स्वयं-नियुक्त रक्षक थे।
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ दूसरों की अपरिपूर्णता को निष्ठाहीनता की ओर ले जाने से हम कैसे दूर रह सकते हैं?
◻ किन तरीक़ों से हमारी अपनी अपरिपूर्णताएँ हमें निष्ठाहीन आचरण की ओर ले जा सकती हैं?
◻ अनुचित निष्ठा रखने की प्रवृत्ति का हम कैसे विरोध कर सकते हैं?
◻ सताहट के समय में भी अपनी निष्ठा बनाए रखने में क्या बात हमारी मदद करेगी?
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बेथेल में निष्ठापूर्वक सेवा
“सारी बातें सभ्यता और क्रमानुसार की जाएं।” प्रेरित पौलुस ने ऐसा लिखा। (१ कुरिन्थियों १४:४०) पौलुस जानता था कि एक कलीसिया का कार्य चलाने के लिए, संगठन की ज़रूरत होगी, “क्रमानुसार” कार्य करने की ज़रूरत होगी। उसी तरह आज भी, प्राचीनों को व्यावहारिक मामलों में निर्णय लेने की ज़रूरत होती है, जैसे विभिन्न पुस्तक अध्ययन क्षेत्रों के लिए कलीसिया के सदस्यों को नियुक्त करना, क्षेत्र सेवा के लिए सभा का प्रबंध करना, और क्षेत्र के पूरा होने की जाँच करना। ऐसे प्रबंध कई बार निष्ठा की परीक्षा खड़ी कर सकते हैं। ये ईश्वर-प्रेरित आज्ञाएँ नहीं हैं, और यह सब लोगों की पसंद के अनुसार नहीं हो सकतीं।
क्या आपको कई बार मसीही कलीसिया में किए गए कुछ व्यवहारिक प्रबंधों के प्रति निष्ठावान रहना चुनौतीपूर्ण लगता है? यदि ऐसा है तो शायद आप बेथेल के उदाहरण को सहायक पाएँ। बेथेल, एक इब्रानी अभिव्यक्ति जिसका अर्थ है “परमेश्वर का भवन,” वॉच टावर सोसाइटी की सभी १०४ शाखाओं को दिया गया नाम है, जिसमें अमरीका का मुख्यालयd भी शामिल है। जो स्वयंसेवी इन बेथेल अहातों में रहते और काम करते हैं वे चाहते हैं कि ये क्षेत्र यहोवा के प्रति श्रद्धा और भय प्रकट करें। यह हरेक व्यक्ति से निष्ठा की माँग करता है।
जब बेथेल में भेंट करनेवाले वहाँ की व्यवस्था और स्वच्छता को देखते हैं तब उसके बारे में अकसर टिप्पणी करते हैं। कार्यकर्ता संगठित और ख़ुश होते हैं; उनकी बोल-चाल और शिष्टाचार, और यहाँ तक कि उनका बनाव-श्रंगार भी परिपक्व, बाइबल-प्रशिक्षित मसीही अंतःकरणों को प्रदर्शित करता है। बेथेल परिवार के सभी सदस्य परमेश्वर के वचन के स्तरों का निष्ठापूर्वक पालन करते हैं।
इसके साथ-साथ, शासी निकाय उन्हें एक नियम पुस्तिका देता है जिसका शीर्षक है एकता में मिलकर रहना (अंग्रेज़ी), जो नम्रतापूर्वक ऐसे एक बड़े परिवार के एक साथ मिलकर अच्छी तरह कार्य करने के लिए कुछ व्यवहारिक प्रबंध प्रस्तुत करती है। (भजन १३३:१) उदाहरण के लिए, इसमें आवास, भोजन, स्वच्छता, पोशाक और सजने-सँवरने, और इसी प्रकार के मामलों के बारे में बताया गया है। बेथेल परिवार के सदस्य निष्ठापूर्वक ऐसे प्रबंधों का समर्थन और अनुकरण करते हैं, तब भी जब शायद उनकी व्यक्तिगत पसंद उन्हें किसी और दिशा की ओर ले जाना चाहे। वे इस नियम पुस्तिका को कठोर नियमों और आदेशों की एक पोथी नहीं समझते, बल्कि एकता और सामंजस्य को बढ़ावा देनेवाले एक लाभदायक मार्गदर्शक के रूप में देखते हैं। ओवरसियर इन बाइबल-आधारित कार्यविधियों का निष्ठापूर्वक समर्थन करते हैं, और वे बेथेल सदस्यों को अपनी पवित्र बेथेल सेवा का पीछा करने में सकारात्मक रूप से प्रोत्साहित करने के लिए इन कार्यविधियों का प्रयोग करते हैं।
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d ये फैक्ट्री, दफ़्तर, और आवासी अहाते परमेश्वर का महान आत्मिक मंदिर, या भवन नहीं हैं। परमेश्वर का आत्मिक मंदिर पवित्र उपासना के लिए उसका प्रबंध है। (मीका ४:१) ऐसा होने की वज़ह से वह पृथ्वी पर किसी भौतिक संरचना तक सीमित नहीं है।
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निष्ठावादी और विधिवादी
वर्ष १९१६ में, धर्म और नैतिक नियमों के विश्वकोश (अंग्रेज़ी) से नोट किया कि “निष्ठावादियों और विधिवादियों के बीच यह भिन्नता हर समय और जगहों में पाई जा सकती है।” इसने समझाया: “विधिवादी वह है जो वही करता है जो उसे बताया गया है, जो कोई नियम नहीं तोड़ता; वह लिखित वचन के प्रति वफ़ादार रहता है। निष्ठावादी वह है जो ऐसा भी करता है लेकिन . . . इससे ज़्यादा करने के लिए उस पर भरोसा किया जा सकता है, वह अपने पूरे मन से अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करता है, जो अपने अंतरंग को उस कार्य के उद्देश्य की आत्मा में ढाल देता है जिसे पूरा किया जाना है।” आगे, यही विश्वकोश कहता है: “निष्ठावान होना विधि-पालक होने से कहीं अधिक होना है . . . एक निष्ठावान व्यक्ति एक विधि-पालक व्यक्ति से इस तरह भिन्न है। वह अपने पूरे हृदय और मन से सेवा करता है . . . वह जो करना है उसे न करने का पाप, जो नहीं करना उसे करने का पाप, या अज्ञानता के कारण कोई भी पाप नहीं करता।”