यहोवा का दास—“हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया”
“वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; . . . कि उसके कोड़े खाने से हम लोग चंगे हो जाएं।”—यशा. 53:5.
1. स्मारक दिन मनाते वक्त हमें किन बातों को याद रखना चाहिए और कौन-सी भविष्यवाणी इसमें हमारी मदद करेगी?
हम यीशु की मौत की यादगार में स्मारक दिन मनाते हैं। इस दिन हम याद करते हैं कि उसकी मौत और पुनरुत्थान से क्या कुछ मुमकिन हुआ। स्मारक दिन हमें याद दिलाता है कि यीशु ने किस तरह यहोवा की हुकूमत बुलंद की और उसके नाम पर लगे कलंक को मिटाया। साथ ही उसने कैसे परमेश्वर के मकसद को पूरा किया, जिसमें हम इंसानों का उद्धार भी शामिल था। यशायाह 53:3-12 में मसीह के बारे में की गयी भविष्यवाणी, हमें उसके बलिदान और उससे जो मुमकिन हुआ है, उसकी बढ़िया समझ देती है। शायद ही कोई और भविष्यवाणी इतनी अच्छी समझ दे। यशायाह ने बारीक-से-बारीक जानकारी देकर यह बताया कि दास को सताया जाएगा और मसीह के तौर पर कैसे उसकी मौत होगी। और यह भी बताया कि उसकी मौत से अभिषिक्त भाइयों और “अन्य भेड़ों” को कौन-सी आशीषें मिलेंगी।—यूह. 10:16, NW.
2. यशायाह की भविष्यवाणी क्या ज़ाहिर करती है और इसका हम पर क्या असर होगा?
2 यीशु के जन्म से करीब सात सौ साल पहले यहोवा ने यशायाह को अपने इस चुने हुए दास के बारे में यह लिखने को उभारा कि वह अपनी ज़िंदगी की सबसे कठिन घड़ी में भी वफादारी से नहीं डगमगाएगा। यहोवा ने यह भविष्यवाणी करवाकर ज़ाहिर कर दिया कि उसे अपने बेटे की वफादारी पर रत्ती भर भी शक नहीं था। जब हम इस भविष्यवाणी की जाँच करेंगे तो उनके लिए हमारा प्यार गहरा होगा और विश्वास भी मज़बूत होगा।
“तुच्छ” समझा और “उसका मूल्य न जाना”
3. यहूदियों को यीशु का स्वागत क्यों करना चाहिए था, लेकिन वे उसके साथ कैसे पेश आए?
3 यशायाह 53:3 पढ़िए। ज़रा सोचिए, परमेश्वर के इकलौते बेटे के लिए अपने पिता का साथ छोड़कर धरती पर आना और इंसानों को पाप और मौत से छुटकारा दिलाने के लिए अपनी जान कुरबान करना, क्या आसान रहा होगा? (फिलि. 2:5-8) मूसा की कानून-व्यवस्था के तहत चढ़ाए जानेवाले जानवरों के बलिदान, सिर्फ आनेवाली बातों की एक छाया थे, पापों की सच्ची माफी तो असल में यीशु की कुरबानी से मुमकिन होती। (इब्रा. 10:1-4) तो क्या यहूदियों को उस वादा किए गए मसीहा का स्वागत और आदर-सम्मान नहीं करना चाहिए था, जिसके आने का वे बरसों से इंतज़ार कर रहे थे? (यूह. 6:14) इसके उलट, जैसा कि यशायाह ने कहा था, यहूदियों ने उसे “तुच्छ” समझा और “उसका मूल्य न जाना।” प्रेरित यूहन्ना ने मसीह के बारे में लिखा: “वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया।” (यूह. 1:11) प्रेरित पतरस ने यहूदियों से कहा: “हमारे बापदादों के परमेश्वर ने अपने सेवक यीशु की महिमा की, जिसे तुम ने पकड़वा दिया, और जब पीलातुस ने उसे छोड़ देने का विचार किया, तब तुम ने उसके साम्हने उसका इन्कार किया। तुम ने उस पवित्र और धर्मी का इन्कार किया।”—प्रेरि. 3:13, 14.
4. यीशु की ‘रोग से जान पहिचान’ कैसे हुई?
4 यशायाह ने यह भविष्यवाणी भी की कि यीशु की ‘रोग से जान पहिचान’ होगी। हालाँकि बाइबल यह नहीं बताती कि यीशु कभी बीमार पड़ा था, मगर सेवा के दौरान वह कुछ मौकों पर थक ज़रूर गया था। (यूह. 4:6) प्रचार के दौरान उसकी मुलाकात बीमार लोगों से भी हुई, जिसकी वजह से वह बीमारी को जान सका। उसे ऐसे लोगों पर तरस आया और उसने उन्हें चंगा किया। (मर. 1:32-34) इस तरह यीशु ने यह भविष्यवाणी पूरी की: “निश्चय उस ने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया।”—यशा. 53:4; मत्ती 8:16, 17.
मानो “परमेश्वर का मारा-कूटा”
5. कई यहूदियों ने यीशु की मौत को किस नज़र से देखा और इससे उसकी तकलीफ कैसे और बढ़ गयी?
5 यशायाह 53:4ख पढ़िए। यीशु के समय के कई यहूदी यह समझ नहीं पाए कि क्यों यीशु को इतना दुख सहना और बुरी मौत मरना पड़ा। उनके मुताबिक यहोवा उसे सज़ा दे रहा था। (मत्ती 27:38-44) यहूदियों ने तो यीशु पर परमेश्वर की निंदा करने का भी इलज़ाम लगाया। (मर. 14:61-64; यूह. 10:33) मगर यीशु ना तो पापी था, ना ही उसने परमेश्वर की निंदा की थी। लेकिन अपने पिता की निंदा करने का जो इलज़ाम उस पर लगाया गया, वह वाकई उसकी बरदाश्त के बाहर होगा, जिससे उसकी तकलीफ और भी बढ़ गयी होगी क्योंकि उसे अपने पिता से बेहद प्यार था। इसके बावजूद उसने यहोवा की मरज़ी पूरी की और उसके अधीन रहा।—मत्ती 26:39.
6, 7. किस मायने में यहोवा ने अपने वफादार दास को ‘कुचलने’ दिया, और यह बात उसे कैसे भायी?
6 यशायाह की यह भविष्यवाणी तो समझ में आती है कि लोग मसीह को “परमेश्वर का मारा-कूटा” समझेंगे। लेकिन यह बात समझ में नहीं आती कि एक तरफ तो यहोवा कहता है: “मेरे दास को देखो . . . मेरे चुने हुए को, जिस से मेरा जी प्रसन्न है।” (यशा. 42:1) और वहीं दूसरी तरफ भविष्यवाणी कहती है कि ‘यहोवा को भाया कि उसे कुचला जाए।’ (यशा. 53:10) आखिर जिस दास से उसका जी प्रसन्न था, उसे कुचलना यहोवा को कैसे भाया या खुशी मिली?
7 भविष्यवाणी के इस हिस्से को समझने के लिए हमें याद रखना है कि शैतान ने परमेश्वर की हुकूमत करने के हक पर सवाल खड़ा किया है। और इस तरह उसने स्वर्ग और धरती पर उसके सभी सेवकों की वफादारी पर उँगली उठायी। (अय्यू. 1:9-11; 2:3-5) अपनी आखिरी साँस तक वफादारी दिखाकर यीशु ने शैतान के सवाल का मुँहतोड़ जवाब दिया। भले ही परमेश्वर ने मसीह को उसके दुश्मनों के हाथों मरने दिया, मगर इसमें कोई शक नहीं कि अपने चुने हुए दास की मौत पर वह तड़प उठा होगा। लेकिन जिस तरह यह दास मरते दम तक पूरी तरह वफादार रहा, उससे यहोवा का दिल बहुत आनंदित हुआ। (नीति. 27:11) यही नहीं, उसके बेटे की मौत से पश्चाताप करनेवाले इंसानों को कितने फायदे होंगे, यह जानकर यहोवा को और भी खुशी हुई।—लूका 15:7.
“हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया”
8, 9. (क) यीशु किस तरह हमारे “अपराधों के कारण घायल किया गया”? (ख) पतरस ने इस बात को कैसे पुख्ता किया?
8 यशायाह 53:6 पढ़िए। इंसान आदम से मिले पाप और मौत से छुटकारा पाने के लिए ऐसे भटक रहे हैं, जैसे खोयी हुई भेड़ भटकती है। (1 पत. 2:25) आदम ने जो गँवाया, उसे उसकी कोई भी असिद्ध संतान हासिल नहीं कर सकती। (भज. 49:7) मगर इंसानों के लिए प्यार होने की वजह से “यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर” यानी अपने प्यारे बेटे और चुने हुए दास पर “लाद दिया।” यह बेटा, “हमारे ही अपराधों के कारण घायल” और ‘हमारे अधर्म के कामों के लिए कुचले’ जाने को राज़ी हुआ। इस तरह उसने हमारे पापों को खुद पर उठा लिया और हमारे बदले सूली पर चढ़ गया।
9 प्रेरित पतरस ने लिखा: “तुम इसी के लिये बुलाए भी गए हो क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिये दुख उठाकर, तुम्हें एक आदर्श दे गया है, कि तुम भी उसके चिन्ह पर चलो। वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिए हुए क्रूस पर चढ़ गया, जिस से हम पापों के लिये मर करके धार्मिकता के लिये जीवन बिताएं।” इसके बाद, यशायाह की भविष्यवाणी का हवाला देते हुए पतरस ने कहा: “उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए।” (1 पत. 2:21, 24; यशा. 53:5) यीशु के बलिदान से पापियों के लिए परमेश्वर के साथ मेल-मिलाप का रास्ता खुल गया, जैसा कि पतरस आगे कहता है: “मसीह ने भी, अर्थात् अधर्मियों के लिये धर्मी ने पापों के कारण एक बार दुख उठाया, ताकि हमें परमेश्वर के पास पहुंचाए।”—1 पत. 3:18.
‘मेम्ना बध होने को लाया जाता है’
10. (क) यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु के बारे में क्या कहा? (ख) यूहन्ना की बात कैसे सही ठहरी?
10 यशायाह 53:7, 8 पढ़िए। जब यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु को अपने पास आते देखा तो उसने कहा: “देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है, जो जगत का पाप उठा ले जाता है।” (यूह. 1:29) जब यूहन्ना ने यीशु को मेम्ना कहा तब उसके मन में यशायाह की बात रही होगी, जिसने लिखा था कि “भेड़ [“मेम्ना,” NHT] बध होने” को लायी जाती है। (यशा. 53:7) यशायाह ने भविष्यवाणी की: “उस ने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया।” (यशा. 53:12) दिलचस्पी की बात है कि जिस रात यीशु ने अपनी मौत के स्मारक की शुरूआत की, उसने अपने 11 वफादार प्रेरितों को दाखरस का प्याला देते हुए कहा: “यह वाचा का मेरा वह लोहू है, जो बहुतों के लिये पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।”—मत्ती 26:28.
11, 12. (क) इसहाक जिस तरह अपनी कुरबानी के लिए राज़ी हुआ, उससे हम मसीह के बलिदान के बारे में क्या सीखते हैं? (ख) जब हम स्मारक दिन मनाते हैं, तब हमें महान इब्राहीम के बारे में क्या याद रखना चाहिए?
11 इसहाक की तरह यीशु भी परमेश्वर की मरज़ी पूरी करने के लिए खुद की कुरबानी देने को तैयार हुआ। (उत्प. 22:1, 2, 9-13; इब्रा. 10:5-10) हालाँकि इसहाक अपनी कुरबानी देने को राज़ी हुआ, लेकिन असल में कुरबानी देने की पहल इब्राहीम ने की थी। (इब्रा. 11:17) उसी तरह यीशु भी बिना किसी एतराज़ के मरने को तैयार हुआ, लेकिन छुड़ौती का इंतज़ाम उसके पिता यहोवा ने किया था। अपने बेटे की कुरबानी देकर परमेश्वर ने इंसानों के लिए गहरा प्यार दिखाया।
12 खुद यीशु ने कहा: “परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” (यूह. 3:16) प्रेरित पौलुस ने लिखा: “परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।” (रोमि. 5:8) हालाँकि हम यीशु के सम्मान में उसकी मौत का स्मारक दिन मनाते हैं, लेकिन ज़रूरी है कि हम इस कुरबानी का इंतज़ाम करनेवाले महान इब्राहीम, यहोवा परमेश्वर को न भूलें। हम स्मारक दिन मनाकर परमेश्वर की महिमा करते हैं।
दास “बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा”
13, 14. यहोवा के दास ने किस तरह “बहुतेरों को धर्मी” ठहराया?
13 यशायाह 53:11, 12 पढ़िए। अपने चुने हुए दास के बारे में यहोवा ने कहा: “मेरा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा।” किस मायने में? आयत 12 के आखिर से हमें इसका सुराग मिलता है। दास “अपराधियों के लिये बिनती करता है।” आदम की सभी संतानें “अपराधी” या पापी हैं, जिसकी वजह से उन्हें अपने “पाप की मजदूरी” में मौत मिलती है। (रोमि. 5:12; 6:23) इसलिए यहोवा और पापी इंसानों में मेल-मिलाप कराना ज़रूरी था। यशायाह के 53वें अध्याय में बहुत ही खूबसूरती से बताया गया है कि यीशु पापी इंसानों की खातिर किस तरह “बिनती” करता है। उसमें लिखा है: “हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी, कि उसके कोड़े खाने से हम लोग चंगे हो जाएं।”—यशा. 53:5.
14 हमारे पाप अपने ऊपर लेकर मसीह ने हमारी खातिर जान दे दी। इस तरह उसने “बहुतेरों को धर्मी” ठहराया। पौलुस लिखता है: “पिता की प्रसन्नता इसी में है कि [मसीह] में सारी परिपूर्णता वास करे। और उसके क्रूस पर बहे हुए लोहू के द्वारा मेल मिलाप करके, सब वस्तुओं का उसी के द्वारा से अपने साथ मेल कर ले चाहे वे पृथ्वी पर की हों, चाहे स्वर्ग में की।”—कुलु. 1:19, 20.
15. (क) पौलुस ने जिन ‘स्वर्ग की वस्तुओं’ का ज़िक्र किया, वे कौन हैं? (ख) सिर्फ कौन स्मारक समारोह के प्रतीकों को ले सकते हैं और क्यों?
15 मसीह के बहाए गए लहू से जिन ‘स्वर्ग की वस्तुओं’ का यहोवा के साथ मेल हुआ, वे हैं, अभिषिक्त मसीही। इन्हें मसीह के साथ स्वर्ग में राज्य करने का बुलावा मिला है। जिन मसीहियों को “स्वर्गीय बुलाहट” मिली है, उन्हें “जीवन के निमित्त धर्मी” ठहराया गया। (इब्रा. 3:1; रोमि. 5:1, 18) इसके बाद यहोवा ने उन्हें अपने आत्मिक बेटों के तौर पर गोद लिया। पवित्र शक्ति इन्हें गवाही देती है कि वे “मसीह के संगी वारिस” होंगे, यानी स्वर्ग में उसके साथ राजा और याजक के तौर पर सेवा करेंगे। (रोमि. 8:15-17; प्रका. 5:9, 10) वे आत्मिक इस्राएल यानी “परमेश्वर के इस्राएल” का हिस्सा बनकर “नई वाचा” के सदस्य बनते हैं। (यिर्म. 31:31-34; गल. 6:16) नयी वाचा के सदस्य होने के नाते वे स्मारक समारोह में पेश की जानेवाली रोटी खाते हैं। इसके अलावा, वे लाल दाखरस के प्याले से भी पीते हैं, जिसके बारे में यीशु ने कहा था: “यह कटोरा मेरे उस लोहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है।”—लूका 22:20.
16. ‘पृथ्वी की वस्तुएँ’ क्या हैं और उन्हें किस तरह यहोवा के सामने धर्मी ठहराया जाता है?
16 ‘पृथ्वी की वस्तुएँ’ मसीह की अन्य भेड़ें हैं, जिन्हें धरती पर हमेशा जीने की आशा है। यहोवा का चुना हुआ दास इन्हें भी यहोवा के सामने धर्मी ठहराता है। अन्य भेड़ के लोगों ने मसीह के छुड़ौती बलिदान पर विश्वास किया है और इस तरह “अपने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धोकर श्वेत किए हैं।” यहोवा उन्हें अपने आत्मिक बेटों के तौर पर नहीं बल्कि मित्रों की हैसियत से कबूल करके धर्मी करार देता है। साथ ही, उन्हें “बड़े क्लेश” से बचाकर नयी दुनिया में ले जाने की शानदार आशा देता है। (प्रका. 7:9, 10, 14; याकू. 2:23) अन्य भेड़ के लोग नयी वाचा का भाग नहीं हैं जिस वजह से उन्हें स्वर्ग जाने की आशा नहीं। इसलिए वे स्मारक के प्रतीकों में हिस्सा नहीं लेते, मगर स्मारक दिन में हाज़िर होकर अपनी कदरदानी ज़ाहिर करते हैं।
यहोवा और उसके चुने हुए दास का लाख-लाख शुक्रिया!
17. दास के बारे में की गयी यशायाह की भविष्यवाणी से कैसे हमारा मन स्मारक के लिए तैयार हुआ है?
17 दास के बारे में यशायाह की भविष्यवाणी पर जाँच करने से हमें कितने फायदे हुए हैं! इससे हम मसीह की मौत के स्मारक दिन के लिए, अपना मन तैयार कर पाए हैं। साथ ही, हमें “विश्वास के कर्त्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर ताकते” रहने में भी मदद मिली। (इब्रा. 12:2) हमने सीखा कि परमेश्वर का बेटा शैतान की तरह बगावती नहीं था। इसके बजाय, यहोवा से सिखलाए जाने में उसे खुशी मिली और उसने परमेश्वर को दुनिया का मालिक या शासक कबूल किया। हमने यह भी सीखा कि धरती पर अपनी सेवा के दौरान उसने लोगों पर करुणा दिखायी और उन्हें शारीरिक और आध्यात्मिक तौर पर चंगा किया। इस तरह उसने दिखाया कि जब वह मसीहाई राजा के तौर पर नयी दुनिया में राज करेगा तब कैसे “न्याय को पृथ्वी पर स्थिर” करेगा। (यशा. 42:4) उसने “[अन्य] जातियों के लिये प्रकाश” के तौर पर बड़े जोश से राज्य का प्रचार किया। इस तरह उसने अपने सभी चेलों के लिए शानदार मिसाल रखी कि वे भी पूरी दुनिया में जोशो-खरोश के साथ प्रचार करें।—यशा. 42:6.
18. यशायाह की भविष्यवाणी यहोवा और उसके वफादार दास के लिए क्यों हमारा दिल एहसान से भर देती है?
18 यशायाह की भविष्यवाणी यहोवा की महान कुरबानी के बारे में हमारी समझ बढ़ाती है कि कैसे उसने हमारे लिए अपने प्यारे बेटे को दुख सहने और अपनी जान देने के लिए धरती पर भेजा। अपने बेटे को तड़पता देख यहोवा खुश नहीं था, बल्कि इस बात से खुश था कि वह अपनी आखिरी साँस तक पूरी तरह वफादार रहा। यहोवा की इस खुशी में हमें भी शरीक होना चाहिए क्योंकि यीशु की वफादारी ने शैतान को झूठा साबित किया, यहोवा के नाम को पवित्र किया और इस तरह विश्व पर हुकूमत करने के उसके हक को बुलंद किया। इसके अलावा, मसीह ने हमारे पापों को अपने ऊपर ले लिया और हमारी खातिर अपनी जान दी। इस तरह उसने मुमकिन किया कि छोटे झुंड के अभिषिक्त जन और अन्य भेड़ के लोग यहोवा के सामने धर्मी ठहराए जाएँ। ये सारी बातें यहोवा और उसके वफादार दास के लिए हमारा दिल एहसान से भर देती हैं। तो आइए स्मारक में हाज़िर होकर अपनी एहसानमंदी दिखाएँ।
दोहराने के लिए
• किस मायने में यहोवा को यह “भाया” कि उसका बेटा ‘कुचला’ जाए?
• यीशु किस तरह “हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया”?
• दास ने किस तरह “बहुतेरों को धर्मी” ठहराया?
• दास के बारे में की गयी भविष्यवाणियों का अध्ययन करने से कैसे हमारा दिल और दिमाग स्मारक के लिए तैयार हुआ है?
[पेज 26 पर तसवीर]
“वह तुच्छ जाना गया, और, हम ने उसका मूल्य न जाना”
[पेज 28 पर तसवीर]
“उस ने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया”
[पेज 29 पर तसवीर]
‘अन्य भेड़ें’ स्मारक में हाज़िर होकर अपनी कदरदानी ज़ाहिर करती हैं