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मसीही आदर्श सीखें और सिखाएँप्रहरीदुर्ग—2002 | जून 15
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13. (क) आदर्शों के मामले में बाइबल कैसे हमारी मदद करती है? (ख) पहला थिस्सलुनीकियों 4:3-7 में दी गयी सलाह का सार बताइए।
13 आदर्शों का पालन करने या न करने का दूसरों पर भी असर होता है। आप परमेश्वर के वचन में दी गयी मिसालों से समझ सकते हैं कि परमेश्वर के आदर्शों पर चलने की अहमियत कितनी बड़ी है और इन आदर्शों को ठुकराने का अंजाम कितना बुरा। (उत्पत्ति 39:1-9, 21; यहोशू 7:1-25) आदर्शों के मामले में आप परमेश्वर के वचन में स्पष्ट सलाह भी पा सकते हैं, जैसे कि यह सलाह: “परमेश्वर की इच्छा यह है, कि तुम पवित्र बनो: अर्थात् व्यभिचार से बचे रहो। और तुम में से हर एक पवित्रता और आदर के साथ अपने पात्र को प्राप्त करना जाने। और यह काम अभिलाषा से नहीं, और न उन जातियों की नाईं, जो परमेश्वर को नहीं जानतीं। कि इस बात में कोई अपने भाई को न ठगे, और न उस पर दांव चलाए [“कोई धूर्तता से अपने भाई के अधिकार का उल्लंघन न करे,” नयी हिन्दी बाइबिल], . . . क्योंकि परमेश्वर ने हमें अशुद्ध होने के लिये नहीं, परन्तु पवित्र होने के लिये बुलाया है।”—1 थिस्सलुनीकियों 4:3-7.
14. पहला थिस्सलुनीकियों 4:3-7 की सलाह के बारे में आप खुद से क्या सवाल कर सकते हैं?
14 बाइबल के इस भाग से हर कोई यह समझ सकता है कि लैंगिक अनैतिकता, मसीही आदर्शों के मुताबिक सरासर पाप है। मगर इस भाग की गहराई से जाँच करने पर आप और भी बहुत कुछ समझ सकते हैं। कुछ आयतें ऐसी होती हैं जिन पर आप काफी अध्ययन और मनन कर सकते हैं और इससे आपको उनकी अंदरूनी समझ मिल सकती है। मिसाल के लिए, आप इस बारे में सोच सकते हैं कि पौलुस का यह कहने का क्या मतलब था कि व्यभिचार करके, “कोई धूर्तता से अपने भाई के अधिकार का उल्लंघन न करे।” वह किन अधिकारों की बात कर रहा था, और यह जानने से आपको मसीही आदर्शों पर चलते रहने का बढ़ावा कैसे मिलेगा? ऐसी खोजबीन से फायदा पाकर आप कैसे इस काबिल बन सकते हैं कि दूसरों को और अच्छी तरह सिखाएँ और परमेश्वर का आदर करने में उन्हें मदद दें?
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मसीही आदर्श सीखें और सिखाएँप्रहरीदुर्ग—2002 | जून 15
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16, 17. (क) पहला थिस्सलुनीकियों 4:6 में बताए गए अधिकारों के बारे में आप ज़्यादा जानकारी कहाँ पा सकते हैं? (ख) व्यभिचार से दूसरों के किन-किन अधिकारों का उल्लंघन होता है?
16 ऊपर जिस वचन का हवाला दिया है आइए उसी की मिसाल लें, 1 थिस्सलुनीकियों 4:3-7. वहाँ अधिकारों के बारे में सवाल उठा था। पौलुस किनके अधिकारों की बात कर रहा था? और व्यभिचार से उनके अधिकारों का उल्लंघन कैसे होता है? अध्ययन के जिन साधनों का ज़िक्र किया गया है, उनकी मदद से आप इन आयतों और उनमें बताए गए अधिकारों के बारे में काफी जानकारी हासिल कर सकते हैं। यह जानकारी आप इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 1, पेज 863-4; सच्ची शांति और सुरक्षा—आप इसे कैसे पा सकते हैं? (अँग्रेज़ी), पेज 145; प्रहरीदुर्ग (अँग्रेज़ी), नवंबर 15, 1989, पेज 31 में पा सकते हैं।
17 इस तरह अध्ययन करने से, आप समझ पाएँगे कि ये किताबें और पत्रिकाएँ कैसे पौलुस के शब्दों की सच्चाई ज़ाहिर करती हैं कि व्यभिचार से दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन होता है। एक व्यभिचारी, परमेश्वर के खिलाफ पाप करता है और खुद को तरह-तरह की बीमारियों के जोखिम में डालता है। (1 कुरिन्थियों 6:18, 19; इब्रानियों 13:4) जब एक पुरुष, किसी स्त्री के साथ व्यभिचार करता है, तो वह उस स्त्री के बहुत-से अधिकारों का उल्लंघन करता है। वह स्त्री अपनी पवित्रता खो देती है और उसका विवेक भी शुद्ध नहीं रहता। अगर उसकी शादी नहीं हुई तो वह आदमी, शादी के वक्त उसके कुँवारी होने के अधिकार का उल्लंघन करता है। यही नहीं, उसके होनेवाले पति को भी यह उम्मीद करने का अधिकार है कि शादी के वक्त वह कुँवारी होगी, मगर इसका भी वह व्यभिचारी उल्लंघन करता है। अगर वह स्त्री शादी-शुदा है तो वह आदमी उसके माता-पिता और उसके पति की भावनाओं को ठेस पहुँचाता है। वह बदचलन आदमी खुद अपने परिवार के, साफ और शुद्ध बने रहने के अधिकार को मिट्टी में मिला देता है। अगर वह मसीही कलीसिया में है, तो उसकी वजह से कलीसिया का नाम बदनाम होता है और उसकी इज़्ज़त पर धब्बा लगता है।—1 कुरिन्थियों 5:1.
18. मसीही आदर्शों का गहराई से अध्ययन करने से आपको लाभ कैसे होगा?
18 यह सारी जानकारी पाकर क्या इस आयत की आपको गहरी समझ नहीं मिलती? इस तरह के अध्ययन का वाकई बहुत बड़ा महत्त्व है। जब आप इस तरह अध्ययन करते हैं, तब आप खुद को सिखाते हैं। आप और भी गहराई से समझ पाते हैं कि परमेश्वर का वचन कितना सच्चा है और इसका असर कितना ज़बरदस्त है। आपका यह इरादा और भी मज़बूत हो जाता है कि आपके आगे चाहे कोई भी फंदा क्यों न डाला जाए, आप मसीही आदर्शों पर चलना नहीं छोड़ेंगे। ज़रा सोचिए कि इससे आप कितने अच्छे शिक्षक बन पाएँगे! मिसाल के लिए, दूसरों को बाइबल की सच्चाई सिखाते वक्त आप 1 थिस्सलुनीकियों 4:3-7 की अंदरूनी समझ उन्हें दे सकते हैं, जिससे मसीही आदर्शों को वे और अच्छी तरह समझ पाएँगे और इसके लिए उनकी कदरदानी बढ़ेगी। इस तरह, आपके अध्ययन से खुद आपको और दूसरों को भी परमेश्वर का आदर करने में मदद मिलेगी। हमने यहाँ थिस्सलुनीकियों को लिखी पौलुस की पत्री में से सिर्फ एक मिसाल का ज़िक्र किया है। मसीही आदर्शों के और भी बहुत-से पहलू हैं और उतनी ही ज़्यादा बाइबल में बतायी मिसालें और सलाह हैं, जिनका अध्ययन करके आप खुद उन पर चल सकते हैं और दूसरों को भी सिखा सकते हैं।
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