यहोवा का दिन क्या ज़ाहिर करेगा
“यहोवा का दिन ऐसे आएगा जैसे चोर आता है। . . . और धरती और इस पर किए गए इंसानों के सब कामों का पर्दाफाश हो जाएगा।”—2 पत. 3:10.
1, 2. (क) मौजूदा दुष्ट दुनिया का अंत कैसे होगा? (ख) हम किन सवालों पर गौर करेंगे?
मौजूदा दुष्ट दुनिया की नींव दरअसल इस झूठ पर टिकी है कि इंसान बिना यहोवा की मदद के धरती पर राज करने में कामयाब हो सकता है। (भज. 2:2, 3) तो जिस दुनिया की बुनियाद ही झूठ पर टिकी हो, क्या वह ज़्यादा दिन तक रह सकती है? हरगिज़ नहीं! लेकिन हमें इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं कि शैतान की यह दुनिया एक दिन अपने आप खत्म हो जाएगी। इसका नाश परमेश्वर अपने ठहराए समय पर और अपने तरीके से करेगा। और जब परमेश्वर इस दुष्ट दुनिया के खिलाफ कदम उठाएगा, तब हमें उसके सच्चे इंसाफ और प्यार का पक्का सबूत मिलेगा।—भज. 92:7; नीति. 2:21, 22.
2 प्रेषित पतरस ने लिखा, “यहोवा का दिन ऐसे आएगा जैसे चोर आता है। उस दिन आकाश बड़ी फुफकार के साथ मिट जाएगा, और तत्व बेहद गर्म होकर पिघल जाएँगे और धरती और इस पर किए गए इंसानों के सब कामों का पर्दाफाश हो जाएगा।” (2 पत. 3:10) यहाँ ज़िक्र किया गया “आकाश” और “धरती” क्या हैं? और वे “तत्व” क्या हैं, जो पिघल जाएँगे? इसके अलावा, पतरस के यह कहने का क्या मतलब है कि ‘धरती और इसके सब कामों का पर्दाफाश हो जाएगा’? इन सवालों के जवाब पाने से हम उन भयानक घटनाओं के लिए खुद को तैयार कर पाएँगे जो जल्द होनेवाली हैं।
धरती और आकाश मिट जाएँगे
3. दूसरे पतरस 3:10 में ज़िक्र किया गया “आकाश” क्या है और वह कैसे मिट जाएगा?
3 बाइबल में कई बार आकाश के लिए शब्द “स्वर्ग” इस्तेमाल किया है और यह अकसर राजाओं या अधिकारियों को दर्शाता है, जो आम लोगों पर शासन करते हैं। (यशा. 14:12-14; प्रका. 21:1, 2) तो ‘मिटनेवाला आकाश’ इंसानी सरकारें हैं, जो भक्तिहीन व्यवस्था पर राज करती हैं। वह आकाश “बड़ी फुफकार” या जैसा कि दूसरी बाइबल कहती है, “बड़ी हड़हड़ाहट” के साथ मिटेगा यानी वह तेज़ी से मिट जाएगा।
4. “धरती” क्या है और वह कैसे मिट जाएगी?
4 “धरती” उन इंसानों को दर्शाती है जो परमेश्वर की इच्छा पर नहीं चलते। परमेश्वर के हुकुम से नूह के दिनों में ऐसे भक्तिहीन लोगों का जलप्रलय में नाश कर दिया गया था। “उसी वचन [या हुकुम] से, आज के आकाश और पृथ्वी को आग से भस्म किए जाने के लिए रखा गया है और उन्हें न्याय के दिन तक यानी भक्तिहीन लोगों के नाश किए जाने के दिन तक ऐसे ही रखा जाएगा।” (2 पत. 3:7) जलप्रलय से सारे भक्तिहीन एक ही बार में खत्म हो गए थे, मगर आनेवाले “महा-संकट” में एक-एक कर कई घटनाएँ होंगी और तब इस दुनिया का नाश होगा। (प्रका. 7:14) महा-संकट के पहले चरण में परमेश्वर दुनिया के राज-नेताओं के ज़रिए “महानगरी बैबिलोन” का नाश करेगा और दिखा देगा कि उसे इस धार्मिक वेश्या से कितनी नफरत है। (प्रका. 17:5, 16; 18:8) फिर इसके आखिरी चरण यानी हर-मगिदोन के युद्ध में खुद यहोवा शैतान की दुनिया की बाकी चीज़ों को मिटा देगा।—प्रका. 16:14, 16; 19:19-21.
“तत्व . . . पिघल जाएँगे”
5. तत्व का मतलब क्या है?
5 वे “तत्व” क्या हैं, जो “पिघल जाएँगे”? बाइबल का शब्दकोश “तत्व” का मतलब यूँ बताता है, “आधारभूत सिद्धांत” या “मूल।” इसके मुताबिक शब्द “तत्व” वर्णमाला के अक्षरों को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था, जिनसे भाषाएँ बनती हैं। इसीलिए “तत्व” वे बुनियादी चीज़ें हैं, जिनसे इस दुनिया के गुण, रवैये, तौर-तरीके और लक्ष्य झलकते हैं जो परमेश्वर की मरज़ी के खिलाफ होते हैं। “तत्व” में “दुनिया की फितरत” भी शामिल है, जो “आज्ञा न माननेवालों में काम करती हुई दिखायी देती है।” (1 कुरिं. 2:12; इफिसियों 2:1-3 पढ़िए।) यह फितरत या “हवा” शैतान की दुनिया में हर तरफ फैली हुई है। यह फितरत लोगों को ऐसे सोचने, योजना बनाने, ऐसी बातें या काम करने के लिए उकसाती है, जिससे उस घमंडी, ढीठ, “दुनिया की फितरत के अधिकार पर राज” करनेवाले शैतान की सोच झलकती है।
6. लोगों में दुनिया की फितरत कैसे दिखायी देती है?
6 जो लोग जाने-अनजाने में दुनिया की फितरत अपनाते हैं, वे दरअसल शैतान को अपने दिलो-दिमाग पर कब्ज़ा करने देते हैं, जिससे वे शैतानी विचार और रवैये को अपनी ज़िंदगी में ज़ाहिर करते हैं। यही वजह है कि वे परमेश्वर की मरज़ी को ताक पर रखकर वही करते हैं जो उनका दिल कहता है। अपने घमंड और स्वार्थ की वजह से वे किसी भी हालात में अच्छी तरह पेश नहीं आते, वे अधिकारियों से बगावत करते हैं, “शरीर की ख्वाहिशें, [और] आँखों की ख्वाहिशें” पूरी करने के लिए खुद को खुली छूट देते हैं।—1 यूहन्ना 2:15-17 पढ़िए।a
7. हमें अपने “मन की रक्षा” क्यों करनी चाहिए?
7 इसलिए यह कितना ज़रूरी है कि हम परमेश्वर के स्तरों के मुताबिक बुद्धिमानी दिखाते हुए दोस्तों, किताबों, मनोरंजन या इंटरनेट पर वेब साइट का चुनाव करें और अपने दिल या “मन की रक्षा” करें। (नीति. 4:23) प्रेषित पौलुस ने लिखा: “खबरदार रहो: कहीं ऐसा न हो कि कोई तुम्हें दुनियावी फलसफों और छलनेवाली उन खोखली बातों से अपना शिकार बनाकर ले जाए, जो इंसानों की परंपराओं और दुनियादारी के उसूलों के मुताबिक हैं और मसीह की शिक्षाओं के मुताबिक नहीं।” (कुलु. 2:8) आज इस हुकुम को मानना निहायत ज़रूरी है, क्योंकि यहोवा का दिन करीब आ रहा है और उसकी ज़बरदस्त ‘ज्वाला’ से शैतान की व्यवस्था के सारे “तत्व” पिघल जाएँगे। और इससे ज़ाहिर हो जाएगा कि उसकी व्यवस्था में इस ज्वाला का सामना करने की ताकत नहीं है। इससे हमें मलाकी 4:1 के शब्द याद आते हैं, जहाँ लिखा है: “देखो, वह धधकते भट्ठे का सा दिन आता है, जब सब अभिमानी और सब दुराचारी लोग अनाज की खूंटी बन जाएंगे; और उस आनेवाले दिन में. . . भस्म हो जाएंगे।”
‘धरती और इसके सब कामों का पर्दाफाश हो जाएगा’
8. कैसे धरती और उसके सब कामों का “पर्दाफाश” होगा?
8 पतरस के यह कहने का क्या मतलब था कि ‘धरती और इसके सब कामों का पर्दाफाश हो जाएगा’? पतरस कहना चाहता था कि महा-संकट के दौरान यहोवा शैतान की दुनिया का पर्दाफाश करेगा क्योंकि यह यहोवा और उसके राज के खिलाफ है और इसीलिए नाश होने के लायक है। यशायाह 26:21 में आनेवाले उस समय के बारे में यूँ बताया गया है: “देखो, यहोवा पृथ्वी के निवासियों को अधर्म का दण्ड देने के लिये अपने स्थान से चला आता है, और पृथ्वी अपना खून प्रगट करेगी और घात किए हुओं को और अधिक न छिपा रखेगी।”
9. (क) हमें किन बातों को पूरी तरह ठुकरा देना चाहिए और क्यों? (ख) हमें कैसे गुण पैदा करने चाहिए और क्यों?
9 यहोवा के दिन में लोग एक-दूसरे की जान लेकर अपना असली रंग दिखा देंगे कि वे इस दुनिया और उसकी बुरी फितरत के गुलाम हैं। आज लोगों को मार-धाड़वाले मनोरंजन बहुत पसंद आते हैं, मगर असल में ये बहुतों के दिमाग को उस दिन के लिए तालीम दे रहे हैं, जब वे “एक दूसरे पर [ही] अपने अपने हाथ उठाएंगे।” (जक. 14:13) तो ज़रूरी है कि हम ऐसी फिल्मों, किताबों, वीडियो गेम्स वगैरह को पूरी तरह ठुकरा दें, जो हममें घमंड और हिंसा के लिए प्रेम पैदा करते हैं, जबकि परमेश्वर इनसे घृणा करता है। (2 शमू. 22:28; भज. 11:5) इसके बजाय आइए हम परमेश्वर की पवित्र शक्ति के फल पैदा करें क्योंकि जब परमेश्वर की ज्वाला भड़केगी तो इन गुणों की बदौलत हम उस ज्वाला में भस्म होने से बचेंगे।—गला. 5:22, 23.
एक ‘नया आकाश और नयी पृथ्वी’
10, 11. ‘नया आकाश’ और “नयी धरती” क्या हैं?
10 दूसरा पतरस 3:13 पढ़िए। ‘नया आकाश’ परमेश्वर का स्वर्गीय राज है जो सन् 1914 में शुरू हुआ था, ‘जब अन्य जातियों का समय पूरा’ हुआ। (लूका 21:24) यह शाही सरकार मसीह यीशु और उसके 1,44,000 साथी शासकों से बनी है, जिनमें से ज़्यादातर लोगों को अपना स्वर्गीय इनाम मिल चुका है। प्रकाशितवाक्य की किताब में इन चुने हुए लोगों को “पवित्र नगरी, नयी यरूशलेम” के तौर पर दर्शाया गया है, “जो स्वर्ग से परमेश्वर के पास से नीचे उतर रही थी। यह ऐसे सजी हुई थी जैसे एक दुल्हन अपने दूल्हे के लिए सिंगार करती है।” (प्रका. 21:1, 2, 22-24) ठीक जैसे प्राचीन इसराएल में धरती पर सरकारी कामकाज यरूशलेम से होता था, उसी तरह नयी व्यवस्था में सरकारी कामकाज नयी यरूशलेम और उसका दुल्हा मिलकर करेंगे। यह नगरी इस मायने में ‘स्वर्ग से नीचे उतरेगी’ कि यह धरती पर ध्यान देगी।
11 “नयी धरती” क्या है? यह इसी धरती पर रहनेवाले नए मानव समाज को दर्शाती है। इसके लोगों ने इस बात का सबूत दिया होगा कि वे अपनी मरज़ी से परमेश्वर के राज के अधीन रहना चाहते हैं। परमेश्वर के लोग आज भी आध्यात्मिक फिरदौस का लुत्फ उठा रहे हैं और आखिरकार “आनेवाली उस [खूबसूरत] दुनिया” में वे पूरी तरह से उसका लुत्फ उठा पाएँगे। (इब्रा. 2:5) हम कैसे उस नयी दुनिया का हिस्सा बन सकते हैं?
यहोवा के भयानक दिन के लिए तैयारी कीजिए
12. यहोवा के दिन के आने पर दुनिया के लोग क्यों दहल जाएँगे?
12 पौलुस और पतरस दोनों ने पहले ही बता दिया था कि यहोवा का दिन अचानक चुपके से आएगा, जैसे “चोर” आता है। (1 थिस्सलुनीकियों 5:1, 2 पढ़िए।) यहाँ तक कि सच्चे मसीही भी जो उसके आने की आस लगाए बैठे हैं, वे उसके अचानक आ जाने पर हक्के-बक्के रह जाएँगे। (मत्ती 24:44) मगर दुनिया के लोग हैरानी के साथ-साथ कुछ और भी अनुभव करेंगे। पौलुस ने लिखा: “जब लोग [जो यहोवा से दूर हो गए हैं] कहते होंगे: ‘शांति और सुरक्षा है!’ तब उसी वक्त अचानक उन पर विनाश आ पड़ेगा, जैसे एक गर्भवती स्त्री को अचानक प्रसव-पीड़ाएँ उठने लगती हैं। और वे किसी भी हाल में बच नहीं पाएँगे।”—1 थिस्स. 5:3.
13. हम क्या कर सकते हैं जिससे हम “शांति और सुरक्षा” के नारे के धोखे में न आएँ?
13 “शांति और सुरक्षा” का नारा दुष्ट स्वर्गदूतों की तरफ से एक और झूठ है, मगर यहोवा के सेवकों पर इस झूठ का असर नहीं होता। पौलुस ने लिखा: “तुम अंधकार में नहीं हो कि वह दिन तुम पर इस तरह आ पड़े, जिस तरह दिन का उजाला चोरों पर आ पड़ता है। इसलिए कि तुम सब रौशनी के बेटे और दिन के बेटे हो।” (1 थिस्स. 5:4, 5) इसलिए आइए शैतान की इस अंधियारी दुनिया से अलग, हम रौशनी में रहें। पतरस ने लिखा: “मेरे प्यारो, तुम पहले से इन बातों की जानकारी रखते हुए खबरदार रहो कि तुम दुराचारियों [मसीही मंडली में से ही झूठे शिक्षकों] के गलत कामों में न पड़ो और गुमराह न हो जाओ और जिस स्थिरता से तुम अटल खड़े हो उससे गिर न जाओ।”—2 पत. 3:17.
14, 15. (क) यहोवा किस तरह हमारी इज़्ज़त बढ़ाता है? (ख) परमेश्वर की प्रेरणा से लिखे किन शब्दों को हमें गंभीरता से लेना है?
14 गौर कीजिए कि यहोवा ने हमें सिर्फ “खबरदार” रहने की चेतावनी नहीं दी है, बल्कि हमें प्यार दिखाते हुए उसने “पहले से” ही भविष्य में होनेवाली “बातों की जानकारी” बुनियादी तौर पर देकर हमारी इज़्ज़त बढ़ायी है।
15 मगर अफसोस कि जब जागते रहने के बारे में याद दिलाया जाता है, तो कुछ लोग इस बात को लापरवाही से लेते हैं, यहाँ तक कि शक की नज़र से देखते हैं। वे शायद कहें कि ‘हमें तो दशकों से यह बात याद दिलायी जा रही है।’ मगर ऐसे लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि ऐसी बात करके वे सिर्फ विश्वासयोग्य दास वर्ग पर नहीं, बल्कि यहोवा और उसके बेटे पर उँगली उठाते हैं। यहोवा ने कहा, “बाट जोहते रहना।” (हब. 2:3) उसी तरह यीशु ने कहा: “जागते रहो क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आ रहा है।” (मत्ती 24:42) इनके अलावा, पतरस ने लिखा: “सोचो कि आज तुम्हें कैसे इंसान होना चाहिए! तुम्हें पवित्र चालचलन रखनेवाले और परमेश्वर की भक्ति के काम करनेवाले इंसान होना चाहिए, और यहोवा के दिन का इंतज़ार करते हुए उस दिन के बहुत जल्द आने की बात को हमेशा अपने मन में रखना चाहिए।” (2 पत. 3:11, 12) जहाँ तक विश्वासयोग्य दास और शासी निकाय की बात है, वे गंभीरता से कहे गए इन शब्दों को कभी लापरवाही से नहीं लेंगे!
16. हमें किस तरह के रवैए से दूर रहना चाहिए और क्यों?
16 “दुष्ट दास” ही इस नतीजे पर पहुँचता है कि मालिक को आने में देर हो रही है। (मत्ती 24:48) दूसरे पतरस 3:3, 4 में जिस तरह के लोगों के बारे में बताया गया है, दुष्ट दास वैसा ही रवैया दिखाता है। पतरस ने लिखा, “आखिरी दिनों में खिल्ली उड़ानेवाले आएँगे” और ‘अपनी ही ख्वाहिशों के मुताबिक’ उन लोगों की खिल्ली उड़ाएँगे जो यहोवा की आज्ञा मानते हुए उसके दिन को मन में रखते हैं। जी हाँ, खिल्ली उड़ानेवाले राज के कामों पर नहीं बल्कि खुद पर और अपनी स्वार्थी इच्छाएँ पूरी करने पर ध्यान देते हैं। आइए हम कभी भी ऐसा बगावती रवैया न अपनाएँ और ना ही ऐसा रवैया, जिससे हमारा भारी नुकसान हो! हमें ‘यह समझना चाहिए कि हमारे प्रभु का सब्र हमें उद्धार पाने का मौका दे रहा है।’ (2 पत. 3:15) इसलिए हमें प्रचार और चेला बनाने के काम में पूरी तरह लग जाना चाहिए और इस बारे में हद से ज़्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए कि महा-संकट की घटनाएँ कब होंगी क्योंकि यह सोचना परमेश्वर यहोवा का काम है।—प्रेषितों 1:6, 7 पढ़िए।
उद्धार करनेवाले परमेश्वर पर भरोसा रखिए
17. यरूशलेम से भाग जाने की यीशु की आज्ञा के लिए वफादार मसीहियों ने कैसा रवैया दिखाया और क्यों?
17 जब ईसवी सन् 66 में रोम की सेना ने यहूदिया पर हमला बोला, तब पहला मौका पाते ही वफादार मसीही यरूशलेम से निकल गए। (लूका 21:20-23) उन्होंने यीशु की चेतावनी पर क्यों इतनी फुरती से कदम उठाया? क्योंकि यीशु की चेतावनी हमेशा उनके मन में थी। और बेशक उन्हें अंदेशा भी था कि ऐसा फैसला लेने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, जैसा कि मसीह ने चिता दिया था। मगर वे यह भी जानते थे कि यहोवा अपने वफादार सेवकों को कभी नहीं छोड़ेगा।—भज. 55:22.
18. यीशु ने लूका 21:25-28 में जो कहा उन बातों पर गौर करने से आप महा-संकट के बारे में कैसा नज़रिया अपनाते हैं?
18 जब मौजूदा दुनिया पर ऐसा महा-संकट आएगा जो इंसानी इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया तब यहोवा ही हमें उद्धार दिलाएगा इसलिए हमें भी यहोवा पर पूरा भरोसा रखना चाहिए। मगर महा-संकट के शुरूआती दौर के बाद और आखिरी चरण में यहोवा की तरफ से न्याय आने से पहले, एक ऐसा वक्त आएगा जब “धरती पर और क्या-क्या होनेवाला है इस फिक्र और डर के मारे लोगों के जी में जी न रहेगा।” इसमें दो राय नहीं कि यहोवा के दुश्मन डर के मारे थरथराएँगे, पर उसके वफादार सेवक बेखौफ रहेंगे। वे खुशियाँ मनाएँगे क्योंकि वे जानते हैं कि उनका छुटकारा निकट है।—लूका 21:25-28 पढ़िए।
19. अगले लेख में हम किस बात पर गौर करेंगे?
19 जी हाँ, जो इस दुनिया और उसके “तत्व” से खुद को अलग रखते हैं, उनके लिए सुनहरा भविष्य बाँहें फैलाए खड़ा है! इसलिए अगर हम ज़िंदगी पाना चाहते हैं तो जैसा अगले लेख में समझाया गया है, हमें सिर्फ बुरी बातों से दूर ही नहीं रहना, बल्कि कुछ और भी करने की ज़रूरत है। हमें ऐसे गुण बढ़ाने और ऐसे काम करने की ज़रूरत है जो यहोवा को मंज़ूर हैं।—2 पत. 3:11.
[फुटनोट]
a दुनिया की फितरत जिस रवैये को बढ़ावा देती है, उसके बारे में ज़्यादा जानने के लिए खुद को परमेश्वर के प्यार के लायक बनाए रखो किताब के पेज 59-62, पैरा. 7-10 देखिए।
क्या आप समझा सकते हैं?
• इनका मतलब क्या है . . .
मौजूदा ‘आकाश और धरती’?
“तत्व”?
‘नया आकाश और नयी धरती’?
• हम परमेश्वर पर पूरा भरोसा क्यों दिखाते हैं?
[पेज 5 पर तसवीर]
आप कैसे अपने “मन की रक्षा” कर सकते हैं और दुनिया से अलग रह सकते हैं?
[पेज 6 पर तसवीर]
हम कैसे दिखाते हैं कि ‘हमारे प्रभु का सब्र हमें उद्धार पाने का मौका दे रहा है’?