युवाओं—आप किसकी शिक्षा को मानते हैं?
“कितने लोग . . . दुष्टात्माओं [पिशाचों, NW] की शिक्षाओं पर मन लगाकर विश्वास से बहक जाएंगे।”—१ तीमुथियुस ४:१.
१. (क) युवाओं के पास क्या चुनाव है? (ख) यहोवा कैसे सिखाता है?
यहाँ युवाओं को सम्बोधित प्रश्न है, आप किसकी शिक्षाओं को मानते हैं? यह सुझाता है कि आप युवा एक चुनाव कर सकते हैं। यह चुनाव ईश्वरीय शिक्षा के पक्ष में प्रतिक्रिया दिखाने और पिशाचों की शिक्षाओं पर चलने के बीच है। यहोवा अपने वचन, बाइबल के द्वारा और जिनको वह पृथ्वी पर अपने प्रतिनिधियों के रूप में प्रयोग करता है उनकी सेवकाई के द्वारा सिखाता है। (यशायाह ५४:१३; प्रेरितों ८:२६-३९; मत्ती २४:४५-४७) लेकिन क्या आप चकित हैं कि पिशाच भी सिखाते हैं?
२. ख़ासकर इस समय में पिशाचों की शिक्षाओं के विरुद्ध सतर्क रहना क्यों अत्यावश्यक है?
२ प्रेरित पौलुस ने लिखा: “आनेवाले समयों में कितने लोग भरमानेवाली आत्माओं, और दुष्टात्माओं [पिशाचों, NW] की शिक्षाओं पर मन लगाकर विश्वास से बहक जाएंगे।” (१ तीमुथियुस ४:१) क्योंकि हम “अन्तिम दिनों” में जी रहे हैं जब शैतान और उसके पिशाच ख़ासकर सक्रिय हैं, क्या आप समझते हैं कि हम यह प्रश्न क्यों पूछते हैं, आप किसकी शिक्षा को मानते हैं? (२ तीमुथियुस ३:१-५; प्रकाशितवाक्य १२:७-१२) क्योंकि शैतान और उसके पिशाच इतने धूर्त हैं, अपने संचालन के तरीक़ों में इतने कपटपूर्ण हैं, यह अत्यावश्यक है कि आप इस प्रश्न पर ध्यानपूर्वक विचार करें।—२ कुरिन्थियों ११:१४, १५.
पिशाच और उनकी शिक्षाएँ
३. पिशाच कौन हैं, उनका उद्देश्य क्या है, और वह अपने उद्देश्य को कैसे पूरा करना चाहते हैं?
३ पिशाच एक समय यहोवा के स्वर्गदूत थे, लेकिन उन्होंने अपने सृष्टिकर्ता के विरुद्ध विद्रोह किया और इस प्रकार शैतान के समर्थक बन गए। (मत्ती १२:२४) उनका उद्देश्य है लोगों को भ्रष्ट करना और उन्हें परमेश्वर की सेवा करने से दूर करना। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए पिशाच मानव शिक्षकों का प्रयोग करते हैं। ये शिक्षक एक स्वार्थी, अनैतिक जीवन-शैली को बढ़ावा देते हैं जिसकी यहोवा निन्दा करता है। (२ पतरस २:१, १२-१५ से तुलना कीजिए.) इस बात का पुनर्विचार कि किस तरह एक समय पर वफ़ादार स्वर्गदूत पिशाच बन गए आपको उनकी शिक्षाओं को पहचानने में मदद करेगा। यह आपको यह भी पहचानने में मदद करेगा कि ये शिक्षाएँ किस प्रकार की जीवन-शैली को बढ़ावा देती हैं।
४. (क) नूह के दिनों में अवज्ञाकारी स्वर्गदूत पृथ्वी पर क्यों आए? (ख) जलप्रलय के दौरान दुष्ट स्वर्गदूतों को और उनकी संतानों को क्या हुआ?
४ नूह के दिनों में कुछ स्वर्गदूत मनुष्यों की सुन्दर पुत्रियों से इतने आकर्षित हो गए कि इन आत्मिक प्राणियों ने पृथ्वी पर आने के लिए स्वर्ग में अपने पद छोड़ दिए। स्त्रियों के साथ उनके लैंगिक सम्बन्धों के कारण दानव (नेफिलिम) नामक संकर संतान उत्पन्न हुई। क्योंकि आत्मिक प्राणियों का मनुष्यों के साथ सहवास अस्वाभाविक है, अवज्ञाकारी स्वर्गदूतों ने उन स्त्रियों के साथ जो किया वह उतना ही बुरा था जितने बुरे कि बाद में सदोम के पुरुषों और लड़कों के समलिंगी काम थे। (उत्पत्ति ६:१-४; १९:४-११; यहूदा ६, ७) हालाँकि स्वर्गदूतों की पत्नियाँ अपनी संकर संतानों के साथ बाढ़ के पानी में डूब गईं, दुष्ट स्वर्गदूतों ने मानव शरीर धारण की हुई देह को तज दिया और वापस स्वर्ग चले गए जहाँ वे शैतान अर्थात् इब्लीस के पिशाच साथी बन गए।—२ पतरस २:४.
५. पिशाच किस क़िस्म के प्राणी हैं, और वे परमेश्वर के नियमों को किस प्रकार तुच्छ दिखाने की कोशिश करते हैं?
५ इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए, क्या आप समझते हैं कि पिशाच वास्तव में किस क़िस्म के प्राणी हैं? वे सेक्स विकृतकामी हैं जो इस सेक्स-की-पागल दुनिया के अदृश्य छलयोजक हैं। हालाँकि दुबारा मानव शरीर धारण करने के लिए उन पर रोक लगा दी गई है, वे पृथ्वी पर जिनको भ्रष्ट कर सकते हैं उनकी कामविकृतियों से सुख पाते हैं। (इफिसियों ६:११, १२) पिशाच शुद्धता और नैतिकता के सम्बन्ध में यहोवा के नियमों को अकारण ही प्रतिबन्धक प्रतीत कराने के द्वारा उनको तुच्छ दिखाने की कोशिश करते हैं। ये दुष्ट स्वर्गदूत एक सामान्य, सुखद जीवन-शैली के रूप में लैंगिक अनैतिकता का समर्थन करते हैं।
पिशाचों की शिक्षाओं को बढ़ावा देना
६. हमें क्यों चकित नहीं होना चाहिए कि पिशाच धूर्त रीति से अपनी शिक्षाओं को बढ़ावा देते हैं?
६ हमें इससे चकित नहीं होना चाहिए कि पिशाच अपनी शिक्षाओं को धूर्त रीति से बढ़ावा देंगे, क्योंकि उनके अगुए, शैतान अर्थात् इब्लीस ने भी हव्वा को बहकाने के लिए इसी तरीक़े को प्रयोग किया था। याद कीजिए कि उसने हव्वा से ऐसे बात की मानो उसकी मदद करना चाहता था। शैतान ने पूछा, “क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस बाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना?” फिर हव्वा को यह कहने के द्वारा कि निषिद्ध पेड़ के फल को खाने से वह लाभ प्राप्त करेगी, उसने चालाकी से परमेश्वर की शिक्षा को हीन दिखाना चाहा। इब्लीस ने प्रतिज्ञा की, “जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।” (उत्पत्ति ३:१-५) अतः हव्वा प्रलोभित हो गयी, हाँ, बहकावे में आकर उसने परमेश्वर की अवज्ञा की।—२ कुरिन्थियों ११:३; १ तीमुथियुस २:१३, १४.
७. पिशाचों की धूर्त शिक्षाओं का क्या प्रभाव हुआ है, और यह क्या चेतावनी देता है?
७ हाल के समय में भी अनेक लोग बहकावे में आ गए हैं। पिशाचों ने इतनी धूर्तता से लैंगिक अनैतिकता को बढ़ावा दिया है कि ऐसे अनेक लोग जो पहले उसकी निन्दा करते थे अब उसे स्वीकार करते हैं। उदाहरण के लिए, अमरीका में जब एक सुप्रसिद्ध सलाह स्तंभ-लेखिका ने अविवाहित लोगों द्वारा लैंगिक सम्बन्ध रखने के विषय पर एक पत्र का उत्तर दिया, तो उसने लिखा: “मैं ने कभी नहीं सोचा कि इस विषय पर मैं अपना विचार बदलूँगी, लेकिन मैं अब विश्वास करती हूँ कि वे जोड़े जो विवाह के बारे में गंभीर हैं उन्हें अपनी संगतता परखने के लिए कुछ सप्ताहांत एकसाथ बिताने चाहिए।” फिर उसने आगे कहा: “मैं विश्वास नहीं कर सकती कि मैं ने यह लिखा!” वह स्वयं विश्वास नहीं कर सकी कि उसने व्यभिचार की सिफ़ारिश की थी, लेकिन उसने की थी! स्पष्टतया, हमें ध्यान रखना चाहिए कि परमेश्वर जिन अभ्यासों की निन्दा करता है उन के विषय में हमारे दृष्टिकोण को पिशाचों की शिक्षाएँ प्रभावित न करें।—रोमियों १:२६, २७; इफिसियों ५:५, १०-१२.
८. (क) बाइबल में “जगत” शब्द किस प्रकार प्रयोग किया गया है? (ख) संसार का शासक कौन है, और यीशु के अनुयायियों को संसार को किस दृष्टि से देखना चाहिए?
८ हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि शैतान “इस जगत का सरदार है।” असल में, प्रेरित यूहन्ना ने कहा कि “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।” (यूहन्ना १२:३१; १ यूहन्ना ५:१९) यह सच है कि यीशु ने कभी-कभी “जगत” शब्द पूरी मानवजाति को सूचित करने के लिए प्रयोग किया। (मत्ती २६:१३; यूहन्ना ३:१६; १२:४६) लेकिन, अकसर उसने “जगत” शब्द उस सारे संगठित मानव समाज को सूचित करने के लिए प्रयोग किया, जो सच्ची मसीही कलीसिया के बाहर अस्तित्व में है। उदाहरण के लिए यीशु ने कहा कि उसके अनुयायियों को ‘संसार [अधर्मी मानव समाज] का नहीं होना’ था और क्योंकि वे संसार के नहीं थे संसार उनसे बैर रखता। (यूहन्ना १५:१९; १७:१४-१६) बाइबल ने आगे चेतावनी दी कि हमें शैतान द्वारा शासित इस संसार का मित्र नहीं बनना चाहिए।—याकूब ४:४.
९, १०. (क) कौनसी सांसारिक चीज़ें अनुचित लैंगिक अभिलाषा उत्तेजित करती हैं? (ख) यह पहचानना कैसे संभव है कि संसार का मनोरंजन जो कुछ सिखाता है उसके पीछे कौन है?
९ प्रेरित यूहन्ना ने आग्रह किया: “तुम न तो संसार से और न संसार की वस्तुओं से प्रेम रखो।” उसने यह भी कहा: “जो कुछ संसार में है, अर्थात् शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं।” (१ यूहन्ना २:१५, १६) इसके बारे में सोचिए। आज संसार में क्या है जो ग़लत अभिलाषा, उदाहरण के लिए अनुचित सेक्स की अभिलाषा को उत्तेजित करता है? (१ थिस्सलुनीकियों ४:३-५) संसार के अधिकांश संगीत के बारे में क्या? कैलिफोर्निया की एक पुलिस परिवीक्षा अधिकारी ने कहा: “मूलतः, संगीत सिखाता है कि आपको अपने माता-पिता की बात मानने की ज़रूरत नहीं, और आपको मनमाने ढंग से जीना चाहिए।” क्या आप ऐसे संगीत द्वारा दी गयी शिक्षा के स्रोत को पहचान सकते हैं?
१० याद कीजिए कि शैतान ने हव्वा से असल में कहा: ‘तुम कुछ रुचिकर और लाभकारी चीज़ खो रही हो। मनमाने ढंग से जीयो। स्वयं निर्णय करो कि क्या भला है और क्या बुरा है। तुम्हें परमेश्वर की बात सुनने की ज़रूरत नहीं।’ (उत्पत्ति ३:१-५) क्या संसार के अधिकांश संगीत में इसी क़िस्म का संदेश नहीं मिलता? लेकिन पिशाच केवल संगीत के माध्यम से ही नहीं सिखाते। वे सिखाने के लिए वाणिज्यिक टेलीविज़न कार्यक्रमों, फ़िल्मों, और विडियो का भी प्रयोग करते हैं। यह कैसे? संसार के संचार माध्यम ऐसे मनोरंजन प्रस्तुत करते हैं जो परमेश्वर की नैतिक शिक्षाओं को दमनकारी दिखाते हैं। वे व्यभिचार पर ज़ोर देकर और वांछनीय दिखाने के द्वारा उसे बढ़ावा देते हैं।
११. नैतिक रूप से कहा जाए, तो टेलीविज़न अकसर क्या सिखाता है?
११ पत्रिका यू.एस.न्यूज एण्ड वर्ल्ड रिपोर्ट ने कहा: “१९९१ में तीन [यू.एस.] नेटवर्कों ने प्राइम टाइम पर १०,००० से ज़्यादा लैंगिक दृश्य दिखाए; विवाहित साथियों के बीच मैथुन के हर दृश्य के मुकाबले नेटवर्कों ने विवाह के बाहर सेक्स के १४ दृश्य दिखाए।” एक वर्ष में प्राइम टाइम पर अनुचित सेक्स के ९,००० से ज़्यादा दृश्य दिखाने के द्वारा, आप क्या कहेंगे कि टेलीविज़न क्या सिखा रहा है? “शाम के समय टेलीविज़न में सेक्स: १९७९ बनाम १९८९” रिपोर्ट का सहलेखक, बैरी एस. सापोलस्की कहता है: “यदि एक किशोर वर्षों तक टी. वी. देखे जहाँ लोग इश्कबाज़ या प्रत्यक्ष रूप से लैंगिक व्यवहार में भाग लेते हैं, तो वर्षों तक देखे ये सजीव-चित्र उन्हें सिखाएँगे कि सेक्स मज़ेदार है—और इसके कोई परिणाम नहीं हैं।” इस बारे में कोई प्रश्न नहीं है: संसार का मनोरंजन युवा लोगों को सिखाता है कि कोई नियम नहीं हैं, व्यभिचार स्वीकार्य है, और जिस तरह के जीवन की परमेश्वर निन्दा करता है वैसा जीवन जीने के कोई दुष्परिणाम नहीं हैं।—१ कुरिन्थियों ६:१८; इफिसियों ५:३-५.
१२. संसार का मनोरंजन ख़ासकर मसीही युवाओं के लिए ख़तरा क्यों खड़ा करता है?
१२ संसार के संगीत, फ़िल्में, वीडियो, और टेलीविज़न युवा लोगों को आकर्षित करने के लिए बनाए गए हैं। वे पिशाचों की भ्रष्ट शिक्षाओं को बढ़ावा देते हैं! लेकिन क्या यह आश्चर्य की बात है? इसके बारे में सोचिए। यदि झूठा धर्म और राजनीति शैतान के संसार के भाग हैं—जो कि वे स्पष्ट रूप से हैं—क्या इस बात पर विश्वास करने का कोई तुक है कि संसार जिस मनोरंजन को बढ़ावा देता है वह पिशाचों के प्रभाव से मुक्त है? आप युवा लोगों को ख़ासकर सतर्क रहना चाहिए कि “अपने चारों ओर के संसार द्वारा स्वयं को उसके ढाँचे में न ढलने दें।”—रोमियों १२:२, जे. बी. फिलिप्स् की द न्यू टेस्टामेंट इन मॉडर्न इंग्लिश.
आत्म-परीक्षा कीजिए
१३. कौनसी आत्म-परीक्षा की जानी चाहिए?
१३ आप किसकी शिक्षा को मानते हैं यह केवल आपकी बोली से ही नहीं बल्कि आपके कार्यों से भी निर्धारित होता है। (रोमियों ६:१६) इसलिए अपने आप से पूछिए, ‘संसार के प्रचार माध्यमों से मैं जो कुछ सीखता हूँ उससे क्या मेरी मनोवृत्ति और मेरी जीवन-शैली अनुपयुक्त रूप से प्रभावित हो रही हैं? क्या पिशाचों की शिक्षाएँ मेरे जीवन पर हमला कर रही हैं?’ ऐसे प्रश्नों का उत्तर पाने में आपकी मदद करने के लिए, जो समय और प्रयास आप बाइबल अध्ययन करने, मसीही सभाओं में उपस्थित होने, और परमेश्वर के राज्य के बारे में दूसरों से बात करने में बिताते हैं क्यों न उसकी तुलना टी. वी. देखने, संगीत सुनने, अपने मनपसन्द खेल या समान क्रियाकलापों में भाग लेने में बिताए समय और प्रयास से करें? सच्ची आत्म-परीक्षा कीजिए, क्योंकि इतना कुछ—वस्तुतः आपका जीवन—जोख़िम में है।—२ कुरिन्थियों १३:५.
१४. क्या बात हमारे आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालेगी, और क्या गंभीर विचार हमें मन में रखना चाहिए?
१४ आप अच्छी तरह जानते हैं कि जो भौतिक भोजन आप खाएँगे उससे आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ेगा। उसी प्रकार, जिस चीज़ से आप अपना मन और हृदय भरते हैं उससे आपका आध्यात्मिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। (१ पतरस २:१, २) आपकी असल रुचियाँ क्या हैं इस सम्बन्ध में जबकि शायद आप ख़ुद को धोखा दे सकते हैं, आप हमारे न्यायी, यीशु मसीह को धोखा नहीं दे सकते। (यूहन्ना ५:३०) इसलिए अपने आप से पूछिए, ‘यदि यीशु पृथ्वी पर होता, और यदि वह मेरे कमरे में आकर मेरा संगीत सुनता या देखता कि मैं टी.वी. पर क्या देख रहा हूँ, तो क्या मैं लज्जित होता?’ गंभीर सत्य यह है कि यीशु देख रहा है और हमारे कार्यों को जानता है।—प्रकाशितवाक्य ३:१५.
पिशाचों की शिक्षाओं का विरोध कीजिए
१५. पिशाचों की शिक्षाओं का विरोध करने के लिए मसीहियों को क्यों सख़्त लड़ाई लड़नी चाहिए?
१५ पिशाच युवाओं पर अत्यधिक दबाव डालते हैं कि उनकी शिक्षाओं को मानें। ये दुष्ट आत्माएँ तात्कालिक संतुष्टि—मौज और सुख—का जीवन प्रस्तुत करती प्रतीत होती हैं। परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए, प्राचीन समय के मूसा ने फिरौन के घराने के प्रमुख सदस्य के रूप में “पाप के थोड़े दिन के सुख भोगने” से इन्कार किया। (इब्रानियों ११:२४-२७) पिशाच जो प्रस्तुत करते हैं उसे ठुकराना आसान नहीं है, इसलिए सही कार्य को करने के लिए आपको सख़्त लड़ाई लड़ने की ज़रूरत है। यह ख़ासकर सच है क्योंकि हमने पाप विरासत में पाया है और अकसर हमारे हृदय की लालसा बुरा कार्य करने के लिए होती है। (उत्पत्ति ८:२१; रोमियों ५:१२) पापमय प्रवृत्तियों के कारण, प्रेरित पौलुस को भी अपने साथ सख़्ती बरतनी पड़ी कि अपनी शारीरिक अभिलाषाओं को अपने पर प्रभुत्व न करने दे।—१ कुरिन्थियों ९:२७; रोमियों ७:२१-२३.
१६. युवा लोग अनैतिक व्यवहार में भाग लेने के दबावों का विरोध कैसे कर सकते हैं?
१६ हालाँकि आप ‘बुराई करने के लिये बहुतों [भीड़, NW] के पीछे हो लेने’ के लिए प्रलोभित हो सकते हैं, आपके समकक्ष उनके ग़लत मार्ग पर चलने के लिए आप पर जो दबाव डालते हैं उसका विरोध करने के लिए परमेश्वर आपकी मदद कर सकता है। (निर्गमन २३:२; १ कुरिन्थियों १०:१३) लेकिन आपको परमेश्वर के निर्देशनों को सुनना होगा, उसके वचन को अपने हृदय में संजोए रखना होगा। (भजन ११९:९, ११) आपको यह समझने की ज़रूरत है कि जब युवा लोग अपने आप को अकेला कर लेते हैं, तो लैंगिक अभिलाषा उत्पन्न हो सकती है और वे परमेश्वर का नियम तोड़ सकते हैं। एक युवती ने स्वीकार किया, “जब मैं अपने बॉयफ्रेंड के साथ अकेली होती हूँ, मेरा शरीर एक चीज़ करना चाहता है और मेरा दिमाग़ मुझे दूसरी चीज़ करने को कहता है।” इसलिए अपने सीमाबन्धनों को स्वीकार कीजिए और समझिए कि आपका हृदय धोखा देनेवाला है। (यिर्मयाह १७:९) अपने आपको अकेले मत होने दीजिए। (नीतिवचन १८:१) प्रीति व्यक्त करने के लिए सीमाएँ रखिए। और ख़ास महत्त्व की बात है कि केवल उन्हीं लोगों के साथ घनिष्ठ संगति रखिए जो यहोवा से प्रेम करते हैं और उसके नियमों के लिए गहरा आदर रखते हैं।—भजन ११९:६३; नीतिवचन १३:२०; १ कुरिन्थियों १५:३३.
१७. पिशाचों की शिक्षाओं का विरोध करने के लिए शक्ति प्राप्त करने में क्या चीज़ मसीही युवाओं की मदद कर सकती है?
१७ आपकी आध्यात्मिकता की मज़बूती के लिए बनाए गए मसीही प्रकाशनों का ध्यानपूर्ण अध्ययन आपकी मदद करेगा। उदाहरण के लिए, प्रहरीदुर्ग और अवेक! (अंग्रेज़ी) में लेख होते हैं, और आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं पुस्तक में अध्याय “जो सही है उसे करने के लिये युद्ध” है। दिए गए शास्त्रीय शिक्षण को अपने मन और हृदय की गहराई में उतरने दीजिए, और यह आपको मज़बूत करेगा। आपको यह तथ्य कभी नहीं भूलना चाहिए कि इस पिशाच-नियंत्रित संसार में सही कार्य करना आसान नहीं है। इसलिए सख़्त लड़ाई लड़िए। (लूका १३:२४) अपनी आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाइए। कमज़ोर, डरपोक लोगों की नक़ल मत कीजिए जो भीड़ के पीछे हो लेते हैं।
ईश्वरीय शिक्षा से लाभ उठाइए
१८. ईश्वरीय शिक्षा को मानने के कुछ लाभ क्या हैं?
१८ यह भी याद रखिए कि यहोवा की शिक्षा को मानने से आप किसी भी लाभप्रद चीज़ से वंचित नहीं रहेंगे। वह सचमुच आपसे प्रेम करता है, और इसीलिए वह ‘आपको आपके लाभ के लिए शिक्षा देता है।’ (यशायाह ४८:१७) इसलिए यहोवा की शिक्षा को मानिए और एक क्षतिग्रस्त अंतःकरण की मनोव्यथा, आत्म-सम्मान की हानि, अनचाही गर्भावस्थाओं, लैंगिक रूप से फैलनेवाली बीमारियों, या समान त्रासदियों से बचिए। यहोवा आनन्दित होता है जब उसके सेवक उसे शैतान की इस चुनौती का उत्तर देते हैं कि मनुष्य परीक्षा में परमेश्वर को वफ़ादार नहीं रहेंगे। (अय्यूब १:६-१२) यदि आप यहोवा को वफ़ादार रहने के द्वारा उसके हृदय को ख़ुश करते हैं, तो जब वह इस संसार के विरुद्ध प्रतिकूल न्याय लाता है आप बचेंगे, जबकि वे सभी जो उसके नियमों की अवज्ञा करते हैं नष्ट हो जाएँगे।—नीतिवचन २७:११; १ कुरिन्थियों ६:९, १०; १ यूहन्ना २:१७.
१९. जो लोग यहोवा की शिक्षा के लाभों का मूल्यांकन करते हैं उनकी संगति करने का क्या महत्त्व है?
१९ यदि आप उन लोगों के साथ निकट संगति रखते हैं जो इस बात का मूल्यांकन करते हैं कि यहोवा ने उनके लिए क्या किया है, तो आप उनके अनुभव से सीख सकते हैं। एक लड़की ने, जिसे पहले नशीले पदार्थों की लत थी और अनैतिक कार्य करती थी, बताया: “यदि मैंने यहोवा की न सुनी होती, तो मैं मर चुकी होती। जिस व्यक्ति से मेरा विवाह होनेवाला था वह एडस् से मर चुका है। मेरे पिछले सारे सांसारिक घनिष्ठ मित्र एडस् से मर चुके हैं या तो मरनेवाले हैं। मैं उन्हें अकसर सड़कों पर देखती हूँ और हर दिन यहोवा को उसके नियमों के लिए धन्यवाद देती हूँ जो उसके लोगों को नियंत्रित करते हैं। और यदि हम उन नियमों पर अमल करें, तो वे हमें पवित्र रखेंगे। मैं अपने जीवन में पहले कभी इतनी ख़ुश, संतुष्ट, और सुरक्षित नहीं थी।” सचमुच, यहोवा की शिक्षा को मानना हमेशा हमें लाभ पहुँचाता है!
सही चुनाव कीजिए
२०, २१. (क) युवाओं के पास कौनसे दो चुनाव हैं? (ख) ईश्वरीय शिक्षा को मानने से क्या स्थायी लाभ परिणित होंगे?
२० युवाओं हम आपसे आग्रह करते हैं: यहोवा की सेवा करने के द्वारा सही चुनाव कीजिए। फिर उस निर्णय पर अटल रहिए। (यहोशू २४:१५) असल में, आप दो में से केवल एक चुनाव कर सकते हैं। यीशु ने कहा कि एक चौड़ा और चाकल मार्ग है—जो ख़ुद को अच्छा लगता है उसी को करने का सरल मार्ग। वह मार्ग बन्द गली, अर्थात् विनाश की ओर ले जाता है। दूसरा मार्ग सकरा है। इस अनैतिक, पिशाच-नियंत्रित संसार में इस मार्ग पर चलना मुश्किल है। लेकिन इस मार्ग पर चलनेवाले लोगों को यह मार्ग अन्त में परमेश्वर के आश्चर्यजनक नए संसार में ले जाएगा। (मत्ती ७:१३, १४) आप कौनसा मार्ग अपनाएँगे? आप किसकी शिक्षा को मानेंगे?
२१ यहोवा चुनाव करना आप पर छोड़ता है। उसकी सेवा करने के लिए वह आप पर ज़बरदस्ती करने की कोशिश नहीं करता। “मैं ने जीवन और मरण . . . तुम्हारे आगे रखा है,” परमेश्वर के भविष्यवक्ता मूसा ने कहा, और यह आग्रह किया: “तू जीवन ही को अपना ले।” यह चुनाव ‘अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करने, और उसकी बात मानने, और उस से लिपटे रहने’ के द्वारा किया जाता है। (व्यवस्थाविवरण २९:२; ३०:१९, २०) ऐसा हो कि आप बुद्धिमानी से ईश्वरीय शिक्षा को मानने का चुनाव करें और परमेश्वर के महिमावान् नए संसार में अन्तहीन जीवन का आनन्द लें।
आप कैसे उत्तर देंगे?
▫ पिशाच कौन हैं, और वे क्या सिखाते हैं?
▫ आज पिशाच अपनी शिक्षाओं को कैसे बढ़ावा देते हैं?
▫ पिशाचों की शिक्षाओं का विरोध करना कैसे संभव है?
▫ यहोवा की शिक्षा को मानने के क्या लाभ हैं?
[पेज 9 पर तसवीर]
जलप्रलय से पहले अवज्ञाकारी स्वर्गदूतों और उनकी सन्तानों ने हिंसा और विलासिता को बढ़ावा दिया
[पेज 11 पर तसवीर]
यदि यीशु आपका मनपसन्द संगीत सुनता तो क्या आप लज्जित होते?