अपने अगुवों की मानो
“अपने अगुवों की मानो; और उन के आधीन रहो, क्योंकि वे उन की नाईं तुम्हारे प्राणों के लिए जागते रहते, जिन्हें लेखा देना पड़ेगा।”—इब्रानियों १३:१७.
१. हम मसीही प्राचीनों के कार्य से किस तरह लाभ प्राप्त करते हैं?
यहोवा ने इस “अन्त समय” में अपने संघटन के लिए अध्यक्षों का प्रबंध किया है। (दानिय्येल १२:४) वे भेड़-समान लोगों की रखवाली करने में अगुवाई करते हैं, और उनका निरीक्षण स्फूर्तिदायक है। (यशायाह ३२:१, २) इसके अतिरिक्त, परमेश्वर के झुंड के साथ कोमलता से व्यवहार करनेवाले प्राचीनों की प्रेममय अध्यक्षता शैतान और इस दुष्ट रीति-व्यवस्था से एक सुरक्षा के तौर से काम आती है।—प्रेरितों २०:२८-३०; १ पतरस ५:८; १ यूहन्ना ५:१९.
२. कुछ लोगों ने प्रेरित पौलुस के बारे में क्या सोचा, लेकिन प्राचीनों के प्रति कौनसी अभिवृत्ति उचित है?
२ लेकिन आप प्राचीनों को किस नज़र से देखते हैं? क्या आप मन ही मन कहते हैं: ‘अगर मेरी कोई समस्या होगी, तो मैं इस मण्डली के किसी भी प्राचीन के पास नहीं जाऊँगा, इसलिए कि मुझे इन पर कोई भरोसा नहीं’? अगर आप इस तरह महसूस करते हैं, तो क्या यह हो सकता है कि आप उनकी अपूर्णताओं पर कुछ ज़्यादा ही बल दे रहे हैं? पुराने कुरिन्थ में कुछ लोगों ने प्रेरित पौलुस के बारे में कहा: “उसके पत्र तो गम्भीर और प्रभावशाली हैं; परन्तु जब देखते हैं, तो वह देह का निर्बल और वक्तव्य में हलका जान पड़ता है।” फिर भी, परमेश्वर ने पौलुस को एक सेवकाई दी और उसे “अन्यजातियों के लिए प्रेरित” के तौर से इस्तेमाल किया। (२ कुरिन्थियों १०:१०; रोमियों ११:१३; १ तीमुथियुस १:१२) तो फिर, यह आशा की जाती है कि आप उस बहन के जैसे महसूस करें, जिसने कहा: “हमारी मण्डली में दुनिया के सबसे अच्छा प्राचीन वर्ग है। जब मदद की ज़रूरत हुई, तब वे यहीं थे।”
उनका आज्ञापालन क्यों करें?
३. अगर प्रभु को हमारे द्वारा दर्शायी आत्मा के साथ रहना है, तो हमें मसीही उप-चरवाहों का कैसे विचार करना चाहिए?
३ चूँकि मसीही उप-चरवाहे महान् चरवाहा, यहोवा परमेश्वर द्वारा दिए गए हैं, आप क्या सोचते हैं, वह चाहेंगे कि हम उनका विचार किस तरह से करें? निश्चय ही, परमेश्वर हम से अपेक्षा रखते हैं कि हम यहोवा के गवाहों के शासी वर्ग के निरीक्षण में, प्रेममय अध्यक्षों द्वारा पाए गए बाइबल-आधारित निर्देशन पर अमल करें। तब ‘प्रभु हमारे द्वारा दिखायी आत्मा के साथ रहेंगे,’ हम शांति का आनन्द पाएँगे, और हमें आध्यात्मिक रूप से उन्नत किया जाएगा।—२ तीमुथियुस ४:२२; प्रेरितों ९:३१; १५:२३-३२ से तुलना करें.
४. हम व्यक्तिगत रूप से इब्रानियों १३:७ का अनुप्रयोग किस तरह कर सकते हैं?
४ पौलुस ने प्रोत्साहित किया: “जो तुम्हारे अगुवे हैं, और जिन्होंने तुम्हें परमेश्वर का वचन सुनाया है, उन्हें स्मरण रखो; और ध्यान से उनके चाल-चलन का अन्त देखकर उन के विश्वास का अनुकरण करो।” (इब्रानियों १३:७) प्रारंभिक मसीहियों में, मुख्यतः प्रेरितों ने अगुवाई की। आज, हम यहोवा के गवाहों के शासी वर्ग के पुरुष, अन्य अभिषिक्त अध्यक्ष, और “बड़ी भीड़” के पुरुषों को ध्यान से देख सकते हैं, जो हमारे बीच अगुवाई करते हैं। (प्रकाशितवाक्य ७:९) हालाँकि हमें उनकी आवाज़, ठवन, या अन्य मानवी विशेषताओं का अनुकरण करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता, हमें उनके विश्वास का अनुकरण करने के द्वारा अपने आचरण का अन्त अच्छा साबित करना चाहिए।
५. आज पृथ्वी पर, मसीही कलीसिया की देख-रेख करने की मुख्य ज़िम्मेदारी किसे सौंपी जा चुकी है, और वे किस बात के योग्य हैं?
५ आज पृथ्वी पर हमारी आध्यात्मिक ज़रूरतों की देख-रेख करने की मुख्य ज़िम्मेदारी “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को दी गयी है। इसका प्रतिनिधिक शासी वर्ग अगुवाई करता है और विश्वव्याप्त राज्य-प्रचार कार्य को समन्वित करता है। (मत्ती २४:१४, ४५-४७) इन आत्मा से अभिषिक्त प्राचीनों को विशेष रूप से आध्यात्मिक शासकों के तौर से माना जा सकता है, इसलिए कि इब्रानियों १३:७ का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है: “तुम्हें . . . शासित करनेवालों के विषय में सचेत रहो।” (किंग्डम इंटर्लिनियर) चूँकि ६३,००० से ज़्यादा मण्डलियाँ और ४०,१७,००० से ज़्यादा राज्य प्रचारक मौजूद हैं, इसलिए शासी वर्ग को बनानेवाले १२ प्राचीनों को “प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते” जाने के लिए बहुत काम है। (१ कुरिन्थियों १५:५८) उनके ईश्वर-प्रदत्त नियत कार्य का विचार करते हुए, वे हमारे पूरे सहयोग के योग्य हैं, उसी तरह जैसे पहली-सदी के शासी वर्ग को प्रारंभिक मसीहियों का सहयोग प्राप्त था।—प्रेरितों १५:१, २.
६. यहोवा के लोगों के लाभ के लिए प्राचीनों द्वारा की जानेवाली कुछेक बातें क्या हैं?
६ अध्यक्षों को आत्मा से नियुक्त इसलिए किया गया है कि वे मण्डली की आध्यात्मिक ज़रूरतों की देख-रेख कर सकें। (प्रेरितों २०:२८) वे प्रबंध करते हैं कि स्थानीय मण्डली के क्षेत्र में सुसमाचार का प्रचार किया जाता है। ये शास्त्रीय रूप से योग्य पुरुष एक प्रेममय ढंग से आध्यात्मिक निर्देशन भी देते हैं। वे अपने आध्यात्मिक भाई-बहनों को उपदेश करते, सान्त्वना देते, और गवाही देते हैं, इस उद्देश्य से कि उनका चाल-चलन परमेश्वर के योग्य हो। (१ थिस्सलुनीकियों २:७, ८, ११, १२) और जब कोई जानने से भी पहले एक ग़लत क़दम उठाता है, तब भी ये पुरुष उसे “नम्रता की आत्मा के साथ” पुनःसमंजित करने की कोशिश करते हैं।—गलतियों ६:१, न्यू.व.
७. इब्रानियों १३:१७ में पौलुस ने कौनसी सलाह दी?
७ ऐसे प्रेममय अध्यक्षों को सहयोग देने के लिए हमारा मन प्रेरित होता है। यह उचित है, चूँकि पौलुस ने लिखा: “अपने अगुवों की मानो; और उन के आधीन रहो, क्योंकि वे उन की नाईं तुम्हारे प्राणों के लिए जागते रहते, जिन्हें लेखा देना पड़ेगा, कि वे यह काम आनन्द से करें, न कि ठंडी साँस ले लेकर, क्योंकि इस दशा में तुम्हें कुछ लाभ नहीं।” (इब्रानियों १३:१७) हमें इस सलाह का अर्थ कैसे लेना चाहिए?
८, ९. (अ) इब्रानियों १३:१७ का विचार करते हुए, हमें उन लोगों के प्रति आज्ञाकारी क्यों होना चाहिए जो अगुवाई करते हैं? (ब) हमारी आज्ञाकारिता और अधीनता से क्या-क्या अच्छे परिणाम हो सकते हैं?
८ पौलुस हमें उनका आज्ञापालन करने के लिए प्रोत्साहित करता है जो हमें आध्यात्मिक रूप से शासित कर रहे हैं। हमें “आधीन” रहना है, और इन उप-चरवाहों का मानना है। क्यों? इसलिए कि ‘वे हमारे प्राणों के लिए,’ या परमेश्वर के समर्पित जानों के लिए ‘जागते रहते हैं।’ और वे किस रीति से “जागते रहते” हैं? यहाँ यूनानी क्रिया अ·ग्रू·प्नेʹओ का वर्तमान कर्तृवाचक निश्चयार्थ का अर्थ अक्षरशः यह है कि प्राचीन “नींद से परहेज़ कर रहे हैं।” यह उस अकेले चरवाहे की याद दिलाता है जो रात के ख़तरों से अपने झुंड की रखवाली करने की ख़ातिर अपनी नींद को जाने देता है। प्राचीन कभी-कभी परमेश्वर के झुंड के लिए प्रार्थनापूर्ण चिन्ता में या संगी विश्वासियों को आध्यात्मिक सहायता देने में निद्राहीन रातें काटते हैं। हमें उनकी विश्वसनीय सेवा के लिए कितना आभारी होना चाहिए! निश्चय ही, हमें यहूदा के समय के ‘भक्तिहीन पुरुषों’ के जैसे नहीं बनना है, जिन्होंने ‘प्रभुता को तुच्छ जाना और ऊँचे पदवालों को,’ अभिषिक्त प्राचीनों को जिन्हें ईश्वर-प्रदत्त महिमा, या सम्मान है, ‘बुरा भला कहा।’—यहूदा ३, ४, ८.
९ यहोवा नाराज़ होंगे अगर हम मसीही अध्यक्षों के प्रति आज्ञाकारी होने और उनके अधीन रहने से चूक जाएँगे। यह उनके लिए भी भारी साबित होगा और हमारे लिए आध्यात्मिक रूप से हानिकर होगा। अगर हम असहयोगशील होंगे, तो प्राचीन शायद अपना काम आहें भर-भरकर करेंगे, शायद निरुत्साह की भावना से, जिसके परिणामस्वरूप हमारी मसीही गतिविधियों में हर्ष का अभाव होगा। लेकिन हमारी आज्ञाकारिता और अधीनता ईश्वरीय आचरण को बढ़ावा देती हैं और हमारे विश्वास की शक्ति बढ़ाती हैं। ‘प्रभु हमारे द्वारा दिखायी आत्मा के साथ हैं,’ और सहयोग, शाँति और एकता के ऐसे वातावरण में हर्ष फलता-फूलता है।—२ तीमुथियुस ४:२२; भजन १३३:१.
१०. १ तीमुथियुस ५:१७ के अनुसार, ऐसा क्यों है कि जो उत्तम रीति से अध्यक्षता करते हैं, वे आदर के योग्य हैं?
१० हमारा मण्डली के प्राचीनों के प्रति आज्ञाकारी और अधीन होने का यह मतलब नहीं कि हम मनुष्य को प्रसन्न करनेवाले हैं। वह शास्त्रों के ख़िलाफ़ होगा, इसलिए कि पहली-सदी के मसीही ग़ुलामों को अपने मालिकों का आज्ञापालन करने को कहा गया, “मनुष्य को प्रसन्न करनेवालों की नाईं दिखाने के लिए नहीं, परन्तु मन की सीधाई और यहोवा के भय से।” (कुलुस्सियों ३:२२; इफिसियों ६:५, ६) जो अध्यक्ष ‘उत्तम रीति से अध्यक्षता करते हैं और वचन सुनाने और सिखाने में परिश्रम करते हैं,’ वे मुख्य रूप से आदर के योग्य हैं, इसलिए कि उनका उपदेश परमेश्वर के वचन पर आधारित है। जैसे कि पौलुस ने लिखा: “जो प्राचीन अच्छा प्रबन्ध करते हैं, विशेष करके वे जो वचन सुनाने और सिखाने में परिश्रम करते हैं, दो गुने आदर के योग्य समझे जाएँ। क्योंकि पवित्र शास्त्र कहता है, कि ‘दाँवनेवाले बैल का मुँह न बाँधना,’ क्योंकि ‘मज़दूर अपनी मज़दूरी का हक्कदार है।’”—१ तीमुथियुस ५:१७, १८.
११. किसी प्राचीन को ‘दो गुना आदर’ कैसे मिल सकता है, और उसे किस बात से बचे रहना चाहिए?
११ अभी उद्धृत किए गए पौलुस के शब्दों से सूचित होता है कि जो लोग दूसरों के आध्यात्मिक हितों की देख-रेख करते हैं, उन्हें सही रूप से भौतिक सहायता दी जा सकती है। परन्तु, इसका यह मतलब नहीं कि प्राचीनों को एक तनख़्वाह मिलनी चाहिए, और ‘दो गुना आदर’ ऐसी बात नहीं जो प्राचीन माँग सकता है। यह मण्डली के सदस्यों की ओर से उनकी अपनी खुशी से आ सकता है, परन्तु उसे कभी अधिकार हासिल करने या भौतिक सम्पत्ति हासिल करने के लिए अपने कार्यभार का उपयोग नहीं करना चाहिए। उसे खुद अपनी महिमा खोजनी नहीं चाहिए और न ही भौतिक लाभ के लिए अधिक समृद्ध जनों के साथ संगति करनी चाहिए, जिससे दूसरों की उपेक्षा हो सकती है। (नीतिवचन २५:२७; २९:२३; यहूदा १६) उलटा, एक अध्यक्ष को परमेश्वर के झुंड की रखवाली ‘इच्छा से, नीच कमाई के लिए नहीं, पर मन लगा कर’ करनी चाहिए।—१ पतरस ५:२.
१२. किस बात को मन में रखने के द्वारा, हमें अपने बीच अगुवाई करनेवालों के प्रति आज्ञाकारी होने के लिए मदद मिल सकती है?
१२ उन व्यक्तियों का आज्ञापालन करने और आदर देने में हमें मदद होगी अगर हम याद रखेंगे कि परमेश्वर ने खुद प्राचीनों का प्रबंध किया है। (इफिसियों ४:७-१३) चूँकि ये आदमी आत्मा द्वारा नियुक्त हैं, और परमेश्वर का संघटन यहोवा के गवाहों की ज़िन्दगी में एक महत्त्वपूर्ण स्थान पर है, इसलिए हम निश्चित रूप से ईश्वर-शासित प्रबंधों के लिए अपना आभार और आदर दिखाना चाहेंगे। इसके अतिरिक्त, अगर हम अपने बीच अगुवाई करनेवालों के प्रति आज्ञाकारिता और अधीनता की एक उत्तम मिसाल पेश करेंगे, तो हम नए व्यक्तियों को यही अभिवृत्ति विकसित करने की मदद कर सकते हैं।
उनकी सेवा की क़दर क्यों करें?
१३. (अ) दुनिया में और परमेश्वर के संघटन में अगुवाई के बारे में कौनसे विपरीत दृष्टिकोण विद्यमान हैं? (ब) हमारे बीच अगुवाई करनेवाले आदमियों पर भरोसा करने के लिए हमारे पास कौनसे ठोस कारण हैं? (क) परिश्रमी प्राचीनों की अपूर्णताओं को बढ़ा-चढ़ाकर कहने के बजाय, हमें क्या करना चाहिए?
१३ दुनिया में, अगुवाई अस्वीकार करने की प्रवृत्ति मौजूद है। जैसे कि एक प्राध्यापक ने कहा: “बढ़ते हुए शिक्षण स्तर ने इस क़दर प्रतिभा के समूह को सुधारा है कि अनुयायी अब इतने आलोचनात्मक बन गए हैं कि उनके बीच अगुवाई करना लगभग नामुमकिन ही हो गया है।” लेकिन परमेश्वर के संघटन में स्वाधीनता की मनोवृत्ति प्रचलित नहीं, और हमारे बीच अगुवाई करनेवाले आदमियों पर भरोसा रखने के लिए हमारे पास ठोस कारण हैं। उदाहरणार्थ, केवल उन्हीं लोगों को प्राचीनों के तौर से नियुक्त किया जाता है, जो धर्मशास्त्रीय शर्तों को पूरा करते हैं। (१ तीमुथियुस ३:१-७) उन्हें कृपालु, प्रेममय, और मददपूर्ण होने, फिर भी यहोवा के धार्मिक स्तरों का समर्थन करने में दृढ़ रहने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। प्राचीन धर्मशास्त्रीय स्तरों से लगे रहते हैं, और ‘विश्वासयोग्य वचन पर स्थिर रहते हैं ताकि वे स्वास्थ्यकर शिक्षा से उपदेश दे सकें।’ (तीतुस १:५-९, न्यू.व.) अवश्य, हमें उनकी मानवी अपूर्णताओं को बढ़ा-चढ़ाकर व्यक्त करना नहीं चाहिए, इसलिए कि हम सभी अपूर्ण हैं। (१ राजा ८:४६; रोमियों ५:१२) उनकी कमियों के कारण कुण्ठित होने और उनके उपदेश की उपेक्षा करने के बजाय, हम प्राचीनों के बाइबल-आधारित निर्देशन की क़दर करें और उसे स्वीकार करें, कि यह परमेश्वर की ओर से आता है।
१४. १ तीमुथियुस १:१२ का विचार करते हुए, एक प्राचीन को उसे सौंपे गए नियत कार्य का कैसा विचार करना चाहिए?
१४ पौलुस ने कहा, जो कि एक क़दरदान पुरुष था: “मैं अपने प्रभु मसीह यीशु का, जिस ने मुझे सामर्थ दी है, धन्यवाद करता हूँ; कि उस ने मुझे विश्वासयोग्य समझकर अपनी सेवा के लिए ठहराया।” (१ तीमुथियुस १:१२) उस सेवकाई, या सेवा में प्रचार कार्य और संगी विश्वासियों की सेवा करना शामिल था। हालाँकि एक अध्यक्ष को पवित्र आत्मा के ज़रिए एक उप-चरवाहे के तौर से सेवा करने का कार्यभार मिलता है, इस कारण उसे अपने आप को दूसरों से बेहतर समझने की कोई ज़रूरत नहीं, क्योंकि वह खुद परमेश्वर के भेड़-समान लोगों के झुंड का एक भाग है। (१ पतरस ५:४) उलटा, उसे आभारी होना चाहिए कि कलीसिया के प्रमुख, यीशु मसीह, ने उसे झुंड के सदस्यों की सेवा करने के योग्य ठहराया है और परमेश्वर ने उसे ज्ञान, बुद्धि, और समझ की एक मात्रा देकर उसे योग्य बनाया है। (२ कुरिन्थियों ३:५) चूँकि एक प्राचीन को अपने ईश्वर-प्रदत्त विशेषाधिकारों के लिए आभारी रहने के लिए कारण हैं, मण्डली के अन्य सदस्यों को इस सेवकाई, या सेवा की क़दर करनी चाहिए।
१५. १ थिस्सलुनीकियों ५:१२, १३ में दी गयी पौलुस की सलाह का सार क्या है?
१५ यहोवा के गवाह उस संघटन के लिए आभारी हैं जो परमेश्वर ने इन आख़री दिनों में उन्नत किया है, और वही क़दरदानी हमें प्राचीनों का इज़्ज़त करने के लिए प्रेरित करती है। हमें उन प्रबंधों से पूर्णतया सहयोग करने के लिए खुश होना चाहिए, जो वे हमारे फ़ायदे के लिए करते हैं। पौलुस ने कहा: “और हे भाइयों, हम तुम से बिनती करते हैं, कि जो तुम में परिश्रम करते हैं, और प्रभु में तुम्हारे अगुवे हैं, और तुम्हें शिक्षा देते हैं, उन्हें मानो; और उनके काम के कारण प्रेम के साथ उन को बहुत ही आदर के योग्य समझो।” (१ थिस्सलुनीकियों ५:१२, १३) इस सलाह पर अमल करने से हर्ष और यहोवा का आशिष मिलता है।
सलाह पर फ़ौरन अमल करें
१६, १७. प्राचीन शादी के बारे में शायद क्या उपदेश देंगे, और उस पर अमल करने के परिणामस्वरूप क्या होगा?
१६ पौलुस ने तीतुस को ‘पूरे अधिकार के साथ ये बातें कहते रहने’ के लिए प्रोत्साहित किया। (तीतुस २:१५) उसी तरह, आज परमेश्वर के प्रतिनिधि हमें बाइबल सिद्धान्तों और नियमों की ओर निर्देशित करते हैं। यहोवा के संघटन की और नियुक्त प्राचीनों की सलाह और निर्देशन पर अमल करने के लिए बारम्बार दुहराई जानेवाली चेतावनियों को स्वीकार करने के लिए ठोस कारण हैं।
१७ दृष्टान्त देने के लिए: प्राचीन किसी मसीही को “केवल प्रभु में” शादी करने के बाइबल उपदेश पर अमल करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। (१ कुरिन्थियों ७:३९; व्यवस्थाविवरण ७:३, ४) वे शायद बताएँगे कि ऐसे किसी व्यक्ति से शादी करने से, जिसका बपतिस्मा नहीं हुआ है, गम्भीर समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, राजा सुलैमान के ही जैसे जिस ने परायी जातियों की स्त्रियों से शादी करके बहुत भारी ग़लती की, चूँकि इन्होंने उसका मन झूठे देवताओं की ओर और यहोवा से दूर फिराया। (१ राजा ११:१-६) प्राचीन शायद यह भी समझाएँगे कि एज्रा ने यहूदी आदमियों को अपने अन्यजातीय-स्त्रियों को विदा करने के लिए मनवाया, और नहेमायाह ने कहा कि जो अविश्वासियों से शादी कर रहे थे, वे ‘अपने परमेश्वर के विरुद्ध पाप करने में बड़ी बुराई कर रहे थे।’ (नहेमायाह १३:२३-२७; एज्रा १०:१०-१४; द वॉचटावर, मार्च १५, १९८२, पृष्ठ ३१; और नवम्बर १५, १९८६, पृष्ठ २६-३० देखें।) अनेक आशिष और यहोवा को प्रसन्न करने का संतोष प्रेममय प्राचीनों द्वारा दिए जानेवाले ऐसे धर्मशास्त्रीय उपदेश पर अमल करने के परिणामस्वरूप मिलते हैं।
१८. १ कुरिन्थियों ५:९-१३ में पौलुस ने जो लिखा, उसका विचार करते हुए, अगर परिवार के किसी सदस्य को जाति-बहिष्कृत किया जाए, तो हमें कैसी प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए?
१८ प्राचीनों के न्यायिक निर्णयों का आदर करना भी उचित है। पौलुस ने कुरिन्थ के मसीहियों से कहा कि “यदि कोई भाई कहलाकर, व्यभिचारी, या लोभी, या मूर्तिपूजक, या गाली देनेवाला, या पियक्कड़, या ज़बरदस्ती पैसा ऐंठनेवाला हो, तो उसकी संगति मत करना; बरन ऐसे मनुष्य के साथ खाना भी न खाना।” उन्होंने ‘कुकर्मी को उनके बीच में से निकाल देना था।’ (१ कुरिन्थियों ५:९-१३) लेकिन आप कैसे व्यवहार करते अगर आपके किसी रिश्तेदार को जाति-बहिष्कृत किया जाता? हालाँकि पारिवारिक मामलों से निपटने के लिए शायद कुछ सीमित संपर्क की ज़रूरत हो, फिर भी उस जाति-बहिष्कृत रिश्तेदार के साथ हर प्रकार का आध्यात्मिक साहचर्य बन्द कर देना ज़रूरी होता है। (द वॉचटावर, अप्रैल १५, १९८८, पृष्ठ २६-३१ देखें।) निश्चय ही, परमेश्वर और उनके संघटन के प्रति वफ़ादारी से हमें अध्यक्षों के न्यायिक निर्णयों का आदर करने के लिए प्रेरित होना चाहिए।
१९. हमें क्या करना चाहिए अगर प्राचीन हमें दिखाते हैं कि हम आध्यात्मिक रूप से ग़लत रास्ते पर जा रहे हैं?
१९ जीवन की ओर ले जानेवाले संकीर्ण रास्ते पर रहना आसान नहीं है। ऐसा करने के लिए, हमें परमेश्वर के वचन में दिए गए निर्देशनों का, और उनके संघटन में जिन लोगों को रखवाली की ज़िम्मेदारियाँ सौंपी गयी हैं, उनके द्वारा दिए गए निर्देशनों का पालन करना चाहिए। (मत्ती ७:१३, १४) अगर हम एक शहर से दूसरे शहर एक मोटर-गाड़ी से जा रहे हों और हम ने एक ग़लत मोड़ लिया हो, तो सही रास्ते पर आने के लिए हमें कोई कार्रवाई लेनी पड़ेगी। वरना, हम कभी हमारे मंज़िल तक नहीं पहुँच पाएँगे। उसी तरह, अगर प्राचीन हमें दिखाते हैं कि हम, शायद किसी बपतिस्मा-रहित व्यक्ति से प्रणय-निवेदन करने के द्वारा, आध्यात्मिक रूप से ग़लत रास्ते पर जा रहे हैं, तो हमें उनके धर्मशास्त्रीय उपदेश पर फ़ौरन ही अमल करना चाहिए। यह एक तरीक़ा होगा जिस से हम दिखा सकते हैं कि हम सचमुच ही ‘यहोवा पर भरोसा रखते हैं।’—नीतिवचन ३:५, ६.
छोटी बातों में भी आदर
२०. अपने आप से कौनसे सवाल करने के द्वारा हमें छोटी बातों में भी प्राचीनों के निर्देशन के लिए आदर दिखाने में मदद होगी?
२० हमें छोटी बातों में भी प्राचीनों के निर्देशन के लिए आदर दिखाने की ज़रूरत है। इसलिए हम अपने आप से पूछ सकते हैं: ‘अगर प्राचीन मुझे बीमारों से भेंट करने या क्षेत्र सेवकाई में नए व्यक्तियों को प्रशिक्षण देने के लिए कहते हैं, तो क्या मैं यह काम तत्परता से करता हूँ? क्या मैं सभाओं के लिए कार्यभार सहर्ष स्वीकार करता हूँ, और उन्हें अच्छी रीति से तैयार करता हूँ? जब प्राचीन सम्मेलन में सीट बचाने और हमारे पोशाक, इत्यादि, के बारे में निर्देशन देते हैं, तो क्या मैं ग्रहणशील हूँ? जब वे हमें किंग्डम हॉल साफ़ करने में मदद करने, अविलंब से अपनी क्षेत्र सेवकाई को रिपोर्ट करने, या समय पर सभाओं में आने के लिए कहते हैं, तो क्या मैं सहयोग देता हूँ?’
२१. हमारा प्राचीनों के प्रति आदर दिखाना संभवतः यीशु के कौनसे शब्दों की याद दिलाएगा?
२१ मण्डली के अध्यक्ष हमारे सहयोग के लिए आभारी हैं, और इसका परिणाम मण्डली की खुशहाली है। दरअसल, छोटे मामलों में भी हमारा आदरपूर्ण और सहयोगशील रहना संभवतः यीशु के इन शब्दों की याद दिलाएगा: “जो थोड़े से थोड़े में सच्चा है, वह बहुत में भी सच्चा है।” (लूका १६:१०) निश्चय ही, हम चाहते हैं कि हमें भी विश्वासयोग्य माना जाए।
प्रेममय अध्यक्षता के प्रति अनुकूल प्रतिक्रिया दिखाते रहें
२२. विश्वासयोग्य दास और मण्डली के प्राचीनों की प्रेममय अध्यक्षता से परिणत होनेवाले कुछेक लाभ क्या हैं?
२२ विश्वासयोग्य दास और मण्डली के प्राचीनों की प्रेममय अध्यक्षता से उत्पन्न होनेवाले लाभ से यह साबित होता है कि यहोवा का प्रचुर आशीर्वाद उनके पार्थिव संघटन पर है। इसके अतिरिक्त, प्राचीनों द्वारा कुशल निर्देशन से उनकी क्षमताएँ मिलायी जाती हैं और हमारे बीच एकता को बढ़ावा मिलता है। इसका एक और परिणाम यह भी है कि राज्य हितों को आगे बढ़ाने के लिए एक सम्मिलित और सफ़ल प्रयास किया जाता है। वास्तव में, अगुवाई करनेवालों की अध्यक्षता के प्रति हमारी क़दरदान प्रतिक्रिया का एक सकारात्मक परिणाम तो यह है कि परमेश्वर हमारे प्रचार कार्य और शिष्य बनाने के कार्य पर आशिष देते हैं। (मत्ती २८:१९, २०) हमारा प्राचीनों के साथ सहयोग करने से हम उस नयी रीति-व्यवस्था में अनन्त जीवन पाने के लिए भी तैयार किए जा रहे हैं।
२३. १ यूहन्ना ५:३ का विचार करते हुए, हमें क्या करने के लिए प्रेरित होना चाहिए?
२३ चूँकि हम यहोवा से प्रेम रखते हैं, उनका आज्ञापालन करना एक अप्रिय कर्तव्य नहीं है। प्रेरित यूहन्ना ने लिखा: “परमेश्वर का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें; और उस की आज्ञाएँ कठिन नहीं।” (१ यूहन्ना ५:३) वफ़ादार मसीही खुशी से यहोवा के आदेशों का पालन करते हैं और वे उन लोगों को सहयोग देने के लिए प्रोत्साहित होते हैं, जिन लोगों को उन्होंने मण्डली की अध्यक्षता सौंपी है। हम कितने शुक्रगुज़ार हैं कि हम परमेश्वर के संघटन में हैं और हमारे पास ‘मनुष्य के दान’ हैं! (इफिसियों ४:८) तो फिर, पूरा भरोसा रखकर कि परमेश्वर अपने लोगों को निर्देशित कर रहे हैं, आइए हम हमेशा ही यहोवा के गवाहों में अगुवाई करनेवालों के प्रति आज्ञाकारी रहें, जिन्हें यह विशेषाधिकार प्राप्त है।
आपकी टिप्पणी क्या है?
◻ हमारे बीच अगुवाई करनेवालों के प्रति आज्ञाकारी क्यों बनें?
◻ परिश्रमी प्राचीनों के द्वारा की गयी सेवा के संबंध में हमारी मनोवृत्ति कैसी होनी चाहिए?
◻ क्यों प्राचीनों द्वारा दी गयी सलाह पर फ़ौरन अमल करना चाहिए?
◻ प्रेममय अध्यक्षता के प्रति हमारी क़दरदान प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप कौनसे लाभ प्राप्त होते हैं?
[पेज 26 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
क्या आप सभाओं के लिए कार्यभार स्वीकार करने, किंग्डम हॉल साफ़ करने में मदद करने, अविलंब से अपनी क्षेत्र सेवकाई को रिपोर्ट करने, और अन्य रीति के द्वारा प्राचीनों को सहयोग देते हैं?
[पेज 25 पर तसवीरें]
पौलुस सुसमाचार सुनाने और संगी विश्वासियों की सेवा करने में बहुत खुश था। एक प्राचीन के तौर से, क्या आप अपने ईश्वर-प्रदत्त सेवा विशेषाधिकारों के लिए आभारी हैं?