क्या आप में सेवा करने की योग्यता है?
“हमारी योग्यता परमेश्वर की ओर से है।”—२ कुरिन्थियों ३:५.
१. मसीही मण्डली में किस प्रकार के लोगों के लिए जगह नहीं?
यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह कार्यकर्ताएँ हैं। यीशु ने कहा: “मेरा पिता अब तक काम करता है, और मैं भी काम करता हूँ।” (यूहन्ना ५:१७) परमेश्वर उन लोगों को पसन्द नहीं करते जो काम करने से इनकार करते हैं; और ना ही उनका अनुमोदन उनके साथ है जो दूसरों पर अधिकार पाने के लिए ज़िम्मेदारी की खोज करते हैं। मसीही मण्डली में आलसी व्यक्तियों के लिए या स्वार्थ से महत्त्वाकांक्षा रखनेवालों के लिए कोई जगह नहीं।—मत्ती २०:२५-२७; २ थिस्सलुनीकियों ३:१०.
२. मसीही मण्डली में ज़िम्मेदारी सँभालने के लिए पुरुषों की अब एक बड़ी आवश्यकता क्यों है?
२ यहोवा के गवाहों को ‘प्रभु के कार्य में बहुत काम करना है,’ विशेषकर अब जब इतने सारे लोग सच्ची उपासना के “पर्वत” की ओर बढ़ रहे हैं। (१ कुरिन्थियों १५:५८; यशायाह २:२-४) मण्डली में ज़िम्मेदारी सँभालने के लिए आध्यात्मिक रूप से योग्य पुरुषों की अब बहुत बड़ी आवश्यकता है। चूँकि ये पुरुष स्वार्थी महत्त्वाकांक्षा से प्रेरित नहीं, वे अपने आप को नहीं, बल्कि यहोवा को उन्नत करते हैं। (नीतिवचन ८:१३) वे जानते हैं कि मण्डली के कार्यों के लिए योग्य बनने के लिए परमेश्वर उनकी मदद करते हैं, जैसे कि ‘वह नए वाचा के सेवकों को योग्य बनाते’ हैं।—२ कुरिन्थियों ३:४-६.
३. बुनियादी तौर पर, प्राचीनों और सेवकाई सेवकों की ज़िम्मेदारियाँ क्या हैं?
३ आज भी, प्राचीन मसीहियों की तरह, प्राचीन और सेवकाई सेवकों के रूप में सेवा करने के लिए व्यक्तियों की नियुक्ति पवित्र आत्मा और यहोवा की संघटनीय व्यवस्था के द्वारा की जाती है। (प्रेरितों २०:२८; फिलिप्पियों १:१; तीतुस १:५) प्राचीन परमेश्वर के झुण्ड पर संरक्षक निरीक्षण प्रदान करते हुए, आध्यात्मिक रूप से चरवाहा कार्य करते हैं। सेवकाई सेवक उन्हें सहयोग देते हैं, जिनकी ज़िम्मेदारियों में सीधे रूप से आध्यात्मिक पर्यवेक्षण शामिल नहीं। (१ पतरस ५:२; प्रेरितों के काम ६:१-६ से तुलना करें।) परमेश्वर के पुत्र के समान, जो सेवा करने आया था, ऐसी नियुक्तियों में सह-विश्वासियों की सेवा करने की इच्छा है। (मरकुस १०:४५) अगर आप एक मसीही पुरुष हैं, क्या आप में यह मनोभावना है?
योग्यताएँ जो दोनों के लिए सामान्य हैं
४. मण्डली की ज़िम्मेदारियाँ सँभालने वालों की योग्यताओं की सूची हम विशेष रूप से कहाँ पाते हैं?
४ १ तीमुथियुस ३:१-१०, १२, १३ और तीतुस १:५-९ में प्रेरित पौलुस द्वारा विशेष रूप से उनकी योग्यताएँ सूचिबद्ध की गयी हैं, जिन्हें मण्डली में ज़िम्मेदारियाँ सौंपी गयी हैं। जब हम इन योग्यताओं पर विचार करेंगे, जिन में से कुछ दोनों प्राचीनों और सेवकाई सेवकों पर लागू हैं, हमें उनका विचार सांसारिक स्तरों के अनुसार नहीं करना चाहिए। बल्कि, हमें पहली सदी की उनकी पृष्ठभूमि और यहोवा के लोगों में यह कैसे लागू होती हैं, उसके अनुसार विचार करना चाहिए। इन ज़रूरतों की पूर्ति के लिए परिपूर्णता की माँग नहीं की जाती, क्योंकि अगर ऐसा होता तो कोई भी मानव इस के लिए योग्य ठहरता नहीं। (१ यूहन्ना १:८) लेकिन अगर आप एक मसीही पुरुष हैं, और चाहे आपके पास अब मण्डली की ज़िम्मेदारियाँ हैं या नहीं, क्यों न अपनी वैयक्तिक योग्यताओं का विश्लेषण करें?
५. निर्दोष होने का अर्थ क्या है?
५ निर्दोष; बाहरवालों में भी उसका सुनाम हो; दोषारोपण से मुक्त। (१ तीमुथियुस ३:२, ७, ८, १०; तीतुस १:६, ७) नियुक्ति के समय और सेवा करने के दौरान, सेवकाई सेवकों और प्राचीनों को निर्दोष होना चाहिए, यानी, किसी दोष से और ग़लत आचरण के लिए या ग़लत शिक्षण देने के एक यथोचित आरोप के कारण किसी भर्त्सना की ज़रूरत से मुक्त होना चाहिए। “झूठे भाइयों” या दूसरों द्वारा किए गए असत्य आरोपों के कारण एक पुरुष दोषी नहीं बनता। मण्डली में सेवा करने से एक व्यक्ति को अयोग्य ठहराने के लिए आरोप को तुच्छ नहीं होना चाहिए, और उसे शास्त्रीय स्तरों के अनुरूप सिद्ध किया जाना चाहिए। (२ कुरिन्थियों ११:२६; १ तीमुथियुस ५:१९) “बाहरवालों में भी” मण्डली में नियुक्त व्यक्ति “का सुनाम हो, ऐसा न हो कि निन्दित होकर शैतान के फँदे में फँस जाए।” अगर एक पुरुष ने अतीत में कोई गम्भीर पाप किया है, उसे तब ही नियुक्त किया जा सकता है, जब वह किसी भी आरोप को दूर कर सके और अपने लिए एक अच्छा नाम स्थापित कर सके।
६. एक ही पत्नी का पति होने का क्या अर्थ है?
६ एक ही पत्नी का पति। (१ तीमुथियुस ३:२, १२; तीतुस १:६) इसका यह अर्थ नहीं कि केवल शादी-शुदा पुरुष ही सेवकाई सेवक और प्राचीन बन सकते हैं। लेकिन अगर विवाहित हैं, उस पुरुष की केवल एक ही जीवित पत्नी होनी चाहिए और उसे उसकी ओर वफ़ादार रहना चाहिए। (इब्रानियों १३:४) पहली सदी के कई ग़ैर-मसीही पुरुषों से भिन्न, वह एक बहुविवाही नहीं बन सकता।a
७. (अ) क्या शारीरिक उमर प्राचीन बनने के लिए एक व्यक्ति को योग्य बनाती है? (ब) एक अच्छी रीति से अपने घर पर अध्यक्षता करने में क्या शामिल है?
७ अपने घर का अच्छा प्रबन्ध करता हो, और लड़के-बालों को सारी गम्भीरता से आधीन रखता हो। (१ तीमुथियुस ३:४, ५, १२; तीतुस १:६) कुछों का यह विचार है कि प्राचीनों की उमर कम-से-कम ३० वर्ष होनी चाहिए, लेकिन बाइबल ऐसी कोई निम्नतम उमर का ज़िक्र नहीं करती। किन्तु, उस व्यक्ति को एक आध्यात्मिक भाव से एक प्राचीन के रूप में व्यवहार करना चाहिए। सेवकाई सेवकों और प्राचीनों की उमर उतनी होनी चाहिए कि उनके बच्चे हो सके। विवाहित होने पर भी एक पुरुष योग्य नहीं बनता अगर वह अन्य जगहों में एक ईश्वरीय रीति से व्यवहार करता है लेकिन घर पर एक अत्याचारी रूप से बरताव करता है। बाइबल सिद्धान्तों के अनुसार अपने घराने की अध्यक्षता करने से उसने आदर प्राप्त किया हो, और परिवार के प्रत्येक सदस्य के साथ आध्यात्मिक सफ़लता पाना उसका लक्ष्य होना चाहिए। सामान्य तौर पर, एक प्राचीन के, जो एक पिता है, शिष्ट अवयस्क बच्चे होने चाहिए, जो “विश्वासी” हैं। या तो वे परमेश्वर के लिए अपना समर्पण करने की ओर प्रगति कर रहे हैं, या फिर वे यहोवा के गवाहों के रूप में बपतिस्मा पाए हुए हैं। जो पुरुष खुद अपने बच्चों में विश्वास उत्पन्न करने में असमर्थ है, वह दूसरों में ऐसा कर पाएगा, इसकी संभावना बहुत कम है।
८. प्राचीन बनने से पहले एक परिवार के प्रधान को क्या सीखना चाहिए?
८ एक परिवार के प्रधान को मण्डली में आध्यात्मिक निरीक्षण प्रदान करने के योग्य बनने से पहले, उसे अपने खुद के परिवार का कैसे निरीक्षण करना चाहिए, यह सीखना ज़रूरी है। ‘अगर कोई अपने घर ही का प्रबन्ध करना न जानता हो, तो वह परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली कैसे करेगा?’ (१ तीमुथियुस ३:५) यह सच है कि एक पुरुष का एक अविश्वासी पत्नी द्वारा विरोध किया जा सकता है। (मत्ती १०:३६; लूका १२:५२) या उसके बच्चों में से कोई एक, किसी गम्भीर पाप का दोषी बन सकता है, जबकि दूसरे बच्चे आध्यात्मिक रूप से अच्छी स्थिति में हैं। फिर भी, अगर उस पुरुष ने वह सब कुछ किया है जो उससे अपेक्षित है, और विशेषकर अगर अपने घराने के दूसरों के साथ उसने आध्यात्मिक सफ़लता पायी है, तब परिवार के एक सदस्य द्वारा उसके उत्तम निर्देशन के तिरस्कार से वह अनिवार्यतः एक सेवकाई सेवक या प्राचीन बनने से अयोग्य नहीं ठहरेगा।
९. मदिरा के संबंध में एक प्राचीन या एक सेवकाई सेवक को किस बात पर ध्यान देना चाहिए?
९ पियक्कड़ या द्राक्षिरा का आदी नहीं। (१ तीमुथियुस ३:३, ८; तीतुस १:७ न्यू.व.) एक सेवकाई सेवक या प्राचीन को मदिरा का अतिसेवन नहीं करना चाहिए। उनका अतिसेवन करने के परिणामस्वरूप विचारों और भावनाओं पर नियंत्रण खो सकता है, जिससे मारपीट या झगड़े उत्पन्न होते हैं। वह ‘द्राक्षिरा का आदी’ न हो या उसे एक अभ्यस्त या भारी पीनेवाले का नाम न हो। (नीतिवचन २३:२०, २१, २९-३५) यह कितना अनर्थकारी होगा अगर चरवाहा कार्य में की गयी एक भेंट, अति-मद्यसेवन के कारण बिगड़ जाए! अगर एक भाई पीता भी हो, तो वह सभाओं में, सेवकाई में, या अन्य पवित्र सेवा में भाग लेते वक़्त ऐसा न करे।—लैव्यव्यवस्था १०:८-११; यहेज़केल ४४:२१.
१०. पैसों के प्रेमी और नीच कमाई के लोभी, प्राचीन या सेवकाई सेवक बनने के योग्य क्यों नहीं हैं?
१० पैसों का या नीच कमाई का लोभी न हो। (१ तीमुथियुस ३:३, ८; तीतुस १:७) पैसों के प्रेमी आत्मिक संकट में हैं, और “लोभी व्यक्ति” परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं करेंगे। इसलिए, ऐसे पुरुष प्राचीन या सेवकाई सेवक बनने की योग्यता प्राप्त नहीं करते। (१ कुरिन्थियों ६:९, १०; १ तीमुथियुस ६:९, १०) यूनानी भाषा में उस मूल शब्द का मौलिक अर्थ जिसका अनुवाद “नीच” किया गया है, “लज्जाजनक” है, और “कमाई” के लिए उपयोग किए गए शब्द का अर्थ किसी भी प्रकार की प्राप्ति या लाभ है। (फिलिप्पियों १:२१; ३:४-८) अवश्य, जिस पुरुष का स्वभाव यह सूचित करता है कि वह परमेश्वर की “भेड़ों” के साथ नीच व्यवहार करेगा, वह मण्डली की ज़िम्मेदारी के लिए योग्य नहीं। (यहेज़केल ३४:७-१०; प्रेरितों २०:३३-३५; यहूदा १६) सावधानी प्रदर्शित करने की ज़रूरत सिफ़ारिश करते समय बढ़ती है, जब हम जानते हैं कि नियुक्त होने के बाद, एक पुरुष के हाथों निधी सौंपी जा सकती है और उन पैसों में से कुछ की चोरी करने के लिए वह प्रलोभित हो सकता है।—यूहन्ना १२:४-६.
११. मण्डली की ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के लिए एक “नए शिष्य” की अनुशंसा क्यों नहीं करनी चाहिए?
११ नया शिष्य नहीं; परखे गए। (१ तीमुथियुस ३:६, १०) बपतिस्मा पाए हुए एक नए व्यक्ति के पास यह सिद्ध करने के लिए वक़्त नहीं मिला है कि वह नियुक्त ज़िम्मेदारियों को वफ़ादारी से पूर्ण करेगा। उस में पीड़ितों के लिए दया की या सह-उपासकों की मदद करने के लिए आवश्यक विवेक की कमी होगी और वह दूसरों को तुच्छ भी समझ सकता है। इसलिए, एक सेवकाई सेवक के रूप में और विशेषकर एक प्राचीन के रूप में, अनुशंसा पाने से पहले उस पुरुष को “परखा जाए” और उसे अच्छी समझदारी और विश्वसनीयता का प्रमाण देना चाहिए। इस परीक्षा के लिए कोई निश्चित समय नहीं रखा गया और आध्यात्मिक विकास की गति के संबंध में हर व्यक्ति भिन्न है। लेकिन प्राचीनों को जल्दबाज़ी करके एक नए व्यक्ति की अनुशंसा नहीं करनी चाहिए क्योंकि “ऐसा न हो कि” वह “अभिमान करके शैतान का सा दण्ड पाए।” उस पुरुष को पहले मसीह जैसे नम्रता प्रकट करने दो।—फिलिप्पियों २:५-८.
सेवकाई सेवकों पर विशेष प्रकाश
१२. क्या सेवकाई सेवकों के लिए सूचिबद्ध आवश्यकताएँ केवल उन्हीं के द्वारा पूर्ण की जानी चाहिए?
१२ कुछ आवश्यकताएँ सेवकाई सेवकों के लिए सूचिबद्ध हैं। फिर भी, अगर ऐसी ज़रूरतें प्राचीनों द्वारा भी पूर्ण नहीं की जाती, तो वे सेवा करने के योग्य नहीं ठहरते। एक मसीही पुरुष होने के नाते क्या आप इन विषयों में योग्य हैं?
१३. गम्भीर होने का अर्थ क्या है?
१३ गम्भीर। (१ तीमुथियुस ३:८) एक सेवकाई सेवक के रूप में सेवा करने के लिए योग्य बननेवाले पुरुष को अपनी ज़िम्मेदारी हलकी रीति से नहीं लेनी चाहिए। उसे एक गौरवपूर्ण रीति से व्यवहार करना चाहिए जो आदर प्राप्त करता है। हालाँकि अवसरिक विनोदशीलता स्वीकार्य है, अगर वह हमेशा एक चंचल रीति से बरताव करता रहता है, तो वह योग्य नहीं बनता।
१४. (अ) दो रंगी न बनने का मतलब क्या है? (ब) एक साफ़ अन्तःकरण होने के लिए क्या ज़रूरी है?
१४ दो रंगी नहीं; शुद्ध अन्तःकरण हो। (१ तीमुथियुस ३:८, ९; न्यू.व.) सेवकाई सेवकों (और प्राचीनों) को सत्यनिष्ठ होना चाहिए, और न कि गपशप करनेवाले या कुटिल। इसलिए कि उन्हें दो रंगी नहीं होना चाहिए, उन्हें पाखण्डी बनकर एक व्यक्ति से एक बात और दूसरी व्यक्ति से दूसरी बात नहीं कहनी चाहिए। (नीतिवचन ३:३२; याकूब ३:१७) इन पुरुषों को प्रकटित सत्य के विश्वस्त समर्थक होना चाहिए, जो “विश्वास के भेद को शुद्ध विवेक (अन्तःकरण, न्यू.व.) से सुरक्षित” रखेंगे। परमेश्वर के सामने, ऐसे पुरुष के अन्तःकरण को यह गवाही देनी चाहिए कि वह खरा है और कोई भी चालाक या भ्रष्ट कार्य नहीं करता। (रोमियों ९:१, २; २ कुरिन्थियों १:१२; ४:२; ७:१) परमेश्वर के झुण्ड की सेवा करने के लिए कोई तब तक योग्य नहीं बनता जब तक वह सच्चाई और ईश्वरीय सिद्धान्तों से लगा नहीं रहता।
प्राचीनों की योग्यताओं पर ध्यान
१५. अभी किन की योग्यताओं की जाँच की गयी है, और विशेष रूप से इन में क्या सम्बद्ध है?
१५ कुछ योग्यताएँ विशेषकर प्राचीनों पर लागू होती हैं, और चरवाहों और शिक्षकों के रूप में उनके कार्य से ज़्यादा संबंधित है। एक मसीही पुरुष होने के नाते क्या आप इन आवश्यकताओं को पूर्ण करते हैं?
१६. (अ) आदतों में संतुलित होने के लिए क्या ज़रूरी है? (ब) एक प्राचीन आत्म-संयम कैसे बनाए रख सकता है?
१६ स्वभाव में संतुलित; संयमी। (१ तीमुथियुस ३:२; तीतुस १:८) प्राचीन को बुरी आदतों का दास नहीं, बल्कि संतुलित होना चाहिए। परीक्षाओं का सामना करते वक़्त, अगर वह इस भजनकार के समान प्रार्थना करता है, संतुलन बनाए रखने के लिए परमेश्वर उसकी मदद करेंगे: “मेरे हृदय का क्लेश बढ़ गया है, तू मुझ को मेरे दुःखों से छुड़ा ले।” (भजन २५:१७) एक अध्यक्ष को परमेश्वर की आत्मा के लिए भी प्रार्थना करनी चाहिए और उसके फल प्रदर्शित करने चाहिए, जिस में आत्म-संयम शामिल है। (लूका ११:१३; गलतियों ५:२२, २३) अपने विचारों, बात-चीत और कार्यों पर नियंत्रण रखना एक प्राचीन को मण्डली के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते वक़्त ज़्यादती करने से बचे रख सकता है।
१७. विवेकपूर्ण होने में क्या सम्बद्ध है?
१७ विवेकपूर्ण मन। (१ तीमुथियुस ३:२, न्यू.व.) एक प्राचीन को समझदार, विचारशील और बुद्धिमान होना चाहिए। उसकी बात-चीत और उसका कार्य उद्देश्यपूर्ण और विवेकी होना चाहिए। उसकी नम्र, संतुलित विचारणा ईश्वरीय विवेक और यहोवा के वचन के हितकर शिक्षण पर आधारित है, जिसका उसे एक अध्यवसायी विद्यार्थी होना चाहिए।—रोमियों १२:३; तीतुस २:१.
१८. सभ्य होने के लिए प्राचीन द्वारा क्या आवश्यक है?
१८ सभ्य। (१ तीमुथियुस ३:२) यहाँ उपयोग किए गए यूनानी शब्द का अनुवाद १ तीमुथियुस २:९ (न्यू.व.) में “सुव्यवस्थित” किया गया है। इसलिए एक प्राचीन की शालीन और सुव्यवस्थित जीवन-चर्या होनी चाहिए। उदाहरणार्थ, उसे समयनिष्ठ होना चाहिए। प्रत्यक्षतः, पहली सदी के मसीहियों ने लेखा रखने के कार्य को विशेष महत्त्व नहीं दिया, और आज एक अध्यक्ष को प्रवीण लेखाकार या क्लर्क बनने की आवश्यकता नहीं। सेवकाई सेवक इन विषयों से संबंधित ज़िम्मेदारियाँ सँभाल सकते हैं। लेकिन “सभ्य” के लिए उपयोग किया गया यूनानी शब्द अच्छा व्यवहार भी सूचित करता है, और निस्सन्देह एक पुरुष प्राचीन बनने के योग्य नहीं ठहरता अगर वह उपद्रवी या अनियंत्रित है।—१ थिस्सलुनीकियों ५:१४; २ थिस्सलुनीकियों ३:६-१२; तीतुस १:१०.
१९. सत्कारशील होने के कारण एक प्राचीन क्या करता है?
१९ सत्कारशील। (१ तीमुथियुस ३:२; तीतुस १:८, न्यू.व.) एक प्राचीन ‘पहुनाई करने में लगे रहता’ है। (रोमियों १२:१३; इब्रानियों १३:२) ‘सत्कारशील’ के लिए उपयोग किए गए यूनानी शब्द का अर्थ अक्षरशः “अजनबियों से प्रेम रखना” है। इस तरह, वह सत्कारशील प्राचीन मसीही सभाओं में नए व्यक्तियों का स्वागत करता है, और ग़रीबों में वह उतनी ही रुचि दिखाता है जितना कि वह भौतिक रीति से अमीर लोगों में प्रकट करता है। मसीहियत के हित में यात्रा करनेवालों की ओर वह सत्कारशील है और उन्हें उस प्रकार विदा करता है, “जिस प्रकार परमेश्वर के लोगों के लिए उचित है।” (३ यूहन्ना ५-८) सचमुच, एक प्राचीन विशेषकर अपने सह-विश्वासियों की ओर, उनकी ज़रूरतों के अनुसार और जैसे उसकी परिस्थितियाँ अनुमति देती हैं, वैसे सत्कारशीलता प्रकट करता है।—याकूब २:१४-१७.
२०. सिखाने के लिए एक प्राचीन किस तरीक़ों में योग्य होना चाहिए?
२० सिखाने में निपुण। (१ तीमुथियुस ३:२) आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में एक प्राचीन की योग्यता मानसिक क्षमता या सांसारिक विवेक से परिणत नहीं होता। (१ कुरिन्थियों २:१-५, १३) यह इसलिए होता है, क्योंकि वह “विश्वासयोग्य वचन पर, जो उसके सिखाने की कला [या, के तरीक़े] के अनुसार है, स्थिर रहता है, ताकि खरी शिक्षा से उपदेश दे सके और खण्डन करनेवालों का मुँह भी बन्द कर सके।” (तीतुस १:९, न्यू.व.; प्रेरितों २०:१८-२१, २६, २७ से तुलना करें।) उस में ‘विरोधियों को नम्रता से समझाने’ की योग्यता होनी चाहिए। (२ तीमुथियुस २:२३-२६) चाहे एक प्राचीन मण्डली का सबसे उत्कृष्ट वक्ता ना भी हो, उसे परमेश्वर के वचन का एक उत्कृष्ट विद्यार्थी होना चाहिए ताकि वह विश्वासियों को, जो बाइबल का अध्ययन करते हैं, उपदेश और सलाह दे सके। (२ कुरिन्थियों ११:६) उसे ईश्वरीय जीवन बिताने में परिवारों और व्यक्तियों की मदद करनेवाले “हितकर शिक्षण” प्रदान करने के लिए योग्य होना चाहिए।—तीतुस २:१-१०.
२१. (अ) प्राचीन एक मारपीट करनेवाला नहीं यह कैसे कहा जा सकता है? (ब) समझदार होने का क्या अर्थ है? (क) झगड़ालू न होने का क्या अर्थ है?
२१ मारपीट करनेवाला नहीं; बरन कोमल; और झगड़ालू नहीं। (१ तीमुथियुस ३:३; तीतुस १:७) शांतिमय होने के कारण, एक प्राचीन लोगों को मारता नहीं या फिर निन्दात्मक या तीख़ी बातें कहकर उन्हें धमकाता नहीं। (२ कुरिन्थियों ११:२० से तुलना करें।) (पूर्ववर्ती टीका कि वह एक “पियक्कड और मारपीट करनेवाला नहीं,” यह दिखाता है कि वह मदिरा के दुरुपयोग से दूर रहता है, जो कि बहुधा तक़रार की ओर ले जाता है।) अधिकारवादी और प्रसन्न करने में कठिन व्यक्ति होने के बजाय, वह “समझदार” (या, “सुनम्य”) होने के कारण छोटी-छोटी बातों का बतंगड़ नहीं बनाता। (१ कुरिन्थियों ९:१२; फिलिप्पियों ४:५; १ पतरस २:१८) इसलिए कि एक प्राचीन झगड़ालू या तक़रारप्रिय नहीं है, वह झगड़ों से दूर रहता है और “क्रोध में धीमा” है।—तीतुस ३:२; याकूब १:१९, २०.
२२. इस बात से क्या सूचित होता है कि एक प्राचीन को हठी नहीं होना चाहिए?
२२ न हठी। (तीतुस १:७) इसका अर्थ अक्षरशः ‘खुद को प्रसन्न करनेवाला न होना’ है। (२ पतरस २:१० से तुलना करें।) एक प्राचीन को सिद्धान्तवादी नहीं होना चाहिए लेकिन अपनी योग्यताओं की ओर एक नम्र दृष्टिकोण रखना चाहिए। यह न सोचकर कि वह किसी दूसरे व्यक्ति से बेहतर कार्य कर सकता है, वह नम्रतापूर्वक दूसरों के साथ ज़िम्मेदारी बाँटता है और बहुतायत सम्मति देनेवालों की क़दर करता है।—गिनती ११:२६-२९; नीतिवचन ११:१४; रोमियों १२:३, १६.
२३. (अ) “भलाई से प्रेम करनेवाले” की आप क्या परिभाषा देंगे? (ब) धर्मी होने का क्या अर्थ है?
२३ भलाई से प्रेम करनेवाला; धर्मी। (तीतुस १:८, न्यू.व.) प्राचीन के रूप में योग्य बनने के लिए, एक पुरुष को भलाई से प्रेम करना और धर्मी होना चाहिए। भलाई से प्रेम करनेवाला यहोवा की दृष्टि में जो भला है उससे प्रेम करता है, दयामय और सहायक कार्य करता है, और दूसरों की भलाई की क़दर करता है। (लूका ६:३५; प्रेरितों ९:३६, ३९ से तुलना करें; १ तीमुथियुस ५:९, १०) धर्मी होने का अर्थ है, परमेश्वर के नियमों और स्तरों के अनुरूप होना। अन्य बातों के अलावा, ऐसा पुरुष निष्पक्ष है और अपने मन में धर्मी, पवित्र और सद्गुणी बातों को रखता है। (लूका १:६; फिलिप्पियों ४:८, ९; याकूब २:१-९) चूँकि भलाई धार्मिकता से इस संबंध में भिन्न है कि यह न्याय की माँग के परे है, भलाई का एक प्रेमी दूसरों के लिए आवश्यकता से अधिक भलाई करता है।—मत्ती २०:४, १३-१५; रोमियों ५:७.
२४. वफ़ादार होने में क्या ज़रूरी है?
२४ वफ़ादार। (तीतुस १:८, न्यू.व.) जो पुरुष प्राचीन बनने के योग्य है, वह परमेश्वर की ओर अपनी अटूट भक्ति बनाए रखता और ईश्वरीय नियम के अधीन रहता है, चाहे उसकी ख़राई की परीक्षा किसी भी तरह क्यों न हो। वह वही करता है जिसकी उससे यहोवा अपेक्षा रखते हैं, और इस में एक वफ़ादार राज्य उद्घोषक के रूप में कार्य करना शामिल है।—मत्ती २४:१४; लूका १:७४, ७५; प्रेरितों ५:२९; १ थिस्सलुनीकियों २:१०.
योग्यताओं को पूर्ण करना
२५. अभी-अभी चर्चित योग्यताएँ किनसे अपेक्षित हैं, और ऐसी योग्यताओं को कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
२५ अभी-अभी चर्चित अधिकांश योग्यताओं में ऐसी बातें शामिल हैं जो यहोवा के प्रत्येक गवाह से अपेक्षित हैं और जो हर व्यक्ति के अध्ययन, परिश्रम, अच्छी संगति और प्रार्थनाओं पर यहोवा की आशिष के द्वारा प्राप्त हो सकता है। कुछ व्यक्तियों में कुछेक योग्यताएँ दूसरों से अधिक प्रबल होंगी। लेकिन एक पर्याप्त हद तक, सेवकाई सेवकों और प्राचीनों को उनके ख़ास विशेषाधिकार के लिए ज़रूरी सभी आवश्यकताएँ पूरी करनी होगी।
२६. मण्डली की ज़िम्मेदारी सँभालने के लिए मसीही पुरुष अपने आप को क्यों उपलब्ध कराते हैं?
२६ यहोवा के सभी गवाहों में परमेश्वर की सेवा में हर संभव कार्य करने की इच्छा होनी चाहिए। यह आत्मा मसीही पुरुषों को मण्डली की ज़िम्मेदारी सँभालने के लिए अपने आप को उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित करती है। क्या आप एक समर्पित बपतिस्मा पाए हुए पुरुष हैं? अगर हैं, तो प्रयत्न कीजिए और सेवा की योग्यता पाने का हर संभव प्रयास करें!
[फुटनोट]
a मार्च १५, १९८३, के द वॉचटावर, पृष्ठ २९ पर, उपशीर्षक “धर्मशास्त्रीय तलाक़” के नीचे भी देखें।
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ मण्डली की ज़िम्मेदारी स्वीकार करने के लिए बपतिस्मा पाए हुए पुरुषों की अब एक बड़ी ज़रूरत क्यों है?
◻ वे कुछेक योग्यताएँ क्या हैं जिन्हें सेवकाई सेवकों को पूर्ण करनी चाहिए?
◻ प्राचीनों को कौनसी योग्यताएँ पूर्ण करनी चाहिए?
◻ एक प्राचीन को अपने घराने पर अध्यक्षता कैसे करनी चाहिए, यह जानना क्यों ज़रूरी है?
◻ मसीही पुरुष मण्डली की ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के लिए अपने आप को उपलब्ध कराने के लिए किस बात से प्रेरित होते हैं?
[पेज 16, 17 पर तसवीरें]
प्राचीनों और सेवकाई सेवकों को अपने घराने पर बाइबल सिद्धान्तों के अनुसार अध्यक्षता करनी चाहिए