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परमेश्वर के मकसद में यीशु की अनोखी भूमिका को समझिए और उसकी कदर कीजिएप्रहरीदुर्ग—2008 | दिसंबर 15
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“महायाजक”
15. महायाजक के तौर पर यीशु की भूमिका दूसरे महायाजकों से कैसे अलग है?
15 बीते ज़माने में बहुत-से इंसानों ने महायाजक के तौर पर काम किया है, लेकिन इस मामले में यीशु की भूमिका अनोखी रही है। वह कैसे? पौलुस समझाता है: “उन महायाजकों की नाईं उसे आवश्यक नहीं कि प्रति दिन पहिले अपने पापों और फिर लोगों के पापों के लिये बलिदान चढ़ाए; क्योंकि उस ने अपने आप को बलिदान चढ़ाकर उसे एक ही बार निपटा दिया। क्योंकि व्यवस्था तो निर्बल मनुष्यों को महायाजक नियुक्त करती है; परन्तु उस शपथ का वचन जो व्यवस्था के बाद खाई गई, उस पुत्र को नियुक्त करता है जो युगानुयुग के लिये सिद्ध किया गया है।”—इब्रा. 7:27, 28.a
16. यीशु का बलिदान अनोखा क्यों है?
16 यीशु एक सिद्ध इंसान था, ठीक जैसे आदम पाप करने से पहले था। (1 कुरि. 15:45) इसलिए सिर्फ यीशु ही एक सिद्ध बलिदान दे सकता था, ऐसा अनोखा बलिदान जिसके बाद किसी और बलिदान की ज़रूरत नहीं पड़ती। मूसा के ज़रिए दी गयी व्यवस्था के तहत याजक हर रोज़ बलिदान चढ़ाते थे। लेकिन ये सारे बलिदान और याजकों की सेवाएँ, उन कामों की सिर्फ एक छाया थीं, जो आगे चलकर यीशु महायाजक के नाते करता। (इब्रा. 8:5; 10:1) एक महायाजक के नाते यीशु की भूमिका इस मायने में बेजोड़ है कि बीते ज़माने के महायाजकों के मुकाबले उसकी सेवा से ज़्यादा फायदा पहुँचेगा और वह हमेशा-हमेशा के लिए इस पद पर सेवा करेगा।
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परमेश्वर के मकसद में यीशु की अनोखी भूमिका को समझिए और उसकी कदर कीजिएप्रहरीदुर्ग—2008 | दिसंबर 15
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a एक बाइबल विद्वान कहता है कि जिस शब्द का अनुवाद “एक ही बार” किया गया है, उससे हम बाइबल की इस अहम शिक्षा को समझ पाते हैं कि “मसीह की मौत अनोखी थी और एक ही बार होनी थी।”
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